कैंसर क्या है?
कैंसर कई सारे रोगों का एक समूह है जो किसी भी अंग या ऊतक को प्रभावित कर सकता है। कैंसर वह रोग है जो कि शरीर में असामान्य कोशिकाओं के बढ़ने के कारण फैलता है। ये कोशिकाएं एक अंग से अन्य अंगों तक फ़ैल कर रोग को पूरे शरीर में फैला सकती हैं। इस स्थिति को मेटास्टेटसाइजिंग कहा जाता है और यह कैंसर से मृत्यु का सबसे प्रमुख कारण है। कैंसर को नियोप्लास्म या ट्यूमर कहा जाता है।
दुनियाभर में होने वाल मृत्यु का कैंसर दूसरा सबसे कारण है। 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 9.6 मिलियन लोग या हर छह में से एक व्यक्ति कैंसर का शिकार होता है। फेफड़ों का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, पेट का कैंसर और लिवर कैंसर पुरुषों में होने वाले सबसे सामान्य कैंसर है। वहीँ स्तन कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और थायराइड कैंसर महिलाओं में होने वाले कैंसर का सबसे मुख्य प्रकार है।
एक स्वस्थ शरीर में प्रतिदिन,प्रति मिनट लाखों कोशिकाओएं व ऊतक बनते और टूटते हैं क्योंकि शरीर को प्रत्येक दिन भिन्न कार्य करने होते हैं। स्वस्थ कोशिकाओं का अपना जीवन चक्र, प्रजनन और मृत्यु का एक चक्र होता है।
पुरानी कोशिकाओं का स्थान नयी कोशिकाएं ले लेती हैं। कैंसर इस प्रक्रिया को रोकता है या फिर इसमें बाधा डालता है और असामान्य कोशिकाओं का निर्माण करता है। यह डीएनए में बदलाव के कारण होता है।
डीएनए प्रत्येक कोशिकाओं के न्यूक्लियस में मौजूद होता है। डीएनए में कोशिकाओं के निर्माण, बढ़ने और विभाजित होने के निर्देश होते हैं।
डीएनए में बदलाव होते रहते हैं लेकिन आमतौर पर कोशिकाएं उन्हें ठीक कर देती हैं। जब कोई बदलाव या गलती ठीक नहीं हो पाती है तो यह कैंसरका रूप ले सकता है।
इन बदलावों से ऐसी कोशिकाएं बनती हैं जिन्हें खत्म होने के बजाय जीवित रहना चाहिए और ऐसी कोशिकाएं बनती हैं जिनकी शरीर को जरूरत नहीं हैं। ये अतिरिक्त कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ती हैं और ट्यूमर का आकार ले लेती हैं। ट्यूमर से भिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि ट्यूमर शरीर के किस भाग में हैं।
लेकिन सभी ट्यूमर कैंसरकारी नहीं होते हैं और आसपास के ऊतकों तक नहीं फैलते हैं। कभी-कभी ये ट्यूमर बड़े हो सकते हैं और आसपास के अंगों में फ़ैल सकते हैं जिनसे समस्याएं हो सकती हैं। बड़े ट्यूमर कैंसरकारी होते हैं और शरीर के भिन्न भागों में फ़ैल सकते हैं।
कुछ कैंसर रक्त के द्वारा या लसिका ग्रंथियों के वारा शरीर के भिन्न भागों तक फ़ैल सकते हैं इसे प्रक्रिया मेटास्टेटिस कहा जाता है। कैंसर जो कि मेटास्टेटस की प्रक्रिया करते हैं उन्हें अंतिम अवस्था का कैंसर माना जाता है। मेटास्टेटिक कैंसर का इलाज करना बहुत मुश्किल हो सकता है और ये अत्यधिक मृत्यु का कारण बनते हैं या बन सकते हैं।
कैंसर के प्रकार
कैंसर का नाम उस भाग के अनुसार रखा जाता है जहां वे विकसित होते हैं या फिर जिस तरह की कोशिकाओं से बने होते हैं चाहे फिर वे शरीर के भिन्न भागों में ही क्यों न फैले हों। उदाहरण के तौर पर वः कैंसर जो फेफड़ों में बना है यफी वह लिवर तक फ़ैल गया है तब भी उसे फेफड़ों का कैंसर ही कहा जाएगा। विशेष प्रकार के कैंसर के लिए भिन्न नामों का प्रयोग भी किया जाता है, जैसे –
- कार्सिनोमा – कैंसर का वह प्रकार है जो कि त्वचा और ऊतकों में बनता है जो अन्य अंगों से जुड़े होते हैं
- सार्कोमा – कैंसर का वह प्रकार है जो कनेक्टिव टिशू में होता है जैसे हड्डियों, मांसपेशियों, कार्टिलेज और रक्त वाहिकाएं
- ल्यूकेमिया – बोन मेरो का कैंसर। बोन मेरो हड्डियों में पाया जाने वाला एक नरम ऊतक है जो कि रक्त की कोशिकाओं का निर्माण करता है
- लिंफोमा और मायलोमा प्रतिरक्षा प्रणाली का एक कैंसर है
कैंसर का खतरा
कैंसर का मुख्य कारण कोशिकाओं के डीएनए में बदलाव है। अनुवांशिक बदलाव माता-पिता से शिशुओं में आ सकते हैं। ये बदलाव जन्म के समय वातावरण के बदलावों के कारण भी हो सकते हैं। जैसे –
- कैंसरकारी केमिकल से संपर्क जिन्हें कार्सिनोजेन कहा जाता है
- रेडिएशन से संपर्क
- सूर्य की रौशनी से अत्यधिक संपर्क
- कुछ विशेष वायरस जैसे ह्यूमन पेपीलोमा वायरस
- धूम्रपान
- जीवनशैली जैसे शारीरिक गतिविधियां और खानपान
कैंसर का खतरा उम्र के साथ बढ़ता जाता है। पहले से मौजूद स्वास्थ्य स्थितियां जिनसे सूजन होती है उनसे भी कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस एक क्रोनिक इंफ्लेमेटरी पेट का रोग है।
यदि आपको ऐसे कारणों के बारे में पता हो जिनके कारण व्यक्ति को कैंसर हो सकता है तो आपको कैंसर होने का खतरा कम हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार निम्न सात तरीकों से आप कैंसर से स्वयं को बचा सकते हैं –
- तम्बाकू का प्रयोग न करें और किसी और का प्रयोग किया हुआ धूम्रपान न करें
- स्वस्थ आहार खाएं या संतुलित आहार खाएं
- मांसाहार कम खाएं
- मेडिटेरियन डाइट अपनाएं जिसके अंतर्गत अत्यधिक पौधों पर आधारित भोजन करें, प्रोटीन और स्वस्थ वसा को भोजन में शामिल करें
- शराब न पिएं या फिर कभी-कभी ही शराब का सेवन करें। जैसे किसी भी उम्र की महिलाएं यदि एक दिन में ड्रिंक लेटो हैं और 65 से कम उम्र के पुरुष एक दिन की दो ड्रिंक लेते हैं तो उन्हें कैंसर का खतरा शराब से नहीं हो सकता है।
- प्रतिदिन तीस मिनट व्यायाम जरूर करें
- सूर्या की रौशनी से बच कर रहें
कैंसर शरीर के किसी भी भाग में शुरू हो सकता है। शरीर में कैंसर बनना तब शुरू होता है जब सामान्य कोशिकाएं नियंत्रण से अधिक बढ़ने लग जाती हैं और कोशिकाओं का इकट्ठा होना शुरू हो जाता है।
कैंसर होने से घबराए मत , हम आपको बताएंगे की कैसे इससे बच सकते है, और इससे कैसे लड़ सकते है।
आधुनिकता की इस दौड़ में मानव के जीवन की पराकाष्ठा देखे तो हर एक व्यक्ति कहीं ना कहीं किसी ना किसी बीमारी से जूझ रहा है या किसी रोग से ग्रस्त हैं।
आधुनिक जीवन में बदलती जीवनशैली के कारण मानव शरीर बीमारियों का घर बनता जा रहा है।
ऐसे ही हमारे शरीर में कई कोशिकाएं होती है, जिसको हम सेल्स कहते है, वो सेल्स बढ़ते है नियमित रूप से, दो से चार हुए चार से आठ हुए आठ से सोलह ऐसे कर के बढ़ते है जो धीरे धीरे गांठ बन जाती है या फिर अलसक बन जाता है फोड़ा बन जाता है तो उसको कैंसर कहते है।
कैंसर के क्या कारण हैं, कैंसर के कारण इन हिंदी – Cancer ke lakshan
- धूम्रपान
- अधिक शराब पीना
- फर्टिलाइजर
- प्लास्टिक
- गुटका तम्बाकू
कैंसर के कारण जो है अनरेगुलेट ग्रोथ मतलब, जिसको ग्रोथ हम को रेगुलेट नहीं कर सकते।
नॉर्मल होता क्या है कि हमारे शरीर में दो तरह के जीन्स होते है एक जो हमारे सेल्स की ग्रोथ को रोकते है और एक हमारे सेल्स की ग्रोथ को प्रोमोट करते है। इसमें एक बैलेंस होता है अब उस बैलेंस को किसी भी तरह से वो बैलेंस बिगड़ता है इन बैलेंस होता है। उसका कारण ये सारी चीजे भी ही सकती है। शराब, धूम्रपान जब ये बैलेंस बिगड़ता है तो हमारे जीन्स रिपेयर नहीं हो पाते , डी एन ए रिपेयर नहीं हो पाता तो हमारे सेल्स ओवर ग्रोथ करने लगते है और ये सेल्स एक ऐसे लेवल पे जलाए जाते है कि इनके ग्रोथ को कंट्रोल ही नहीं कर सकते है फिर ये कैंसर का रूप लेते है।
फिर इनके अंदर कैपिसिटी आ जाती है फैलने की, खून के जरिए ये शरीर में अलग अलग जगह फैलते है।
कैंसर के लक्षण – Cancer Symptoms in hindi/ cancer ke lakshan in hindi
कैंसर के लक्षण निर्भर करते हैं कि कैंसर शरीर के किस हिस्से में हो रहा है। अगर हम मुंह और गले के कैंसर की बात करें तो को सबसे पहले सामान्य लक्षण है गले में गांठ, मुंह में छाले आदि ये एडवांस स्टेज हो जाती है अगर हमने इस पर ध्यान नहीं दिया तो, बहुत मुश्किल आ जाती है।
अब हम उस लक्षण की बात करे जो हम शुरुवाती दौर में पता लगा सकते है,
जैसे – खाने खाने में दिक्कत होना , लगातार कान में दर्द होना, हमारी आवाज़ बदलना, हमारा गला ठीक नहीं हो पाना , गर्दन में कोई गांठ दिखाई देना तो ये लक्षण है जो हमें चेतावनी देते है।
कोई सामान्य दिक्कत नहीं है और इसका ट्रीटमेंट ले रहे थे लोकल डॉक्टर से पर ठीक नहीं हो पाता है तब आपको एक एक्सपर्ट डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
लंग्स कैंसर(Lungs cancer)
आपकी खांसी में खून आ सकता है, आपको सांस लेने में दिक्कत हो सकती है तो ये लक्षण है जो लंग्स कैंसर की तरफ ले जाते है।
पेट कैंसर (Stomach Cancer)
पेट के कैंसर की बात करो तो पेट में कोई भी बदलाव।
जैसे – आपको लगातार डायरिया, या आपके स्टूल में ब्लड आ रहा है या आपकी बाउन हैबिट बदल गई है, कभी दस्त कभी कब्ज़ ,पेट फूलना तो ये लक्षण है।
किडनी कैंसर (kidney Cancer), ब्लड कैंसर(Blood Cancer)
तो इसमें होता क्या है कि आपके चुरिन में ब्लड आ सकता है आपको चुरिन में ब्लॉकेज हो सकती है
ब्लड कैंसर दो तरह को होते है
- ALL
- AML
ऐ एम एल एडल्ट में ज्यादा कॉमन होता है
60 से 70% को ए एम एल होता है
30 से 40% लोगो को ए एल एल नाम का ब्लड कैंसर होता है
लक्षण (Symptoms)
- बुखार
- शरीर में खून के धब्बे
- खून का बहना
- लैट्रिन में खून
- खांसी में खून आना
- मरीज का वजन कम होना
- जल्दी थक जाना
कैंसर जो है वो खून के सेल्स का कैंसर होता है तो अगर हीमोग्लोबिन कम हो गया है तो थकान होती है और जो फाइटर सेल्स होते है टी एक सी /डब्लयू बी सी जिसको बोलते है वो कम हो जाता है। तो इंफेक्शन ज्यादा होती है
और ब्लीडिंग होती है तो प्लेट्स काम होती है।
ब्रैस्ट कैंसर (Breast cancer)
अब हम ब्रैस्ट कैंसर की बात करे तो ब्रैस्ट में गांठ होती है पर हमें काफी देर बाद पता चलता है, पर अगर हम इस पर मेमोग्रफी कराते है, तो हम वो चीज पहले पता लग सकती है तो ब्रैस्ट में गांठ होना भी एक लक्षण है कैंसर का, पर हर ब्रैस्ट की गांठ कैंसर नहीं हो सकती।
दुनिया भर में सबसे ज्यादा मुंह के कैंसर के मरीज भारत देश में ही में पाए जाते है 60 से 70% मरीज इलाज के लिए लास्ट स्टेज में आते है
कैंसर के लक्षण
- मुंह में छाला जो ठीक नहीं हो रहा
- सफेद या लाल रंग का धब्बा है
- रफ एरिया
- मुंह में गांठ जिसे छूने पर खून निकलता है
इस लक्षणों को अनदेखा ना करे , जो लोग तम्बाकू या गुटका खाते है, हो सकता है उनके मुंह धीरे धीरे खुलना कम हो जाए, इसे हम एक विशेष कंडीशन कहते है।
- यह एक विशेष कंडीशन होती है जिसे ओरल फ्राइब्रोसिस कहा जाता है अगर ये हो रहा है तो यह आगे जाकर कैंसर में बदल सकता है।
- यदि कोई दांत हिलने लगे या अचानक से गिर जाएं , डेंजर साइज़ बदल जाए तो इसे नजर अंदाज नहीं करना चाहिए, क्युकी हो सकता हो दांत के बिल्कुल नीचे कैंसर की शुरुआत हो गई हो।
- कान में अचानक तेज दर्द होना भी कैंसर का लक्षण हो सकता है
- खाना चबाने में तकलीफ निगलने में तकलीफ
- जीभ के कैंसर जब धीरे धीरे बढ़ते है तक जीभ के घूमने को प्रभावित करते है इसके कारण बोलेने में तकलीफ होती है
- गर्दन में किसी तरह की गिल्टी या लंप के होने के कारण भी मुह में कैंसर हो सकता है।
कैंसर से कैसे बचें
- निरंतर योग करे
- स्वास्थ्य का ध्यान रखे
- पूरी नींद ले
- परिपूर्ण आहार
- शरीरी के बदलाव पर ध्यान रखे
- रोज व्यायाम करे
- सुरक्षित यौन सम्बन्ध
- बीड़ी तम्बाकू से दूर करे
- गुस्सा कम करे
- अपनी स्किन को सूरज की किरणों से ज्यादा एक्सपोज ना होने।