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4 मुखी रुद्राक्ष माला – 4 mukhi rudraksha mala
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4 मुखी रुद्राक्ष माला – 4 mukhi rudraksha mala

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रुद्राक्षों में चार मुखी रुद्राक्ष सबसे महत्वपूर्ण रुद्राक्ष है, जो वर्तमान जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है और समृद्धि-विकास का वादा करता है। इस रुद्राक्ष में 4 धारियां होती हैं इसे चतुर्मुख ब्रह्मा का स्वरूप माना गया है। यह रुद्राक्ष चार वर्ण, चार आश्रम यानि ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास के द्वारा पूजित और परम वंदनीय है।

इस रुद्राक्ष का अधिपति ग्रह बुध है, जिस कारण यह आपको शिक्षा के क्षेत्र में सफलता दिलाने में, बुध के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और विद्या की देवी मां सरस्वती की कृपा पाने के लिए उत्तम है।

जिन बच्चों का मन पढ़ने में नहीं लगता है या फिर बोलने में अटकता है उसे यह रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इसको धारण करने से व्यभिचारी भी ब्रह्मचारी और नास्तिक भी आस्तिक हो जाता है। यह इंद्रियों को जगाने और जीवन के उद्देश्य के बारे में अधिक जागरूक बनने में मदद करता है।

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4 मुखी रुद्राक्ष माला क्या है

4 मुखी रुद्राक्ष बृस्हपति ग्रह से जुडा है जो समृद्धि, धन और अच्छाई का प्रतीक है। इस प्रकार का रुद्राक्ष अंतर्मुखी लोगों को बर्हिमुखी बनाने और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है। अगर राशिऩुसार बात करें तो इसे मिथुन राशि के जातकों के लिए शुभ माना गया है, परंतु इसे बिना किसी की सलाह लिए पहनने से नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है।

4 मुखी रुद्राक्ष माला के फायदे

  • रुद्राक्ष भगवान शंकर का प्रिय आभूषण है।
  • जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है वहां सदा लक्ष्मी का वास रहता है।
  • रुद्राक्ष दीर्घायु प्रदान करता है।
  • रुद्राक्ष गृहस्थियों के लिए अर्थ और काम का दाता है।
  • रुद्राक्ष मन को शांति प्रदान करता है।
  • रुद्राक्ष की पूजा से सभी दुःखों से छुटकारा मिलता है।
  • रुद्राक्ष सभी वणों के पाप का नाश करता है।
  • रुद्राक्ष पहनने से ह्रदय रोग बहुत जल्दी सही होते हैं।
  • रुद्राक्ष पहनने से मानसिक व्याधियों से मुक्ति मिलती है।
  • रुद्राक्ष धारण करने से दुष्ट ग्रहों की अशुभता शरीर में होने वाला विषैला संक्रमण और कुदृष्टि दोष, राक्षसी प्रवृत्ति दोष शांत होते हैं।
  • रुद्राक्ष तेज तथा ओज में अपूर्व वृद्धि करता है।

राशि के अनुसार धारण करें रुद्राक्ष 

मेष राशि: मेष राशि के जातकों को एक मुखी रुद्राक्ष दारण करने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही तीन मुखी या पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना भी शुभ माना गया है।

वृष राशि: वृषभ राशि के जातक अगर लाइफ में शुभ फलों की प्राप्ति का इंतजार कर रहे हैं, तो चार मुखी, छह मुखी और चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।

मिथुन राशि: मान्यता है कि इस राशि के जातक रुद्राक्ष की प्राण-प्रतिष्ठा करवाकर चार, पांच या तेरह मुखी रूद्राक्ष धारण कर सकते हैं। इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

कर्क राशि: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कर्क राशि के लोग तीन, पांच या फिर गौरी शंकर रुद्राक् भी धारण कर सकते हैं।

सिंह राशि: इस राशि के जातकों को एक मुखी, तीन या पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

कन्या राशि: इस राशि के जातक जीवन में सकारात्मक परिणाम और भगवान शिव की  कृपा पाने के लिए चार, पांच या तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करें।

तुला राशि: इन्हें चार, छः अथवा चौदह मुखी रुद्राक्ष पहनना शुभ रहता है। इसलिए शुभ फलों की प्राप्ति के लिए ये धारण करें।

वृश्चिक राशि: जीवन ने सुख-समृद्धि बनाए रखने के लिए वृश्चिक राशि के लोगों को तीन, पांच मुखी या गौरी-शंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

धनु राशि: एक मुखी, तीन या पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना धनु राशि वालों के लिए शुभ माना गया है।

मकर राशि: मकर राशि के जातक भगवान शिव की कृपा पाने  के लिए चार मुखी, छः या चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। ये रुद्राक्ष इनके लिए शुभ फलदायी होते हैं।

कुंभ राशि: इस राशि के जातक चार, छः या फिर चौदह मुखी रूद्राक्ष धारण करें।

मीन राशि: जीवन में सुख-शांति बनाए रखने के लिए इस राशि के जातकों को तीन, पांच या गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है।

सोते समय नहीं पहनना चाहिए रुद्राक्ष

रुद्राक्ष पहन कर कभी सोना भी नहीं चाहिए। जब आप सोने के लिए जाते हैं तो रुद्राक्ष को उतार कर इसे तकिए के नीचे या मंदिर वाली जगह पर रख दें। तकिए के नीचे रुद्राक्ष रखने से बुरे सपने व नींद टूटने की समस्या से छुटकारा मिलता है।

रुद्राक्ष को कभी भी काले धागे में धारण नहीं करना चाहिए इसे हमेशा लाल या पीले रंग के धागे में ही धारण करें। रुद्राक्ष बेहद पवित्र होता है इसलिए इसे कभी अशुद्ध हाथों से न छुएं और स्नान करने के बाद शुद्ध होकर ही इसे धारण करें। रुद्राक्ष धारण करते समय शिव जी के मंत्र ऊं नमः शिवाय का उच्चारण करना चाहिए।

रुद्राक्ष की माला को जागृत कैसे करें

मेरू मणि पर स्पर्श करते हुए ऊं अघोरे भो त्र्यंबकम् मंत्र का जाप करें। यदि एक ही रुद्राक्ष सिद्ध करना हो तो पहले उसे पंचगव्य से स्नान कराएं। इस के बाद गंगा स्नान कराएं. बाद में उसकी षोडशोपचार पूजा करें, फिर उसे चांदी के डिब्बे में रखें।

रुद्राक्ष किसे नहीं पहनना चाहिए

नवजात के जन्म के दौरान या जहां नवजात शिशु का जन्म होता है वहां भी रुद्राक्ष से बचना चाहिए। संभोग के समय कभी भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान या मासिक धर्म होने पर रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। रुद्राक्ष को हमेशा साफ रखें।

रुद्राक्ष कितने बजे पहनना चाहिए

अगर, फिर भी आप इसे धारण करना चाहते हैं तो पहले खुद को शराब और तामसिक भोजन का त्याग करने के लिए तैयार कर लीजिए, अन्यथा आपको इसका फायदा नहीं मिलेगा। सोते समय उतार दें रुद्राक्ष सोने से पहले रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए। माना जाता है कि सोते समय शरीर अशुद्ध रहता है।

4 मुखी रुद्राक्ष माला का कीमत क्या है

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4 मुखी रुद्राक्ष माला पहनने के नियम

  • रुद्राक्ष को तुलसी की माला की तरह की पवित्र माना जाता है। इसलिए इसे धारण करने के बाद मांस-मदिरा से दूरी बना लेना चाहिए।
  • एक महत्वपूर्ण बात यह है कि रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट पर नहीं ले जाना चाहिए। इसके अलावा नवजात के जन्म के दौरान या जहां नवजात शिशु का जन्म होता है वहां भी रुद्राक्ष ले जाने से बचना चाहिए।
  • महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए।
  • रुद्राक्ष को बिना स्नान किए नहीं छूना चाहिए। स्नान करने के बाद शुद्ध करके ही इसे धारण करें।
  • रुद्राक्ष धारण करते समय भगवान शिव का मनन करें।इ सके साथ ही शिव मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते रहें।
  • रुद्राक्ष को हमेशा लाल या फिर पीले रंग के धागे में पहनना चाहिए। कभी भी इसे काले रंग के धागे में नहीं पहनना चाहिए। इससे अशुभ प्रभाव पड़ता है।
  • रुद्राक्ष माला को आपने धारण कर लिया है तो अब इसे किसी और को बिल्कुल न दें। इसके साथ ही दूसरे की दी गई रुद्राक्ष को बिल्कुल धारण न करें।
  • रुद्राक्ष की माला को हमेशा विषम संख्या में पहनना चाहिए। लेकिन 27 मनकों से कम नहीं होनी चाहिए।
  • रुद्राक्ष को हमेशा साफ रखें। मनके के छिद्रों में धूल और गंदगी जम सकती है। जितनी बार हो सके इन्हें साफ करें.. अगर धागा गंदा या क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो इसे बदल दें। सफाई के बाद रुद्राक्ष को गंगाजल से धो लें। यह इसकी पवित्रता बनाए रखने में मदद करता है।
  • रुद्राक्ष गर्म प्रकृति के होते हैं। जिसके कारण कुछ लोगों को एलर्जी की समस्या हो जाती है। इसलिए बेहतर है कि इसका उपयोग न करें बल्कि पूजा घर में रखकर रोजाना पूजा करें।

मुख और आकार के अनुसार प्रकृति में कई प्रकार के रुद्राक्ष पाए जाते हैं। सभी रुद्राक्ष की अपनी खूबी होती है इसलिए जरुरी नहीं कि आप जिस उद्देश्य से रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं वह रुद्राक्ष उसे पूरा करने में सफल हो। जैसे अगर कोई छात्र गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करता है तो उसे इसका लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि यह वैवाहिक जीवन और विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने में कारगर होता है।

छात्रों के लिए सबसे उत्तम चारमुखी रुद्राक्ष को माना गया है। इसका कारण यह है कि चारमुखी रुद्राक्ष बौद्घिक योग्यता एवं स्मरण शक्ति को बढ़ाने में कारगर होता है। शास्त्रों में चारमुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा एवं देवी सरस्वती का प्रतिनिधि माना गया है।

देवी सरस्वती और ब्रह्मा दोनों ही ज्ञान के देवता माने जाते हैं। इस रुद्राक्ष का प्रतिनिधि ग्रह बुध है जिसे ज्योतिषशास्त्र में बुद्घि का कारक कहा गया है। माना जाता है कि इस रुद्राक्ष को धारण करने से ध्यान केन्द्रित होता है और पढ़ने-लिखने में रुचि बढ़ती है।

रुद्राक्ष की असली और नकली प्रजातियां 

वैज्ञानिकों ने इलेइओकार्पस गैनीट्रस प्रजाति को शुद्ध रुद्राक्ष माना है। जबकि इलेइओकार्पस लेकुनोसस को नकली प्रजाति माना गया है। बाजार में इस समय प्लास्टिक और फाइबर का रुद्राक्ष भी बिक रहे हैं। अध्ययन में पाया गया है कि  लकड़ी को रुद्राक्ष का आकार देकर या फिर टूटे रुद्राक्षों को जोड़कर भी नया रुद्राक्ष बनाने का धंधा चल रहा है।
जो असली रुद्राक्ष होता है उसके फल में प्राकृतिक रूप से छेद होते हैं। जबकि भद्राक्ष में छेद करके रुद्राक्ष का आकार दिया जाता है।
– असली रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डुबाने से वह रंग नहीं छोड़ता है जबकि नकली रुद्राक्ष रंग छोड़ देता है।
– असली रुद्राक्ष पानी में डुबाने पर वह डूब जाता है , जबकि नकली रुद्राक्ष तैरता रहता है।
-असली रुद्राक्ष को पहचाने के लिए उसे किसी नुकिली चीज से कुरेदने पर अगर उसमें से रेशा निकलता हो तो वह असली रुद्राक्ष होता है।