बॉलीवुड एक्टर संजय दत्त ने ट्विटर के जरिए अपने फैंस को बताया कि वो किसी मेडिकल ट्रीटमेंट (कैंसर) की वजह से अपने काम से ब्रेक ले रहे हैं। खबरों की मानें तो संजय दत्त को सांस लेने में दिक्कत और सीने में दर्द की शिकायत के चलते मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती करवाया गया था जो कि कैंसर निकल।
संजय दत्त का कोरोना वायरस का टेस्ट नेगेटिव आया लेकिन स्टेज 3 का फेफड़ों का कैंसर पता चला। संजय दत्त की उम्र 61 वर्ष है और अब जल्द ही वह कैंसर के इलाज के लिए अमेरिका जाने वाले हैं।
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कैंसर का ज्योतिषीय विश्लेषण
ज्योतिषीय गणना के आधार पर यह बताया जा सकता है कि व्यक्ति की जन्मकुंडली में कैंसर का योग तो नहीं है। यदि समय रहते ही कुंडली में कैंसर के योग का पता लगा लिया तो इससे बचाव संभव है। आइए जानते हैं कि किन ग्रहों एवं कुंडली के योगों के कारण व्यक्ति को कैंसर होता है।
Cancer पैदा करने वाले ग्रह
वैसे तो सभी ग्रह किसी न किसी तरह इस जानलेवा बीमारी की स्थिति उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार होते हैं लेकिन
शनि, राहू, केतु और मंगल की भूमिका अधिक होती है।
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कैंसर देने वाले कुंडली के योग
- कुंडली के किसी भी भाव के शनि और राहू से पीडित होने पर शरीर में कैंसर कोशिकाएं पैदा होने लगती हैं। जिस भाव में ये दोनों ग्रह पीडित होंगे, उसी से संबंधित अंग में कैंसर होगा।
- यदि जन्मकुंडली के छठे, आठवें और बारहवें भाव पर शिन और राहू की दृष्टि हो तो जिस भाव में स्वामी ग्रह विराजमान हों, उन भावों से संबंधित अंग में कैंसर जैसी घातक बीमारी पैदा होती है। जैसे कि छठे भाव का स्वामी पंचम भाव में बैठा और राहू एवं शनि पीडित हों तो पेट का कैंसर हो सकता है।
- किसी भी भाव के स्वामी के छठे, आठवें और बारहवें भाव में होने और शनि एवं राहू के बुरी तरह प्रभावित होने पर इन भावों से संबंधित अंग के कैंसर से प्रभावित होने की संभावना होती है।
- लग्न स्वामी और छठे भाव का स्वामी एक साथ बैठे हों और शनि एवं राहू की इन पर दृष्टि हो तो भी कैंसर की उत्पत्ति होती है। जैसे कि लग्न स्वामी और छठे भाव का स्वामी अष्टम भाव में शनि और राहू द्वारा पीडित हो तो व्यक्ति को प्रजनन अंगों में कैंसर हो सकता है।
किस ग्रह से किस अंग का Cancer हो सकता है
हर ग्रह का शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर प्रभाव होता है, जिसके आधार पर हम ये जान सकते हैं कि किस ग्रह से कौन-सी बीमारी हो सकती है।
- सूर्य ग्रह – पेट, आंतें, ह्रदय और प्लीहा की नसें।
- चंद्रमा ग्रह – खून, ब्रेस्ट, फेफड़े, भोजन नली, गर्भाशय, ओवरी और लिम्फ।
- मंगल ग्रह – खून, बोन मैरो, यौन अंग, मांसपेशियां और गुदा।
- बुध ग्रह – नाक, तंत्रिका तंत्र, मुंह, जीभ, पसलियां, नसें, ब्रोंकाइल ट्यूब्स, थायराइड ग्रंथि, सेरेब्रल स्पाइनल सिस्टम, सेंसरी नर्व्स, कान, आंख और जीभ।
- बृहस्पति ग्रह – कान, लिवर, जांघ, जीभ, फाइब्रिन, गला, किडनी, गॉल ब्लैडर, दांत, त्वचा, जोड़ और लिगामेंट।
- शनि ग्रह – पैर, दांत, जोड़ों, हाथों और हड्डियों में।
- राहू – त्वचा और होंठों का।
- केतु – दांतों और हड्डियों का।
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इस प्रकार कुंडली के विश्लेषण से पहले ही जाना जा सकता है कि व्यक्ति की कुंडली में कैंसर या अन्य किसी घातक बीमारी का योग तो नहीं बन रहा है।
आप Jeewan Mantra के अनुभवी ज्योतिषियों से परामर्श कर अपनी कुंडली में इस तरह के किसी भी योग और दोष की जानकारी लेकर उसका निवारण कर सकते हैं।
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