सभी आर्डर पर 300 रुपए की छूट 🎉🎁

janmashtmi 2021

2021 Krishna Janmashtami – श्री कृष्ण जन्मअष्टमी 2021

जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का प्रतीक है। जिन्हें प्यार से कान्हा के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण विष्णु के सबसे शक्तिशाली मानव अवतारों में से एक थे। कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण , भगवान विष्णु के आंठवे अवतार थे, जिनका जन्म द्वापर युग में हुआ था। इस दिन को गोकुलाष्टमी भी कहते हैं। माना जाता है , जो भक्त भगवान कृष्ण की सच्ची भक्ति में उनकी पूजा करते हैं, वे कभी भी निराश नहीं होते। भारत और दुनियाभर में रहने वाले हिंदु समुदाय के लिए जन्माष्टमी एक महत्वपूर्ण उत्सव है और इस दिन को सबसे शुभ माना जाता है। यह त्योहार कृष्ण पक्ष के अंाठवे दिन या भादों के महीने में अंधेरे पखवाड़े के आंठवे दिन पड़ता है। इस साल यह त्योहार 30 अगस्त को मनाया जाएगा। यह कृष्ण भगवान का 5248वां जन्म दिवस है। जन्माष्टमी का पूजा मुहूर्त – Janmashtami 2021 date and time द्रिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष अष्टमी तिथि 29 अगस्त को रात 11:25 बजे से शुरू होकर 31 अगस्त को सुबह 1:59 बजे समाप्त होगी। यदि उपवास करना चाहते हैं, तो यह 30 अगस्त को करना चाहिए। 31 अगस्त को भगवान $कृष्ण के जन्म के बाद आधी रात को अपना उपवास तोड़े। पूजा का समय 30 अगस्त को 11:59 बजे से 31 अगस्त को सुबह 12:44 बजे के बीच है। वहीं रोहिणी नक्षत्र का भी बहुत महत्व है। इस साल 30 अगस्त को यह सुबह 6:39 बजे शुरू होगा और 31 अगस्त को सुबह 9:44 बजे समाप्त होगा। जन्माष्टमी का महत्व – Janmashtami ka mahatva in hindi भक्त इस शुभ अवसर पर उपवास करके भगवान कृष्ण की प्रार्थना करते हैं। लोग अपने घरों को फूल, दीयों और रोशनी से सजाते हैं। मंदिरों को भी बड़ी खूबसूरती से सजाया जाता है। मथुरा और वृंदावन के मंदिर इस बात के साक्षी हैं। भक्त कृष्ण के जीवन की घटनाओं को फिर से बनाने और राधा के प्रति उनके प्रेम को मनाने के लिए रासलीला भी करते हैं। चूंकि भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था , इस समय कृष्ण की एक मूर्ति को नहलाया जाता है और पालने में रखा जाता है। जन्माष्टमी की कहानी – Janmashtami kyu manaya jata hai हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, दुष्ट राजा कंस ने मथुरा पर शासन किया। अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए उसने अपनी बहन का विवाह यदु राजा वसुदेव के साथ किया। शादी के बाद कंस ने शादी के बाद कंस ने नवविाहितों को उपहारों दिया, ताकि वह वसुदेव का विश्वास जीत सके। लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था। जब वह विवाह रथ की बागडोर संभालता है, तो स्वर्ग से एक आवाज आती है कि उसकी बहन की 8वीं संतान उसे समाप्त कर देगी। अपनी भविष्यवाणी के बारे में जानने के बाद कंस अपनी बहन और उसके पति को कारगार में भेज देता है। दरअसल, कंस देवकी को मारना चाहता था, लेकिन वासुदेव ने उससे वादा किया कि अगर वह देवकी की जान बख्स देगा तो वह अपने सभी 8 बच्चों को कंस को सौंप देगा। कंस सहमत हो गया और उसने एक-एक कर उन सभी छह बच्चों को मार डाला। 7वीं बार जब देवकी गर्भवती हुई तो उसकी 7वीं संतान को उसके गर्भ से वासुदेव की पहली पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया जाता है। और इस तरह देवकी और वासुदेव के 7वें बच्चे का जन्म हुआ। जब देवकी फिर से गर्भवती हुई , तो कंस फिर से उसके बच्चे को मारने के लिए तैयार था, लेकिन कृष्ण वास्तव में देवकी की 8वीं संतान थे। जब देवकी प्रसव पीड़ा में जा रही थी, तो भगवान विष्णु प्रकट हुए और बताया कि उनका आंठवा बच्चा स्वयं का अवतार है और वो कंस को मार देगा। बच्चे ने जन्म लिया और वासुदेव एक टोकरी में अपने पुत्र को लेकर महल से निकल गए। उन्होंने यमुना को पार करके कृष्ण को गोकुल में पहुंचाया और गोकुल के मुखिया नंद और उनकी यशोदा को सौंपा। इस तरह कृष्ण गोकुल में पले-बढ़े और अंत में अपने मामा कंस का वध कर दिया। जन्माष्टमी पर व्रत कैसे करें – Janmashtami fast importance, timing, food and vidhi द्रिकपंचांग के अनुसार, जन्माष्टमी से एक दिन पहले भक्तों को केवल एक ही भोजन करना चाहिए। उपवास के दिन भक्त एक दिन के उपवास का पालन करने के लिए संकल्प लेते हैं और अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टिमी तिथि समाप्त होने पर इसे तोड़ते हैं। संकल्प सुबह की रस्में पूरी करने के बाद लिया जाता है और दिनभर के उपवास की शुरूआत संकल्प से ही होती है। इस बात का ध्यान रखें कि जन्माष्टमी के व्रत में जब तक अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए , जब तक की अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत तोड़ा ना जाए। जन्माष्टमी की पूजा विधि – Janmashtami ki puja vidhi शुद्ध भक्ति और प्रार्थना की मंशा से भगवान प्रसन्न होते हैं। इसलिए भले ही एक विस्तृत प्रक्रिया का पालन न किया जाए, लेकिन पूजा एक विधि से करने से भगवान मनोकामना पूर्ण करते हैं। – सबसे पहले भगवान कृष्ण की मूर्ति रखें। – भगवान कृष्ण का आहवान करने के लिए अत्यंत भक्ति और शुद्ध मन , ह्दय शरीर और आत्मा के साथ प्रार्थना करें कि वह आपकी पूजा स्वीकार करें। – अब भगवान के पैरों को पानी से धोएं और अभिषेक करें। इसके लिए आप गंगाजल का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप चाहें, तो भगवान का स्नान करने के लिए दूध और पानी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। – भगवान की मूर्ति को पोंछने के लिए एक साफ कपड़ा लें और भगवान को नए कपड़े पहनाएं। – इसके बाद लड्डू गोपाल को मौली का धागा बांधें। आप चाहें, तो भगवान को जनेऊ का धागा भी बांध सकते हैं। – अब भगवान को चंदन लगाएं। उन्हें नए आभूषणों से सजाएं। – अब मूर्ति के सामने ताजा फूल रखें, अगरबत्ती जलाएं और भगवान से प्रार्थना करें। – भगवान का अहवान करें और भक्ति में डूब जाएं। – इाके बाद घर में बना हुआ प्रसाद या नेवैद्यम रख सकते हैं। – धूप अगरबत्ती जलाएं और

panna ratna e1599281393859

पन्‍ना रत्‍न पहनने के फायदे, विधि, पहचान और कीमत – Emerald Stone in India

अगर किसी व्‍यक्‍ति की कुंडली में बुध कमजोर है और उसे इसकी वजह से बुध से जुड़े क्षेत्रों में अच्‍छे परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं या बुध ग्रह जीवन में परेशानियां खड़ी कर रहा है तो आपको पन्‍ना स्‍टोन से पहनने से बहुत लाभ होगा। पन्‍ना रत्‍न को पहनने से व्‍यक्‍ति को कई तरह के सकारात्‍मक प्रभाव मिलते हैं। बुध ग्रह को बुद्धि का कारक माना गया है इसलिए इसके रत्‍न को धारण करने से जातक की बुद्धि में वृद्धि होती है। पन्ना रत्न पहनने के फायदे – Emerald stone benefits in Hindi अगर आपका बच्‍चा पढ़ाई में कमज़ोर है या उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता है या उसे पढ़ाई में ध्‍यान लगाने में दिक्‍कत आ रही है तो आप उसे पन्‍ना जरूर पहनाएं। इस रत्‍न को पहनने से छात्रों की बुद्धि और एकाग्रता क्षमता बढ़ती है। यह रत्‍न सीधा छात्रों की सीखने की क्षमता पर असर करता है और इसकी मदद से बच्‍चे परीक्षा में अच्‍छा प्रदर्शन दे पाते हैं। कला के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए यह उत्तम रत्‍न है। अगर आप संगीत, फैशन डिज़ाइनिंग, पेंटिंग और इंटीरियर डिज़ाइनिंग जैसे क्षेत्रों में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो पन्‍ना स्‍टोन इस काम में आपकी मदद कर सकता है। पन्‍ना पहनने से नए विचार मन में आते हैं। प्रतियोगिता में जीतने में भी यह रत्‍न मददगार है। यदि आप उन लोगों में से हैं जो अपने विचारों को ठीक तरह से व्‍यक्‍त नहीं कर पाते हैं, तो आपको भी बुध का एमरैल्‍ड स्‍टोन धारण करने से लाभ होगा। नेता, वक्‍ता, मैनेजर और टीम लीडर को पन्‍ना पहनने से जीवन में अपार सफलता मिलने के योग हैं। इस रत्‍न की सकारात्‍मक शक्‍तियां व्‍यक्‍ति में ऊर्जा को बढ़ाती हैं। नौकरी के लिए इंटरव्‍यू देने जा रहे हैं तो इस काम में भी पन्‍ना आपकी मदद कर सकता है। यह रत्‍न आपकी सफलता के द्वार खोलता है। वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार पन्‍ना स्‍टोन पहनने से जातक को अपने शत्रुओं और विरोधियों से सुरक्षा मिलती है। इस रत्‍न के शुभ प्रभाव से आपके विरोधी आपको नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं। व्‍यापारियों के लिए तो यह रत्‍न किसी चमत्‍कार से कम नहीं है। पन्‍ना पहनने से व्‍यापार में नुकसान उठाने और धोखाधड़ी की संभावना बहुत कम हो जाती है। चुनौतियों और मुश्किलों का सामना करने एवं विपरीत परिस्थि‍ति से बाहर निकलने में भी यह रत्‍न मदद करता है। जो लोग सही निर्णय नहीं ले पाते हैं या हमेशा असमंजस या उलझन में रहते हैं, उन्‍हें भी एमरैल्‍ड स्‍टोन पहनना चाहिए। इससे उनके विचारों में स्‍पष्‍टता आती है। धन की कमी या कर्ज से परेशान हैं तो आपको पन्‍ना असीम धन की प्राप्‍ति करवा सकता है। अर्थशास्‍त्र और गणित के अध्‍यापकों के लिए भी यह रत्‍न सफलता के मार्ग खोलता है। यदि आपके घर में कोई सदस्‍य लंबे समय से बीमारी पड़ा है या दवाएं भी उसकी हालत में सुधार नहीं ला पा रही हैं तो आप उन्‍हें पन्‍ना स्‍टोन पहनाएं। इस रत्‍न के प्रभाव से सभी प्रकार की व्‍याधियों को दूर किया जा सकता है। पन्‍ना पहनने से आंखों की रोशनी भी तेज होती है और आंखों को आराम मिलता है। पन्ना रत्न स्‍वास्‍थ्‍यवर्द्धक लाभ – Benefits of Panna ratna in Hindi पन्‍ना एवं हीलिंग पॉवर होती है। एलर्जी, सांस से संबंधित बीमारियों, त्‍वचा से जुड़ी परेशानियों और तंत्रिका विकारों से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति को पन्‍ना पहनने से लाभ होता है। यदि किसी व्‍यक्‍ति को बोलने में दिक्‍कत होती है या हकलाहट की समस्‍या है तो उसे भी पन्‍ना स्‍टोन पहनना चाहिए। यदि आपके घर में कोई सदस्‍य लंबे समय से बीमारी पड़ा है या दवाएं भी उसकी हालत में सुधार नहीं ला पा रही हैं तो आप उन्‍हें पन्‍ना स्‍टोन पहनाएं। इस रत्‍न के प्रभाव से सभी प्रकार की व्‍याधियों को दूर किया जा सकता है। पन्‍ना पहनने से आंखों की रोशनी भी तेज होती है और आंखों को आराम मिलता है। यह रत्‍न मानसिक विकारों को दूर करता है और धारणकर्ता को मानसिक रूप से स्थिर एवं मजबूत बनाता है। डिप्रेशन को भी इस स्‍टोन की मदद से दूर किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि यदि गर्भवती महिला की कमर पर पन्‍ना बांध दिया जाए तो उसका प्रसव आसानी से हो जाता है। कितने रत्ती का पन्‍ना पहनना चाहिए – Kitne ratti ka panna ratna pehnana chahiye इस रत्न को धारण करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रहे कि जो रत्न आप धारण करते हैं वो कम से कम तीन रत्ती का होना चाहिए। तीन रत्ती  से कम का पन्ना आप धारण ना करें, तीन रत्ती से अधिक का पन्ना आप पहन सकते हैं।  चूंकि, ये बुध देव का रत्‍न है इसलिए इसे बुधवार के दिन पहनना चाहिए। आपको पन्‍ना रत्‍न कितने रत्ती का पहनना चाहिए, ये जानने का सबसे आसान तरीका है कि आप अपने वजन को देखें। मान लीजिए आपका वजन 60 कि.ग्रा है, तो आपको 6 रत्ती को पन्‍ना पहनने से लाभ होगा। पन्ना रत्न किस धातु में पहने – Panna stone kis dhatu me pahne पन्‍ना यानी एमरैल्‍ड स्‍टोन को सोने या चांदी की धातु में पहनना सबसे ज्‍यादा लाभकारी होता है। इसे आप पंचधातु में भी जड़वाकर पहन सकते हैं। इसे तरह पहनें कि रत्‍न आपकी त्‍वचा पर स्‍पर्श हो रहा हो। धारण करने के बाद पन्‍ना कम से कम 45 दिनों के अंदर अपना प्रभाव देना शुरू करता है। इस स्‍टोन का प्रभाव अधिकतम 3 साल तक रहता है। पन्ना रत्न पहनने की विधि – Panna ratna dharan karne ke fayde पन्‍ना रत्‍न को शुक्‍ल पक्ष के या किसी भी बुधवार को पहन सकते हैं।  बुधवार की सुबह स्‍नान के बाद अपने घर के पूजन स्‍थल में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर के बैठ जाएं। अब गंगा जल या दूध में पन्‍ना रत्‍न को डुबो दें। इसके बाद 108 बार ‘ऊं बुं बुधाय नम:’ मंत्र का जाप करें और फिर धूप-दीप दें। अब पन्‍ना रत्‍न को निकालकर अनामिका अंगुली में धारण कर लें। पन्ना रत्न किसे पहनना चाहिए – Panna ratna kise dharan karna chahiye मिथुन और कन्‍या राशि का स्‍वामी ग्रह पन्‍ना है इसलिए इन दो राशियों के जातक एमरैल्‍ड स्‍टोन को पहन सकते हैं। इसके

Free shipping in All over India

On all orders

Easy 7 days returns

7 days money back guarantee

100% Genuine & Certified Products

Offered in the country of usage

100% Secure Checkout

PayPal / MasterCard / Visa