काल भैरव मणि से जुड़ी पौराणिक कथा – Kaal Bhairav Mani ke labh
काल भैरव शिव के उग्र अवतार हैं। ऐसा माना जाता है जो लोग रोजाना शिव के इस रूप की पूजा-अर्चना करते हैं उनके जीवन में तुरंत सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं। इसके अलावा शास्त्रों में काल भैरव अष्टक का पाठ बेहद फलदायी माना गया है। ऐसे में हर किसी को इस अद्भूत पाठ को अवश्य पढ़ना चाहिए जो इस प्रकार है-
काल भैरव मणि के लाभ
- काल भैरव मणि लोगों को धर्म के मार्ग पर चलने का निर्देश देता है।
- यह साधक को पापों और बुरे कर्मों के परिणामों से मुक्त करता है।
- काल भैरव मणि राहु, केतु और शनि दोषों के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है।
- काल भैरव मणि धारण करने से जीवन की सभी समस्याओं का अंत होता है।
- यदि कोई व्यक्ति काले जादू या बुरी नजर से पीड़ित है, तो उसे इससे छुटकारा पाने के लिए काल भैरव मणि जरूर धारण करना चाहिए।
काल भैरव मणि के फायदे
- राहू के प्रकोप की वजह से व्यक्ति को धोखा मिलता है और उसे बस नुकसान होता रहता है। जिस व्यक्ति की राहू की महादशा और अंतर्दशा चल रही है उसे रात के समय काल भैरव मणि धारण करने से लाभ मिल सकता है।
- रात को एक कटोरा लें और उसमें समुद्री नमक डालकर रख दें। सुबह होने पर मणि को कच्चे दूध या गंगाजल से साफ कर के लाल धागे में अपनी कलाई पर बांध लें या गले में पहन लें।
- राहू से पीड़ित होने पर व्यक्ति छल कपट में फंस जाता है और झूठ बोलने लगता है। काल भैरव मणि राहू को शांत कर जातक को ऐसे बुरे प्रभावों से बचाता है।
काल भैरव मणि पहनने से क्या होता है
- जादू-टोना, बुरी नजर और प्रेत बाधा से भी काल भैरव मणि रक्षा करता है।
- यदि आपके व्यापार में लगातार घाटा हो रहा है तो काल भैरव मणि आपको लाखों के नुकसान से बचा सकता है।
- घर या ऑफिस में वास्तु दोष के निवारण के लिए काल भैरव मणि पहन सकते हैं।
- हमेशा बीमार रहते हैं या आपको किडनी या पेट से संबंधित कोई रोग है तो काल भैरव मणि जरूर पहनें।
- कुंडली में कालसर्प दोष, केमद्रुम दोष, ग्रहण दोष, गुरु चांडाल दोष की वजह से व्यक्ति को अपने जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ता है। यह काल भैरव मणि आपके कष्टों को दूर कर सकता है।
काल भैरव कैसे पहनें
शनिवार के दिन राहू के इस चमत्कारिक मणि को पहनना चाहिए। शनिवार की सुबह स्नान के बाद घर के पूजन स्थल में पूर्व दिशा की ओर मुंह कर के बैठ जाएं।
अब काल भैरव मणि को एक साफ पात्र में गंगाजल या कच्चे दूध में डुबोकर रखें। अब काल भैरव अष्टक का जाप करें। इसके बाद काल भैरव मणि को साफ कर धारण कर लें।
काल भरैव अष्टक मंत्र –
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
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