प्रेगनेंसी में खट्टा खाने से क्या होता है – Pregnancy mein Khatta Khane se Kya Hota Hai
आज हम आपको इस लेख में बताएंगे कि प्रेगनेंसी में खट्टा खाने का क्या मतलब होता व प्रेगनेंसी में खट्टा खाना चाहिए कि नहीं।
यदि आप गर्भवती हैं तो आपको अजीब-अजीब खाने से जुड़ी चीज़ों का सेवन करने का मन करता होगा जो कि शायद आपने पहले न खाई हों। कभी-कभी तो आपको ऐसी चीज़ें खाने का मन करेगा जो आप कभी खाना नहीं चाहेंगी या जो खाने की नहीं होती है। इस सब में महिलाओं का सबसे अधिक मन खट्टा खाने का होता है। क्या आपको पता है महिलाओं को गर्भवस्था में खट्टा खाने का मन क्यों करता है?
अक्सर हमने लोगों को यह कहते सुना है कि गर्भवती महिलाओं को खट्टा खाने का दिल करता है। यदि कोई महिला ज्यादा खट्टी चीज़ें खा रही है तो प्रश्न यही आता है कि शायद महिला गर्भवती होगी। यह बात हम सभी जानते हैं कि प्रेगनेंसी में खट्टा खाने का मन करता है पर क्या आपको पता है ऐसा क्यों होता है?
आमतौर पर गर्भवती महिला प्रेगनेंसी के शुरूआती समय में खट्टा खाती है जो कि एक मानसिक स्थिति है। हालांकि महिलाएं गर्भावस्था में खट्टी चीज़ें क्यों खाती हैं इसके कई वैज्ञानिक कारण हैं जो कि गर्भावस्था के शुरू होने से ही आरम्भ हो जाते हैं। निम्न तीन मुख्य कारणों की वजह से महिलाओं को गर्भवस्था में खट्टा खाने का मन करता है –
- गर्भावस्था के शुरुआती चरण में महिला के शरीर में गैस्ट्रिक एसिड का बनना कम हो जाता है जिससे पाचन करने वाले एंजाइम कम बनते हैं जिसके कारण गर्भवती महिला को चक्कर आना, जी मिचलाना, भूख कम लगना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। खट्टा खाने से पेट में गैस्ट्रिक एसिड बनने लगता है और पाचन करने वाले एंजाइम भी बनने लग जाते हैं जिससे गैस्ट्रोइंटेस्टिनल पथ में कार्य शुरू हो जाता है जिसके कारण पाचन और भोजन के अवशोषण में मदद मिलती है। तो अगर कोई गर्भवती महिला एसिडिक या खट्टा पदार्थ कहती है तो वो इसलिए ताकि उसे जी मिचलाना, उलटी आना आदि लक्षणों से आराम मिल सके और इनके कारण गर्भवती महिला की भूख भी बढ़ जाती है।
- गर्भावस्था के दूसरे व तीसरे महीने में शिशु की हड्डियाँ व कंकाल बनना शुरू होता है जो कि कैल्शियम से बना होता है लेकिन कैल्शियम को फ्री फॉर्म में हड्डियों में ज़माने के लिए एसिडिक फ़ूड या विटामिन सी की जरूरत होती है। इसलिए इस समय में महिला का खट्टा खाने का मन करता है।
- गर्भवती महिला यदि खट्टे पदार्थ खाती है तो उसका शरीर आयरन के अवशोषण, हमोग्लोबिन को बनने में मदद करने के लिए इन खट्टी चीज़ों की मांग करता है। विटामिन सी माता व शिशु दोनों के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। भ्रूण अपने लिए कनेक्टिव टिशू सेल का उत्पादन करने के लिए मैट्रिक्स प्रोडक्शन की संरचना कर रहा होता है और साथ ही हेमाटोपोईएटिक की संरचना भी हो रही होती है जो कि शिशु के कार्डियो वेस्कुलर विकास और वृद्धि में मदद मिलती है। विटामिन सी से माता की इम्युनिटी बढ़ जाती है और आयरन के अवशोषण व प्रयोग को बढ़ावा देता है और खट्टी चीज़ें अधिकतर विटामिन सी से बनी होती है इससे गर्भवती माँ अपने आप को व शिशु को विटामिन सी दे पाती है। साथ ह आयरन एक जरूरी ट्रेस पदार्थ है हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिए आयरन बहुत ही जरूरी है। साथ ही गर्भवती महिलाओं को आयरन की कमी हो सकती है। ऐसे में विटामिन सी एनीमिया को ठीक करने में मदद करता है। केवल एसिडिक स्थितियों में फ्रिक आयरन डाईवेलेंट आयरन में बदल सकता है जो कि पेट द्वारा अवशोषित होता है।