ब्रिटिशों से भारत को स्वतंत्र करवाने में महात्मा गांधी ने अहम भूमिका निभाई थी और इस वजह से उन्हें हमारे देश में सर्वोपरि माना गया है। भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में जिन्ना को वही उपाधि मिली हुई है जो भारत में गांधी जी को दी गई है। हम सभी जानते हैं कि आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना के बीच सत्ता को लेकर कशमकश शुरु हो गई थी। इसी वजह से जिन्ना ने पाकिस्तान बनाने की जिद पकड़ ली। मोहम्मद अली चाहते थे कि भारत में मुसलमानों पर अत्याचार ना हों और उनके लिए एक नया देश बनाया जाए। इसीलिए उन्होंने पाकिस्तान बनाने की मांग की। नेहरू और गांधी जी से जलता था जिन्ना 1947 में पाकिस्तान और भारत के बंटवारे को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे लेकिन इनमें से कुछ सवाल तो ऐसे थे जिनका जवाब खुद वो नेता भी नहीं दे पाए थे जो बंटवारे के फैसले में शामिल थे। भारत और पाकिस्तान को अलग करने में जिन्ना का गुरुर जिम्मेदार था। वो नेहरू को देश का प्रधानमंत्री बनते देखना नहीं चाहते थे और गांधी जी से भी उन्हें ईर्ष्या थी। आज हम आपको पाकिस्तान के प्रमुख नेता और इस देश की स्थापना करने वाले मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में एक ऐसी सच्चाई बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। और पढ़ें – मिडिल क्लास लोगों के असफल होने की ये है वजह पाकिस्तान बनाने के लिए प्रचार वो सिर्फ मोहम्मद अली ही थी जो मुसलमानों के हित के लिए पाकिस्तान बनाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने देशभर में घूम-घूमकर प्रचार भी किया था और लोगों से बंटवारे की मांग की थी। बंटवारे के बाद उन्हें ग्रेट लीडर कहा जाने लगा। और पढ़ें – पाक के मैन ऑफ द मैच को भारत के मुकाबले मिलते हैं इतने पैसे हिंदू थे जिन्ना? इतिहास के पन्ने खोलकर देखें तो पता चलता है कि उनका जन्म एक हिंदू राजपूत परिवार में हुआ था। उनका परिवार मछली का व्यापार किया करता था। हिंदू होने पर मछलियों का व्यापार करने के कारण उनके परिवार को बहुत अपमान और ताने सहने पड़ते थे। इस कारण से मोहम्मद अली जिन्ना और उनके माता-पिता सहित चार भाईयों ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया और हिंदू से मुसलमान बन गए। मुस्लिम धर्म अपनाने के बाद उनका परिवार कराची में रहने लगा। राजनीति में कदम रखने से पहले जिन्ना खुद को मुसलमान कहते से कतराते थे। सूत्रों की मानें तो मोहम्मद अली के परिवार के कुछ सदस्य आज भी गुजरात में हिंदू बनकर रहते हैं। मेरा मतलब है कि वो हिंदू धर्म के अनुयायी हैं। और पढ़ें – लिंग में खुजली होने के लक्षण, कारण और इलाज – Private part itching problem solution in Hindi अब ये बात काफी उलझ जाती है कि जब जिन्ना खुद हिंदू थे तो उन्हें मुसलमानों के हित की इतनी चिंता क्यों थी? ऐसा तो नहीं था कि वो बहुत निस्वार्थ नेता था और जनता के हित के बारे में पहले सोचते थे क्योंकि अगर ऐसा होता तो जिन्ना पाकिस्तान बनाने की मांग नहीं करते। जिन्ना को सत्ता और हुकूमत की चाहत थी और इसीलिए उन्होंने पाकिस्तान जैसा आतंकी देश रचा। आपको बता दें कि पाकिस्तान बनने के बाद मोहम्मद अली एक साल तक भी देश पर हुकूमत नहीं कर पाए और कुछ ही महीनों में उनकी मृत्यु हो गई थी। अन्य लेख – Aloe vera in Hindi – एलो वेरा के फायदे, नुकसान, इस्तेमाल और खुराक बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps workout in hindi भारत में पहली बार मिलेगी किसी महिला को फांसी, जानें कौन है ये शख्स भारत के इस शहर में होते हैं सबसे ज्यादा रेप
Category: ब्लॉग
भारत के इस शहर में होते हैं सबसे ज्यादा रेप
भारत में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा रहा है। आए दिन कोई न कोई रेप की वारदात सामने आ जाती है और देश एवं समाज को शर्मिंदा होना पड़ता है। आज इस लेख के ज़रिए हम आपको देश के कुछ ऐसे राज्यों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर सबसे ज्यादा बलात्कार की घटनाएं होती हैं। रेप में एमपी है नंबर वन एनसीआरबी की साल 2015 की रिपोर्ट पर नज़र डालें तो पता चलता है कि भारत के एमपी राज्य में 4391 रेप की घटनाएं हुई थीं। और पढ़ें – मिडिल क्लास लोगों के असफल होने की ये है वजह यूपी नहीं है पीछे इस लिस्ट में यूपी यानि उत्तर प्रदेश को चौथे नंबर पर रखा गया था। यहां साल 2015 में 3025 घटनाएं हुईं। महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों की संख्या 35,527 थीं। दुनिया में रेपिस्ट देश अगर दुनियाभर में ऐसे देश की बात करें जहां पर बलात्कार सबसे ज्यादा होते हैं तो इस लिस्ट में सबसे ऊपर दक्षिण अफ्रीका का नाम आता है। इस देश में एक साल में तकरीबन 5 लाख महिलाओं का बलात्कार किया जाता है। दक्षिण अफ्रीका के मेडिकिल रिसर्च काउंसिल ने खुद अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि उनके देश में 40 प्रतिशत महिलाओं के साथ बलात्कार हो चुका है। और पढ़ें – पाक के मैन ऑफ द मैच को भारत के मुकाबले मिलते हैं इतने पैसे पुरुष और बच्चे भी हैं रेप का शिकार दक्षिण अफ्रीका में केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष और बच्चों को भी रेप का शिकार होना पड़ता है। इन रिपोर्ट्स में ये बात सामने आई है कि देश के करीब 4 पर्सेंट पुरुषों को दूसरे मर्दों से शारीरिक संबंध बनाने के लिए फोर्स किया जाता है। इस देश के 41 पर्सेंट बच्चे बलात्कार जैसे यौन शोषण की घटनाओं का शिकार होते हैं। यहां पर 18 साल की उम्र से पहले ही 50 प्रतिशत बच्चे रेप का शिकार हो चुके होते हैं। हैरानी की बात तो ये है कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में रेप के सारे मामले दर्ज नहीं हो पाते हैं। 9 में से सिर्फ 1 केस ही रिकॉर्ड्स में दर्ज किए जाते हैं। अन्य लेख – बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps workout in hindi Aloe vera in Hindi – एलो वेरा के फायदे, नुकसान, इस्तेमाल और खुराक बॉयफ्रेंड बनाने वाली लड़कियों में होती हैं ये खास खूबियां पाक के मैन ऑफ द मैच को भारत के मुकाबले मिलते हैं इतने पैसे मिडिल क्लास लोगों के असफल होने की ये है वजह

महिलाओं में थायराइड का लक्षण, कारण, इलाज, साइड इफेक्ट और आहार – Thyroid in Women in Hindi
बदलती जीवनशैली में कई बीमारियों ने भी हमारी जिंदगी में अपनी जगह बना ली है। आजकल कई बीमारियां ऐसी हैं जो खासतौर पर पुरुषों या महिलाओं को अपना शिकार बनाती हैं जिनमें से एक थायराइड भी है। आंकड़ों की मानें तो थायराइड की बीमारी महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है। आइए जानते हैं कि महिलाओं में थायराइड क्यों होता है। इस लेख में हम महिलाओं में थायराइड के एक प्रकार हाइपोथायराइड के बारे में जानेंगें। थाइरोइड के प्रकार – thyroid ke prakaar थायरॉइड दो प्रकार का होता है हाइपरथायराइडिज्म और हाइपोथायराइडिज्म। हाइपोथायरॉइड और हाइपरथायरॉइड दोनो ही समस्या अलग-अलग प्रकार की होती हैं, दोनो अवस्थाएं अलग होती हैं। दोनों प्रकार के थायरॉइड के लक्षण भी अलग-अलग होते हैं. इसकी वजह से शरीर में होने वाले बदलाव भी अलग होते हैं, जो आपके रहन-सहन का तरीका भी पूरी तरह बदल देते हैं। जैसे कुछ लोग थायरॉइड होने पर मोटे हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोग थायरॉइड होने पर पतले हो जाते हैं। हाइपरथायरॉइड के लक्षण – Hyperthyroid ke lakshan सांस लेने में समस्या होना, अचानक धड़कनों का बढ़ जाना संतुलित आहार लेने के बाद भी तेजी से वजन घटना सामान्य मौसम में भी तेज गर्मी लगना और हद से ज्यादा पसीना आना दिन भर कमजोरी और थकान महसूस करना हाथ-पैर के नाखूनों का हद से ज्यादा मुलायम या नर्म हो जाना माहवारी की समस्या बालों का झड़ना त्वचा में खुजली और लाल धब्बे हाइपोथायरॉइड के लक्षण – hypothyroid ke lakshan अचानक वजन बढ़ना शरीर और मांसपेशियों में दर्द अनियमित माहवारी हृदय गति का अचानक कम हो जाना आई-ब्रो या भौहों के बाल झड़ना रूखी और बेजान त्वचा नाखूनों का खराब होना कब्ज या पेट की समस्या हाइपोथायरॉइड और हाइपर थायरॉइड में अंतर – hypothyroid or Hyperthyroid me antar हाइपर थाइरॉइड में थायरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले हॉर्मोन के स्तर में बढ़ोतरी होती है, जबकि हाइपोथायरॉइड में थायरॉइड में हॉर्मोन की मात्रा कम हो जाती है। हाइपरथायरॉइड में ग्रेव्स रोग हो सकता है, जबकि हाइपोथायरॉयड कि वजह से ये बीमारी नहीं होती है। महिलाओं में थायराइड क्यों होता है – mahilaon mein thyroid kyon hota hai in hind वायरल संक्रमण के चपेट में आने पर महिला को थायराइड की शिकायत हो सकती है। जो महिला हमेशा तनाव यानी स्ट्रेस में रहती है उन्हें थायराइड होने का खतरा अधिक होता है। डिलीवरी के बाद शरीर में बदलाव आने के कारण भी थायराइड की समस्या पैदा हो सकती है। जब एक महिला की शरीर में आयोडीन की कमी होती है तो थायराइड का खतरा होता है। महिलाओं में थायराइड कई कारणों से होता है जिसमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हो सकते हैं – वायरल संक्रमण के चपेट में आने पर महिला को थायराइड की शिकायत हो सकती है। जो महिला हमेशा तनाव यानी स्ट्रेस में रहती है उन्हें थायराइड होने का खतरा अधिक होता है। डिलीवरी के बाद शरीर में बदलाव आने के कारण भी थायराइड की समस्या पैदा हो सकती है। जब एक महिला की शरीर में आयोडीन की कमी होती है तो थायराइड का खतरा होता है। हार्मोनल असंतुलन के कारण महिला को कई तरह की परेशानियां होती हैं और थायराइड भी उन्हीं में एक है। महिलाओं में थायराइड के लक्षण – Mahilaon me thyroid ke lakshan थायराइड की बीमारी होने पर थायराइड ग्रंथि में सूजन आ जाती है। गले के बीचो-बीच स्थित थायराइड ग्रंथि थायराइड नामक हार्मोन का उत्पादन करती है जो कि भोजन के पाचन में सहायता करती है। भोजन के पचने के बाद शरीर को एनर्जी मिलती है। वहीं अगर शरीर में थायराइड हार्मोन कम या ज्यादा बनने लगे तो खाना पचने में दिक्कत आने लगती है। इससे एनर्जी लेवल भी घटने लगता है। महिलाओं को थायराइड होने पर थकान, अधिक नींद आने, सुस्ती महसूस होने की समस्या रहती है। ये हार्मोन शरीर को गर्माहट प्रदान करता है जबकि इसकी कमी होने पर बहुत ठंड लगने लगती है। जिन महिलाओं को थायराइड होता है उनके हाथ-पैर अकसर ठंडे रहते हैं। इस बीमारी में खाने में फैट की अधिक मात्रा न लेने पर भी वजन बढ़ने लगता है। थायराइड हार्मोन कम होने पर एक या दो महीने के अंदर ही दो से ढाई किलो वजन बढ़ जाता है। इस वजन को आसानी से घटाया भी नहीं जा सकता है। थायराइड के अन्य लक्षणों में बालों का झड़ना, त्वचा का रूखा होना, मांसपेशियों में दर्द, नाखूनों के कमजोर होना शामिल है। थायराइड की दवा पर 60% प्रतिशत की छूट महिलाओं में थायराइड के कारण – Mahilaon me thyroid kaise hota hai in Hindi शरीर में आयोडीन की मात्रा घटने पर या वायरल संक्रमण की चपेट में आने की स्थिति में थायराइड ग्रंथि में सूजन आ सकती है। इस स्थिति में थायराइड ग्रंथि ठीक तरह से अपना काम नहीं कर पाती है जिससे शरीर के बाकी कार्यों में भी रुकावट आती है। इसके अलावा स्ट्रेस हार्मोन में परिवर्तन के कारण भी शरीर की महत्वपूर्ण थायराइड ग्रंथि काम करना बंद कर देती है। कई बार महिलाओं को डिलीवरी के बाद शरीर मे आए बदलावों के कारण थायराइड की समस्या हो सकती है। महिलाओं में थायराइड प्रभाव – Mahilaon me thyroid ka prabhav महिलाओं में थायराइड प्रभाव की बात करें तो इसका इसर उनकी प्रेगनेंसी और मासिक धर्म दोनों पर ही पड़ता है। थायराइड होने की वजह से महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। उनके पीरियड्स भी अनियमित ही जाते हैं। अगर आपको अनिद्रा की समस्या, वजन बढ़ना या घटना, स्ट्रेस बढ़ना आदि लक्षण हैं तो ये थायराइड की ओर संकेत करते हैं। थायराइड होने के बाद आपको कई बुरे प्रभाव भी झेलने पड़ सकते हैं। थायराइड में पीरियड मिस होना – Thyroid me period problem in Hindi कभी-कभी ओवरएक्टिव या अंडरएक्टिव थायराइड की वजह से भी पीरियड में देरी हो जाती है। थायराइड बढ़ने पर पीरियड्स के दौरान ज्यादा दर्द, चिड़चिड़ापन, बहुत कम या ज्यादा ब्लीडिंग होना, तनाव, डिप्रेशन, कब्ज, चेहरे पर सूजन, चेहरे और पेट पर अनचाहे बाल, ज्यादा गर्मी लगने जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं। पीरियड की समस्याओं के अलावा ओवर एक्टिव थाइराॅयड , वेट लाॅस, ज्यादा भूख लगना, ज्यादा पसीना आना जैसे लक्षणों का भी कारण होता है। गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने की वजह से भी अनियमित पीरियड्स या पीरियड्स में देरी होती है। जब शरीर में थायराइड हार्मोन कम बनने लगता है तो इसका असर पीरियड्स पर भी पड़ता है। इसकी वजह से मासिक धर्म अनियमित हो सकते
बॉयफ्रेंड बनाने वाली लड़कियों में होती हैं ये खास खूबियां
आजकल प्यार करना और उसे भुलाना काफी आसान हो गया है। पहले तो सिर्फ लड़के ही एक से ज्यादा गर्लफ्रेंड बनाने के लिए बदनाम थे लेकिन आज के जमाने में तो लड़कियों ने उन्हें भी पीछे छोड़ दिया है। इस बारे में वो कहावत भी खूब जमती है कि एक राजा की हजार रानियां हो सकती हैं तो फिर रानी के भी तो कई राजा हो सकते हैं। सच कहूं, तो आजकल का ट्रेंड ही ये हो गया है कि लड़कियां एक से ज्यादा ब्वॉयफ्रेंड रखने लगी हैं लेकिन इसके लिए खास टैलेंट की जरूरत होती है। आज इस आर्टिकल के ज़रिए हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि एक से ज्यादा ब्वॉयफ्रेंड बनाने वाली लड़कियों में क्या-क्या टैलेंट होते हैं। मैनेज करने में होती है अव्वल आप चाहे कितने भी बड़े संस्थान से एमबीए कर लीजिए लेकिन जो ज्ञान आपको इन लड़कियों से मिलेगा वो किसी कोर्स में नहीं मिल पाएगा। एक ब्वॉयफ्रेंड को कॉलेज लाने और छोड़ने की जिम्मेदारी, दूसरे को फोन रिचार्ज करवाने और तीसरे को शॉपिंग करवाने का काम सौंप कर चलती हैं। और पढ़ें – बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps workout in hindi सबसे बड़ी बात तो ये है कि इनमें से किसी भी एक को ये भनक भी नहीं लग पाती है कि जिससे वो दिलो जान से प्यार करते हैं वो अपना दिल और जान कितनों को दे बैठी है। कम्युनिकेशन में होती हैं पक्की चाहे कोई कितना भी पक्का क्यों न हो, लड़कियों की मीठी-मीठी बातों में फंस ही जाता है। बड़े बड़े ऋषि-मुनि और देवता भी इनके जाल से बच नहीं पाए तो इंसान क्या चीज है। अपनी भोली सूरत और मीठी-मीठी बातों में ये बड़ी आसानी से किसी को भी अपना बना लेती हैं। मैन्यूपुलेट करती हैं लड़कियां अपनी बातों में फंसाकर लड़कों से कोई भी काम करवा सकती हैं और यही वजह है कि लड़कियों पर इतने सारे जोक्स बनते हैं कि वो ब्वॉयफ्रेंड सिर्फ अपने काम निकलवाने के लिए करती हैं। लड़कों से बस थोड़ा प्यार से बात करे लो, वो तो लट्टू की तरह लड़की के पीछे भागने लगते हैं और लड़कियां इसी बात का फायदा उठाने लगती हैं। आंखें खुलती हैं तो लड़कों को लगता है कि उनका शोषण हो गया, पर भई ये तो तुम्हें पहले भी पता था कि तुम्हारे साथ क्या हो रहा है। और पढ़ें – लिंग में खुजली होने के लक्षण, कारण और इलाज – Private part itching problem solution in Hindi अब जिस लड़की के बाद इस तरह के खुफिया हथियार हैं उनका भविष्य एकदम सुरक्षित है। ऐसी लड़कियां तो राजनीति में भी खूब नाम कमा सकती हैं। वैसे भी किसी ने सही ही कहा है कि मैनेजमेंट के काम में लड़कियों को कोई टक्कर नहीं दे सकता है।
पाक के मैन ऑफ द मैच को भारत के मुकाबले मिलते हैं इतने पैसे
यूं तो समूचे विश्व में कई क्रिकेट टीमें हैं और हर देश एक-दूसरे के खिलाफ खेलते हैं। जब बात भारत-पाक की बात होती है, क्रिकेट प्रेमी इन दो देशों के हर मैच को उत्साह के साथ देखना पसंद करते हैं । जब ये दोनों टीमें एक-दूसरे के खिलाफ खेलती हैं तो न सिर्फ हिंदुस्तान-पाकिस्तान की जनता बल्कि कई अन्य देशों के क्रिकेट प्रेमी भी इन दोनों टीमों के क्रिकेट मैच को अपने-अपने काम छोड़कर देखने बैठ जाती हैं। दोनों देशों के बड़े-बड़े क्रिकेट खिलाड़ियों तक का यह कहना है कि हिंदुस्तान-पाकिस्तान का मैच बहुत दिलचस्प होता है। सभी क्रिकेट प्रेमी का उत्साह इतना ज्यादा होता है कि एक-दूसरे के खिलाफ खेलते हुए हमें भी मजा आने लगता है। भारत और पाक शुरू से ही एक-दूसरे के कड़े प्रतिद्वंदी रहे हैं। दोनों देश हर क्षेत्र में एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते नजर आते हैं। हिंदुस्तानियों को किसी भी अन्य देश से हार मंजूर है, लेकिन पाक से नहीं। हम मैच भी किसी जंग की तरह खेलते हैं। पाकिस्तान के मुकाबले हिंदुस्तान में क्रिकेट की अलग जगह है। हमारे देश भारत में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला खेल है क्रिकेट। इसी वजह से क्रिकेटर्स का महत्व भी बहुत ज्यादा है। आज से नहीं बल्कि दशकों से हमारे यहां क्रिकेटर्स को भगवान सरीखा पूजा जाता है। अगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बात करें, तो सबसे ज्यादा नेम और फेम भारतीय खिलाड़ियों को ही मिलती है। खेल के अन्य क्षेत्रों की तुलना में भी क्रिकेट खिलाड़ियों को ज्यादा पसंद किया जाता है और उनकी फैन फॉलोइंग भी बहुत ज्यादा है। हमारे ही देश की तरह पाकिस्तान में भी क्रिकेट को अन्य खेलों से ज्यादा पसंद किया जाता है और क्रिकेटर्स को ज्यादा महत्व मिलता है, हालांकि भारत की तरह वहां के खिलाड़ियों को इतना पैसा नहीं मिलता। आज हम आपको क्रिकेट के दौरान मैन ऑफ द मैच के लिए मिलने वाली रकम के बारे में बताने जा रहे हैं। हाल ही में न्यूजीलैंड के खिलाफ दमदार प्रदर्शन करने वाले पाकिस्तान के खिलाड़ी शाहिद अफरीदी को मैन ऑफ द मैच दिया गया। अवॉर्ड के रूप में उन्हें 1 लाख 15 हजार पाकिस्तानी करेंसी दी गई। अफरीदी के अलावा हफीज को बैस्ट बैट्समैन ऑफ द मैच के लिए अफरीदी जितनी ही राशि दी गई। पाकिस्तान के 1 लाख 15 हजार रुपए भारतीय करेंसी के अनुसार 63 हजार रुपए हैं। भारत में मैन ऑफ द मैच बने खिलीड़ी को कुल 1 लाख रुपए दिए जाते हैं। इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान के मुकाबले हमारे देश में मैन ऑफ द मैच के लिए मिलने वाली राशि उनसे ज्यादा है। पाकिस्तान अपने क्रिकेटर्स को भारत के मुकाबले काफी कम रकम देता है। पाकिस्तान के क्रिकेट परफोर्मेंस की बात करें, तो पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान की क्रिकेट टीम में सोच के उलट प्रदर्शन किया है। यही वजह है कि क्रिकेट विशेषज्ञ अब पाकिस्तान की टीम को अनप्रिडिक्टेबेल कहने लगे हैं। माना जाता है कि पाकिस्तान की मौजूदा टीम कब, कैसा प्रदर्शन कर जाए, कहा नहीं जा सकता। पाकिस्तान के एक क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बात करते हैं। उनके नाम इंटरनेशनल क्रिकेट के इतिहास में सबसे लंबा ओवर कराने का रिकॉर्ड दर्ज है। दरअसल मोहम्मद शमी ने बांग्लादेश की टीम के खिलाफ एक ओवर में 17 गेंदे करवाई थीं, जिसमें 7 वाइड और 4 नो बॉल थीं। कुल मिलाकर इस ओवर में शमी ने 22 रन दिए थे। क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यादा एक्स्ट्रा रन बनाने का रिकॉर्ड भी पाकिस्तान के पास ही है। साल 2007 में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ बैंगलोर टेस्ट में 76 एक्स्ट्रा रन दिए थे। ऐसा कभी भी क्रिकेट के इतिहास में नहीं हुआ है। और पढ़ें – Aloe vera in Hindi – एलो वेरा के फायदे, नुकसान, इस्तेमाल और खुराक बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps workout in hindi नेशनल आई डोनेशन फोर्टनाइट 2020: कौन कर सकता है नेत्र दान? लिंग में खुजली होने के लक्षण, कारण और इलाज – Private part itching problem solution in Hindi
मिडिल क्लास लोगों के असफल होने की ये है वजह
कहा जाता है कि मिडिल क्लास से ज्यादा असंतुष्ट वर्ग और कोई नहीं। मिडिल क्लास जीते तो आम जिंदगी हैं, लेकिन ख्वाब बड़े-बड़े देखते हैं और उन सपनों को साकार करने में पूरी जिंदगी गुजार देते हैं। खैर, हमारे देश में मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। यही वह वर्ग है जो तरक्की की चाह रखते हुए भी देश के अन्य वर्ग की तुलना में सबसे कम तरक्की कर पाता है। इस वर्ग से बहुत कम या गिने-चुने लोग ही अपने सपनों को पूरा कर पाते हैं और धनि लोगों में अपना नाम शामिल कर पाते हैं। अगर यकीन न हो, तो अपने आसपास के लोगों में एक नजर दौड़ाएं। मिडिल क्लास से जुड़े हर व्यक्ति को जिम्मेदारियों के तले दबा हुआ ही पाएंगे। क्या कभी आपके दिमगा में यह सवाल कौंधा है कि ऐसा क्यों है? आखिर क्यों एक मिडिल क्लास व्यक्ति नाकामयाब होता है? वह अपने सपनों को पूरा क्यों नहीं कर पाता? असफलता की वजह हकीकत ये है कि मध्यम वर्ग से जुड़ा हर व्यक्ति जिम्मेदारियों के बोझ से भरा होता है। इसलिए अपने सपनों के पीछे भागते हुए भी उसे पूरा नहीं कर पाता। मिडिल क्लास से जुड़े हर व्यक्ति को बढ़ते खर्च की चिंता होती है, घर-परिवार के भरण-पोषण की चिंता होती है। सेविंग्स के नाम पर वह जरा भी बचत नहीं कर पाता। असल में मिडिल क्लास आदमी कभी भी अपनी जिम्मेदारियों के बोझ से बाहर ही नहीं निकल पाता। चूंकि मिडिल क्लास का आदमी जिम्मेदारियों से लदा हुआ रहता है, इसलिए उसकी सोच भी नकारात्मक हो गई है। असफलता का एक बड़ा कारण सोच में पाॅजिटिविटी का न होना भी है। कहते हैं सफल होने के लिए सबसे पहले खुद में पाॅजिटिव सोच का संचार करना होता है। जबकि नेगेटिव सोच के साथ आप एक कदम भी सफलता की ओर नहीं बढ़ा सकते। अतः मिडिल क्लास आदमी को अपनी सोच बदलनी चाहिए। तभी वह सफलता की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। ऐसा नहीं है कि मिडिल क्लास आदमी मेहनत नहीं करता। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो एक नहीं बल्कि दो-दो शिफ्ट में काम करते हैं ताकि वे अपनी हार को जीत में बदल सकें। अपनी माली हालत को सुधार सकें। इसके बावजूद वे ऐसा करने में अक्षम रहते हैं, क्योंकि वे अपनी सोच को बेहतर नहीं कर पाते। दरअसल, कोई भी व्यक्ति सिर्फ मेहनत करने से अमीर नहीं होता बल्कि सही समय, सही जगह और सही तरीके से मेहनत करके ही अपनी किस्मत बदल सकता है। इसलिए मेहनत के साथ-साथ अपनी सोच भी बेहतर करनी जरूरी है। क्या आप इस तर्क को मानते हैं कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता? अगर नहीं, तो समझें कि आप कभी भी मिडिल क्लास से बाहर हीं निकल सकते। इसी वर्ग में पैदा हुए हैं और अपनी शर्म व हिचक की वजह से मिडिल क्लास मैन बनकर ही मर जाएंगे। इस वर्ग से बाहर निकलना चाहते हैं, खुद को कामयाब व्यक्ति बनते देखना चाहते हैं तो शर्म महसूस करना छोड़ें। हमेशा ध्यान रखें कि हर बड़ा काम छोटे स्तर से ही शुरू होता है, इसके बाद वह सफलता की सीढ़ी चढ़ता है। आप यह समझने की कोशिश करें कि आखिर आप इस वर्ग से बाहर क्यों नहीं निकल पाते? इसलिए क्योंकि आप जिम्मेदारियों से ही बाहर नहीं निकल पाते। जितना कमाते हैं, सब परिवार की जरूरतें पूरी करने में ही खत्म हो जाती हैं। ऐसे में मिडिल क्लास से बाहर निकलना सपने जैसा हो जाता है। इसलिए सपने देखना छोड़ें और कुछ व्यवहारिक करना शुरू करें। सबसे पहले एक्स्ट्रा काम करने, ओवर टाइम करने की शुरुआत करें। आय का कोई अन्य स्रोत तलाशें तभी आप कुछ पैसों को सेविंग के रूप में जोड़ पाएंगे। याद रखें कि मिडिल क्लास में पैदा होना मजबूरी थी, लेकिन जीना आपकी मर्जी है। आप मेहनत से अपनी किस्मत बदल सकते हैं।
नेशनल आई डोनेशन 2020 : कौन कर सकता है नेत्र दान?
[simple-author-box] For Free consultancy हर साल 25 अगस्त से 8 सितंबर तक नेशनल आई डोनेशन फोर्टनाइट (National Eye Donation Fortnight 2020) मनाया जाता है। हम सभी नेत्र दान क्या है और इसका क्या महत्व है। इस कैंपेन के ज़रिए नेत्र दान के महत्व और लोगों को नेत्र एवं अंग दान (organ donation) करने के लिए प्रेरित एवं जागरूक किया जाता है। आंकड़ों की मानें तो भारत में होने वाली प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं में अंधापन का नाम भी शामिल है। सबसे ज्यादा नेत्रहीन हैं भारतीय आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में तकरीबन 6.8 बिलियन लोग ही कॉर्निया की बीमारी के कारण सिर्फ एक आंख से देख सकते हैं जबकि विश्व स्तर पर यह संख्या 37 बिलियन है। भारत में लगभग 15 बिलियन लोग अंधेपन से ग्रस्त हैं। वैसे तो भारत में भी नेत्रदान दिवस (eye donation day) मनाया जाता है लेकिन का इस नेक कार्य को करने में ज्यादा रूचि नहीं रखते हैं। और पढ़ें – लिंग में खुजली होने के लक्षण, कारण और इलाज – Private part itching problem solution in Hindi हर साल लगभग ढाई लाख लोग अपने नेत्रों का दान करते हैं लेकिन सिर्फ 25 हज़ार भारतीयों को ही देश में मौजूद 109 आई बैंक से आंखें मिल पाती हैं। चूंकि, भारत में लोग बहुत कम नेत्रदान करते हैं इसलिए हर साल सिर्फ 10 हज़ार ही कॉर्नियल ट्रांस्प्लांट (corneal transplant) हो पाते हैं। 50 पर्सेंट आंखें हो जाती हैं बर्बाद जो लोग नेत्रदान करते भी हैं उन्हें आई बैंक इसलिए बचाकर रख लेते हैं कि कहीं कोई उनका गलत इस्तेमाल न कर लें या उन्हें बेच न दे। रिपोर्ट की मानें तो भारत में पिछले साल अप्रैल के महीने से लेकी मार्च 2020 तक 52 हजार लोगों ने अपने नेत्रों का दान किया था। कॉर्नियल ट्रांस्प्लांट में यह संख्या केवल 28 हजार थी। और पढ़ें – Aloe vera in Hindi – एलो वेरा के फायदे, नुकसान, इस्तेमाल और खुराक जितनी संख्या में नेत्र दान (eye donation) किए जाते हैं, उतने लोगों को आंखें नहीं मिल पाती हैं। ये हाल एक राज्य नहीं बल्कि पूरे देश का है। आपको बता दें कि दान करने के बाद कॉर्निया को सिर्फ 6 से 14 दिनों तक ही सुरक्षित रखा जा सकता है। 14 दिन के बाद कॉर्निया खराब हो जाता है। भारत में नेत्रदान को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं (myths about eye donation) जिसकी वजह से लोग नेत्र या अंगदान करने से हिचकिचाते हैं। इस सबके बावजूद अगर आप भी अपने मरने के बाद किसी नेत्रहीन व्यक्ति को खूबसूरत जिंदगी देना चाहते हैं तो जान लें कि क्या आप नेत्रदान कर सकते हैं या नहीं। कौन कर सकता है नेत्रदान किसी भी उम्र या जाति से संबंध रखने वाला व्यक्ति मृत्यु के बाद अपनी आंखों का दान कर सकता है। अगर आप चश्मा लगाते हैं या आपकी दूर या पास की नज़र कमजोर है या आपका मोतियाबिंद (cataract) का ऑप्रेशन हो चुका है, तो भी आप किसी नेत्रहीन व्यक्ति को अपनी आंखें दे सकते हैं। इन स्थितियों का कॉर्निया पर कोई असर नहीं पड़ता है। डायबिटीज, हाइपरटेंशन, अस्थमा और किसी गैर-संक्राम रोग से ग्रस्त व्यक्ति भी यह नेक कार्य कर सकता है। एड्स, हेपेटाइटिस बी या सी, रेबीज़, सेप्टिसेमिया, एक्यूट ल्यूकेमिया, टेटनस, हैजा, मेनिंजाइटिस या एंसेफलाइटिस से ग्रस्त व्यक्ति अपने नेत्रों का दान नहीं कर सकता है। और पढ़ें – बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps workout in hindi हमारे देश में विश्व स्तर पर नेत्रहीनों की संख्या सबसे ज्यादा है। ये बात आप भी अच्छी तरह से जानते हैं कि आंखें कितनी जरूरी होती हैं। मरने के बाद आप अपनी आंखों के ज़रिए किसी अंधे व्यक्ति को नया जीवन देकर जा सकते हैं। इसलिए इस बार नेशनल आई डोनेशन फोर्टनाइट पर प्रण लें कि आप भी अपने नेत्रों का दान करेंगें।

बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps workout in hindi
अगर आप भी बॉडी बिल्डर जैसी सुडौल बॉडी बनाना चाहते हैं जिसे देख कर हर कोई हका बका रह जाए तो बता दें की अब ऐसा करना ज्यादा मुश्किल नहीं है। सही डाइट और बाइसेप्स बनाने की सही एक्सरसाइज की मदद से आप कुछ ही हफ्तों में बड़े और सुडौल बाइसेप्स बना पाएंगे। जिम जाने वाले हर व्यक्ति को चेस्ट (छाती) के बाद अगर कोई बॉडी पार्ट पसंद आता है तो वो है बाइसेप्स। जी हां, बाइसेप्स एक ऐसा पार्ट है जो हमारी पूरी फिजिकल अपीयरेंस को बदल सकते हैं। बड़े और मजबूत बाइसेप्स होना बॉडी बिल्डर की पहचान होती है। इस मसल ग्रुप के दो मुंह होते हैं एक लंबा और दूसरा छोटा। यह दोनों मिलकर हाथ से सामान को उठाने और घुमाने की प्रकिया में मदद करते हैं। बाइसेप्स कैसे बनाएं – Biceps banane ka sahi tarika बाइसेप्स को टारगेट करने से पहले ये जानना जरूरी होता है की आपका बाइसेप आखिर है कहां। बाइसेप की पहचान करने के लिए अपनी कोहनी को कंधे की ओर मोड़ें, बांह के ऊपरी हिस्से में आपको एक गोलाकार का मजबूत बंप दिखाई देगा। यही आपका बाइसेप मसल है। बाइसेप्स शरीर को आकषर्क बनाने में बहुत मदद करते हैं। यह बांह के सामने के लुक को बड़ा दर्शाते हैं जिससे व्यक्ति सुडौल दिखाई देता है। अगर आपका भी शौक बॉडी बिल्डिंग और जिम वर्कआउट करना है तो बता दें की बाइसेप्स एक्सरसाइज आपके लिए बेहद जरूरी हो सकती हैं। यह व्यायाम न केवल आपके डोलो को टारगेट करती हैं बल्कि पूरी बांह के साथ-साथ शोल्डर और बैक (पीठ) को भी ट्रेन करने में मदद करती हैं। बाइसेप्स शर्ट और टी-शर्ट दोनों में ही अच्छा लुक देते हैं जिसके चलते आजकल हर कोई सबसे पहले बाइसेप ट्रेन करना पसंद करता है। लेकिन बता दें की बाइसेप्स वर्कआउट इतना आसान नहीं होता है, आपको इसके लिए लगन, समय और सही पोषण की जरूरत होती है। तो चलिए ज्यादा समय बरबाद न करते हुए जानते हैं बाइसेप्स बनाने का सही तरीका क्या है – बाइसेप्स का साइज कैसे बढ़ाएं – How to build bigger biceps in Hindi मजबूत और सुडौल बाइसेप्स बनाने के लिए आपको कई बातों का ध्यान रखना पड़ सकता है जिसमें आहार, आराम, सही सप्लीमेंट्स और एक्सरसाइज शामिल होते हैं। बाइसेप्स का साइज बढ़ाने के लिए नीचे दिए गए नियमों को अपनी जीवनशैली में शामिल करने की कोशिश करें – अधिक खाना खाएं – बाइसेप्स का साइज बढ़ाने के लिए आपको अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऐसे में वेट गेन की चिंता न करें क्योंकि आज हम आपको जिस प्रकार का बाइसेप्स वर्कआउट बताएंगे उसकी मदद से आपका वजन नियंत्रित रहेगा। इसके साथ ही आप दिन में जितनी कैलोरी बर्न करते हैं, बाइसेप्स बनाने के लिए उससे ज्यादा का सेवन करना चाहिए। सही पोषण पाने के लिए दिन में कम से कम चार बार खाना खाएं। बाइसेप्स बनाने के लिए क्या खाना चाहिए इसकी अधिक जानकारी हमने नीचे दी है। सुडौल बनते जाएं – बाइसेप्स के लिए साइज बेहद जरूरी होता है। साइज बढ़ाने के लिए आपको शरीर मजबूत बनाने की आवश्यकता होगी। ऐसे में कंपाउंड एक्सरसाइज अपनाएं जैसे की स्क्वाट, डेडलिफ्ट और बेंच प्रेस। यह सभी एक्सरसाइज आपके पुरे शरीर के बॉडी मास को बढ़ाने में मदद करेंगी जिससे आपको बाइसेप्स वर्कआउट करने में स्ट्रेंथ मिलेगी। आराम – बाइसेप्स मसल बढ़ाने के लिए केवल सही एक्सरसाइज की ही नहीं बल्कि पर्याप्त आराम की भी जरूरत होती है। रेस्ट के दौरान भी मसल्स की वृद्धि होती है। हफ्ते में 5 दिन वर्कआउट करें और 2 दिन आराम। बाइसेप्स के साइज को नापें – दो हफ्तों में कम से कम एक बार बाइसेप्स का साइज जरूर नापें। इससे आपको अपनी ग्रोथ का रिकॉर्ड रखने में मदद मिलेगी। अगर आपके बाइसेप्स का साइज नहीं बढ़ रहा है तो यानी आप सही ढंग से वर्कआउट नहीं कर रहे हैं या पर्याप्त मात्रा में आहार और आराम नहीं ले रहे हैं। इन सभी के अलावा आपको बाइसेप्स बनाने के लिए अन्य मसल ग्रुप पर ध्यान देने की भी जरूरत है। अपनी बांह को मजबूत और सुडौल बनाने के लिए ट्राइसेप्स और फोरआर्म्स को भी बराबर से ट्रेन करें। ट्राइसेप्स बाइसेप्स के पीछे का हिस्सा होता है और फोरआर्म्स कलाई व कोहनी के बीच का भाग होता है। इन सभी मसल ग्रुप को ट्रेन करने के लिए इस वर्कआउट रूटीन को फॉलो करें – बाइसेप्स – बारबेल रो वर्कआउट बाइसेप्स को सबसे बेहतर ट्रेन करते हैं क्योंकि इस व्यायाम में आप रॉड को बाइसेप्स की तरफ खींचते हैं। बारबेल रो के दौरान आपके हाथ बाइसेप्स कर्ल मशीन की तरह काम करते हैं लेकिन इसमें वजन की तीव्रता अधिक होती है जिससे बाइसेप्स बनाए जा सकते हैं। ट्राइसेप्स – बेंच प्रेस और ओवरहेड प्रेस की मदद से आप आपने ट्राइसेप्स को तीव्रता से ट्रेन कर सकते हैं। इन दोनों ही व्यायमों में आप वजन को मसल से दूर ले जाते हैं। आपकी बांह स्कल क्रश एक्सरसाइज की तरह काम करते हैं लेकिन क्योंकि इसमें वजन अधिक होता है इसलिए अन्य मसल ग्रुप भी ट्रेन हो पाते हैं। फोरआर्म्स – आपको हो सकता है सुनने में थोड़ा अजीब लगे लेकिन यह सच है की डेडलिफ्ट फोरआर्म्स को भी टारगेट करते हैं। डेडलिफ्ट करते समय अलग-अलग प्रकार की ग्रिप का इस्तेमाल करें। बाइसेप्स का साइज बढ़ाने के लिए आपको अधिक स्क्वाट और डेडलिफ्ट करने की जरूरत होती है। इन व्यायमों में हमारे हाथ भी कार्य करते हैं। स्क्वाट्स और डेडलिफ्ट के दौरान आपके हाथ रॉड को मजबूती से पकड़ते हैं जिससे उनकी ग्रोथ में मदद मिलती है। आप चाहें तो अपने बाइसेप्स बनाने के लिए चिन-अप और डिप्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ज्यादा वजन उठा पाने के कारण यह एक्सरसाइज बाइसेप्स कर्ल और स्कल क्रशर से भी ज्यादा प्रभावशाली होती हैं। चिन अप एक्सरसाइज में आप अपने हाथों की मदद से अपने शरीर को ऊपर की ओर खींचने की कोशिश करते हैं जिसे पूरा बल बाइसेप्स पर पड़ता है। अगर आपके पास घर पर बाइसेप्स बनाने के लिए डंबल या अन्य उपकरण नहीं हैं तो आप चिन अप व्यायाम कर सकते हैं। To expand your muscle – Kiesh Thigh Master Muscle Fitness बाइसेप्स बनाने के लिए