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बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps workout in hindi

अगर आप भी बॉडी बिल्डर जैसी सुडौल बॉडी बनाना चाहते हैं जिसे देख कर हर कोई हका बका रह जाए तो बता दें की अब ऐसा करना ज्यादा मुश्किल नहीं है। सही डाइट और बाइसेप्स बनाने की सही एक्सरसाइज की मदद से आप कुछ ही हफ्तों में बड़े और सुडौल बाइसेप्स बना पाएंगे। जिम जाने वाले हर व्यक्ति को चेस्ट (छाती) के बाद अगर कोई बॉडी पार्ट पसंद आता है तो वो है बाइसेप्स। जी हां, बाइसेप्स एक ऐसा पार्ट है जो हमारी पूरी फिजिकल अपीयरेंस को बदल सकते हैं। बड़े और मजबूत बाइसेप्स होना बॉडी बिल्डर की पहचान होती है। इस मसल ग्रुप के दो मुंह होते हैं एक लंबा और दूसरा छोटा। यह दोनों मिलकर हाथ से सामान को उठाने और घुमाने की प्रकिया में मदद करते हैं। बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps banane ka sahi tarika बाइसेप्स को टारगेट करने से पहले ये जानना जरूरी होता है की आपका बाइसेप आखिर है कहां। बाइसेप की पहचान करने के लिए अपनी कोहनी को कंधे की ओर मोड़ें, बांह के ऊपरी हिस्से में आपको एक गोलाकार का मजबूत बंप दिखाई देगा। यही आपका बाइसेप मसल है। बाइसेप्स शरीर को आकषर्क बनाने में बहुत मदद करते हैं। यह बांह के सामने के लुक को बड़ा दर्शाते हैं जिससे व्यक्ति सुडौल दिखाई देता है। अगर आपका भी शौक बॉडी बिल्डिंग और जिम वर्कआउट करना है तो बता दें की बाइसेप्स एक्सरसाइज आपके लिए बेहद जरूरी हो सकती हैं। यह व्यायाम न केवल आपके डोलो को टारगेट करती हैं बल्कि पूरी बांह के साथ-साथ शोल्डर और बैक (पीठ) को भी ट्रेन करने में मदद करती हैं। बाइसेप्स शर्ट और टी-शर्ट दोनों में ही अच्छा लुक देते हैं जिसके चलते आजकल हर कोई सबसे पहले बाइसेप ट्रेन करना पसंद करता है। लेकिन बता दें की बाइसेप्स वर्कआउट इतना आसान नहीं होता है, आपको इसके लिए लगन, समय और सही पोषण की जरूरत होती है। तो चलिए ज्यादा समय बरबाद न करते हुए जानते हैं बाइसेप्स बनाने का सही तरीका क्या है – बाइसेप्स का साइज कैसे बढ़ाएं – How to build bigger biceps in Hindi मजबूत और सुडौल बाइसेप्स बनाने के लिए आपको कई बातों का ध्यान रखना पड़ सकता है जिसमें आहार, आराम, सही सप्लीमेंट्स और एक्सरसाइज शामिल होते हैं। बाइसेप्स का साइज बढ़ाने के लिए नीचे दिए गए नियमों को अपनी जीवनशैली में शामिल करने की कोशिश करें – अधिक खाना खाएं – बाइसेप्स का साइज बढ़ाने के लिए आपको अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऐसे में वेट गेन की चिंता न करें क्योंकि आज हम आपको जिस प्रकार का बाइसेप्स वर्कआउट बताएंगे उसकी मदद से आपका वजन नियंत्रित रहेगा। इसके साथ ही आप दिन में जितनी कैलोरी बर्न करते हैं, बाइसेप्स बनाने के लिए उससे ज्यादा का सेवन करना चाहिए। सही पोषण पाने के लिए दिन में कम से कम चार बार खाना खाएं। बाइसेप्स बनाने के लिए क्या खाना चाहिए इसकी अधिक जानकारी हमने नीचे दी है। सुडौल बनते जाएं – बाइसेप्स के लिए साइज बेहद जरूरी होता है। साइज बढ़ाने के लिए आपको शरीर मजबूत बनाने की आवश्यकता होगी। ऐसे में कंपाउंड एक्सरसाइज अपनाएं जैसे की स्क्वाट, डेडलिफ्ट और बेंच प्रेस। यह सभी एक्सरसाइज आपके पुरे शरीर के बॉडी मास को बढ़ाने में मदद करेंगी जिससे आपको बाइसेप्स वर्कआउट करने में स्ट्रेंथ मिलेगी। आराम – बाइसेप्स मसल बढ़ाने के लिए केवल सही एक्सरसाइज की ही नहीं बल्कि पर्याप्त आराम की भी जरूरत होती है। रेस्ट के दौरान भी मसल्स की वृद्धि होती है। हफ्ते में 5 दिन वर्कआउट करें और 2 दिन आराम। बाइसेप्स के साइज को नापें – दो हफ्तों में कम से कम एक बार बाइसेप्स का साइज जरूर नापें। इससे आपको अपनी ग्रोथ का रिकॉर्ड रखने में मदद मिलेगी। अगर आपके बाइसेप्स का साइज नहीं बढ़ रहा है तो यानी आप सही ढंग से वर्कआउट नहीं कर रहे हैं या पर्याप्त मात्रा में आहार और आराम नहीं ले रहे हैं। इन सभी के अलावा आपको बाइसेप्स बनाने के लिए अन्य मसल ग्रुप पर ध्यान देने की भी जरूरत है। अपनी बांह को मजबूत और सुडौल बनाने के लिए ट्राइसेप्स और फोरआर्म्स को भी बराबर से ट्रेन करें। ट्राइसेप्स बाइसेप्स के पीछे का हिस्सा होता है और फोरआर्म्स कलाई व कोहनी के बीच का भाग होता है। इन सभी मसल ग्रुप को ट्रेन करने के लिए इस वर्कआउट रूटीन को फॉलो करें –  बाइसेप्स – बारबेल रो वर्कआउट बाइसेप्स को सबसे बेहतर ट्रेन करते हैं क्योंकि इस व्यायाम में आप रॉड को बाइसेप्स की तरफ खींचते हैं। बारबेल रो के दौरान आपके हाथ बाइसेप्स कर्ल मशीन की तरह काम करते हैं लेकिन इसमें वजन की तीव्रता अधिक होती है जिससे बाइसेप्स बनाए जा सकते हैं। ट्राइसेप्स – बेंच प्रेस और ओवरहेड प्रेस की मदद से आप आपने ट्राइसेप्स को तीव्रता से ट्रेन कर सकते हैं। इन दोनों ही व्यायमों में आप वजन को मसल से दूर ले जाते हैं। आपकी बांह स्कल क्रश एक्सरसाइज की तरह काम करते हैं लेकिन क्योंकि इसमें वजन अधिक होता है इसलिए अन्य मसल ग्रुप भी ट्रेन हो पाते हैं। फोरआर्म्स – आपको हो सकता है सुनने में थोड़ा अजीब लगे लेकिन यह सच है की डेडलिफ्ट फोरआर्म्स को भी टारगेट करते हैं। डेडलिफ्ट करते समय अलग-अलग प्रकार की ग्रिप का इस्तेमाल करें। बाइसेप्स का साइज बढ़ाने के लिए आपको अधिक स्क्वाट और डेडलिफ्ट करने की जरूरत होती है। इन व्यायमों में हमारे हाथ भी कार्य करते हैं। स्क्वाट्स और डेडलिफ्ट के दौरान आपके हाथ रॉड को मजबूती से पकड़ते हैं जिससे उनकी ग्रोथ में मदद मिलती है। आप चाहें तो अपने बाइसेप्स बनाने के लिए चिन-अप और डिप्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ज्यादा वजन उठा पाने के कारण यह एक्सरसाइज बाइसेप्स कर्ल और स्कल क्रशर से भी ज्यादा प्रभावशाली होती हैं। चिन अप एक्सरसाइज में आप अपने हाथों की मदद से अपने शरीर को ऊपर की ओर खींचने की कोशिश करते हैं जिसे पूरा बल बाइसेप्स पर पड़ता है। अगर आपके पास घर पर बाइसेप्स बनाने के लिए डंबल या अन्य उपकरण नहीं हैं तो आप चिन अप व्यायाम कर सकते हैं। To expand your muscle – Kiesh Thigh Master Muscle Fitness बाइसेप्स बनाने के लिए

एलोवेरा के फायदे व नुकसान, जानिए एलोवेरा जेल के चमत्कारी नुस्खों के बारे में

[simple-author-box] For Free consultancy [rainmaker_form id=”812″] एलोवेरा यानी घृतकुमारी को अपने कई औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसका इस्तेमाल प्राचीन समय से जलन, सूजन, चोट और घाव के इलाज में किया जाता रहा है। एलोवेरा का इतिहास बेहद बड़ा और चिकित्सीय प्रयोजनों से भरा हुआ है। इस पौधे का इस्तेमाल प्राचीन मिस्र से लेकर दक्षिण अफ्रीका, पश्चिमी यूरोप और भारत में मुख्य रूप से किया जाता रहा है। आज के समय में एलोवेरा को ट्रॉपिकल मौसम में उगाया जाता है। लगभग हर कोई इस औषधि के फायदों के बारे में जानता है। आज हम आपको एलोवेरा की प्रजातियों, फायदों, नुकसान, जूस और खुराक के बारे में बताएंगे। कई शोधकर्ता और चिकित्स्क इस औषधि को संजीवनी बूटी का दर्जा देते हैं। यहां तक की कुछ स्टडी के मुताबिक एलोवेरा ब्रैस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को फैलने से रोकता है। शोधकर्ता धीरे-धीरे इस औषधि के गुणों के राज के बारे में दुनिया भर को बताते जा रहे हैं। आज हम भी आपको एलोवेरा जेल के फायदों और नुकसान के बारे में बताएंगे। तो चलिए अधिक समय बरबाद न करते हुए जानते हैं इस औषधि के अद्भुत गुणों के बारे में – और पढ़ें – एम.एस धोनी और केदारनाथ जैसी हिट फिल्मों के अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने की ख़ुदकुशी  एलोवेरा क्या है और यह कहां पाया जाता है? – What is Aloe vera in Hindi Amazon.in Widgets घृतकुमारी अपने चिकित्सीय गुणों के कारण लगभग 6000 साल से विश्व भर में लोकप्रिय रहा है। शुरुआती दिनों में एलोवेरा को एक अमर का पौधा कहा जाता है और यह मिस्र में फैरो को अंतिम संस्कार के दौरान तौफे के तौर पर दिया जाता था। विश्व भर हजारों सालों से कई देशों में इस अनमोल औषधि का इस्तेमाल किया जाता रहा है। भारत, चीन, नेपाल, मेक्सिको और पश्चिम अमेरिका में एलोवेरा का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है। एलोवेरा के कई इलाज करने वाले फायदे मनुष्य को उसकी ओर आकर्षित करते रहे है, जिसके कारण इसे घाव भरने वाले पौधे के नाम से भी जाना जाने लगा था। एलोवेरा न केवल घाव भरने के बल्कि बाल झड़ने, बवासीर और पाचन समस्याओं के उपचार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। आज के समय में एलोवेरा का विश्व भर में बोल बाला है जिसके चलते इसकी खुद की एक पूरी इंडस्ट्री खड़ी हो चुकी है। एलोवेरा के जूस का इस्तेमाल कई प्रकार की दवाओं और ब्यूटी प्रोडक्ट्स में किया जाता है जैसे की मॉइस्चरीजर, साबुन, शेविंग क्रीम और सनटैन लोशन। इन सभी प्रोडक्ट्स में एलोवेरा जेल की मांग मार्किट में सबसे अधिक है। हरे रंग के एलोवेरा जेल के कई फायदे होते हैं जिनमें से इसे त्वचा को सुंदर और कोमल बनाने के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है। एलोवेरा मार्किट में सप्लीमेंट, जेल, जूस और पौधे की फॉर्म में उपलब्ध है। हालांकि, बता दें की एलोवेरा सप्लीमेंट जेल जितने ही फायदेमंद होते हैं। यह त्वचा और पाचन तंत्र दोनों को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। और पढ़ें – पाक के मैन ऑफ द मैच को भारत के मुकाबले मिलते हैं इतने पैसे एलोवेरा कितने प्रकार के होते हैं – Aloe Vera types in Hindi एलोवेरा की 400 से भी अधिक प्रजातियां हैं जो विश्व भर में पाई जाती हैं। हालांकि, इनमें से एलोवेरा की केवल 4 प्रकार की प्रजतियों ही स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती हैं। एलोवेरा को प्रकार में इस्तेमाल किया जाता है जिसमें जेल और एलो लेटेक्स मुख्य रूप से शामिल हैं। एलोवेरा को इस्तेमाल करने का पहला प्रकार उसकी पत्तियों में मौजूद तरल पदार्थ होता है। इसी तरल पदार्थ को एलोवेरा जेल कहा जाता है। इसका इस्तेमाल त्वचा पर होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। एलोवेरा जेल मार्किट में लिक्विड या कैप्सूल की फॉर्म में भी उपलब्ध है। इसके अलावा एलोवेरा में मौजूद पिले रंग के पल्प (गुदा) यानी एलो लेटेक्स की भी मार्किट में अधिक मांग है। एलो लेटेक्स में लैक्सेटिव गुण होते हैं जो कब्ज से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। इसके साथ ही एलोवेरा के जूस का चलन हाल ही में शुरू हुआ है जो की लोगों में तेजी से फैलता जा रहा है, एलोवेरा जूस और एलोवेरा का पानी सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। एलोवेरा जूस या पानी का टेस्ट कड़वा होता है जिसके कारण कई ब्रांड्स इसमें फ्लेवर या मिठास मिलाते हैं। किसी भी प्रकार के एलोवेरा जूस या प्रोडक्ट को खरीदने से पहले उसकी बोतल पर लिखी सामग्री को अच्छे से जांच लें। और पढ़ें – Condom Uses, Benefits and Side Effects in Hindi – कंडोम के फायदे और नुकसान एलोवेरा का उपयोग कैसे करें – How to use of Aloe Vera in Hindi एलोवेरा का इस्तेमाल त्वचा, बालों और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। आप चाहें तो एलोवेरा का इस्तेमाल सीधा चेहरे पर कर सकते हैं या इसके सप्लीमेंट भी खा सकते हैं। बता दें की दोनों का प्रभाव लगभग एक जैसा ही होता है। हालांकि, अधिकतर चिकित्सक जेल के इस्तेमाल की सलाह देते हैं। एलोवेरा का जूस पीने से शरीर का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। बेहतर परिणामों के लिए सुबह के समय एलोवेरा के पानी या जूस का सेवन करें। आप चाहें तो घर पर ही एलोवेरा का पौधा लगाकर उसका जेल निकाल सकते हैं या मार्किट से सीधा जेल की फॉर्म में खरीद सकते हैं। बता दें की दोनों के प्रभाव लगभग एक समान होते हैं। एलोवेरा के फायदे और उपयोग – Aloevera ke fayde in Hindi एलोवेरा के कई फायदे होते हैं जिनमें अधिकतर सेहत और त्वचा से जुड़े होते हैं। अगर एलोवेरा का सही तरह से इस्तेमाल किया जाए तो इससे कई गंभीर बीमारियों का भी इलाज किया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं एलोवेरा जेल, एलोवेरा जूस और घृतकुमारी तेल के लाभ के बारे में – एलोवेरा का चेहरे पर उपयोग एलोवेरा जेल त्वचा के लिए बेहद लाभदायी होता है। त्वचा चाहे रूखी हो या ऑयली या सभी प्रकार की स्किन को सूट करता है। अगर आप भी अपनी स्किन को हाइड्रेट और मॉइश्चराइज रखना चाहते हैं तो आपके लिए एलोवेरा जेल एक बेस्ट विकल्प है। इसके अलावा अगर आपकी स्किन बेजान या थकी हुई

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