सभी आर्डर पर 300 रुपए की छूट 🎉🎁

भारत में क्यों हो रहा है टिड्डियों का हमला? जाने आखिर क्या है वजह

जहां महामारी के इस दौर में पूरा देश कोरोना से जूझ रहा है वहीं कई राज्यों में टिड्डी दल (Locust) का हमला हो रहा है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में टिड्डियों ने भारी मात्रा में फसलों को नुकसान पहुंचाया है। बताया जा रहा है कि अन्य राज्य पहले से ही इसकी तैयारी कर चुके हैं। सूत्रों की माने तो 27 साल बाद टिड्डी दल का इतना खतरनाक हमला हुआ है। क्या है टिड्डी दल और क्यों कर रहे हैं वह हमला? टिड्डी एक प्रकार के परजीवी होते हैं जो ग्रासहोपर परिवार से संबंध रखते हैं। भारत के लिए अलावा इन परजीवियों का दल अन्य देशों जैसे अफ्रीका, पाकिस्तान और नेपाल में भी पाएं जाते हैं। देश भर के किसानों को इस हमले से बेहद नुकसान पहुंचा है और आशंका लगाई जा रही है की यह हमला आगे भी चल सकता है। टिड्डियों का हमला भारत व पाकिस्तान में नया नहीं है। इससे पहले भी हर वर्ष टिड्डियों का हमला होता रहा है। लेकिन इस बार घबराने वाली बात यह है कि लॉकडाउन के दौरान किसानो को अपनी फसलों को बचाने में कई नई मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल इस हमले का कारण है मौसमी फेर बदल। बारिश के मौसम में टिड्डी अत्यधिक प्रजनन करते हैं जिससे उनकी संख्या बेहद बढ़ जाती है। अधिक आबादी होने पर टिड्डियों का दल एक जगह से दूसरी जगह उड़ने लगता है। इनका अगला स्थान हवा की दिशा पर निर्भर करता है। बता दें की हवा की दिशा पाकिस्तान से भारत की ओर आ रही है जिसके कारण टिड्डी देश में प्रवेश कर चुके हैं। किन-किन राज्यों तक पहुंच चुके हैं टिड्डी टिड्डी दल पाकिस्तान से होते हुए राजस्थान में प्रवेश कर चुके हैं जिसके बाद वह हवा की दिशा के सहारे आगरा, मध्य प्रदेश में भी पहुंच चुके हैं। सूत्रों की माने तो इन राज्यों में टिड्डी दल अलर्ट जारी कर दिया गया है। पाकिस्तान से करीब 11 लाख टिड्डी भारत में आएं हैं जो की अब विभिन्न झुंड में बट चुके हैं। झुंड में बटने के कारण स्थिति से थोड़ी राहत मिली है। लेकिन फसलों को पहुंचे गए नुकसान का अनुमान लगाना अभी मुश्किल है। पंजाब और हरियाणा की स्थिति अन्य राज्यों के मुकाबले फ़िलहाल बेहतर है। कहां तक बढ़ सकता है खतरा कृषि विभाग को दादरी, सिरसा, महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी में टिड्डियों के हमले की चेतावनी दी गई है। मीडिया की माने तो गुरुवार सुबह टिड्डियों का हमला मुंबई तक पहुंच सकता था लेकिन हवा के चलते ऐसा नहीं हो पाया। गुजरात में टिड्डियों की भारी मात्रा होने के कारण बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र खासतौर से मुंबई में हमला होने की आशंका है। टिड्डी मुंबई के नमी भरे मौसम में जीवित रह सकते हैं। अब देखना ये होगा कि हवा का रुख बदलने पर टिड्डियों का ये दल आगे किस राज्य को अपना शिकार बनाता है।

भारतीयों की इन आदतों को अपनाने से दुनिया से मिट सकते हैं रोग

दुनियाभर में भारतीय संस्‍कृति को बहुत सम्‍मान दिया जाता है लेकिन यहां के लोगों की कुछ आदतें विदेशियों को पसंद नहीं आती हैं। लेकिन आपको बता दें‍ कि भारतीयों की कुछ आदतें ऐसी हैं जिन्‍हें पूरी दुनिया को सीखना चाहिए। जी हां, आज हम आपको भारत के लोगों की ऐसी ही कुछ आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में जानकर आपको भी भारतीय होने पर गर्व होगा। और पढ़ें – बॉयफ्रेंड बनाने वाली लड़कियों में होती हैं ये खास खूबियां हाथ से खाना हम भारतीयों को छुरी और कांटे से खाना नहीं आता है। हम स्‍वदेशी लोग तो हाथ से खाना पसंद करते हैं। भारतीय खाने को बनाया ही इस तरह से जाता है कि आप इसे हाथ से ही खा सकते हैं। कहते हैं कि हाथ से खाने पर भोजन का स्‍वाद बढ़ जाता है और खाने वाले संतुष्टि भी मिलती है। और पढ़ें – भारत के इस शहर में होते हैं सबसे ज्यादा रेप फर्श पर बैठकर खाना फर्श पर भोजन करने के लिए हमें आसन की मुद्रा में बैठना पड़ता है। इससे मन शांत रहता है और रीढ़ की हड्डी को भी आराम मिलता है। फर्श पर आसन की मुद्रा में बैठना पाचन की प्राकृतिक अवस्‍था होती है। इससे शरीर को मजबूती मिलती है और पीठ के निचले हिस्‍से की मांसपेशियां, पेट और पेल्विस की मांसपेशियों में खिंचाव होता है। और पढ़ें – जन्म से मुस्लिम नहीं थे जिन्ना, फिर क्यों चाहते थे पाकिस्तान इंडियन स्‍टाइल के टॉइलेट दुनिया में सबसे पहले टॉइलेट के लिए इंडियन स्‍टाइल ही अपनाया जाता था। पश्चिमी टॉइलेट की तुलना में इंडियन स्‍टाइल को ज्‍यादा बेहतर माना गया है। कहते हैं कि इससे पेट अच्‍छी तरह से साफ हो जाता है। और पढ़ें – मिडिल क्लास लोगों के असफल होने की ये है वजह घर में घुसने से पहले चप्‍पल उतारना भारतीय घरों में सभी लोग बाहर चप्‍पल और जूते उतारकर जाते हैं। ये नियम बहुत पुराना है और आज भी लोग ये प्रथा का पालन करते हैं। विदेशियों को भारत के लोगों की ये आदत बहुत पसंद आती है और इससे घर में साफ-सफाई भी रहती है। और पढ़ें – Aloe vera in Hindi – एलो वेरा के फायदे, नुकसान, इस्तेमाल और खुराक मसालों के गुण ना सिर्फ भारतीय खाना बल्कि भारत के मसाले भी दुनियाभर में मशहूर हैं। हल्‍दी में कई रोगों को मिटाने की शक्‍ति होती है और इससे इम्‍युनिटी पॉवर भी बढ़ती है। हर भारतीय व्‍यंजन में हल्‍दी जरूर डाली जाती है जबकि विदेशी लोग कम मसालेदार और फीका खाना पसंद करते हैं। और पढ़ें – लिंग में खुजली होने के लक्षण, कारण और इलाज – Private part itching problem solution in Hindi चपाती रोटी में सबसे ज्‍यादा गुण होते हैं और भारत में रोटी के बिना खाना पूरा नहीं माना जाता है। गेहूं से बनी रोटी के सेहत को कई फायदे भी मिलते हैं लेकिन विदेशों में गेहूं की रोटी की जगह मैदा से बने नूडल्‍स, चावल वगैरह खाए जाते हैं। गेहूं की रोटी आसानी से पच जाती है। इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में होता है। भारत के लोगों की ऐसी और भी कई आदतें हैं जो दुनियाभर के लोगों को अपनानी चाहिए। इन आदतों को अपनाकर हर इंसान स्‍वस्‍थ जीवन पा सकता है। अगर आपने अब तक इन आदतों को नहीं अपनाया है तो अब शुरु कर दीजिए क्‍योंकि इससे आपकी सेहत बढिया रहेगी और आपके कई रोग भी दूर हो जाएंगे। बुरी आदतों को छोड़कर अच्‍छी आदतें अपनाने से आपका ही शरीर स्‍वस्‍थ होगा। इस आर्टिकल को अपने दोस्‍तों के साथ भी शेयर करें ताकि उन्‍हें भी भारतीयों की अच्‍छी आदतों के बारे में पता चल सके। अन्य लेख –  बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps workout in hindi भारत में पहली बार मिलेगी किसी महिला को फांसी, जानें कौन है ये शख्स महिलाओं में थायराइड का लक्षण, कारण, इलाज, साइड इफेक्ट और आहार – Thyroid in Women in Hindi नेशनल आई डोनेशन फोर्टनाइट 2020: कौन कर सकता है नेत्र दान?

भारत में पहली बार मिलेगी किसी महिला को फांसी, जानें कौन है ये शख्स

इस दुनिया में महिलाओं से ज्‍यादा दयावान और कोई नहीं माना गया है। उसे ममता की मूर्ति कहा जाता है लेकिन कुछ महिलाएं ऐसा कारनामा कर जाती हैं कि पूरी दुनिया का दिल रो उठता है। आज हम आपको भारत की एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जो जल्‍द ही फांसी के तख्‍ते पर चढ़ने वाली है। आइए जानते हैं कि आखिर इस महिला ने ऐसा क्‍या किया है जो इसे फांसी जैसी दर्दनाक सज़ा सुनाई गई है। और पढ़ें – Aloe vera in Hindi – एलो वेरा के फायदे, नुकसान, इस्तेमाल और खुराक किसे मिल रही है फांसी जिस महिला को देश में पहली बार फांसी की सज़ा सुनाई गई है उसका नाम शबनम है और वो उत्तर प्रदेश में अपने पूरे परिवार के साथ रहती थी। इस लड़की अने बहुत ही कम उम्र में एक ऐसी घटना को अनजाम दिया जिसे सुनकर किसी के भी रोंगटें खड़े हो जाएं। क्‍यों मिल रही है फांसी यूपी के अमरोहा के बावन खेड़ी गांव में अब कोई भी अपनी बेटी का नाम शबनम नहीं रखना चाहता है। दरअसल, इसका कारण है यहां रहने वाली शबनम की प्रेम कहानी। जी हां, दस साल पहले शबनम ने अपने अंधे प्‍यार को मंजिल देने के लिए एक ऐसी साजिश रची जिसने उसके भविष्‍य को बर्बाद कर डाला। और पढ़ें – बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps workout in hindi शबनम अपने ही गांव के एक लड़के सलीम से प्‍यार करती थी। सलीम का परिवार शबनम के मुकाबले काफी गरीब था और खुद सलीम भी अनपढ़ था जबकि शबनम अच्‍छे परिवार से थी और काफी पढ़ी-लिखी थी। शबनम का परिवार उसके और सलीम की शादी के लिए राज़ी नहीं था और इसी बात से नाराज़ होकर शबनम ने सलीम के साथ मिलकर अपने पूरे परिवार की हत्‍या की साजिश रच डाली। 7 लोगों की हुई थी हत्‍या अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर शबनम ने दस साल पहले अपने ही परिवार के 7 लोगों की हत्‍या कर दी थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि उसने अपने भाई के 7 महीने के बेटे को भी नहीं बख्‍शा था और उसकी भी बड़ी बेरहमी से हत्‍या कर दी थी। लुटेरों पर लगाया था आरोप अपने पूरे परिवार को खुद मौत के घाट उतारने के बाद शबनम ने पुलिस को एक मनघडंत कहानी सुनाई थी जिसके अनुसार कुछ लुटेरों ने उसके घर पर हमला किया और उसके परिवार को मारकर सारा पैसा लूटकर ले गए। उसने बताया कि वो बाथरूम में थी इसलिए उसकी जान बच गई। और पढ़ें – भारत के इस शहर में होते हैं सबसे ज्यादा रेप इसी गुत्‍थी के तार जोड़ने में पुलिस को पता चला कि कुंवारी शबनम गर्भवती है और उसने घटना वाली रात को अपने प्रेमी सलीम को कई बार कॉल किया था। यहां तक कि हमले के दौरान घर से कोई भी चीज़ चोरी नहीं हुई थी। इस खौफनाक वारदात को दस साल बीत चुके हैं लेकिन आज भी शबनम के गांव में कोई भी अपनी बेटी का नाम शबनत नहीं रखता है। शबनम और सलीम को फांसी की सज़ा सुनाई गई थी और अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने वाला है। दोनों ने राष्‍ट्रपति के पास दया याचिका भेजी थी जिसे राष्‍ट्रपति ने खारिज कर दिया। अब अगर सुप्रीम कोर्ट में भी सलीम और शबनम की फांसी की सज़ा को बरकरार रखा गया तो शबनम देशी की ऐसी पहली महिला होगी जिसे फांसी जैसी सज़ा मुकर्रर की गई है। इस विषय पर अपने विचार हमसे जरूर शेयर करें। अन्य लेख –  लिंग में खुजली होने के लक्षण, कारण और इलाज – Private part itching problem solution in Hindi जन्म से मुस्लिम नहीं थे जिन्ना, फिर क्यों चाहते थे पाकिस्तान पाक के मैन ऑफ द मैच को भारत के मुकाबले मिलते हैं इतने पैसे महिलाओं में थायराइड का लक्षण, कारण, इलाज, साइड इफेक्ट और आहार – Thyroid in Women in Hindi

जन्म से मुस्लिम नहीं थे जिन्ना, फिर क्यों चाहते थे पाकिस्तान

ब्रिटिशों से भारत को स्‍वतंत्र करवाने में महात्‍मा गांधी ने अहम भूमिका निभाई थी और इस वजह से उन्‍हें हमारे देश में सर्वोपरि माना गया है। भारत के पड़ोसी देश पाकिस्‍तान में जिन्‍ना को वही उपाधि मिली हुई है जो भारत में गांधी जी को दी गई है। हम सभी जानते हैं कि आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू और मोहम्‍मद अली जिन्‍ना के बीच सत्ता को लेकर कशमकश शुरु हो गई थी। इसी वजह से जिन्‍ना ने पाकिस्‍तान बनाने की जिद पकड़ ली। मोहम्‍मद अली चाहते थे कि भारत में मुसलमानों पर अत्‍याचार ना हों और उनके लिए एक नया देश बनाया जाए। इसीलिए उन्‍होंने पाकिस्‍तान बनाने की मांग की। नेहरू और गांधी जी से जलता था जिन्‍ना 1947 में पाकिस्‍तान और भारत के बंटवारे को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे लेकिन इनमें से कुछ सवाल तो ऐसे थे जिनका जवाब खुद वो नेता भी नहीं दे पाए थे जो बंटवारे के फैसले में शामिल थे। भारत और पाकिस्‍तान को अलग करने में जिन्‍ना का गुरुर जिम्‍मेदार था। वो नेहरू को देश का प्रधानमंत्री बनते देखना नहीं चाहते थे और गांधी जी से भी उन्‍हें ईर्ष्‍या थी। आज हम आपको पाकिस्‍तान के प्रमुख नेता और इस देश की स्‍थापना करने वाले मोहम्‍मद अली जिन्‍ना के बारे में एक ऐसी सच्‍चाई बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। और पढ़ें – मिडिल क्लास लोगों के असफल होने की ये है वजह पाकिस्‍तान बनाने के लिए प्रचार वो सिर्फ मोहम्‍मद अली ही थी जो मुसलमानों के हित के लिए पाकिस्‍तान बनाना चाहते थे और इसके लिए उन्‍होंने देशभर में घूम-घूमकर प्रचार भी किया था और लोगों से बंटवारे की मांग की थी। बंटवारे के बाद उन्‍हें ग्रेट लीडर कहा जाने लगा। और पढ़ें – पाक के मैन ऑफ द मैच को भारत के मुकाबले मिलते हैं इतने पैसे हिंदू थे जिन्‍ना? इतिहास के पन्‍ने खोलकर देखें तो पता चलता है कि उनका जन्‍म ए‍क हिंदू राजपूत परिवार में हुआ था। उनका परिवार मछली का व्‍यापार किया करता था। हिंदू होने पर मछलियों का व्‍यापार करने के कारण उनके परिवार को बहुत अपमान और ताने सहने पड़ते थे। इस कारण से मोहम्‍मद अली जिन्‍ना और उनके माता-पिता सहित चार भाईयों ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया और हिंदू से मुसलमान बन गए। मुस्लिम धर्म अपनाने के बाद उनका परिवार कराची में रहने लगा। राजनीति में कदम रखने से पहले जिन्‍ना खुद को मुसलमान कहते से कतराते थे। सूत्रों की मानें तो मोहम्‍मद अली के परिवार के कुछ सदस्‍य आज भी गुजरात में हिंदू बनकर रहते हैं। मेरा मतलब है कि वो हिंदू धर्म के अनुयायी हैं। और पढ़ें – लिंग में खुजली होने के लक्षण, कारण और इलाज – Private part itching problem solution in Hindi अब ये बात काफी उलझ जाती है कि जब जिन्‍ना खुद हिंदू थे तो उन्‍हें मुसलमानों के हित की इतनी चिंता क्‍यों थी? ऐसा तो नहीं था कि वो बहुत निस्‍वार्थ नेता था और जनता के हित के बारे में पहले सोचते थे क्‍योंकि अगर ऐसा होता तो जिन्‍ना पाकिस्‍तान बनाने की मांग नहीं करते। जिन्‍ना को सत्ता और हुकूमत की चाहत थी और इसीलिए उन्‍होंने पाकिस्‍तान जैसा आतंकी देश रचा। आपको बता दें कि पाकिस्‍तान बनने के बाद मोहम्‍मद अली एक साल तक भी देश पर हुकूमत नहीं कर पाए और कुछ ही महीनों में उनकी मृत्‍यु हो गई थी। अन्य लेख –  Aloe vera in Hindi – एलो वेरा के फायदे, नुकसान, इस्तेमाल और खुराक बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps workout in hindi भारत में पहली बार मिलेगी किसी महिला को फांसी, जानें कौन है ये शख्स भारत के इस शहर में होते हैं सबसे ज्यादा रेप

भारत के इस शहर में होते हैं सबसे ज्यादा रेप

भारत में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा रहा है। आए दिन कोई न कोई रेप की वारदात सामने आ जाती है और देश एवं समाज को शर्मिंदा होना पड़ता है। आज इस लेख के ज़रिए हम आपको देश के कुछ ऐसे राज्‍यों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर सबसे ज्‍यादा बलात्‍कार की घटनाएं होती हैं। रेप में एमपी है नंबर वन एनसीआरबी की साल 2015 की रिपोर्ट पर नज़र डालें तो पता चलता है कि भारत के एमपी राज्‍य में 4391 रेप की घटनाएं हुई थीं। और पढ़ें – मिडिल क्लास लोगों के असफल होने की ये है वजह यूपी नहीं है पीछे इस लिस्‍ट में यूपी यानि उत्तर प्रदेश को चौथे नंबर पर रखा गया था। यहां साल 2015 में 3025 घटनाएं हुईं। महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों की संख्‍या 35,527 थीं। दुनिया में रेपिस्‍ट देश अगर दुनियाभर में ऐसे देश की बात करें जहां पर बलात्‍कार सबसे ज्‍यादा होते हैं तो इस लिस्‍ट में सबसे ऊपर दक्षिण अफ्रीका का नाम आता है। इस देश में एक साल में तकरीबन 5 लाख महिलाओं का बलात्‍कार किया जाता है। दक्षिण अफ्रीका के मेडिकिल रिसर्च काउंसिल ने खुद अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि उनके देश में 40 प्रतिशत महिलाओं के साथ बलात्‍कार हो चुका है। और पढ़ें – पाक के मैन ऑफ द मैच को भारत के मुकाबले मिलते हैं इतने पैसे पुरुष और बच्‍चे भी हैं रेप का शिकार दक्षिण अफ्रीका में केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष और बच्‍चों को भी रेप का‍ शिकार होना पड़ता है। इन रिपोर्ट्स में ये बात सामने आई है कि देश के करीब 4 पर्सेंट पुरुषों को दूसरे मर्दों से शारीरिक संबंध बनाने के लिए फोर्स किया जाता है। इस  देश के 41 पर्सेंट बच्‍चे बलात्‍कार जैसे यौन शोषण की घटनाओं का शिकार होते हैं। यहां पर 18 साल की उम्र से पहले ही 50 प्रतिशत बच्‍चे रेप का शिकार हो चुके होते हैं। हैरानी की बात तो ये है कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में रेप के सारे मामले दर्ज नहीं हो पाते हैं। 9 में से सिर्फ 1 केस ही रिकॉर्ड्स में दर्ज किए जाते हैं। अन्य लेख –  बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps workout in hindi Aloe vera in Hindi – एलो वेरा के फायदे, नुकसान, इस्तेमाल और खुराक बॉयफ्रेंड बनाने वाली लड़कियों में होती हैं ये खास खूबियां पाक के मैन ऑफ द मैच को भारत के मुकाबले मिलते हैं इतने पैसे मिडिल क्लास लोगों के असफल होने की ये है वजह

images 4

महिलाओं में थायराइड का लक्षण, कारण, इलाज, साइड इफेक्ट और आहार – Thyroid in Women in Hindi

बदलती जीवनशैली में कई बीमारियों ने भी हमारी जिंदगी में अपनी जगह बना ली है। आजकल कई बीमारियां ऐसी हैं जो खासतौर पर पुरुषों या महिलाओं को अपना शिकार बनाती हैं जिनमें से एक थायराइड भी है। आंकड़ों की मानें तो थायराइड की बीमा‍री महिलाओं में ज्‍यादा देखी जाती है।  आइए जानते हैं कि महिलाओं में थायराइड क्‍यों होता है। इस लेख में हम महिलाओं में थायराइड के एक प्रकार हाइपोथायराइड के बारे में जानेंगें। थाइरोइड के प्रकार – thyroid ke prakaar  थायरॉइड दो प्रकार का होता है हाइपरथायराइडिज्म और हाइपोथायराइडिज्म। हाइपोथायरॉइड और हाइपरथायरॉइड दोनो ही समस्या अलग-अलग प्रकार की होती हैं, दोनो अवस्थाएं अलग होती हैं। दोनों प्रकार के थायरॉइड के लक्षण भी अलग-अलग होते हैं. इसकी वजह से शरीर में होने वाले बदलाव भी अलग होते हैं, जो आपके रहन-सहन का तरीका भी पूरी तरह बदल देते हैं। जैसे कुछ लोग थायरॉइड होने पर मोटे हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोग थायरॉइड होने पर पतले हो जाते हैं। हाइपरथायरॉइड के लक्षण – Hyperthyroid ke lakshan सांस लेने में समस्या होना, अचानक धड़कनों का बढ़ जाना संतुलित आहार लेने के बाद भी तेजी से वजन घटना सामान्य मौसम में भी तेज गर्मी लगना और हद से ज्यादा पसीना आना दिन भर कमजोरी और थकान महसूस करना हाथ-पैर के नाखूनों का हद से ज्यादा मुलायम या नर्म हो जाना माहवारी की समस्या बालों का झड़ना त्वचा में खुजली और लाल धब्बे हाइपोथायरॉइड के लक्षण – hypothyroid ke lakshan अचानक वजन बढ़ना शरीर और मांसपेशियों में दर्द अनियमित माहवारी हृदय गति का अचानक कम हो जाना आई-ब्रो या भौहों के बाल झड़ना रूखी और बेजान त्वचा नाखूनों का खराब होना कब्ज या पेट की समस्या हाइपोथायरॉइड और हाइपर थायरॉइड में अंतर – hypothyroid or Hyperthyroid me antar  हाइपर थाइरॉइड में थायरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले हॉर्मोन के स्तर में बढ़ोतरी होती है, जबकि हाइपोथायरॉइड में थायरॉइड में हॉर्मोन की मात्रा कम हो जाती है। हाइपरथायरॉइड में ग्रेव्स रोग हो सकता है, जबकि हाइपोथायरॉयड कि वजह से ये बीमारी नहीं होती है। महिलाओं में थायराइड क्यों होता है – mahilaon mein thyroid kyon hota hai in hind  वायरल संक्रमण के चपेट में आने पर महिला को थायराइड की शिकायत हो सकती है। जो महिला हमेशा तनाव यानी स्ट्रेस में रहती है उन्हें थायराइड होने का खतरा अधिक होता है। डिलीवरी के बाद शरीर में बदलाव आने के कारण भी थायराइड की समस्या पैदा हो सकती है। जब एक महिला की शरीर में आयोडीन की कमी होती है तो थायराइड का खतरा होता है। महिलाओं में थायराइड कई कारणों से होता है जिसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हो सकते हैं – वायरल संक्रमण के चपेट में आने पर महिला को थायराइड की शिकायत हो सकती है। जो महिला हमेशा तनाव यानी स्ट्रेस में रहती है उन्हें थायराइड होने का खतरा अधिक होता है। डिलीवरी के बाद शरीर में बदलाव आने के कारण भी थायराइड की समस्या पैदा हो सकती है। जब एक महिला की शरीर में आयोडीन की कमी होती है तो थायराइड का खतरा होता है। हार्मोनल असंतुलन के कारण महिला को कई तरह की परेशानियां होती हैं और थायराइड भी उन्हीं में एक है। महिलाओं में थायराइड के लक्षण – Mahilaon me thyroid ke lakshan थायराइड की बीमारी होने पर थायराइड ग्रंथि में सूजन आ जाती है। गले के बीचो-बीच स्थित थायराइड ग्रंथि थायराइड नामक हार्मोन का उत्‍पादन करती है जो कि भोजन के पाचन में सहायता करती है। भोजन के पचने के बाद शरीर को एनर्जी मिलती है।  वहीं अगर शरीर में थायराइड हार्मोन कम या ज्‍यादा बनने लगे तो खाना पचने में दिक्‍कत आने लगती है। इससे एनर्जी लेवल भी घटने लगता है।  महिलाओं को थायराइड होने पर थकान, अधिक नींद आने, सुस्‍ती महसूस होने की समस्‍या रहती है। ये हार्मोन शरीर को गर्माहट प्रदान करता है जबकि इसकी कमी होने पर बहुत ठंड लगने लगती है। जिन महिलाओं को थायराइड होता है उनके हाथ-पैर अकसर ठंडे रहते हैं।  इस बीमारी में खाने में फैट की अधिक मात्रा न लेने पर भी वजन बढ़ने लगता है। थायराइड हार्मोन कम होने पर एक या दो महीने के अंदर ही दो से ढाई किलो वजन बढ़ जाता है। इस वजन को आसानी से घटाया भी नहीं जा सकता है।  थायराइड के अन्‍य लक्षणों में बालों का झड़ना, त्‍वचा का रूखा होना, मांसपेशियों में दर्द, नाखूनों के कमजोर होना शामिल है। थायराइड की दवा पर 60% प्रतिशत की छूट महिलाओं में थायराइड के कारण – Mahilaon me thyroid kaise hota hai in Hindi शरीर में आयोडीन की मात्रा घटने पर या वायरल संक्रमण की चपेट में आने की स्थिति में थायराइड ग्रंथि में सूजन आ सकती है। इस स्थिति में थायराइड ग्रंथि ठीक तरह से अपना काम नहीं कर पाती है जिससे शरीर के बाकी कार्यों में भी रुकावट आती है।  इसके अलावा स्‍ट्रेस हार्मोन में परिवर्तन के कारण भी शरीर की महत्‍वपूर्ण थायराइड ग्रंथि काम करना बंद कर देती है। कई बार महिलाओं को डिलीवरी के बाद शरीर मे आए बदलावों के कारण थायराइड की समस्‍या हो सकती है। महिलाओं में थायराइड प्रभाव – Mahilaon me thyroid ka prabhav महिलाओं में थायराइड प्रभाव की बात करें तो इसका इसर उनकी प्रेगनेंसी और मासिक धर्म दोनों पर ही पड़ता है। थायराइड होने की वजह से महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। उनके पीरियड्स भी अनियमित ही जाते हैं। अगर आपको अन‍िद्रा की समस्‍या, वजन बढ़ना या घटना, स्‍ट्रेस बढ़ना आद‍ि लक्षण हैं तो ये थायराइड की ओर संकेत करते हैं। थायराइड होने के बाद आपको कई बुरे प्रभाव भी झेलने पड़ सकते हैं।   थायराइड में पीरियड मिस होना – Thyroid me period problem in Hindi कभी-कभी ओवरएक्टिव या अंडरएक्टिव थायराइड की वजह से भी पीरियड में देरी हो जाती है। थायराइड बढ़ने पर पीर‍ियड्स के दौरान ज्‍यादा दर्द, च‍िड़च‍िड़ापन, बहुत कम या ज्‍यादा ब्‍लीड‍िंग होना, तनाव, ड‍िप्रेशन, कब्‍ज, चेहरे पर सूजन, चेहरे और पेट पर अनचाहे बाल, ज्‍यादा गर्मी लगने जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं। पीरियड की  समस्याओं के अलावा ओवर एक्टिव थाइराॅयड , वेट लाॅस, ज्यादा भूख लगना, ज्यादा पसीना आना जैसे लक्षणों का भी कारण होता है। गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने की वजह से भी अनियमित पीरियड्स या पीरियड्स में देरी होती है। जब शरीर में थायराइड हार्मोन कम बनने लगता है तो इसका असर पीरियड्स पर भी पड़ता है। इसकी वजह से मासिक धर्म अनियमित हो सकते

बॉयफ्रेंड बनाने वाली लड़कियों में होती हैं ये खास खूबियां

आजकल प्‍यार करना और उसे भुलाना काफी आसान हो गया है। पहले तो सिर्फ लड़के ही एक से ज्‍यादा गर्लफ्रेंड बनाने के लिए बदनाम थे लेकिन आज के जमाने में तो लड़कियों ने उन्‍हें भी पीछे छोड़ दिया है। इस बारे में वो कहावत भी खूब जमती है कि एक राजा की हजार रानियां हो सकती हैं तो फिर रानी के भी तो कई राजा हो सकते हैं। सच कहूं, तो आजकल का ट्रेंड ही ये हो गया है कि लड़कियां एक से ज्‍यादा ब्‍वॉयफ्रेंड रखने  लगी हैं लेकिन इसके लिए खास टैलेंट की जरूरत होती है। आज इस आर्टिकल के ज़रिए हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि एक से ज्‍यादा ब्‍वॉयफ्रेंड बनाने वाली लड़कियों में क्‍या-क्‍या टैलेंट होते हैं। मैनेज करने में होती है अव्‍वल आप चाहे कितने भी बड़े संस्‍थान से एमबीए कर लीजिए लेकिन जो ज्ञान आपको इन लड़कियों से मिलेगा वो किसी कोर्स में नहीं मिल पाएगा। एक ब्‍वॉयफ्रेंड को कॉलेज लाने और छोड़ने की जिम्‍मेदारी, दूसरे को फोन रिचार्ज करवाने और तीसरे को शॉपिंग करवाने का काम सौंप कर चलती हैं। और पढ़ें – बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps workout in hindi सबसे बड़ी बात तो ये है कि इनमें से किसी भी एक को ये भनक भी नहीं लग पाती है कि जिससे वो दिलो जान से प्‍यार करते हैं वो अपना दिल और जान कितनों को दे बैठी है। कम्‍युनिकेशन में होती हैं पक्‍की चाहे कोई कितना भी पक्‍का क्‍यों न हो, लड़कियों की मीठी-मीठी बातों में फंस ही जाता है। बड़े बड़े ऋषि-मुनि और देवता भी इनके जाल से बच नहीं पाए तो इंसान क्‍या चीज है। अपनी भोली सूरत और मीठी-मीठी बातों में ये बड़ी आसानी से किसी को भी अपना बना लेती हैं। मैन्‍यूपुलेट करती हैं लड़कियां अपनी बातों में फंसाकर लड़कों से कोई भी काम करवा सकती हैं और यही वजह है कि लड़कियों पर इतने सारे जोक्‍स बनते हैं कि वो ब्‍वॉयफ्रेंड सिर्फ अपने काम निकलवाने के लिए करती हैं। लड़कों से बस थोड़ा प्‍यार से बात करे लो, वो  तो लट्टू की तरह लड़की के पीछे भागने लगते हैं और लड़कियां इसी बात का फायदा उठाने लगती हैं। आंखें खुलती हैं तो लड़कों को लगता है कि उनका शोषण हो गया, पर भई ये तो तुम्‍हें पहले भी पता था कि तुम्‍हारे साथ क्‍या हो रहा है। और पढ़ें – लिंग में खुजली होने के लक्षण, कारण और इलाज – Private part itching problem solution in Hindi अब जिस लड़की के बाद इस तरह के खुफिया हथियार हैं उनका भविष्‍य एकदम सुरक्षित है। ऐसी लड़कियां तो राजनीति में भी खूब नाम कमा सकती हैं। वैसे भी किसी ने सही ही कहा है कि मैनेजमेंट के काम में लड़कियों को कोई टक्‍कर नहीं दे सकता है।

पाक के मैन ऑफ द मैच को भारत के मुकाबले मिलते हैं इतने पैसे

यूं तो समूचे विश्व में कई क्रिकेट टीमें हैं और हर देश एक-दूसरे के खिलाफ खेलते हैं। जब बात भारत-पाक की बात होती है, क्रिकेट प्रेमी इन दो देशों के हर मैच को उत्साह के साथ देखना पसंद करते हैं । जब ये दोनों टीमें एक-दूसरे के खिलाफ खेलती हैं तो न सिर्फ हिंदुस्तान-पाकिस्तान की जनता बल्कि कई अन्य देशों के क्रिकेट प्रेमी भी इन दोनों टीमों के क्रिकेट मैच को अपने-अपने काम छोड़कर देखने बैठ जाती हैं। दोनों देशों के बड़े-बड़े क्रिकेट खिलाड़ियों तक का यह कहना है कि हिंदुस्तान-पाकिस्तान का मैच बहुत दिलचस्प होता है। सभी क्रिकेट प्रेमी का उत्साह इतना ज्यादा होता है कि एक-दूसरे के खिलाफ खेलते हुए हमें भी मजा आने लगता है। भारत और पाक शुरू से ही एक-दूसरे के कड़े प्रतिद्वंदी रहे हैं। दोनों देश हर क्षेत्र में एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते नजर आते हैं। हिंदुस्तानियों को किसी भी अन्य देश से हार मंजूर है, लेकिन पाक से नहीं। हम मैच भी किसी जंग की तरह खेलते हैं। पाकिस्तान के मुकाबले हिंदुस्तान में क्रिकेट की अलग जगह है। हमारे देश भारत में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला खेल है क्रिकेट। इसी वजह से क्रिकेटर्स का महत्व भी बहुत ज्यादा है। आज से नहीं बल्कि दशकों से हमारे यहां क्रिकेटर्स को भगवान सरीखा पूजा जाता है। अगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बात करें, तो सबसे ज्यादा नेम और फेम भारतीय खिलाड़ियों को ही मिलती है। खेल के अन्य क्षेत्रों की तुलना में भी क्रिकेट खिलाड़ियों को ज्यादा पसंद किया जाता है और उनकी फैन फॉलोइंग भी बहुत ज्यादा है। हमारे ही देश की तरह पाकिस्तान में भी क्रिकेट को अन्य खेलों से ज्यादा पसंद किया जाता  है और क्रिकेटर्स को ज्यादा महत्व मिलता है, हालांकि भारत की तरह वहां के खिलाड़ियों को इतना पैसा नहीं मिलता। आज हम आपको क्रिकेट के दौरान मैन ऑफ द मैच के लिए मिलने वाली रकम के बारे में बताने जा रहे हैं। हाल ही में न्यूजीलैंड के खिलाफ दमदार प्रदर्शन करने वाले पाकिस्तान के खिलाड़ी शाहिद अफरीदी को मैन ऑफ द मैच दिया गया। अवॉर्ड के रूप में उन्हें 1 लाख 15 हजार पाकिस्तानी करेंसी दी गई। अफरीदी के अलावा हफीज को बैस्ट बैट्समैन ऑफ द मैच के लिए अफरीदी जितनी ही राशि दी गई। पाकिस्तान के 1 लाख 15 हजार रुपए भारतीय करेंसी के अनुसार 63 हजार रुपए हैं। भारत में मैन ऑफ द मैच बने खिलीड़ी को कुल 1 लाख रुपए दिए जाते हैं। इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान के मुकाबले हमारे देश में मैन ऑफ द मैच के लिए मिलने वाली राशि उनसे ज्यादा है। पाकिस्तान अपने क्रिकेटर्स को भारत के मुकाबले काफी कम रकम देता है। पाकिस्तान के क्रिकेट परफोर्मेंस की बात करें, तो पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान की क्रिकेट टीम में सोच के उलट प्रदर्शन किया है। यही वजह है कि क्रिकेट विशेषज्ञ अब पाकिस्तान की टीम को अनप्रिडिक्टेबेल कहने लगे हैं। माना जाता है कि पाकिस्तान की मौजूदा टीम कब, कैसा प्रदर्शन कर जाए, कहा नहीं जा सकता। पाकिस्तान के एक क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बात करते हैं। उनके नाम इंटरनेशनल क्रिकेट के इतिहास में सबसे लंबा ओवर कराने का रिकॉर्ड दर्ज है। दरअसल मोहम्मद शमी ने बांग्लादेश की टीम के खिलाफ एक ओवर में 17 गेंदे करवाई थीं, जिसमें  7 वाइड और 4 नो बॉल थीं। कुल मिलाकर इस ओवर में शमी ने 22 रन दिए थे। क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यादा एक्स्ट्रा रन बनाने का रिकॉर्ड भी पाकिस्तान के पास ही है। साल 2007 में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ बैंगलोर टेस्ट में 76 एक्स्ट्रा रन दिए थे। ऐसा कभी भी क्रिकेट के इतिहास में नहीं हुआ है। और पढ़ें –  Aloe vera in Hindi – एलो वेरा के फायदे, नुकसान, इस्तेमाल और खुराक बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps workout in hindi नेशनल आई डोनेशन फोर्टनाइट 2020: कौन कर सकता है नेत्र दान? लिंग में खुजली होने के लक्षण, कारण और इलाज – Private part itching problem solution in Hindi

मिडिल क्लास लोगों के असफल होने की ये है वजह

कहा जाता है कि मिडिल क्लास से ज्यादा असंतुष्ट वर्ग और कोई नहीं। मिडिल क्लास जीते तो आम जिंदगी हैं, लेकिन ख्वाब बड़े-बड़े देखते हैं और उन सपनों को साकार करने में पूरी जिंदगी गुजार देते हैं। खैर, हमारे देश में मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। यही वह वर्ग है जो तरक्की की चाह रखते हुए भी देश के अन्य वर्ग की तुलना में सबसे कम तरक्की कर पाता है। इस वर्ग से बहुत कम या गिने-चुने लोग ही अपने सपनों को पूरा कर पाते हैं और धनि लोगों में अपना नाम शामिल कर पाते हैं। अगर यकीन न हो, तो अपने आसपास के लोगों में एक नजर दौड़ाएं। मिडिल क्लास से जुड़े हर व्यक्ति को जिम्मेदारियों के तले दबा हुआ ही पाएंगे। क्या कभी आपके दिमगा में यह सवाल कौंधा है कि ऐसा क्यों है? आखिर क्यों एक मिडिल क्लास व्यक्ति नाकामयाब होता है? वह अपने सपनों को पूरा क्यों नहीं कर पाता? असफलता की वजह हकीकत ये है कि मध्यम वर्ग से जुड़ा हर व्यक्ति जिम्मेदारियों के बोझ से भरा होता है। इसलिए अपने सपनों के पीछे भागते हुए भी उसे पूरा नहीं कर पाता। मिडिल क्लास से जुड़े हर व्यक्ति को बढ़ते खर्च की चिंता होती है, घर-परिवार के भरण-पोषण की चिंता होती है। सेविंग्स के नाम पर वह जरा भी बचत नहीं कर पाता। असल में मिडिल क्लास आदमी कभी भी अपनी जिम्मेदारियों के बोझ से बाहर ही नहीं निकल पाता। चूंकि मिडिल क्लास का आदमी जिम्मेदारियों से लदा हुआ रहता है, इसलिए उसकी सोच भी नकारात्मक हो गई है। असफलता का एक बड़ा कारण सोच में पाॅजिटिविटी का न होना भी है। कहते हैं सफल होने के लिए सबसे पहले खुद में पाॅजिटिव सोच का संचार करना होता है। जबकि नेगेटिव सोच के साथ आप एक कदम भी सफलता की ओर नहीं बढ़ा सकते। अतः मिडिल क्लास आदमी को अपनी सोच बदलनी चाहिए। तभी वह सफलता की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। ऐसा नहीं है कि मिडिल क्लास आदमी मेहनत नहीं करता। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो एक नहीं बल्कि दो-दो शिफ्ट में काम करते हैं ताकि वे अपनी हार को जीत में बदल सकें। अपनी माली हालत को सुधार सकें। इसके बावजूद वे ऐसा करने में अक्षम रहते हैं, क्योंकि वे अपनी सोच को बेहतर नहीं कर पाते। दरअसल, कोई भी व्यक्ति सिर्फ मेहनत करने से अमीर नहीं होता बल्कि सही समय, सही जगह और सही तरीके से मेहनत करके ही अपनी किस्मत बदल सकता है। इसलिए मेहनत के साथ-साथ अपनी सोच भी बेहतर करनी जरूरी है। क्या आप इस तर्क को मानते हैं कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता? अगर नहीं, तो समझें कि आप कभी भी मिडिल क्लास से बाहर हीं निकल सकते। इसी वर्ग में पैदा हुए हैं और अपनी शर्म व हिचक की वजह से मिडिल क्लास मैन बनकर ही मर जाएंगे। इस वर्ग से बाहर निकलना चाहते हैं, खुद को कामयाब व्यक्ति बनते देखना चाहते हैं तो शर्म महसूस करना छोड़ें। हमेशा ध्यान रखें कि हर बड़ा काम छोटे स्तर से ही शुरू होता है, इसके बाद वह सफलता की सीढ़ी चढ़ता है। आप यह समझने की कोशिश करें कि आखिर आप इस वर्ग से बाहर क्यों नहीं निकल पाते? इसलिए क्योंकि आप जिम्मेदारियों से ही बाहर नहीं निकल पाते। जितना कमाते हैं, सब परिवार की जरूरतें पूरी करने में ही खत्म हो जाती हैं। ऐसे में मिडिल क्लास से बाहर निकलना सपने जैसा हो जाता है। इसलिए सपने देखना छोड़ें और कुछ व्यवहारिक करना शुरू करें। सबसे पहले एक्स्ट्रा काम करने, ओवर टाइम करने की शुरुआत करें। आय का कोई अन्य स्रोत तलाशें तभी आप कुछ पैसों को सेविंग के रूप में जोड़ पाएंगे। याद रखें कि मिडिल क्लास में पैदा होना मजबूरी थी, लेकिन जीना आपकी मर्जी है। आप मेहनत से अपनी किस्मत बदल सकते हैं।

नेशनल आई डोनेशन 2020 : कौन कर सकता है नेत्र दान?

[simple-author-box] For Free consultancy हर साल 25 अगस्‍त से 8 सितंबर तक नेशनल आई डोनेशन फोर्टनाइट (National Eye Donation Fortnight 2020) मनाया जाता है। हम सभी नेत्र दान क्या है और इसका क्या महत्व है। इस कैंपेन के ज़रिए नेत्र दान के महत्‍व और लोगों को नेत्र एवं अंग दान (organ donation) करने के लिए प्रेरित एवं जागरूक किया जाता है। आंकड़ों की मानें तो भारत में होने वाली प्रमुख स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं में अंधापन का नाम भी शामिल है। सबसे ज्‍यादा नेत्रहीन हैं भारतीय आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में तकरीबन 6.8 बिलियन लोग ही कॉर्निया की बीमारी के कारण सिर्फ एक आंख से देख सकते हैं जबकि विश्‍व स्‍तर पर यह संख्‍या 37 बिलियन है। भारत में लगभग 15 बिलियन लोग अंधेपन से ग्रस्‍त हैं। वैसे तो भारत में भी नेत्रदान दिवस (eye donation day) मनाया जाता है लेकिन का इस नेक कार्य को करने में ज्यादा रूचि नहीं रखते हैं। और पढ़ें – लिंग में खुजली होने के लक्षण, कारण और इलाज – Private part itching problem solution in Hindi हर साल लगभग ढाई लाख लोग अपने नेत्रों का दान करते हैं लेकिन सिर्फ 25 हज़ार भारतीयों को ही देश में मौजूद 109 आई बैंक से आंखें मिल पाती हैं। चूंकि, भारत में लोग बहुत कम नेत्रदान करते हैं इसलिए हर साल सिर्फ 10 हज़ार ही कॉर्नियल ट्रांस्‍प्‍लांट (corneal transplant) हो पाते हैं। 50 पर्सेंट आंखें हो जाती हैं बर्बाद जो लोग नेत्रदान करते भी हैं उन्‍हें आई बैंक इसलिए बचाकर रख लेते हैं कि कहीं कोई उनका गलत इस्‍तेमाल न कर लें या उन्‍हें बेच न दे। रिपोर्ट की मानें तो भारत में पिछले साल अप्रैल के महीने से लेकी मार्च 2020 तक 52 हजार लोगों ने अपने नेत्रों का दान किया था। कॉर्नियल ट्रांस्‍प्‍लांट में यह संख्‍या केवल 28 हजार थी। और पढ़ें – Aloe vera in Hindi – एलो वेरा के फायदे, नुकसान, इस्तेमाल और खुराक जितनी संख्‍या में नेत्र दान (eye donation) किए जाते हैं, उतने लोगों को आंखें नहीं मिल पाती हैं। ये हाल एक राज्‍य नहीं बल्कि पूरे देश का है। आपको बता दें कि दान करने के बाद कॉर्निया को सिर्फ 6 से 14 दिनों तक ही सुरक्षित रखा जा सकता है। 14 दिन के बाद कॉर्निया खराब हो जाता है। भारत में नेत्रदान को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं (myths about eye donation) जिसकी वजह से लोग नेत्र या अंगदान करने से हिचकिचाते हैं। इस सबके बावजूद अगर आप भी अपने मरने के बाद किसी नेत्रहीन व्‍यक्‍ति को खूबसूरत जिंदगी देना चाहते हैं तो जान लें कि क्‍या आप नेत्रदान कर सकते हैं या नहीं। कौन कर सकता है नेत्रदान किसी भी उम्र या जाति से संबंध रखने वाला व्‍यक्‍ति मृत्‍यु के बाद अपनी आंखों का दान कर सकता है। अगर आप चश्‍मा लगाते हैं या आपकी दूर या पास की नज़र कमजोर है या आपका मोतियाबिंद (cataract) का ऑप्रेशन हो चुका है, तो भी आप किसी नेत्रहीन व्‍यक्‍ति को अपनी आंखें दे सकते हैं। इन स्थितियों का कॉर्निया पर कोई असर नहीं पड़ता है। डायबिटीज, हाइपरटेंशन, अस्‍थमा और किसी गैर-संक्राम रोग से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति भी यह नेक कार्य कर सकता है। एड्स, हेपेटाइटिस बी या सी, रेबीज़, सेप्टिसेमिया, एक्‍यूट ल्‍यूकेमिया, टेटनस, हैजा, मेनिंजाइटिस या एंसेफलाइटिस से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति अपने नेत्रों का दान नहीं कर सकता है। और पढ़ें – बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps workout in hindi हमारे देश में विश्‍व स्‍तर पर नेत्रहीनों की संख्‍या सबसे ज्‍यादा है। ये बात आप भी अच्‍छी तरह से जानते हैं कि आंखें कितनी जरूरी होती हैं। मरने के बाद आप अपनी आंखों के ज़रिए किसी अंधे व्‍यक्‍ति को नया जीवन देकर जा सकते हैं। इसलिए इस बार नेशनल आई डोनेशन फोर्टनाइट पर प्रण लें कि आप भी अपने नेत्रों का दान करेंगें।

Free shipping in All over India

On all orders

Easy 7 days returns

7 days money back guarantee

100% Genuine & Certified Products

Offered in the country of usage

100% Secure Checkout

PayPal / MasterCard / Visa