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1 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से क्या होता है?

1 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से क्या होता है? एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्‍य अपने आप को ईश्‍वर से जुड़ा हुआ महसूस करता है। ये रुद्राक्ष परम शिव की शक्‍ति का कारक है जो कि जीवन और मृत्‍यु के चक्र से मुक्‍ति दिलाता है। इसके साथ ही एक मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति के जीवन में अंधकार को दूर करता है और उसमें प्रकाश लाता है। इसके अलावा इसे पहनने से व्यक्ति के भाग्य के द्वार खुलते हैं। इसे मोक्ष प्राप्‍ति का सबसे सरल साधन कहा जा सकता है। एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से आध्‍यात्‍मिक कार्यों में रूचि बढ़ती है। साथ ही व्यक्ति मोह माया के जाल से ऊपर उठ जाता है और धारण करने वाले को जीवन में ख़ुशी वे सुखों – शांति प्रा‍प्‍ति होती है। एक मुखी रुद्राक्ष कौन पहन सकता है? यदि कुंडली में सूर्य कमज़ोर हो या सूर्ये स्थित हो तो एक मुखी रुद्राक्ष का धारण करना चाहिए। इसके अलवा किसी निर्दय ग्रह की दशा या अंतर्दशा चल रही है तो भी 1 मुखी रुद्राक्ष को धारण कर सकते है। इसको धारण करने से सूर्य के बुरा प्रभाव दूर हो जाते हैं। अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817 1 मुखी रुद्राक्ष की कीमत कितनी होती है? असली रुद्राक्ष की कीमत आपको 4,000 तक मिल जाता है अगर आप हमरी वेब साइट से खरीदते है तो आपको 1 मुखी रुद्राक्ष 1,899.00 के मिल जाता है। 100 % ओरिजिनल साथ ही गोवेर्मेंट अप्रूवल सर्टिफिकेट लैब टेस्टेड। 1 मुखी रुद्राक्ष खरीदने के लिए लिंक पर क्लिक करे – https://jeewanmantra.com/shop/astro-mantra/rudraksha/ek-mukhi-rudraksha/?cgkit_search_word=1%20mukhi अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817 रुद्राक्ष पहनने के बाद क्या नहीं करना चाहिए? रुद्राक्ष धारण करने वालों को मांस – शराब या अन्य किसी भी प्रकार से जुड़ी नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। एक महत्वपूर्ण बात का विशेष ध्यान रखे कि रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट पर पहनकर नहीं जाये। इसके अलावा नवजात के जन्म के दौरान या जहां नवजात शिशु का जन्म होता है वहां भी रुद्राक्ष धारण करके ना जायेऔर महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। एक मुखी रुद्राक्ष की पहचान कैसे होती है? 1 मुखी रुद्राक्ष की पहचान अच्छे से करनी के लिए गर्म पानी में रुद्राक्ष को उबालें। अगर वह अपना रंग छोड़ने लगे तो वह रुद्राक्ष असली नहीं है। साथ ही रुद्राक्ष की पहचान का दूसरा तरीका है रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डालें यदि वह पहले रंग से अधिक गहरा रंग प्रतीत हो तो वह असली है अन्यथा रंग में फर्क ना होतो वह रुद्राक्ष असली नहीं है।

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पन्ना रत्न किसको धारण करना चाहिए

ज्योतिष के अनुसार इस रत्न को बुध के लिए अच्छा माना गया है , पन्ना को अंग्रजी भाषा में एमराल्ड कहा जाता है , यह रत्न बुध का ही एक हिस्सा है इसमें इस ग्रह के गुण होते हैं , ज्योतिष के अनुसार पन्ना बुध ग्रह को परसन करता है और मजबूत बनाता है, इस रत्न में हरे रंग की चमक होती है। इसे धारण करने से कुंडली में जो भी दिक्कत परेशानी है वह कम हो जाता है। इसके अलावा पन्ना रत्न अच्छे भविष्य को मजबूत करता है, ज्ञान को बढ़ाता है और मुश्किलों को कम करता है। बुध ग्रह व्यापार, संचार, अंतर्ज्ञान, शिक्षा और बुद्धि का ग्रह है। यह एक ऐसा ग्रह है जो प्रेम और रिश्तो को मजबूत बनाता है, यदि एक प्रेमी जोड़ा एक-दूसरे को यह रत्न गिफ्ट करते हैं तो उनके बिच प्रेम ओर भी बढ़ जाता है, यह भी माना जाता है की अगर पन्ना रत्न गर्भवती महिला की कमर पर बांध दिया जाए तो डिलीवरी के समय दर्द से आराम मिलता है। क्या मेष लग्न/मेष राशि के जातक पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं? मेष राशि वालो को पन्ना रत्न नहीं पहनना चाहिए क्योंकि यह उनके लिए अशुभ माना जाता है। मेष राशि का स्वामी मंगल होता है इसलिए बुध के साथ संगठन नहीं होता है, दूसरा इस लग्न में बुध भाई-बहनों के साथ संबंध और रोगों, कर्ज और शत्रुओं के छठे भाव का स्वामी होता है। पन्ना रत्न पहने की तभी सोचिए जब आपके जीवन में बुध का भाव चल रहा हो या बुध तीसरे, सातवें, दसवें भाव में स्थित हो। मेष राशि वाले लोगो को पन्ना तब धारण करना चाहिए जब बुध छठे भाव में हो या आपके जीवन में नकारात्मक परिस्थति उत्पन हो रही हो। पन्ना रत्न धारण करने से पहले पंडत जी से सहला लें – सहला लेना के लिए संपर्क करे – 9354299817 और बुध की महादशा ख़तम होने के बाद पन्ना रत्न को उतार दे। क्या वृष लग्न/वृषभ राशि के जातक पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं? वृषभ राशि के लिए बुध एक बहुत महत्वपूर्ण और शुभ ग्रह है यह लग्नेश शुक्र का मित्र है और इसे वृषभ राशि में शक्ति और शुभ भावो का स्वामी माना गया है, वृषभ राशि का स्वामी बुध दूसरे भाव में होता है। धन, बैंक बैलेंस, वाणी, घरेलू वातावरण और उच्च ज्ञान,सट्टे में लाभ, वार्ता और मंत्रों के कारण पाचवे भाव का स्वामी बन जाता है। जिन लोगो का बुध पहले, दूसरे, पांचवे, नोवे और दसवे भाव में हो उनको पन्ना रत्न जीवनभर धारण करना चाहिए, पर जिन लोगो का बुध पांचवे भाव को छोड़कर अन्य घरो में बुध-शुक्र का योग हो उन्हें पन्ना और हीरा दोनों एक ही अंगूठी में पहनने चाहिएं। पन्ना रत्न धारण करने से धन का प्रभाव बढ़ जाता है, करियर में तरक्की मिलती है और समाज में इज़ात मिलने लगती है। क्या मिथुन लग्न/मिथुना राशि के जातक पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं? इस लग्न के लिए बुध एक प्रबल ग्रह है। पन्ना रत्न धारण करने से बुध को बल प्राप्त होता है और यह इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दो चतुर्थांश भावों के कारण केंद्राधिपति दोष से पीड़ित होता है। इस राशि के लिए बुध एक महत्वपूर्ण ग्रह है और मिथुन राशि वाले लोगो के लिए पन्ना जन्म का जरूरी रत्न है क्योंकि यह राशि बुध द्वारा शासित की जाती है। मिथुन राशि का प्रथम स्वामी बुध होता है और जीवन को 40-50 % नियंत्रित करता है। यह धन, सुख, भूमि, वाहन आदि को नियंत्रित करता है और प्रथम भाव का स्वामी होता है। मिथुन राशि के लिए बुध एक प्रभावी ग्रह है। पन्ना रत्न धारण करने से बुध को बल मिलता है और जिन व्यक्तियों का बुध प्रथम, चतुर्थ भाव, पंचम, नौंवे या ग्यारवेह भाव में स्थित हो उन्हें जीवनभर पन्ना रत्न धारण रखना चाहिए। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में बुध सूर्य द्वारा शांत हो जाता है या आठवे भाव में होता है तो उन्हें अपने दाहिनी हाथ पर टेप या किसी कपडे की मदद से बांधकर 3 दिनों तक रत्न को धारण करना चाहिए। यदि आपको कोई बुरा प्रभाव या कोई बुरा सपना न आये तो आप पन्ना रत्न धारण कर सकते हो। यदि आपको इससे प्रभाव या कोई बदलाव नहीं देखता है तो आप पन्ना रत्न की अंगूठी या लॉकेट धारण करिए। पन्ना रत्न पहनने से आत्मविश्वास, स्वास्थ्य , भूमि, भवन और सुख से संबंधित मामलों में सफलता मिलती है। क्या कर्क लग्न/कर्क राशि के जातक पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं? कर्क राशि वालो के लिए बुध महत्वपूर्ण ग्रह नहीं है क्योंकि ये तीसरे भाव का स्वामी होता है जिसकी वज़ह से कम दुरी की यात्रा नहीं करता और भाई – बहनों के संबंधों में अर्चन लाता है और बारहवे भाव का स्वामी होने के कारण नींद ना आना , पैसो की हानि और बुरी आदतों की लत्त लत जाती है। कर्क राशि के लोगों को पन्ना रत्न तब पहनना चाहिए जब बुध कुंडली के प्रथम, तीसरे, चौथे, सातवे या ग्यारवेह भाव में स्थित हो। सिंह लग्न/सिंह राशि कर सकते हैं व्यक्ति पन्ना रत्न पहनते हैं सिंह राशि में बुध ग्यारवेह ग्रह का स्वामी होता है जो की धन प्राप्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह बैंक बैलेंस , धन , घरेलू वातावरण , वाणी को प्रभवित करता है। अगर बुध दूसरे, चौथे, पांचवे, सातवे, नौंवे, दसवे या ग्यारवेह भाव में हो तो पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं। पन्ना पहने से धन में लाभ, शक्ति में वृद्धि और समाज में इजात प्राप्त होती है। क्या कन्या लग्न/कन्या राशि के जातक पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं? कन्या राशि में बुध स्वयं स्वामी बन जाता ओर इस राशि के लिए सबसे महत्वपूर्ण ग्रह होता है। कन्या राशि वाले व्यक्ति के जीवन में बुध सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है क्योंकि यह जीवन की 40 – 50% कार्यों को प्रभावित करता है। इस राशि में बुध पहले भाव का स्वामी और करियर का दसवां चतुर्थांश भाव का स्वामी होता है। जिन व्यक्तियों का बुध प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, नौंवे दसवे या ग्यारवेह भाव में स्थित हो, उन्हें जीवनभर पन्ना रत्न धारण करना चाहिए। क्या तुला लग्न/तुला राशि के जातक पन्ना

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धन समृद्धि का त्योहार है धनतेरस, जानिए 2021 में क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

धनतेरस त्योहार क्या है और क्यों मनाया जाता है? – Why we celebrate dhanteras festival in Hindi कार्तिक के महीने में मनाई जाने वाली धनतेरस एक त्योहार है, जो दिवाली की शुरूआत का प्रतीक है। इस साल 2 नवंबर को धनतेरस मनाई जाएगी। जिसे धन त्रयोदयशी या धनवंतरि त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। देवी लक्ष्मी, भगवान यम, कुबेर, और भगवान धनवंतरि के लिए इस त्योहार का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इनकी पूजा करने से भक्तों को धन समृद्धि में वृद्धि होती है। धनतेरस क्यों मनाया जाता है – Dhanteras kyon manaya jata hai हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, धनतेरस समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरि की पूजा करने के लिए मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दौरान भगवान धनवंतरि एक अमृत पात्र के साथ समुद्र मंथन से निकले थे। भगवान धनवंतरि और अमृत का आर्शीवाद के लिए भक्त उत्साह के साथ उनकी पूजा करते हैं। धनतेरस का महत्व क्या है, बताएं इन हिंदी – Dhanteras ka mahatva kya hai, btaye in Hindi ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी भगवान कुबेर के साथ आती हैं। कुबेर धन के देवता हैं। इस दिन विशेष रूप से समुद्र मंथन के दौरान भक्तों को प्रसन्न करने के लिए देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करनी चाहिए। साथ ही हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, लोग घर में सौभाग्य लाने के लिए बर्तन, आभूषण और अन्य भौतिक चीजें खरीदते हैं। धनतेरस का शुभ पूजा मुहूर्त 2021 – Dhanteras puja muhurat 2021 धनतेरस की पूजा का मुहूर्त – शाम 6:50 से रात 8: 36 तक प्रदोष काल- शाम 6:05 से रात 8:36 तक वृषभ काल- 6:50 से रात 8:50 तक त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 2 नवंबर 2021 को सुबह 11:31 से त्रयोदशी तिथि समाप्त- 3 नवंबर 2021 को सुबह 9:02 पर धनतेरस के दिन क्या करना चाहिए, क्या खरीदारी करें और साथ हि क्या दान करना चाहिए – Dhanteras ke din kya kya kharidna chahiye, kya karna chaiye in Hindi धनतेरस के दिन से लोग लक्ष्मीजी के स्वागत की तैयारी शुरू कर देते हैं। इस दिन महिलाओं को देवी के स्वागत में सुबह-सुबह स्नान करके घर के प्रवेश द्वार पर रंगोली बनानी चाहिए। धनतेरस के दिन क्या करना चाहिए, बताएं – Dhanteras ke din kya karna chahiye चावल के आटे और गुलाल से छोटे-छोटे पैर बनाने चाहिए। यह निशान लक्ष्मीजी के आगमन का संकेत होता है। इस दिन व्यवसायी लोग अपने घर और ऑफिसों को सजाते हैं। धनतेरस का दिन उन लोगों के लिए खास होता है, जो इस दिन गोल्ड, मेटल या किसी भी तरह का मेटल खरीदते हैं। आमतौर पर लोग धनतेरस पर सोने के बिस्किट या सिक्कों पर इनवेस्ट करना सही समझते हैं। धनतेरस के दिन क्या खरीदना चाहिए – Dhanteras ke din kya kharide जो लोग सोना या चांदी नहीं खरीद सकते , वह स्टील, ब्रास और कॉपर के बर्तन खरीदते हैं। पारंपरिक रूप से महिलाएं गोल्ड, प्लेटिनम और सिल्वर ज्वेलरी की खरीददारी करती हैं। इस दिन मेटल का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। शाम को सभी महिलाएं भगवान यम के लिए दीए जलाकर उनका स्वागत करती हैं। कुछ घरों में देवी लक्ष्मी के आगमन के लिए गीत भी गाए जाते हैं। धनतेरस माता लक्ष्मी की कहानी – Dhanteras mata ki kahani धनतेरस को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। भारत के कई हिस्सों में धनतेरस पूजा यम त्रियोदशी और यम दीपदान के रूप में मनाई जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार की बात है हिमा नाम का राजा था, जिसे पूरे न्याय और प्रेम के साथ राज्य पर शासन किया था। उनका एक बेटा था और ज्योतिषों ने भविष्यवाणी की थी कि उनके बेटे को उसके 16वें वर्ष में सांप के काटने के कारण अपने जीवन के अंत का सामना करना पड़ेगा। गहरी पीड़ा की भावना ने राजा हिमा को दिल को दहला दिया और उन्होंने अपने बेटे के जीवन को बचाने के तरीकों की खोज की। एक प्रसिद्ध ज्योतिषि की सलाह के अनुसार, उन्हेंाने अपने बेटे की शादी किसी भाग्यशाली लड़की से की। दंपत्ति कुछ सालों तक खुशी-खुशी रहे। धनतेरस की कहानी सुनाएं – Dhanteras ki kahani in Hindi लड़का अपने 16वें वर्ष के करीब था और राजा को अपने पुत्र की मृत्यु की चिंता सताने लगी थी। लड़की ने एक साहसिक कार्य शुरू किया। ज्योतिषि भविष्यवाणियों में कहा गया था कि जब वह पृथ्वी पर अपने जीवन के 16वें वर्ष में प्रवेश करेगा तो एक सांप उसे काट लेगा। लड़के के 16वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर लड़की ने अपने पति की जान बचाने के लिए एक योजना बनाई। उसके अपने सारे गहने एकत्रित कर मुख्य द्वार के सामने ढेर कर दिए। उसने अपने पति को न सोने की सलाह दी और खुद भी रातभर जागती रही। वह घर के प्रवेश द्वार के पास मुख्य द्वार की रखवाली कर रही थी। बालक के प्राण लेने के समय के दौरान मृत्यु के देवता भगवान यम नाग के रूप में घर के सामने पहुंचे। सांप रेंगकर घर के मुख्य दरवाजे तक पहुंच गया। जब सांप दरवाजे में घुसने ही वाला था कि रास्ते में गहनों के ढेर ने उसे रोक लिया। गहने इतने चमकीले थे कि सांप को अपने आसपास कुछ भी साफ नजर नहीं आ रहा था। इस बीच लड़की रातभर मधुर गीत गाती रही। गाने इतने आकर्षक थे कि खुद सांप भी गानों का आनंद ले रहा था। लड़के के प्राण लेने का समय बीत गया और भगवान यम को सांप के यम में अपना मिशन छोडऩा पड़ा। इस प्रकार लड़की के मजाकिया विचार ने उसके पति की जान बचाने में मदद की। धनतेरस पर किसकी पूजा होती है – Dhanteras par kiski puja hoti hai in Hindi धनतेरा की पूजा के लिए कलया, चावल, कुमकुम, नारियल और पान के पत्तों की जरूरत होती है। पूजा शुरू करने के लिए एक दीया जलाएं और इस दीए को रातभर जलाए रखें। पूजा के लिए पूरे परिवार के साथ बैठें। पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी के तीन रूपों की पूजा की जाती है। देवी लक्ष्मी, देवी महाकाली और देवी सरस्वती। इसादिन लोग भगवान गणेश और भगवान कुबेर को भी

सुख समृद्धि का प्रतीक है दीपावली का त्योहार, जानिए साल 2021 में कब मनाया जाएगा , क्या है पूजन का शुभ मुहूर्त

दिवाली 2021: दिवाली का पर्व वर्ष 2021 में कब है? जानें डेट और लक्ष्मी पूजा का टाइम दिवाली रोशनी का त्योहार है। यह हर साल मनाया जाने वाला हिंन्दुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। हिंदू महाकाव्य रामायाण के अनुसार, यह ऐसा दिन है, जब भगवान राम, देवी सीता और हनुमान 14 साल जंगलों में बिताने के बाद अयोध्या लौटे थे। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि देवी लक्ष्मी का जन्म दिवाली पर महासागर के मंथन के दौरान हुआ था। इस तरह दीवाली की पूजा में देवी लक्ष्मी की पूजा महत्वपूर्ण रूप से की जाती है। दीपों का यह पर्व धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज पर खत्म होता है। तो आइए यहां जानते हैं साल 2021 की दिवाली से जुड़ी वो सभी बातें, जो आपको जानना बेहद जरूरी है। 2021 में दिवाली कब है – Diwali 2021 date in India calendar Hindi हिंदू कैंलेंडर के अनुसार, दिवाली अमावस्या पर मनाई जाती है। हर साल कार्तिक महीने के 15वें दिन। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिसे दीपावली पूजा या लक्ष्मी गणेश पूजन कहते हैं। इस साल पूरे देश में दिवाली 4 नवंबर को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 4 नवंबर 2021 को 6:03 से शुरू होकर 5 नवंबर 2021 को 2:44 बजे समाप्त होगी। दिवाली का महत्व हिंदी में – Diwali importance in Hindi दिवाली पूरे भारत और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मनाई जाती है। अंधेरी रात में जलते हुए दीये देश को रोशन करते हैं और ये नजारा वास्तव में शानदार लगता है। दिवाली का इतिहास प्राचीन भारत से जुड़ा है। इसके साथ कई किवदंतियां भी जुड़ी हैं। बहुत से लोग मानते हैं कि दिवाली वह उत्सव है, जो भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की शादी का प्रतीक है। अन्य लोग इसे देवी लक्ष्मी के जन्म का उत्सव मानते हैं। हिंदुओं के लिए दिवाली 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम कीअयोध्या वापसी का प्रतीक है। जब वे वापस लौटे तो भगवान राम का उनके घर में दीयों से स्वागत किया गया। दीयों की रोशनी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दिवाली पर सभी धर्मों और जातियों के लोग एकजुट होते हैं और आपस में गले मिलकर एकदूसरे को बधाई देते हैं। दिवाली का त्योहार सभी के दिलों को पवित्रता की आभा से भर देता है। यह केवल रोशन और उत्साह से भरा त्योहार नहीं है बल्कि आने वाले वर्षों के लिए सही बदलाव करने का भी समय है। समृद्धि का उत्सव हमें सालभर के लिए अपने काम और सदभावना को जारी रखने की शक्ति देता है। सबसे महत्वपूर्ण है कि यह हमारे भीतर को रोशनी को रोशन करता है। दीपावली पर किसकी पूजा होती है 2021 – Diwali २०२१ par kiski puja hoti hai दीपावली पर भगवान गणेश को सबसे पहले विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है। देवी महालक्ष्मी को उनके दोनों रूपों में धन और समृद्धि की देवी सरस्वती और नकारात्मकता का नाश करने वाली काली देवी के साथ पूजा जाता है। देवी लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। क्योंकि ये सुख और संतुष्टि के दाता है। भगवान कुबेर की भी पूजा इस दिन होती है। भगवान कुबेर देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं, जिनकी मदद से देवी अपने भक्तों को आर्शीवाद देती हैं। अंत में गजेंद्र को धन के वाहक के रूप में पूजा जाता है। दिवाली २०२१ पर देवी लक्ष्मी की पूजा क्यों होती है/दिवाली पर लक्ष्मी जी की कहानी – Diwali par laxmi puja kyu karte hai? दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा विशेषतौर पर की जाती है। इस दिन देवी लक्ष्मी का संहारक रूप बहुत सक्रिय होता है। भक्त देवी लक्ष्मी के मारक रूप को आसानी से खुश कर सकते हैं । देवी लक्ष्मी के प्रतीकात्मक रूप का अपने आप में गहरा अर्थ है। देवी लक्ष्मी एक शांत और प्रेममयी महिला के रूप में प्रकट होती है। वह लाल रंग के कपड़ों और चमकीले गहनों से सजी होती हैं। उनकी चार भुजाओं मानव जीवन के चार सिरों काम, अर्थ और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह अपने दो हाथों में कमल की कली रखती हैं, जो सुंदरता और पवित्रता का प्रतीक है। वह खिले हुए कमल पर विराजमान रहती हैं, जो सत्य के आसन का प्रतीक है। हाथी शाही शक्ति का प्रतीक देता है। उसके हाथों से सोने के सिक्कों का झडऩा धन की देवी के रूप में दर्शाता है। दो हाथियों को देवी लक्ष्मी के आसपास खड़ा दिखाया गया है। यह बताता है कि यदि कोई ज्ञान और पवित्रता से शासित है, तो वह भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की समृद्धि हासिल कर सकता है। इस प्रकार महालक्ष्मी से प्रार्थना करके व्यक्ति विश्वास, पवित्रता प्राप्त करने का आर्शीवाद ले सकता है। 2021 में दिवाली पूजा का शुभ मूहर्त – Diwali 2021 shubh muhurat in Hindi दिवाली के पर्व पर देवी लक्ष्मी की पूजा -अर्चना पूरे विधि विधान से की जाती है। मान्यता है कि देवी लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में यश वैभव बना रहता है और धन की कमी नहीं होती। इस बार दिवाली की पूजा का शुभ मूहर्त दिवाली के दिन शाम 6 बजकर 9 मिनट से 8 बजकर 20 मिनट तक है। कुल मिलाकर 1 घंटे 55 मिनट का मूहर्त है। प्रदोष काल 17:34:09 से 20:10:27 तक और वृषभ काल 18:10:29 से 20:06:20 तक है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में की जानी चाहिए। जो सूर्यास्त के बाद शुरू होती है और लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक चलती है। कुछ स्त्रोत महानिशिता काल को भी लक्ष्मी पूजा करने के लिए कहते हैं। वैसे माहनिशिता काल तांत्रिक समुदाय और अभ्यास करने वाले पंडितों के लिए सबसे उपयुक्त है। आम लोगों को प्रदोष काल के मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार, चौघडिय़ा मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा नहीं करनी चाहिए। ये मुहूर्त केवल यात्रा के लिए अच्छे हैं। लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे अच्छा समय प्रदोष काल के दौरान होता है जब स्थिर लग्र प्रबल होता है। यदि स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाती है, तो लक्ष्मीजी आपके घर में रहेंगी। इसलिए यह समय लक्ष्मी पूजन के लिए अच्छा है। वृषभ लग्न को स्थिर माना जाता है

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2021 Krishna Janmashtami – श्री कृष्ण जन्मअष्टमी 2021

जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का प्रतीक है। जिन्हें प्यार से कान्हा के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण विष्णु के सबसे शक्तिशाली मानव अवतारों में से एक थे। कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण , भगवान विष्णु के आंठवे अवतार थे, जिनका जन्म द्वापर युग में हुआ था। इस दिन को गोकुलाष्टमी भी कहते हैं। माना जाता है , जो भक्त भगवान कृष्ण की सच्ची भक्ति में उनकी पूजा करते हैं, वे कभी भी निराश नहीं होते। भारत और दुनियाभर में रहने वाले हिंदु समुदाय के लिए जन्माष्टमी एक महत्वपूर्ण उत्सव है और इस दिन को सबसे शुभ माना जाता है। यह त्योहार कृष्ण पक्ष के अंाठवे दिन या भादों के महीने में अंधेरे पखवाड़े के आंठवे दिन पड़ता है। इस साल यह त्योहार 30 अगस्त को मनाया जाएगा। यह कृष्ण भगवान का 5248वां जन्म दिवस है। जन्माष्टमी का पूजा मुहूर्त – Janmashtami 2021 date and time द्रिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष अष्टमी तिथि 29 अगस्त को रात 11:25 बजे से शुरू होकर 31 अगस्त को सुबह 1:59 बजे समाप्त होगी। यदि उपवास करना चाहते हैं, तो यह 30 अगस्त को करना चाहिए। 31 अगस्त को भगवान $कृष्ण के जन्म के बाद आधी रात को अपना उपवास तोड़े। पूजा का समय 30 अगस्त को 11:59 बजे से 31 अगस्त को सुबह 12:44 बजे के बीच है। वहीं रोहिणी नक्षत्र का भी बहुत महत्व है। इस साल 30 अगस्त को यह सुबह 6:39 बजे शुरू होगा और 31 अगस्त को सुबह 9:44 बजे समाप्त होगा। जन्माष्टमी का महत्व – Janmashtami ka mahatva in hindi भक्त इस शुभ अवसर पर उपवास करके भगवान कृष्ण की प्रार्थना करते हैं। लोग अपने घरों को फूल, दीयों और रोशनी से सजाते हैं। मंदिरों को भी बड़ी खूबसूरती से सजाया जाता है। मथुरा और वृंदावन के मंदिर इस बात के साक्षी हैं। भक्त कृष्ण के जीवन की घटनाओं को फिर से बनाने और राधा के प्रति उनके प्रेम को मनाने के लिए रासलीला भी करते हैं। चूंकि भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था , इस समय कृष्ण की एक मूर्ति को नहलाया जाता है और पालने में रखा जाता है। जन्माष्टमी की कहानी – Janmashtami kyu manaya jata hai हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, दुष्ट राजा कंस ने मथुरा पर शासन किया। अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए उसने अपनी बहन का विवाह यदु राजा वसुदेव के साथ किया। शादी के बाद कंस ने शादी के बाद कंस ने नवविाहितों को उपहारों दिया, ताकि वह वसुदेव का विश्वास जीत सके। लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था। जब वह विवाह रथ की बागडोर संभालता है, तो स्वर्ग से एक आवाज आती है कि उसकी बहन की 8वीं संतान उसे समाप्त कर देगी। अपनी भविष्यवाणी के बारे में जानने के बाद कंस अपनी बहन और उसके पति को कारगार में भेज देता है। दरअसल, कंस देवकी को मारना चाहता था, लेकिन वासुदेव ने उससे वादा किया कि अगर वह देवकी की जान बख्स देगा तो वह अपने सभी 8 बच्चों को कंस को सौंप देगा। कंस सहमत हो गया और उसने एक-एक कर उन सभी छह बच्चों को मार डाला। 7वीं बार जब देवकी गर्भवती हुई तो उसकी 7वीं संतान को उसके गर्भ से वासुदेव की पहली पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया जाता है। और इस तरह देवकी और वासुदेव के 7वें बच्चे का जन्म हुआ। जब देवकी फिर से गर्भवती हुई , तो कंस फिर से उसके बच्चे को मारने के लिए तैयार था, लेकिन कृष्ण वास्तव में देवकी की 8वीं संतान थे। जब देवकी प्रसव पीड़ा में जा रही थी, तो भगवान विष्णु प्रकट हुए और बताया कि उनका आंठवा बच्चा स्वयं का अवतार है और वो कंस को मार देगा। बच्चे ने जन्म लिया और वासुदेव एक टोकरी में अपने पुत्र को लेकर महल से निकल गए। उन्होंने यमुना को पार करके कृष्ण को गोकुल में पहुंचाया और गोकुल के मुखिया नंद और उनकी यशोदा को सौंपा। इस तरह कृष्ण गोकुल में पले-बढ़े और अंत में अपने मामा कंस का वध कर दिया। जन्माष्टमी पर व्रत कैसे करें – Janmashtami fast importance, timing, food and vidhi द्रिकपंचांग के अनुसार, जन्माष्टमी से एक दिन पहले भक्तों को केवल एक ही भोजन करना चाहिए। उपवास के दिन भक्त एक दिन के उपवास का पालन करने के लिए संकल्प लेते हैं और अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टिमी तिथि समाप्त होने पर इसे तोड़ते हैं। संकल्प सुबह की रस्में पूरी करने के बाद लिया जाता है और दिनभर के उपवास की शुरूआत संकल्प से ही होती है। इस बात का ध्यान रखें कि जन्माष्टमी के व्रत में जब तक अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए , जब तक की अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत तोड़ा ना जाए। जन्माष्टमी की पूजा विधि – Janmashtami ki puja vidhi शुद्ध भक्ति और प्रार्थना की मंशा से भगवान प्रसन्न होते हैं। इसलिए भले ही एक विस्तृत प्रक्रिया का पालन न किया जाए, लेकिन पूजा एक विधि से करने से भगवान मनोकामना पूर्ण करते हैं। – सबसे पहले भगवान कृष्ण की मूर्ति रखें। – भगवान कृष्ण का आहवान करने के लिए अत्यंत भक्ति और शुद्ध मन , ह्दय शरीर और आत्मा के साथ प्रार्थना करें कि वह आपकी पूजा स्वीकार करें। – अब भगवान के पैरों को पानी से धोएं और अभिषेक करें। इसके लिए आप गंगाजल का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप चाहें, तो भगवान का स्नान करने के लिए दूध और पानी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। – भगवान की मूर्ति को पोंछने के लिए एक साफ कपड़ा लें और भगवान को नए कपड़े पहनाएं। – इसके बाद लड्डू गोपाल को मौली का धागा बांधें। आप चाहें, तो भगवान को जनेऊ का धागा भी बांध सकते हैं। – अब भगवान को चंदन लगाएं। उन्हें नए आभूषणों से सजाएं। – अब मूर्ति के सामने ताजा फूल रखें, अगरबत्ती जलाएं और भगवान से प्रार्थना करें। – भगवान का अहवान करें और भक्ति में डूब जाएं। – इाके बाद घर में बना हुआ प्रसाद या नेवैद्यम रख सकते हैं। – धूप अगरबत्ती जलाएं और

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कार एक्सेसरीज लिस्ट : कार की शान और लग्‍जरी में चार चांद लगा देती हैं ये किफायती एसेसरीज

अब अमूमन हर किसी के पास कार है। घूमने-फिरने या काम के लिए कार से आरामदायक वाहन शायद ही कोई और हो। अगर आपके पास भी कार है, तो आपको यह भी पता होना चाहिए कि कार सिर्फ खरीदकर चलाने के लिए नहीं है बल्कि इसकी केयर और मेंटनेंस भी करनी पड़ती है और इसमें काम आती हैं कार एसेसरीज। आपकी बाहर से ही चमकती नहीं होनी चाहिए बल्कि वो अंदर से भी साफ और एसेसरीज से लैस होनी चाहिए। ऐसी कार में बैठने पर आपको भी खुशी होगी और जो भी आपके साथ बैठेगा वो भी सोचेगा कि आप अपनी कार से कितना प्‍यार करते हैं। अगर आप भी करते हैं अपनी कार से प्‍यार, तो यहां जानें कि उसकी शान बढ़ाने के लिए आप किन एसेसरीज की मदद ले सकते हैं। कार एक्सेसरीज लिस्ट : 3D Custom PU Leather Car Seat Covers कार की सीट पर हाई क्‍वालिटी के और सुंदर कवर होने चाहिए। इससे कार स्‍टाइलिश और अच्‍छी तरह से मेंटेन की हुई लगती है। आप अपनी कार के लिए 3डी कस्‍टम पीयू लैदर कार सीट कवर खरीद सकते हैं। यह ऑटोमेटिव ग्रेड पीयू लैदर से बने हैं और इसकी क्‍वालिटी बहुत बढिया है। आपके कंफर्ट और ड्यूरेबिलिटी को ध्‍यान में रखते हुए, इन कवर्स में हाई डेंसिटी की फोम पैडिंग का इस्‍तेमाल किया गया है। इसे साफ करना भी बहुत आसान है। बस एक गीले कपड़े से आप इन कवर्स की सफाई कर सकते हैं। इसमें दोनों फ्रंट सीट के कवर और रियर सीट कवर और हैड रेस्‍ट मिलेंगे। Car decoration accessories online india : H4 6000K Car Xenon HID Headlight Conversion Kit अपनी कार की शान को बढ़ाने के लिए आप एचआईडी हेडलाइट कंवर्जन किट का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इसे आप आसानी से फैक्‍टरी फिट बल्‍ब में भी लगा सकते हैं। यह 55 वाट का है जो सुपीरियर लाइट बीम परफॉर्मेंस देता है। इसके 6000 केल्विन प्‍योर व्‍हाइट कलर लाइट आपके कार को स्‍टा‍इलिश लुक देगी। इसमें कम बैटरी खर्च होती है और लंबी हेडलाइट बीम है। इसमें आपको हाई और लो दोनों तरह की बीम मिलेगी। एचआईडी यानि हाई इंटेंसिटी डिस्‍चार्ज लाइट से आपको रात में भी सड़क साफ दिखेगी। इस तरह आप सेफ रोड़ ट्रिप ले सकते हैं। यह 100 पर्सेंट वॉटर, शॉक, डस्‍ट और रंबल प्रूफ है। कार के लिए एक्सेसरीज : Status High Glossy Car Door Guard (White) कई बार दरवाजा खोलते या बंद करते समय, दरवाजों के कोने डैमेज लग सकते हैं। स्‍टेटस हाई ग्‍लॉसी कार डोर गार्ड आपके दरवाजों को डैमेज होने से बचाता है। ये हाई क्‍वालिटी के कार डोर गार्ड हैं जो दरवाजों पर स्‍क्रैच लगने से भी बचाएंगे। इन्‍हें लगाना भी बहुत आसान है। आपको बस अपने कार के दरवाजे को साफ करना है और इस डोर गार्ड में दी गई डबल साइड टेप को हटाकर उसे दरवाजे के कोनों पर लगा देना है। कार के लिए परफ्यूम : Carall Master Aroma Squash Scent Car Air Freshener (55 ml) Gel कार के लिए एयर फ्रेशनर बहुत जरूरी होता है। इससे ट्रैवलिंग के समय आप फ्रेश महसूस करते हैं। Carall Master Aroma Squash Scent Car Air Freshener लगाने पर कोई आपकी कार में बैठेगा, तो इंप्रेस जरूर होगा क्‍योंकि इसकी भीनी-भीनी खुशबू हर किसी को पसंद आती है। यह 55 मि.ली का पैक है और जापानी मास्‍टर अरोमा प्रोडक्‍ट है। इसकी खुशबू से आपका मूड भी बेहतर होगा और आपके मूड के हिसाब से इसमें पांच अलग-अलग डिजाइनर फ्रेगरेंस मौजूद हैं। ये कार एयर फ्रेशनर दो से तीन महीने तक चल सकता है। कार के लिए मोबाइल होल्डर : High Quality Car Mobile Holder Car Cradle इस कार मोबाइल होल्‍डर की बहुत बढिया क्‍वालिटी है और इसमें 3 अलग-अलग सक्‍शन टाइप हैं जिसमें स्‍टैंड, ग्‍लास और लो आर्म शामिल है। कार में परफेक्‍ट तरीके से फिट होने के लिए इसमें एडजस्‍टेबल बेस दिया गया है। आप कार ही नहीं बल्कि अन्‍य वाहनों में भी स्‍टैंडर्ड साइज कप होल्‍डर के साथ इसे लगा सकते हैं। इसे आप 5 से.मी से 10 से.मी तक बढ़ा सकते हैं। इसकी ग्रिप बहुत सॉफ्ट है और मोबाइल पर स्‍क्रैच भी नहीं पड़ेगी। कार साफ करने की मशीन : 3M Complete Car Care Kit – Small इस कार केयर किट में आपको एक कार वॉश शैंपू (250 मि.ली), 2 टायर ड्रेसर (250 मि.ली), 1 डैशबोर्ड ड्रेसर (250 मि.ली), 1 लिक्विड वैक्‍स और माइक्रोफाइबर का कपड़ा मिलेगा जिससे आप कार को साफ कर सकें। कार से धूल हटाने और चमकाने के लिए इसमें लिक्विड वैक्‍स दी गई है। गीले टायरों पर टायर का इस्‍तेमाल न करें। कार के लिए बेस्ट एक्सेसरीज : 3D Car Auto Seat Back Multi Pocket Storage Bag Organizer Holder Hanger कार में सामान रखने के लिए यह स्‍टोरेज बैग ऑर्गेनाइजर होल्‍डर हैंगर बनाया गया है। इसकी प्रीमियम पीयू लैदर है और 3डी पॉकेट स्‍टोरेज डिजाइन है। इसमें आप ड्रिंक और छतरी भी रख सकते हैं। इसे आप किसी भी सीट पर फिट कर सकते हैं। इस स्‍टोरेज बैग होल्‍डर हैंडर में आईपैड के लिए मिनी पॉकेट, मोबाइल के लिए दो पॉकेट, बोतल के दो होल्‍डर, एक टिश्‍यू बॉक्‍स, एक मैगजीन पाउच और एक अंब्रेला होल्‍डर दिया गया है। कार के लिए किफायती/सस्ते मैट : 7D Luxury Custom Fitted Car Mats कार को साफ रखने के लिए मैट बहुत जरूरी होते हैं। ये लग्‍जरी मैट हैं आपकी कार को बेहतरीन लुक देंगे। ये कार मैट वॉटर प्रूफ, फायर रेसिस्‍टें, डस्‍ट प्रूफ, शॉक और साउंड एब्‍जॉर्बेंट हैं। ये लग्‍जरी मैट स्‍क्रैच प्रूफ हैं और लंबे समय तक चलेंगे। इन्‍हें आप आसानी से निकालकर साफ कर सकते हैं और जब चाहें हटा सकते हैं। कार के फ्लोर पर इन मैट्स को लगाने से कार की साइड में पानी, धूल और मिट्टी नहीं लगेगी। ये मैट इंजीनियर्ड थर्मोप्‍लास्टिक से बने हैं जिससे ये क्रैक नहीं होंगे और इनमें बदबू भी नहीं आएगी। कार के लिए म्यूजिक सिस्टम : Sony XAV-W651BT 6.2″ Screen Car Mutimedia music Player कार से ट्रैवल करते समय म्‍यूजिक सुनने का अलग ही मजा है। इससे ट्रिप और मजेदार बन जाती है। आप अपनी कार में Sony XAV-W651BT 6.2 इंच का स्‍क्रीन कार मल्‍टीमीडिया म्‍यूजिक प्‍लेयर लगा सकते हैं।

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मानसिक स्वास्थ्य क्या है? मानसिक विकार क्या है, लक्षण, कारण, प्रकार और उपाय

पूरी तरह से स्वस्थ होने का अर्थ शारीरिक रूप से ही सही होना नहीं होता है बल्कि भावनात्मक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होना भी शरीर के लिए उतना ही जरूरी है। जिस प्रकार किसी भी अंग के ठीक तरह से कार्य न करने से पूरा शरीर प्रभावित होता है वैसे ही व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के ठीक न होने के कारण भी पूरा शरीर प्रभावित होता है। मानसिक स्वास्थ्य में व्यक्ति का भावनात्मक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक रूप से स्वस्थ होना शामिल होता है। व्यक्ति किस तरह से सोचता है, महसूस करता है और कार्य करता है यह उसके मानसिक स्वास्थ्य को दर्शाता है। इससे यह भी पता चलता है कि व्यक्ति तनाव को किस तरह से नियंत्रित करता है, अन्य लोगों के साथ किस तरह से व्यवहार करता है और किस तरह से अपने निर्णयों को लेता है। मानसिक स्वास्थ्य जीवन की हर अवस्था में एक महत्वपूर्ण पहलू है चाहे वह बचपन हो या फिर वयस्कता।  पूरे जीवन में यदि आपने कभी भी मानसिक स्वास्थ संबंधी समस्याओं का सामना किया है तो आपने पाया होगा कि उससे आपका व्यवहार, सोच और निर्णय किस तरह से प्रभावित होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं जैसे – बायोलॉजिकल कारण, जैसे जीन या मस्तिष्क की बनावट जीवन के अनुभव जैसे ट्रॉमा या शारीरिक हिंसा  परिवार के लोगों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं होना  मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं बहुत ही सामान्य है और इन्हे मानने व अपनाने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए क्योंकि इसके लिए मदद भी मौजूद है। कई लोग मानसिक रोगों का शिकार होते हैं परन्तु सही समय पर सही सलाह व इलाज से बेहतर भी हो जाते हैं। – मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए शंकपुष्पी एक बेहद असरदार विकल्प है मानसिक स्वास्थ्य क्या है ? Mansik swasthya kya hai विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति अपनी क्षमताओं का एहसास करता है, जीवन के सामान्य तनावों का सामना कर सकता है, उत्पादक रूप से काम कर सकता है और अपने या अपने समुदाय के लिए योगदान देने में सक्षम है।  डब्यूएचओ इस बात पर दबाव डालता है कि मानसिक रोगों और विषमताओं से मुक्त होने का मतलब ही मानसिक रूप से स्वस्थ  होना नहीं होता है। इसका अर्थ है कि हर दिन अपने मस्तिष्क को और स्वयं को खुश रख पाना।  वे यह भी कहते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य को ठीक करना व ठीक रखना व्यक्ति के ऊपर ही निर्भर करता है। हालांकि यह उसके आसपास के समाज पर भी उतना ही निर्भर करता है।  अमेरिका में प्रत्येक पांच में से एक व्यस्क किसी न किसी मानसिक रोग का शिकार है।  विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि भारत की 7.5 प्रतिशत जनसंख्या किसी न किसी मानसिक विकार से ग्रस्त है जो कि इस वर्ष के अंत तक बढ़ कर बीस प्रतिशत हो सकती है। ये आंकड़े बेशक डरा देने वाले हैं क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण नहीं समझा जाता है।  आंकड़ों की माने तो 56 मिलियन लोग डिप्रेशन और अन्य 38 मिलियन लोग चिंता जैसे विकारों से ग्रस्त हैं। मानसिक रोगों के लक्षण या शुरुआती संकेत – Mansik rogon ke lakshan ऐसा कोई भी शारीरिक टेस्ट या स्कैन नहीं है जो कि यह बता सके कि कोई व्यक्ति किसी मानसिक रोग से ग्रस्त हैं। हालांकि ऐसे कुछ संकेत होते हैं जो कि किसी भी व्यक्ति में मानसिक स्वास्थ्य के विकार के लक्षण हो सकते हैं – दोस्तों,  परिवार और सह कर्मियों से दूरी  ऐसे कार्य न करना जो उन्हें पहले करना पसंद थे कम सोना या बहुत अधिक सोना कम खाना या बहुत अधिक खाना आशाहीन महसूस करना ऊर्जा की कमी मूड ठीक करने के लिए एल्कोहॉल, निकोटीन और धूम्रपान करना उलझन में रहना  कोई काम न करना पुरानी बातों को याद करना, उदास रहना किसी अन्य व्यक्ति को या स्वयं को हानि पहुंचाने के बारे में सोचना आवाज़ें सुनाई देना भ्रम होना मानसिक तनाव या अवसाद के कारण होने वाले लक्षणों को कम करने के लिए आप चाहें तो हिमालय की Himalaya Wellness Pure Herbs Brahmi Mind Wellness का सेवन कर सकते हैं। मानसिक विकार किन लोगों को हो सकते हैं? – Mansik vikar kise hote hain प्रत्येक व्यक्ति को मानसिक रोग होने का खतरा होता है चाहे वह किसी भी उम्र, जाती या लिंग का हो।  अमेरिका जैसे कई विकसित देशों में मानसिक विकार सबसे बड़ा विकार बनता जा रहा है। अधिकतर मानसिक विकार से ग्रस्त लोगों को एक साथ कई समस्याएं होती हैं। व्यक्ति का सामाजिक, बायोलॉजिकल और जीवनशैली का तरीका उसके मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव डालता है।  यह ध्यान रखना जरूरी है कि अच्छा मानसिक स्वास्थ्य कई सारे घटकों के मेल का संतुलन होता है और जीवन के जरूरी तत्व और आसपास का समाज इन रोगों को ठीक करने व पैदा करने दोनों में ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मानसिक विकार क्यों होते हैं? – Mansik rog ke karan मानसिक विकार निम्न कारणों से हो सकते हैं – लगातार सामाजिक व आर्थिक दबाव  सीमित वित्तीय साधन होने या हाशिए पर या शोषित जातीय समूह से संबंधित होने से मानसिक स्वास्थ्य विकार का खतरा बढ़ सकता है। 2015 के एक अध्ययन के अनुसार ईरान में 903 परिवारों में लोग मानसिक रूप से बीमार थे। जिसका कारण गरीबी और जीवन जीने के लिए आवश्यक वस्तुओं की कमी थी। शोधकर्ताओं ने परिवर्तनीय कारणों के संदर्भ में कुछ समूहों के लिए मानसिक स्वास्थ्य उपचार की उपलब्धता और गुणवत्ता में अंतर को समझाया, जो समय के साथ बदल सकते हैं, और गैर-परिवर्तनीय कारण, जो स्थायी हैं जिन्हे बदला नहीं जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य विकार के परिवर्तनीय कारणों में निम्न शामिल हैं – सामाजिक-आर्थिक स्थिति जैसे किसी विशेष जगह में काम करना  व्यवसाय  शिक्षा  किसी व्यक्ति का समाज में योगदान  घर का वातावरण  गैर परिवर्तनिय कारणों में निम्न शामिल हैं – लिंग  उम्र  जातीयता शोध से पता चलता है कि लिंग परिवर्तनीय व गैर परिवर्तनीय दोनों कारणों में शामिल है। शोधकर्ताओं का कहना है कि महिलाओं में मानसिक रोग का खतरा 3.96 प्रतिशत कम है। इस शोध में आर्थिक रूप से कमजोर लोग सबसे ऊपर के स्थान पर हैं। मानसिक स्वास्थ्य के

Kardu Temple 1

Kiradu temple mystery – किराडू मंदिर का रहस्य, श्रापित है यह मंदिर

किराडू मंदिर का रहस्य भारत के सबसे लोकप्रिय राज्यों में से एक, राजस्थान न केवल विरासत स्थलों और खूबसूरती से तैयार लोगों का घर है, बल्कि भानगढ़ और कुलधरा जैसी जगहों पर भी घूमता है। दिलचस्प है, राजस्थान में एक और कम लोकप्रिय जगह है जिसे माना जाता है कि यह शापित है। राजस्थान में बाड़मेर से लगभग 35 किमी दूर, शायद थार रेगिस्तान क्षेत्र में, किराडू शहर स्थित है। यह अपने पांच मंदिरों में से 11 वीं शताब्दी के लिए प्रसिद्ध है। ए.डी. स्थानीय लोग इसे राजस्थान का खजुराहो या भारत का मिनी-खजुराहो कहते हैं, जो कामुक मूर्तियां हैं जो इसका हिस्सा और पार्सल हैं। एक लोकप्रिय किंवदंती है कि जो भी शाम को शहर में रहता है वह पत्थर में बदल जाता है। इसलिए, मंदिरों के बाहर रहने के बाद सुनसान रहता है, और कोई भी प्रवेश द्वार पर स्थापित विशाल जंगलों, लॉक गेट के माध्यम से तोड़ने की हिम्मत नहीं करता है। यदि किसी को भी सूर्यास्त से पहले मंदिर में प्रवेश करना है, तो उसे दीवार से सटे छोटे से द्वार से होकर जाना पड़ता है। खरीदें – एक मुखी रुद्राक्ष – 1 Mukhi Rudraksha श्रापित है राजस्थान बारमेड़ का यह मंदिर लोकप्रिय किंवदंती के अनुसार, किराडू को किराडकोट कहा जाता है, जो कि किराड राजपूतों का एक राज्य था, जो 6 ठी शताब्दी ईस्वी में रहता था। इस राज्य के नागरिक भगवान शिव के भक्त थे क्योंकि यह यहां मौजूद तीन आंखों वाले देवताओं को समर्पित है। । स्थानीय मान्यता के अनुसार, परमार वंश के एक निश्चित राजा, जिसे सोमेश्वर के नाम से जाना जाता है, ने 12 वीं शताब्दी में बागडोर अपने हाथ में ले ली थी। दुर्भाग्य से, एक समय आया जब तुरुष्का के आक्रमणकारियों ने किराडू राज्य पर हमले किए। अपने समृद्ध राज्य को उबारने के लिए, सोमेश्वर ने एक महान ऋषि के चरणों में शरण ली, जिसकी समय पर सहायता के साथ, वह आक्रमणकारियों को बाहर निकालने में असमर्थ था। एक दिन, हालांकि, ऋषि ने राजा से छुट्टी ली, अपने शिष्य को राज्य की देखभाल में पीछे छोड़ दिया। संत की अनुपस्थिति के दौरान, राजा और उनके विषयों का मोहभंग हो गया और वह विलक्षण हो गया और इस प्रकार, ऋषि के शिष्य की जरूरतों को देखना भूल गया। जब शिष्य गंभीर रूप से बीमार पड़ गया, तो कुम्हार महिला को छोड़कर किसी ने भी उस पर दया नहीं की और उसके साथ खड़ा रहा। उसकी वापसी पर, राजा और उसके विषयों के कृतघ्न रवैये के बारे में जानने के लिए ऋषि उग्र थे। परिणामस्वरूप, जैसा कि स्थानीय लोगों का मानना ​​है, ऋषि ने राज्य पर शाप दिया, यह कहते हुए कि वहां रहने वाले नागरिक मानवता की कमी के लिए पत्थर में बदल जाएंगे! हालांकि, उन्होंने कुम्हार महिला को बख्श दिया, जिसने अपनी बीमारी के दौरान शिष्य का पालन पोषण किया, और उसे जल्द ही शहर छोड़ने की चेतावनी दी। आगे कहा गया कि ऐसा न हो कि शाप एक पत्थर में बदल जाए। जैसा कि महिला शापित जगह छोड़ रही थी, सरासर जिज्ञासा से बाहर, उसने पीछे देखने की गलती की, जिससे पत्थर में बदल गया। खरीदें – पन्‍ना रत्‍न – Emerald Stone किराडू मंदिर के बारे में जानकारी अंधविश्वास ने किसी भी इंसान को अभिशाप की प्रामाणिकता का परीक्षण करने से रोक दिया है, और पत्थर में बदल जाने के डर ने मनुष्यों को किंडू मंदिरों से दूर रखा है। फिर भी, सिंहनी गांव में एक महिला की पत्थर की मूर्ति की मौजूदगी को किराडू मंदिरों के इतिहास से जुड़ी किंवदंती का प्रमाण माना जाता है। किराडू में मंदिरों का समूह हालांकि, पूरी तरह से इरोटिका को समर्पित नहीं है। कुछ मूर्तियां हिंदू देवताओं की हैं। स्पष्ट रूप से, यह शहर भारत में एक और रहस्यमय जगह प्रतीत होता है, जो मानवों के लिए अभी तक ज्ञात नहीं है।

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1 से 14 मुखी रुद्राक्ष – 1 to 14 Mukhi Rudraksha in Hindi

भगवान शिव की आंखों से गिरा पहला आंसू ही एक मुखी रुद्राक्ष के रूप में लोकप्रिय है। ब्रह्मांड की सबसे कल्‍यारणकारी वस्‍तुओं में इसका नाम सबसे ऊपर आता है। एक मुख रुद्राक्ष के लाभ (1 mukhi rudraksha benefits) इस रुद्राक्ष की मदद से धारणकर्ता अपनी इंद्रियों को वश में कर ब्रह्म ज्ञान की प्राप्‍ति की ओर अग्रसर होता है। हाई ब्‍लड प्रेशर के मरीज़ों के लिए यह रुद्राक्ष बहुत फायदेमंद रहता है। शत्रुओं से रक्षा और धन की प्राप्‍ति के लिए भी इसे पहना जा सकता है। गंभीर पापों से मुक्‍ति पाने के लिए इस रुद्राक्ष को पहन सकते हैं। Buy Garbh Gauri Rudraksha एक मुखी रुद्राक्ष की धारण विधि 1 मुखी रुद्राक्ष (1 mukhi rudraksha pendant) को धारण करने से पूर्व घर के पूजन स्‍थल में 108 बार ऊं ह्रीं नम: (1 mukhi rudraksha mantra) मंत्र का जाप करें। इससे आपको रुद्राक्ष का दोगुना प्रभाव मिलता है। एक मुखी रुद्राक्ष कहां मिलेगा 1 Mukhi Rudraksha (1 mukhi rudraksha price) को धारण करने से पूर्व उसे सूर्य देव एवं भगवान शिव के मंत्रों से अभिमं‍त्रित करना बहुत जरूरी होता है। आपको भी अभिमंत्रित 1 मुखी रुद्राक्ष ही पहनना चाहिए। Buy 1 Mukhi Rudraksh  – Whats app or Call now – 9354299817 दो मुखी रुद्राक्ष के लाभ दांपत्‍य जीवन के सुख के लिए इस रुद्राक्ष को धारण किया जाता है। 2 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। पारिवारिक सुख के लिए भी इस रुद्राक्ष को पहन सकते हैं। मोटापा, दिल की बीमारी जैसे रोगों से भी बचाने में 2 मुखी रुद्राक्ष सुरक्षा कवच के तौर पर कार्य करता है। भूत-प्रेत से रक्षा एवं ब्रह्म हत्‍या और गऊ हत्‍या के पाप से मुक्‍ति पाने के लिए इस रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं। 1 से 14 मुखी रुद्राक्ष – 1 to 14 Mukhi Rudraksha in Hindi दो मुखी रुद्राक्ष धारण विधि 2 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से पूर्व 108 बार ऊं नम: या ऊं नम: शिवाय का जाप करना चाहिए। इससे आपको 2 मुखी रुद्राक्ष को दोगुना लाभ मिलता है। कहां से लें 2 Mukhi Rudraksha (2 mukhi rudraksha price) को धारण करने से पूर्व उसे चंद्रमा एवं शिव-पार्वती के मंत्रों से अभिमं‍त्रित करना बहुत जरूरी होता है। आपको भी अभिमंत्रित 2 मुखी रुद्राक्ष ही पहनना चाहिए। Buy 2 Mukhi Rudraksh : Whats app or Call now – 9354299817  तीन मुखी रुद्राक्ष के लाभ (3 mukhi rudraksha benefits) ये पाचन तंत्र में सुधार करता है और सेहत एवं शरीर की मजबूती को बढ़ाता है। जिन लोगों को भूख कम लगती है या आप बहुत ज्‍यादा बीमार रहते हैं तो आपको भी 3 मुखी रुद्राक्ष से लाभ होगा। चेहरे पर तेज और रौनक लाने के लिए भी इस रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं। जो लोग नौकरी करते हैं उन्‍हें 3 मुखी रुद्राक्ष जरूर पहनना चाहिए क्‍योंकि इससे उन्‍हें अपने कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है। Buy Pukhraj stone तीन मुखी रुद्राक्ष धारण विधि 3 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से पूर्व 108 बार ऊं क्‍लीं नम: का जाप करना चाहिए। इससे आपको 3 मुखी रुद्राक्ष को दोगुना लाभ मिलता है। 1 से 14 मुखी रुद्राक्ष – 1 to 14 Mukhi Rudraksha in Hindi कहां से लें 3 Mukhi Rudraksha (3 mukhi rudraksha price) को धारण करने से पूर्व उसे चंद्रमा एवं शिव-पार्वती के मंत्रों से अभिमं‍त्रित करना बहुत जरूरी होता है। आपको भी अभिमंत्रित 3 मुखी रुद्राक्ष ही पहनना चाहिए। Buy 3 Mukhi Rudraksh – Whats app or Call now : 9354299817 चार मुखी रुद्राक्ष के लाभ (4 mukhi rudraksha benefits) अगर आपका बच्‍चा पढ़ाई में कमजोर है या आपको स्‍वयं शिक्षा के क्षेत्र में असफलता मिल रही है तो आपको 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इस रुद्राक्ष के शुभ प्रभाव से ज्ञान और संतान से संबंधित सभी तरह की समस्‍याएं दूर होती हैं। एकाग्रता बढ़ाने के लिए एवं वैज्ञानिक अध्‍ययन और धार्मिक ग्रंथों के अध्‍ययन करने वाले व्‍यक्‍ति के लिए चार मुखी रुद्राक्ष बहुत फायदेमंद होता है। चार मुखी रुद्राक्ष धारण विधि 4 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से पूर्व 108 बार ऊं ह्रीं नम: मंत्र (4 mukhi rudraksha mantra) का जाप करना चाहिए। इससे आपको 4 मुखी रुद्राक्ष का दोगुना लाभ मिलता है। 1 से 14 मुखी रुद्राक्ष – 1 to 14 Mukhi Rudraksha in Hindi कहां से लें 4 Mukhi Rudraksha (4 mukhi rudraksha price) को धारण करने से पूर्व उसे बुध एवं ब्रह्म देव के मंत्रों से अभिमं‍त्रित करना बहुत जरूरी होता है। आपको भी अभिमंत्रित 4 मुखी रुद्राक्ष ही पहनना चाहिए। Buy 4 Mukhi Rudraksh : Whats app or Call now – 9354299817 पंचमुखी (5 Mukhi) रुद्राक्ष के फायदे मानसिक शांति प्राप्‍त करने के लिए इस रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं। धारणकर्ता को विभिन्‍न विषयों का ज्ञान अर्जित करने में मदद मिलती है। धन और समृद्धि पाने के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की सलाह दी जाती है। अकाल मृत्‍यु से रक्षा पाने के लिए भी इस रुद्राक्ष को पहन सकते हैं। बृहस्‍पति के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए 5 मुखी रुद्राक्ष शुभ रहता है। वैवाहिक जीवन में सुख-शांति लाने में भी ये रुद्राक्ष फायदेमंद है। पंचमुखी (5 Mukhi) रुद्राक्ष धारण विधि 5 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से पूर्व 108 बार ऊं ह्रीं नम: मंत्र (5 mukhi rudraksha mantra) का जाप करना चाहिए। इससे आपको 5 मुखी रुद्राक्ष का दोगुना लाभ मिलता है। 1 से 14 मुखी रुद्राक्ष – 1 to 14 Mukhi Rudraksha in Hindi कहां से लें 5 Mukhi Rudraksha (5 mukhi rudraksha price) को धारण करने से पूर्व उसे कालाग्नि एवं बृहस्‍पति देव के मंत्रों से अभिमं‍त्रित करना बहुत जरूरी होता है। आपको भी अभिमंत्रित 5 मुखी रुद्राक्ष ही पहनना चाहिए। Buy 5 Mukhi Rudraksh : Whats app or Call now – 9354299817 6 मुखी रुद्राक्ष के लाभ इस रुद्राक्ष को पहनने से एकाग्रता एवं ध्‍यान केंद्रित करने की शक्‍ति बढ़ती है। छह मुखी रुद्राक्ष की पूजा करने से जीवन में संतुलन आता है। इससे आसपास की नकारात्‍मक ऊर्जा समाप्‍त होती है। आलस और सुस्‍ती को दूर भगाने के लिए इस रुद्राक्ष को पहन सकते हैं। अगर आपके जीवन में प्रेम की कमी है तो आपको छह मुखी रुद्राक्ष जरूर धारण करना चाहिए।

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पन्‍ना रत्‍न पहनने के फायदे, विधि, पहचान और कीमत – Emerald Stone in India

अगर किसी व्‍यक्‍ति की कुंडली में बुध कमजोर है और उसे इसकी वजह से बुध से जुड़े क्षेत्रों में अच्‍छे परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं या बुध ग्रह जीवन में परेशानियां खड़ी कर रहा है तो आपको पन्‍ना स्‍टोन से पहनने से बहुत लाभ होगा। पन्‍ना रत्‍न को पहनने से व्‍यक्‍ति को कई तरह के सकारात्‍मक प्रभाव मिलते हैं। बुध ग्रह को बुद्धि का कारक माना गया है इसलिए इसके रत्‍न को धारण करने से जातक की बुद्धि में वृद्धि होती है। पन्ना रत्न पहनने के फायदे – Emerald stone benefits in Hindi अगर आपका बच्‍चा पढ़ाई में कमज़ोर है या उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता है या उसे पढ़ाई में ध्‍यान लगाने में दिक्‍कत आ रही है तो आप उसे पन्‍ना जरूर पहनाएं। इस रत्‍न को पहनने से छात्रों की बुद्धि और एकाग्रता क्षमता बढ़ती है। यह रत्‍न सीधा छात्रों की सीखने की क्षमता पर असर करता है और इसकी मदद से बच्‍चे परीक्षा में अच्‍छा प्रदर्शन दे पाते हैं। कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए यह उत्तम रत्‍न है। अगर आप संगीत, फैशन डिज़ाइनिंग, पेंटिंग और इंटीरियर डिज़ाइनिंग जैसे क्षेत्रों में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो पन्‍ना स्‍टोन इस काम में आपकी मदद कर सकता है। पन्‍ना पहनने से नए विचार मन में आते हैं। प्रतियोगिता में जीतने में भी यह रत्‍न मददगार है। यदि आप उन लोगों में से हैं जो अपने विचारों को ठीक तरह से व्‍यक्‍त नहीं कर पाते हैं, तो आपको भी बुध का एमरैल्‍ड स्‍टोन धारण करने से लाभ होगा। नेता, वक्‍ता, मैनेजर और टीम लीडर को पन्‍ना पहनने से जीवन में अपार सफलता मिलने के योग हैं। इस रत्‍न की सकारात्‍मक शक्‍तियां व्‍यक्‍ति में ऊर्जा को बढ़ाती हैं। नौकरी के लिए इंटरव्‍यू देने जा रहे हैं तो इस काम में भी पन्‍ना आपकी मदद कर सकता है। यह रत्‍न आपकी सफलता के द्वार खोलता है। वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार पन्‍ना स्‍टोन पहनने से जातक को अपने शत्रुओं और विरोधियों से सुरक्षा मिलती है। इस रत्‍न के शुभ प्रभाव से आपके विरोधी आपको नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं। व्‍यापारियों के लिए तो यह रत्‍न किसी चमत्‍कार से कम नहीं है। पन्‍ना पहनने से व्‍यापार में नुकसान उठाने और धोखाधड़ी की संभावना बहुत कम हो जाती है। चुनौतियों और मुश्किलों का सामना करने एवं विपरीत परिस्थि‍ति से बाहर निकलने में भी यह रत्‍न मदद करता है। जो लोग सही निर्णय नहीं ले पाते हैं या हमेशा असमंजस या उलझन में रहते हैं, उन्‍हें भी एमरैल्‍ड स्‍टोन पहनना चाहिए। इससे उनके विचारों में स्‍पष्‍टता आती है। धन की कमी या कर्ज से परेशान हैं तो आपको पन्‍ना असीम धन की प्राप्‍ति करवा सकता है। अर्थशास्‍त्र और गणित के अध्‍यापकों के लिए भी यह रत्‍न सफलता के मार्ग खोलता है। यदि आपके घर में कोई सदस्‍य लंबे समय से बीमारी पड़ा है या दवाएं भी उसकी हालत में सुधार नहीं ला पा रही हैं तो आप उन्‍हें पन्‍ना स्‍टोन पहनाएं। इस रत्‍न के प्रभाव से सभी प्रकार की व्‍याधियों को दूर किया जा सकता है। पन्‍ना पहनने से आंखों की रोशनी भी तेज होती है और आंखों को आराम मिलता है। पन्ना रत्न स्‍वास्‍थ्‍यवर्द्धक लाभ – Benefits of Panna ratna in Hindi पन्‍ना एवं हीलिंग पॉवर होती है। एलर्जी, सांस से संबंधित बीमारियों, त्‍वचा से जुड़ी परेशानियों और तंत्रिका विकारों से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति को पन्‍ना पहनने से लाभ होता है। यदि किसी व्‍यक्‍ति को बोलने में दिक्‍कत होती है या हकलाहट की समस्‍या है तो उसे भी पन्‍ना स्‍टोन पहनना चाहिए। यदि आपके घर में कोई सदस्‍य लंबे समय से बीमारी पड़ा है या दवाएं भी उसकी हालत में सुधार नहीं ला पा रही हैं तो आप उन्‍हें पन्‍ना स्‍टोन पहनाएं। इस रत्‍न के प्रभाव से सभी प्रकार की व्‍याधियों को दूर किया जा सकता है। पन्‍ना पहनने से आंखों की रोशनी भी तेज होती है और आंखों को आराम मिलता है। यह रत्‍न मानसिक विकारों को दूर करता है और धारणकर्ता को मानसिक रूप से स्थिर एवं मजबूत बनाता है। डिप्रेशन को भी इस स्‍टोन की मदद से दूर किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि यदि गर्भवती महिला की कमर पर पन्‍ना बांध दिया जाए तो उसका प्रसव आसानी से हो जाता है। कितने रत्ती का पन्‍ना पहनना चाहिए – Kitne ratti ka panna ratna pehnana chahiye इस रत्न को धारण करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रहे कि जो रत्न आप धारण करते हैं वो कम से कम तीन रत्ती का होना चाहिए। तीन रत्ती  से कम का पन्ना आप धारण ना करें, तीन रत्ती से अधिक का पन्ना आप पहन सकते हैं।  चूंकि, ये बुध देव का रत्‍न है इसलिए इसे बुधवार के दिन पहनना चाहिए। आपको पन्‍ना रत्‍न कितने रत्ती का पहनना चाहिए, ये जानने का सबसे आसान तरीका है कि आप अपने वजन को देखें। मान लीजिए आपका वजन 60 कि.ग्रा है, तो आपको 6 रत्ती को पन्‍ना पहनने से लाभ होगा। पन्ना रत्न किस धातु में पहने – Panna stone kis dhatu me pahne पन्‍ना यानी एमरैल्‍ड स्‍टोन को सोने या चांदी की धातु में पहनना सबसे ज्‍यादा लाभकारी होता है। इसे आप पंचधातु में भी जड़वाकर पहन सकते हैं। इसे तरह पहनें कि रत्‍न आपकी त्‍वचा पर स्‍पर्श हो रहा हो। धारण करने के बाद पन्‍ना कम से कम 45 दिनों के अंदर अपना प्रभाव देना शुरू करता है। इस स्‍टोन का प्रभाव अधिकतम 3 साल तक रहता है। पन्ना रत्न पहनने की विधि – Panna ratna dharan karne ke fayde पन्‍ना रत्‍न को शुक्‍ल पक्ष के या किसी भी बुधवार को पहन सकते हैं।  बुधवार की सुबह स्‍नान के बाद अपने घर के पूजन स्‍थल में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर के बैठ जाएं। अब गंगा जल या दूध में पन्‍ना रत्‍न को डुबो दें। इसके बाद 108 बार ‘ऊं बुं बुधाय नम:’ मंत्र का जाप करें और फिर धूप-दीप दें। अब पन्‍ना रत्‍न को निकालकर अनामिका अंगुली में धारण कर लें। पन्ना रत्न किसे पहनना चाहिए – Panna ratna kise dharan karna chahiye मिथुन और कन्‍या राशि का स्‍वामी ग्रह पन्‍ना है इसलिए इन दो राशियों के जातक एमरैल्‍ड स्‍टोन को पहन सकते हैं। इसके

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