ज्योतिषशास्त्र में पुखराज रत्न को अत्यंत महत्व दिया गया है। यह रत्न देवताओं के गुरु बृहस्पति का माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को शुभ एवं लाभकारी ग्रह बताया गया है एवं इस ग्रह से संबंधित क्षेत्रों में लाभ पाने के लिए ही पुखराज रत्न धारण किया जाता है।
जन्म कुंडली में बृहस्पति को पिछले जन्म के कर्मों, ज्ञान, धर्म एवं संतान सुख का कारक माना जाता है। अगर बृहस्पति शुभ स्थान में बैठा हो या किसी शुभ ग्रह के साथ युति में हो तो इस स्थिति में व्यक्ति को पारिवारिक एवं सामाजिक सुख की प्राप्ति होती है। इन्हीं क्षेत्रों में लाभ पाने के लिए गुरु का रत्न पीला पुखराज पहना जाता है।
संसार में कई तरह के पत्थर उपलब्ध हें जो कि अलग-अलग विशेषता रखते हैं और इन सबमें से पुखराज भी एक कीमती रत्न के रूप में प्रसिद्ध है।
पुखराज को अंग्रेली में यैलो सैफायर कहा जाता है। इसके अलावा इस स्टोन को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे कि गुरु रत्न, पुष्कराज रत्न, पुष्परागम रत्न, कनकपुष्यरागम रत्न और पीतामणि। गुरु के इस रत्न की धनु और मीन राशि हैं एवं 21 जून से 21 जुलाई के बीच पैदा हुए लोगों का यह भाग्य रत्न है।
पुखराज रत्न के लाभ – Pukhraj ratna ke fayde in Hindi
इस स्टोन से व्यापार, नौकरी, शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है और ये आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में भी सुधार लाता है।
सेहत, वैवाहिक जीवन, पैतृक संपत्ति जैसे क्षेत्रों में पुखराज लाभ प्रदान करता है।
चूंकि बृहस्पति समृद्धि और ज्ञान का स्वामी है इसलिए इस रत्न को पहनने से उन क्षेत्रों में व्यापार एवं नौकरी करने में सफलता और भाग्य का साथ मिल सकता है जहां पर बुद्धि एवं रचनात्मकता की जरूरत होती है। कानून, शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के अलावा ये स्टोन व्यापारियों को भी फायदा पहुंचाता है।
आर्थिक रूप से स्थिरता लाने और इच्छाशक्ति बढ़ाने के लिए इस रत्न को बहुत लाभकारी माना जाता है। भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए इसे पहना जा सकता है। ये पीले पुखराज के सकारात्मक लाभों में से एक है।
पुखराज रत्न का सबसे बड़ा फायदा यही है कि इसे पहनने से वैवाहिक सुख में आ रही परेशानियां दूर होती हैं। पति-पत्नी में अनबन चल रही हो या दोनों के रिश्ते में मनमुटाव हो तो इस स्थिति को पुखराज की मदद से ठीक किया जा सकता है।
पुखराज प्रेम और वैवाहिक सुख प्रदान करता है इसलिए अगर किसी कन्या का विवाह नहीं हो पा रहा है या उसके विवाह में कोई न कोई अड़चनें आ रही हैं या उसे मनचाहा वर नहीं मिल पा रहा है तो उसे यैलो सैफायर पहनना चाहिए।
परिवार में सुख-शांति लाने और पारिवारिक सुख की प्राप्ति के लिए भी इस रत्न को धारण किया जाता है। अगर आपके परिवार में लड़ाई-झगड़ा रहता है या परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम नहीं है तो इस स्टोन के प्रभाव से ये समस्या दूर की जा सकती है।
पुखराज बहुत ही शक्तिशाली और असरकारी रत्न है। इस रत्न को कोई भी धारण कर सकता है क्योंकि इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। पीला पुखराज बृहस्पति के साथ-साथ अन्य ग्रहों के अशुभ प्रभावों को भी दूर करता है।
पुखराज के स्वास्थ्य संबंधी लाभ – Pukhraj ke swasthya labh in Hindi
पुखराज शरीर के सात चक्रों में से मणिपूर चक्र का स्वामी होता है। यह चक्र पाचन तंत्र और प्रतिरक्षा तंत्र को नियंत्रित करता है। इस चक्र को संतुलन प्रदान करने के लिए पुखराज पहना जाता है।
गुरु का रत्न पुखराज नपुसंकता और यौन इच्छा में कमी आने जैसी समस्याओं को भी दूर करता है। अगर कोई पुरुष नपुंसकता से ग्रस्त है तो उसे पुखराज जरूर पहनना चाहिए।
पुखराज त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। त्वचा से संबंधित बीमारियों जैसे कि सोरायसिस और डर्मेटाइटिस के इलाज में पुखराज मदद करता है।
पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियों जैसे कि अपच, पेट में अल्सर, मल पतला आने और पीलिया आदि को भी ठीक करने में पुखराज रत्न लाभकारी है।
यह रत्न चिंता और तनाव को दूर कर मानसिक स्थिरता प्रदान करता है। इसका धारणकर्ता के मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, साइनस, फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों को भी इस रत्न से ठीक किया जा सकता है।
हड्डियों से जुड़ी बीमारियों, जोड़ों में सूजन और गठिया के मरीज़ों को भी पुखराज पहनने से राहत मिलती है।
पुखराज कितने रत्ती का पहनें – Pukhraj kitne ratti ka pehne in Hindi
अगर आप पुखराज स्टोन धारण करना चाहते हैं तो कम से कम 3.25 कैरेट का पुखराज जरूर पहनें। अगर आप पुखराज रत्न से लाभ पाना चाहते हैं तो कम से कम इतने रत्ती का स्टोन तो जरूर धारण करें। चूंकि, ये बृहस्पति देव का रत्न है इसलिए इसे गुरुवार के दिन पहनना चाहिए।
आपको पुखराज रत्न कितने रत्ती का पहनना चाहिए, ये जानने का सबसे आसान तरीका है कि आप अपने वजन को देखें। मान लीजिए आपका वजन 60 कि.ग्रा है, तो आपको 6 रत्ती का पुखराज पहनने से लाभ होगा।
पुखराज किस धातु में पहनेंं – Pukhraj kis dhatu me pahne in Hindi
पुखराज के लिए स्वर्ण की धातु यानी सोना सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। इसके बाद चांदी में भी जड़वाकर पुखराज पहन सकते हैं।
पुखराज पहनने की विधि – Pukhraj pehne ki vidhi in Hindi
चूंकि पुखराज बृहस्पति देव का रत्न है इसलिए इसे बृहस्पतिवार के दिन पहनना चाहिए। गुरुवार की सुबह उठकर स्नान करें और फिर घर के पूजन स्थल में साफ आसन पर बैठ जाएं। इस रत्न को 5,9 या 12 रत्ती में पहनना फायदेमंद रहता है।
एक तांबे का पात्र लें और उसमें गंगाजल या कच्चा दूध डालकर पुखराज रत्न को उसमें डुबो दें। अब 108 बार ‘ऊं बृं बृहस्पताये नम:’ का जाप करें। धूप-दीप जलाएं और पुखराज को निकालकर धारण कर लें।
पुखराज किसे पहनना चाहिए – Pukhraj kon dharan kare in Hindi
गुरु के इस रत्न की धनु और मीन राशि हैं एवं 21 जून से 21 जुलाई के बीच पैदा हुए लोगों का यह भाग्य रत्न है। अगर आपका जन्म 21 फरवरी से 20 मार्च या 21 जून से 21 जुलाई के बीच हुआ है और आपका नाम दी, दू, थ, झ, दे, दो, चा, ची या ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ड़ा, भे से है तो आप इस रत्न को पहन सकते हैं। इसके अलावा जो लोग अपनी कुंडली में बृहस्पति को बली करना चाहते हैं, वो भी इस रत्न को पहन सकते हैं।
पुखराज का बारह राशियों पर प्रभाव – Pukhraj stone for which Rashi
मेष राशि के लिए पुखराज – Pukhraj stone for Aries
मेष राशि के लोगों के लिए यह रत्न बहुत फायदेमंद साबित होता है। गुरु नवम और बारहवें भाव का स्वामी है इसलि ये आपके लिए भाग्य, पिता के साथ अच्छे संबंध, सम्मान और सफलता लेकर आएगा। इस रत्न के माध्यम अध्यात्म के क्षेत्र में आपकी रूवि बढ़ेगी।
वृषभ राशि – Pukhraj stone for Taurus
जब गुरु की महादशा और अंर्तदशा चल रही हो खासतौर पर गुरु पीडित हो और स्वयं की राशि कर्क, धनु एवं मीन में बैठा हो, तब वृषभ राशि के जातक पुखराज पहन सकते हैं । यह रत्न आपको करियर में सफलता और आय के नए स्रोत देगा। बचत में वृद्धि होगी और दीर्घायु मिलेगी।
मिथुन राशि पुखराज – Pukhraj stone for Gemini
जब गुरु की महादशा और अंर्तदशा चल रही हो खासतौर पर गुरु पीडित हो और स्वयं की राशि कर्क, धनु एवं मीन में बैठा हो, तब मिथुन राशि के जातक पुखराज पहन सकते हैं। इस स्टोन को पहनने से मिथुन राशि के लोगों को गुरु की दशा के दौरान अच्छे जीवनसाथी, व्यापार में सफलता, ऊंचे पद पर बैठे लोगों के साथ संपर्क, ज्ञान में वृद्धि होती है।
कर्क राशि के लिए पुखराज – Pukhraj stone for Cancer
गुरु कुंडली के सबसे शक्तिशाली भाव नवम भाव का स्वामी है इसलिए कर्क राशि के लोग गुरु के रत्न को पहन सकते हैं। नवम भाव भाग्य, सफलता, पिता, सम्मान और सामाजिक संबंधों, नाम एवं शोहरत आदि का स्वामी होता है।
बृहस्पति के कमजोर, पीडित और अस्त होने पर पुखराज पहन सकते हैं। गुरु की अंतरदशा और महादशा के दौरान पुखराज पहनने से सबसे ज्यादा फायदा होता है।
सिंह राशि पुखराज – Pukhraj stone for Leo
बृहस्पति पांचवे औा अष्टम भाव का स्वामी है इसलिए सिंह राशि के जातक पुखराज पहन सकते हैं। पंचम भाव का स्वामी होने के कारण गुरु आपके लिए लाभकारी ग्रह है। इसलिए आप जीवनभर पुखराज पहन सकते हैं।
पुखराज कन्या राशि – Pukhraj stone for kanya rashi (Virgo)
गुरु की महादशा और अंतरदशा में अगर बृहस्पति अपनी ही राशि या धनु, मीन एवं कर्क में स्थित है तो कन्या राशि के जातक इस रत्न को पहन सकते हैं। पुखराल आपको शांति, सुख प्रदान करता है। आपको अपने दोस्तों का सहयोग मिलता है।
तुला राशि पुखराज – Pukhraj stone for Libra
जब गुरु स्वराशि धनु और मीन में हो और कर्क राशि में उच्च स्थान में विराजमान हो, तब इस स्थिति में पुखराज पहन सकते हैं। गुरु की महादशा और अंतरदशा में भी आप इस रत्न को पहन सकते हैं। इस स्टोन को पहनने से तुला राशि वाले साहसी बनते हैं और उनके अपने भाई-बहनों के साथ रिश्ते मजबूत होते हैं।
वृश्चिक राशि के लिए पुखराज – Pukhraj stone for Scorpio
आप जीवनभर पुखराज रत्न धारण कर सकते हैं। इस रत्न को पहनने से आप बुद्धिमान, शिक्षा में उन्नति और एकाग्र बनेंगें। इससे धन एवं समृद्धि भी आती है। गुरु की महादशा में पुखराज का प्रभाव सबसे ज्यादा मिलता है।
धनु राशि पुखराज – Pukhraj for Sagittarius
धनु राशि के जातकों के लिए पुखराज बहुत ही भाग्यशाली रत्न है। जब कुंडली में शनि, केतु, मंगल और सूर्य पीडित, कमजोर या अशुभ प्रभाव दे रहे हों, तब पुखराज धारण करने से सबसे ज्यादा फायदा होता है।
मकर राशि पुखराज – Pukhraj ratan for Capricorn
गुरु की दशा और महादशा में मकर राशि के जातक पुखराज पहन सकते हैं। खासतौर पर जब पुखराज स्वराशि और उच्च राशि में बैठा हो यानी कि मीन, कर्क और धनु राशि।
कुंभ राशि – Pukhraj stone for kumbh rashi (Aquarius)
गुरु की महादशा और अंतरदशा के दौरान खासतौर पर जब गुरु स्वराशि और उच्च राशि में स्थित हो, तब आप पुखराज पहन सकते हैं। गुरु की महादशा के दौरान व्यक्ति को पुखराज से सबसे ज्यादा लाभ मिलने की संभावना होती है।
मीन राशि और पुखराज – Pukhraj stone for Pisces
मीन राशि के जातकों के लिए पुखराज बहुत लाभकारी और शुभ माना जाता है। गुरु लग्न और दशम भाव का स्वामी है जो कि योग कारक ग्रह है। इसलिए आप जीवनभर पुखराज पहन सकते हैं।
पुखराज के स्वामी ग्रह बृहस्पति के जीवन पर प्रभाव
आमतौर बृहस्पति निडरता, सकारात्मकता, स्वतंत्रता, उत्साह, लाभ और ईमानदार व्यक्तित्व का कारक होता है। यह नवम भाव की धनु राशि और बारहवें भाव की मीन राशि का स्वामी है।
मुहूर्त शास्त्र में बृहस्पति को गुरुवार का दिन समर्पित है। धनु और मीन राशि में जन्म लेने चवाले व्यक्ति समर्पित, सभ्य और आध्यात्मिक होते हैं क्योंकि इनका स्वामी ग्रह बृहस्पति होता है।
इस ग्रह से प्रभावित व्यक्ति कर्तव्यपरायण, आज्ञाकारी, ईमानदार और लोगों के कल्याण की दिशा में कार्य करने की प्रवृत्ति रखता है।
सभी 12 राशियों में बृहस्पति ग्रह को सबसे शुभ ग्रहों में से एक माना गया है। हिंदू ज्योतिष में इस ग्रह का बहुत महत्व है। कर्क राशि में गुरु उच्च का होता है जबकि मकर राशि में इसे नीच का माना जाता है। बृहस्पति ग्रह की प्रतिनिधि राशियां धनु और मीन हैं।
कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत हो तो जीवन में कई तरह के लाभ मिलते हैं जैसे कि उत्तम स्वास्थ्य, सौंदर्य, सुख, अध्यात्मिकता, शक्ति, पोजीशन और अधिकार आदि।
बुहस्पति की कृपा से व्यापार, करियर, प्रोफेशन और वैवाहिक जीवन में असीम सफलता एवं सुख मिलता है। यदि शनि, राहू, मंगल से गुरु पीडित हो तो इस स्थिति में गुरु ग्रह के अशुभ प्रभाव मिलने लगते हैं। गुरु का पीडित होना व्यक्ति को गरीब कर सकता है। इस ग्रह से संबंधित व्यक्ति समाज की भलाई के कार्यों में लगा रहता है और मंदिर या किसी ट्रस्ट का प्रमुख बनता है।
बृहस्पति की कृपा से व्यक्ति अच्छा शिक्षक, अकाउंटेंट, पंडित, सामाजिक कार्यकर्ता बन सकता है। इस ग्रह के प्रभाव से धार्मिक संस्था का प्रमुख भी व्यक्ति बन सकता है। गुरु की कृपा पाने एवं इससे संबंधित क्षेत्रों में सफलता और सुख पाने के लिए पुखराज पहना जाता है। गुरु का रत्न पुखराज बहुत शक्तिशाली होता है और इसे पहनने से व्यक्ति के जीवन की कई समस्याओं का अंत हो सकता है।
पुखराज रत्न के साथ कौन-सा रत्न न पहने – Pukhraj ratna ke sath konsa stone nahi pehnna chahiye
पुखराज के साथ पन्ना, नीलम, हीरा, ओपल और सफेद पुखराज नहीं पहनना चाहिए। अगर आपने इनमें से कोई भी एक स्टोन पहना हुआ तो पुखराज धारण न करें।
पुखराज का उपरत्न – Pukhraj ka upratna in Hindi
अगर आप किसी कारणवश पुखराज रत्न नहीं खरीद पाते हैं तो इसकी जगह सुनैहला, केरू, घीया, केसरी और पीला हकीक धारण कर सकते हैं। ये सभी रत्न पुखराज से मिलने वाले लाभ ही देते हैं।
पुखराज रत्न कहां पाया जाता है – Pukhraj kaha paya jata hai in Hindi
सबसे अच्छी क्वालिटी का पुखराज रत्न श्रीलंका का सेलॉन का होता है। भारतीय बाज़ार में बहुत अच्छी क्वालिटी का पुखराज मिलता है। थाइलैंड, ऑस्ट्रेलिया, मोंटाना, बर्मा, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भारत, तंजानिया और केन्या में भी यह रत्न पाया जाता है।
पुखराज किस उंगली में पहने – Pukhraj kis ungli mein pehna jata hai
प्रत्येक रत्न तभी लाभ पहुंचाता है जब उसे विधि पूर्वक धारण किया जाए साथ ही हर रत्न को पहनने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करने पर ही उस रत्न का पूर्ण लाभ मिल पाता है। रत्न शास्त्र के अनुसार पुखराज स्टोन को तर्जन उंगली मे पहनना चाहिए।
पुखराज किस दिन धारण करना चाहिए – Pukhraj kis din pahne chahie
पुखराज रत्न देवताओं के गुरु बृहस्पति का रत्न है और गुरुवार के दिन बृहस्पति देव को समर्पित है। बृहस्पति देव से जुड़े सभी कार्य इसी दिन किए जाते हैं। अगर आप पुखराज रत्न पहन रहे हैं तो इसे गुरुवार के दिन ही धारण करें। हर रत्न को पहनने के लिए सप्ताह का एक दिन निर्धारित किया गया है जिसका सीधा संबंध उसके स्वामी ग्रह से है।
पुखराज स्टोन का स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं जो कि जन्म के पूर्व कर्मों, ज्ञान और बुद्धि का कारक है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर है तो उसे बली देने का सबसे सरल उपाय पुखराज धारण करना है।
पुखराज किस हाथ में पहनेंं – Pukhraj kis hath me pahne
रत्न की अंगूठी को वर्किंग हैंड में ही पहना जाता है। इसका मतलब है कि आप अपने सभी काम जिस हाथ से करते हैं, उसी हाथ की तर्जनी उंगली में स्टोन की अंगूठी को पहनना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति बाएं हाथ से काम करता है तो उसे बाएं हाथ में पुखराज स्टोन की अंगूठी पहननी चाहिए। वैसे पुखराज स्टोन दाएं हाथ की तर्जनी उंगली में पहना जाता है।
पुखराज धारण करने का मंत्र – Pukhraj dharan mantra
ऊं बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्धिभाति क्रतुमज्जनेषु। यद्दीदयच्छवस ऋतुप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।
पुखराज पहनने का अन्य मंत्र
ऊं बृं बृहस्पताये नम:
यैलो सैफायर स्टोन पहनने से पहले उपरोक्त मंत्र का 108 बार जाप करें। मंत्र जाप से रक्त की शक्तियों एवं प्रभाव में वृद्धि होती है इसलिए पुखराज स्टोन को पहनने से पूर्व इस मंत्र का जाप करना आवश्यक है।
पुखराज पहनने का समय – Pukhraj pehne ka samay
पुखराज रत्न को सोने की अंगूठी या लॉकेट में पहना जाता है। इस स्टोन को शुक्ल पक्ष के गुरुवार, गुरु पुष्य योग, पुनर्वसु, पूर्वाभाद्रपद या विशाखा नक्षत्र में पहना जाता है।
पुखराज कितने समय में प्रभाव देता है – Pukhraj kitne time me prabhav deta hai
गुरु के इस रत्न को धारण करने के बाद व्यक्ति को 30 दिनों के अंदर असर मिलने लगता है। धारण करने के बाद इस रत्न का प्रभाव 4 वर्ष तक रहता है और इसके बाद निष्क्रिय हो जाता है। पुखराज के निष्क्रिय होने के बाद नया यैलो सैफायर पहना जाता है।
पुखराज स्टोन कहां पाया जाता है – Pukhraj kaha paya jata hai
यैलो सैफायर म्यांमार, श्रीलंका, मेडागास्कर, थाईलैंड, चीन, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल, नाइजीरिया, पाकिस्तान और कश्मीर एवं मोंटाना में पाया जाता है। लगभग 150 वर्षों पूर्व धरती की सतह के अंदर पत्थर पाए गए थे जिनके तेज दबाव और हीट से पुखराज की उत्पत्ति हुई थी।
पुखराज कैसा होता है – Pukhraj kaisa hota hai
सफेद, पीले, गुलाबी, आसमानी और नीले रंग का होता है। बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करने वाला पीले रंग का पुखराज होता है। गुरु ग्रह की शांति और शुभ फल की प्राप्ति के लिए पुखराज पहना जाता है।
पुखराज रत्न का इतिहास – Pukhraj stone history in Hindi
यैलो सैफायर स्टोन का इतिहास बहुत प्राचीन है। पुराने जमाने में अपने सतीत्व को बचाने के लिए सुंदर स्त्रियां इस रत्न को अपने पास रखा करती थीं। इसका एक कारण यह था कि पुखराज स्टोन पवित्रता का प्रतीक होता है और इसे अपने पास रखकर महिलाएं अपने सतीत्व की रक्षा करती थीं।
पुखराज का उपरत्न – Pukhraj ka upratna
यदि कोई व्यक्ति किसी कारणवश बृहस्पति के रत्न पुखराज को धारण नहीं कर सकता है तो वह पुखराज के उपरत्न सुनहला पहन सकता है। वैसे तो पुखराज के उपरत्न और भी कई हैं लेकिन सुनहला को सबसे अच्छा उपरत्न माना जाता है।
सुनहला रत्न के लाभ : पुखराज के उपरत्न को सुनहला को पहनने से आर्थिक तंगी और कर्ज से मुक्ति मिलती है। यह उपरत्न मानसिक तनाव को भी दूर करने की शक्ति रखता है। उच्च शिक्षा की प्राप्ति एवं शिक्षा के क्षेत्र में सफल होने के लिए इस स्टोन को पहना जा सकता है।
पुखराज की तकनीकी संरचना – Pukhraj ki takniki sanrachna
हीरे के बाद पुखराज को सबसे कठोर खनिज बताया गया है। मोह्स स्केल पर इस रत्न की कठोरता 9 है। इस स्टोन को आप पीले रंग के कई शेड्स में देख सकते हैं। पुखराज स्टोन का तत्व आकाश को माना गया है। यैलो सैफायर एल्युमनीयिम ऑक्साइड है।
पुखराज रत्न कीमत – Pukhraj price in India
आमतौर पर भारत में अच्छी क्वालिटी का पुखराज 2,500 रुपए प्रति रत्ती से लेकर 40,000 प्रति रत्ती तक मिलता है। हालांकि, पुखराज की क्वालिटी जितनी अच्छी होगी, इसकी कीमत उतनी ही ज्यादा होगी।
पुखराज रत्न कहां से खरीदें – Pukhraj kaha se kharide
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