3 मुखी रुद्राक्ष के फायदे
- स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष से बनी माला धारण करनी चाहिए, इसके प्रभाव से पेट यानि उदर रोग बहुत जल्दी ठीक हो जाते है।
- जिस व्यक्ति का मन किसी भी काम में नहीं लगता या वो जीवन से निराश हो चूका है, उसे तीन मुखी रुद्राक्ष से बनी माला अवश्य धारण करनी चाहिए, इस माला के प्रभाव से जीवन जीने की नई अभिलाषा जागृत होती हैं।
- भोजन न पच पाने की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को तीन मुखी रुद्राक्ष की माला अवश्य धारण करनी चाहिए, भोजन के बाद पेट की अग्नि मंद होने के कारण भोजन न पाच पाने की समस्या में ये रुद्राक्ष लाभदायक साबित होता हैं।
- इस रुद्राक्ष के प्रभाव से चेहरे पर तेज और बल की प्राप्ति होती है।
- इस रुद्राक्ष के प्रभाव से सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से बचाव होता हैं।
- नौकरी में किसी प्रकार की दिक्कते आ रही है, तो इस रुद्राक्ष से बनी माला जरुर धारण करनी चाहिए। नौकरी या कामकाज में आनेवाली बाधाएं जल्दी ही दूर हो जाती हैं।
- मंगल और सूर्य से संबंधित दोषों तथा अशुभ फलों को दूर करने के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष से बनी माला अवश्य धारण करनी चाहिए।
- मेष, धनु और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह माला बहुत शुभ और कल्याणकारी मानी गई है।
- 3 मुखी रुद्राक्ष पहनने से मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है।
- यह तनाव से मुक्ति और सफलता पाने में मदद करता है।
- यह उन सभी नकारात्मक यादों को मिटाने में मदद करता है जो आपको शर्म और गुस्से से भर देती हैं।
- यह पेट की सभी प्रकार की समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है।
- यह प्लेग, चेचक पीलिया जैसी बीमारियों का इलाज करने में मदद करता है।
- यह महिलाओं के मासिक धर्म की समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है।
- यह आलस त्यागने और अधिक सक्रिय और सतर्क बनने में मदद करता है।
- यह जीवन पर मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव का इलाज करता है।
- यह भूमि विवाद, दुर्घटना और भय जैसी समस्याओं को दूर करने में आपकी मदद करता है।
- यह पहनने वाले को सफलता प्राप्त करने के लिए ऊर्जा और उत्साह से भरपूर करता है।
तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने के क्या करें और क्या न करें
तीन मुखी रुद्राक्ष खरीदने के बाद उसे साफ ताजे पानी से धोकर एक दिन के लिए गाय के दूध में डुबोकर रख दें।
- प्रतिदिन इसकी पूजा करें।
- इस पर हमेशा भरोसा रखें।
- इसे किसी को मत दिखाओ।
- टूटा हुआ मनका न पहनें।
- अपना मनका किसी को न दें।
- इसे पहनने के बाद केमिकल वाले साबुन का इस्तेमाल न करें।
- इसे पहनने के बाद मांसाहारी भोजन न करें।
- इसे पहनने के बाद शराब का सेवन न करें।
- अंतिम संस्कार सेवा में जाने से पहले इसे हटा दें।
- सुनिश्चित करें कि तीन मुखी रुद्राक्ष की माला न पहनें क्योंकि यह बहुत शक्तिशाली होती है।
- सोने से पहले इसे हटा दें और जहां आप भगवान की पूजा करते हैं वहां रख दें।
राशि के अनुसार धारण करें रुद्राक्ष
मेष राशि: मेष राशि के जातकों को एक मुखी रुद्राक्ष दारण करने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही तीन मुखी या पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना भी शुभ माना गया है।
वृष राशि: वृषभ राशि के जातक अगर लाइफ में शुभ फलों की प्राप्ति का इंतजार कर रहे हैं, तो चार मुखी, छह मुखी और चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
मिथुन राशि: मान्यता है कि इस राशि के जातक रुद्राक्ष की प्राण-प्रतिष्ठा करवाकर चार, पांच या तेरह मुखी रूद्राक्ष धारण कर सकते हैं। इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
कर्क राशि: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कर्क राशि के लोग तीन, पांच या फिर गौरी शंकर रुद्राक् भी धारण कर सकते हैं।
सिंह राशि: इस राशि के जातकों को एक मुखी, तीन या पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
कन्या राशि: इस राशि के जातक जीवन में सकारात्मक परिणाम और भगवान शिव की कृपा पाने के लिए चार, पांच या तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
तुला राशि: इन्हें चार, छः अथवा चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनना शुभ रहता है। इसलिए शुभ फलों की प्राप्ति के लिए ये धारण करें।
वृश्चिक राशि: जीवन ने सुख-समृद्धि बनाए रखने के लिए वृश्चिक राशि के लोगों को तीन, पांच मुखी या गौरी-शंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
धनु राशि: एक मुखी, तीन या पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना धनु राशि वालों के लिए शुभ माना गया है।
मकर राशि: मकर राशि के जातक भगवान शिव की कृपा पाने के लिए चार मुखी, छः या चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। ये रुद्राक्ष इनके लिए शुभ फलदायी होते हैं।
कुंभ राशि: इस राशि के जातक चार, छः या फिर चौदह मुखी रूद्राक्ष धारण करें।
मीन राशि: जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के लिए इस राशि के जातकों को तीन, पांच या गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है।
3 मुखी रुद्राक्ष कौन पहन सकता है
मेष
इस राशि वालों के लिए मंगल ग्रह लग्न और अष्टम स्थान का स्वामी है। अतः तीन मुखी रुद्राक्ष पहनने से शरीर और आयु की रक्षा होगीय। साथ ही शत्रुओं का नाश भी होगा।
वृष
इस राशि के लिये मंगल ग्रह द्वादश और सप्तम स्थान का स्वामी है अतः तीन मुखी रुद्राक्ष पहनने से मारकेश ग्रह शांत होंगे और खर्चे घटेंगे।
मिथुन राशि
मंगल ग्रह एकादश और छठे अकारक घरों का स्वामी है अतः तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से शत्रु नष्ट होंगे और कामनाओं की पूर्ति होगी।
कर्क राशि
मंगल ग्रह दशम भाव और पंचम भाव का स्वामी है अतः तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से विधा प्राप्त होगी और कैरियर में मजबूती मिलेगी।
सिंह
मंगल ग्रह सुख और भाग्य स्थान का स्वामी है अतः तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से माता, भूमि, भवन, वाहन और भाग्य की प्राप्ति होगी।
3 मुखी रुद्राक्ष कब धारण करना चाहिए
तीन मुखी रुद्राक्ष इस विधि से पूजन करके धारण करें। तीन रुद्राक्ष को सावन मास में सोमवार, अमावस्या या पूर्णिमा तिथि के दिन शिव मंत्र से अभिमंत्रित कर धारण करें।
1- रुद्राक्ष को पहले शुद्ध जल से स्नान कराये
2- फिर पंचामृत (दूध-दही-शहद-घी-गंगाजल) के मिश्रण से स्नान कराने के बाद अंत में गंगाजल से स्नान कराये।
3- घर के पूजा स्थल या किसी शिव मंदिर में गाय के घी का दीपक जलाकर बैठे।
4- अष्टगंध या चंदन से तिलक कर तीन मुखी रूद्राक्ष को पूजास्थल पर लाल कपडा बिछाकर अपने सामने रखें।
5- हाथ में थोडा जल लेकर संकल्प लें– हे त्रिदेव मैं (अपना नाम और गोत्र बोले) भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्ति हेतु व मनवांछित फल की प्राप्ति हेतू इस रुद्राक्ष को अभिमंत्रित कर रहा हूं, यह मेरे कार्यों में मुझे पूर्णता प्रदान करें, ऐसा कहते हुए जल को नीचे जमीन पर छोड़ दें।
6- पूजा करने के बाद इस मंत्र का जप 108 बार करें।
मंत्र- “ॐ क्लीम नमः”
मंत्र जप के बाद त्रिदेवों का ध्यान करते हुए दीपक की लौं के ऊपर से रुद्राक्ष को 21 बार घुमाये और मन ही मन ॐ नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए धारण कर लें।
तीन मुखी रुद्राक्ष के मंत्र :-
“m क्लें नमः” और “O नमः शिवाय”
3 मुखी रुद्राक्ष माला को कैसे पहचाने
रुद्राक्ष पेड़ के फल की गुठली होती है इस गुठली पर प्राकृतिक रूप से कुछ सीधी धारियां होती हैं। ये धारियां स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। इन धारियों की गिनती के आधार पर ही रुद्राक्ष के मुख की गणना होती है। जैसे किसी रुद्राक्ष पर तीन धारियां हैं तो वह रुद्राक्ष तीन मुखी रुद्राक्ष कहलाएगा।
जो असली रुद्राक्ष होता है उसके फल में प्राकृतिक रूप से छेद होते हैं। जबकि भद्राक्ष में छेद करके रुद्राक्ष का आकार दिया जाता है।
- असली रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डुबाने से वह रंग नहीं छोड़ता है जबकि नकली रुद्राक्ष रंग छोड़ देता है।
- असली रुद्राक्ष पानी में डुबाने पर वह डूब जाता है , जबकि नकली रुद्राक्ष तैरता रहता है।
- असली रुद्राक्ष को पहचाने के लिए उसे किसी नुकिली चीज से कुरेदने पर अगर उसमें से रेशा निकलता हो तो वह असली रुद्राक्ष होता है।
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