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मूंगा पहनने के क्या क्या फायदे होते हैं?

मूंगा पहनने के क्या क्या फायदे होते हैं? हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन हनुमान जी का दिन माना गया है।  यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल संबंधित कोई परेशानी हो तो उसे पंडित जी दुवारा सहला लेकर धारण करना चाहिए। माना जाता है कि मूंगा पहनने से व्यक्ति को कई सफलताएं मिलती है। साथ ही मूंगा पहनना से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलते है और इसे पहनने से बच्चों को नजर नहीं लगती एंव भूत-प्रेत व बाहरी हवा का दर खत्म हो जाता है। मूंगा धारण करने से साहस व आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है। जो मेडिकल क्षेत्र में है या जाने की तैयारी कर रहे है उन्हें मूंगा पहनने से अत्यन्त लाभ होगा। मूंगा कितने दिन में असर करता है? मूंगा रत्न का असर आपको 20 से 25 दिनों में दिखता है और आपकी राशि के हिसाब से भी प्रभाव पड़ता है। आपको इसका असर जल्दी भी दिख सकता है या इससे आदिक समय भी लग सकता है। तो ये आपकी राशि पर भी निर्भर करता है और कुछ मूंगा की क्वालिटी पर भी निर्भर करता है। जिसके मूंगा किस जहगा का है और ओरिजिनल है या नहीं तो इन सब चीज़ो का महत्वपूर्ण रूप से ध्यान रखें। मूंगा रत्न कौन पहन सकता है? मूंगा रत्न मेष, वृश्चिक राशि हो या लग्न हो एवं सिंह, धनु, मीन राशि हो वह लोग भी मूंगा धारण कर सकते हैं। मंगल का मित्र सूर्य है और सूर्य माणिक का गृह रत्न है। तो माणिक के साथ भी मूंगा पहना जा सकता है साथ ही मूंगा रत्न पुखराज, मोती के साथ भी पहन सकते हैं। मेष राशि वाले अपनी राशि रत्न की अंगूठी ख़रीदे – BUY NOW अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817  मूंगा की कीमत क्या है? मूंगा रत्न सबसे आदिक भूमध्य – सागर में पाया जाता है। इटैलियन और जापानी मूंगा सबसे आदिक पहनना जाता है। आये जानते है इनके कीमत क्या है। इटैलियन – इटैलियन मूंगा सबसे आदिक पहनना जाता है। इसका प्रभाव भी आपको जल्दी देखने को मिल जाता है और सभी मूंगा के मुकाबले इटैलियन मूंगा का प्रभाव आदिक होता है। किसकी कीमत की बात करे तो ये 3,499 – 18,000 तक मिल जाता है। आदिक जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करे – BUY NOW जापानी – जापानी मूंगा इटैलियन मूंगा के बाद सबसे आदिक पहनना जाता है। इसका प्रभाव इटैलियन मूंगा के हिसाब से देर में देखने को मिलता है और इसका प्रभाव इटैलियन मूंगा के हिसाब से कम होता है। किसकी कीमत की बात करे तो ये 2000 – 15000 तक मिल जाता है। अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817 मूंगा कितने रत्ती का धारण करना चाहिए? मूंगा रत्न आपको कितने रत्ती का पहनना चाहिए कम से कम आपको 5.25 रत्ती का पहनना चाहिए। आपको जल्दी और अच्छे प्रभाव के लिए अपने वजन के अनुसार रत्न धारण करने चाहिए जिसे आपका वजन 50 से 60 के बीच है तो आपको 5.25 रत्ती का पहनना चाहिए अगर 60 से 70 के बीच है तो 6.25 रत्ती का पहनना चाहिए इस प्रकार आपको सभी रत्न धारण करने चाहिए। मूंगा कौन सी धातु में पहनना चाहिए? मंगल का रत्न मूंगा सोने या लाल तांबे में पहनना चाहिए और ये आप की कुंडली और राशि पर भी निर्भर करता है। तो आदिक ध्यान रखे की मूंगा रत्न धारण करने से पहले पंडित जी से सहला जरूर करे उसके बाद बताये गए धातु में धारण करे। आदिक जानकारी के लिए इस नंबर पर संपर्क करे – 9354299817 मूंगा रत्न कहा मिलता है अंग्रेजी में मूंगा को कोरल भी कहते हैं। मूंगा का रैड कोरल सबसे ज्‍यादा प्रसिद्ध और लाभकारी माना जाता है। मोती की तरह मूंगा भी समुद्र में पाया जाता है। मूंगा रत्न का उपरत्न मूंगा का उपरत्न लाल तामड़ा और लालओनैक्स है। अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817

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ओपल पहनने से क्या होता है?

ओपल पहनने से क्या होता है? ओपल आँखों से सम्बंधित रोग, मानसिक तनाव , आलस्य, लाल रक्त कणिकाओं से सम्बन्धित रोगों से छुटकारा दिलाता है। यौन (सेक्सुअल) शक्ति को विकसित करता है, क्योंकि यह शुक्र ग्रह का स्वामी है और शुक्र वीर्य का स्वामी है। यह आपकी शारीरिक कमजोरी को दूर करने में मदद करता है।   ओपल रत्न पहनने से क्या फायदा है? ओपल अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य, सेहत, प्रेम, स्नेह और विपरीत लिंग संबंधों को मजबूत करने के लिए धारण किया जाता हैं। धन की देवी लक्ष्मी जी को खुश करने के लिए भी ओपल रत्न को धारण किया जाता हैं। एक गुलाबी ओपल सिरदर्द को ठीक करने में मदद करता है और ओपल आपके जीवन में शुक – समर्हिदी प्राप्त करता है। कला और कलाकारी में बेहतर करने में भी आपकी मदद करता है और जीवन की कठिन परिस्थितियों से निपटने में सहायता करता है। इंडोक्रानइ सिस्‍टम और हारमोनल डिस्‍ऑर्डर से लाभ पाने के लिए भी ओपल धारण करते हैं। ओपल रत्न कौन पहन सकता है? ओपल रत्न शास्त्र के अनुसार वृषभ और तुला राशि के लोग धारण कर सकते हैं। उनके लिए ओपल धारण करना अति उत्तम माना जाता है। इनके अलावा मकर, कुंभ, मिथुन और कन्या राशि के व्यक्ति पंडित जी से सहला लेकर इस रत्न को धारण कर सकते हैं। वृषभ राशि वाले अपनी राशि रत्न की अंगूठी ख़रीदे – BUY NOW तुला राशि वाले अपनी राशि रत्न की अंगूठी ख़रीदे – BUY NOW अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817 ओपल कितने दिन में असर दिखाता है? ओपल रत्न का असर आपको 20 से 25 दिनों में दिखता है और आपकी राशि के अनुसार भी प्रभाव पड़ता है। आपको इसका असर जल्दी भी दिख सकता है या इससे जादा समय भी लग सकता है। तो ये आपकी राशि पर भी निर्भर करता है और कुछ ओपल की क्वालिटी पर भी निर्भर करता है , ओपल किस जाहगा का है और ओरिजिनल है या नहीं तो इन सब चीज़ो का महत्वपूर्ण रूप से ध्यान रखें। ओपल रत्न कब और कैसे पहने? ओपल रत्न किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन पहनना जादा ठीक रहता है। इसे पहनने से पहले इस रत्न की अंगूठी को कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए। फिर आपको इसे धारण करना चाहिए। ओपल कौन सी उंगली में पहने? ओपल रत्न तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर) में धारण करना चाहिए। ध्यान रखें बाएं हाथ वाले लोगों के लिए बाएं हाथ और दाएं हाथ वाले लोगों के लिए दायां हाथ में पहना जाता है। ओपल रत्न को शुक्ल पक्ष के दौरान शुक्रवार सुबह 12 बजे से पहले पहन लेना चाहिए। इसे प्रकार धारण करना चाहिए।  ओपल रत्न की कीमत क्या है? ओपल ऑस्ट्रेलिया , इथियोपिया , टर्की  में पाया जाता है। आये जानते है किस ओपल का कितना महत्व है और क्या कीमत है। ऑस्ट्रेलिया – ऑस्ट्रेलिया ओपल सबसे आदिक पहनना जाता है। ऑस्ट्रेलिया ओपल का असर आपको काफी जल्दी मिल जाता है और सभी ओपल के मुकाबले किसका प्रभाव आदिक होता है। किसकी कीमत की बात करे तो ये 5,999.00 – 18,000 तक मिल जाता है।  इथियोपिया – ये ऑस्ट्रेलिया ओपल के बाद सबसे आदिक पहनना जाता है अगर आपका बजट कम है तो आप इससे धारण कर सकते है।  इसका असर आपको थोड़ा धीरे देखने को मिलता है। इसका प्रभाव ऑस्ट्रेलिया ओपल से कुछ मात्र कम होता है। किसकी कीमत की बात करे तो ये 2,500 – 15,000 तक मिल जाता है। टर्की  – टर्की ओपल को लोगो ज्यादा इसलिए नहीं धारण करते सभी ओपल के मुकाबले इसका असर काफी धीरे और कम प्रभाव देखने को मिलता है। किसकी कीमत की बात करे तो ये 4,500 – 25,000 तक मिल जाता है। आदिक जानकारी के लिए इस नंबर पर संपर्क करे – 9354299817  असली ओपल की पहचान क्या है? आये जानते है एक असली ओपल स्टोन में अजीबो गरीब परछाई दिखाई देती है जब उस पर रोसनी पड़ती है। आपल स्टोन हमेशा अपरदर्शी होता है जब उस पर प्रकाश डाला जाता है तो उसका एक गहरा रंग में रोशनी बाहर आती है और ओपल ख़रीदते समय ओपल का ओरिजिनालिटी का सर्टिफिकेट गोवेर्मेंट अप्रूवल जरूर ले। BUY NOW

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राहु और केतु क्या है?

राहु और केतु क्या है? राहु और केतु को ज्योतिष के अनुसार छाया ग्रह कहा जाता है। ये दोनों ग्रह एक ही राक्षस के शरीर से जन्मे हैं। राक्षस के सिर वाला भाग राहु कहलाता है, जबकि धड़ वाला भाग केतु। कुछ ज्योतिष इन्हें रहस्यवादी ग्रह मानते हैं। यदि किसी की कुंडली में राहू और केतु गलत स्थान पर हों तो उसके जीवन में  बड़ा संकट ला देते हैं। लेकिन ये दोनों ग्रह अच्छी जगह बैठे हों तो मालामाल कर देते हैं। ये इतने प्रभावशाली हैं कि सूर्य और चन्द्रमा पर ग्रहण भी इनके कारण ही लगता है। राहु-केतु के लक्षण? यदि कोई व्‍यक्ति जादू-टोने के चक्‍कर में पड़ जाए तो यह भी राहु – केतु  के खराब होने के कारण होता है। रात में नींद न आना, हर समय चिंता में, बेचैनी में जीना, डरावने सपने आना, कोई भी फ़ैसला न ले पाना राहु – केतु  के खराब होने का इशारा है और पानी, आग और ऊंचाई से डरना, बार-बार बीमार होना, परेशान रहना , असफलताओं का पीछा न छोड़ना भी खराब राहु – केतु  का लक्षण है। घर के पत्‍थरों, कांच के अचानक चटकने की घटनाएं होना। बेवजह लोगों से दुश्‍मनी होना, लोगों के साथ धोखेबाजी करना, उनके खिलाफ शाहजिस करने की बातें सोचना भी खराब राहु करवाता है। गंदे नाखून रखना, गंदगी से रहना राहु के निर्बल होने का इशारा है और खराब राहु कई महिलाओं से संबंध बनवाता है , धन हानि कराता है। राहु का कमजोर होना जीवन में दुर्घटनाएं खड़ी करता है। राहु केतु के प्रभाव से क्या होता है? ज्योतिष में राहु-केतु को छाया ग्रह माना गया है। बता दें कि किसी भी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के कारण ही कालसर्प योग का निर्माण होता है। मान्यता यह भी है कि राहु-केतु की स्थिति व्यक्ति के पक्ष में न होने से उसका जीवन में बहुत परेशानियां आ जाती हैं। केतु खराब होने से क्या होता है? केतु खराब होने से शरीर की नसों में कमजोरी आ जाती है। केतु के बुरे प्रभाव से चर्म रोग , अक्सर खांसी की समस्या होना , बुरी आदतें लगना , रीढ़ की हड्डी में किसी न किसी तरह की समस्या होना या सुनने की क्षमता कम होना या कान, रीढ़, घुटने, लिंग, जोड़ आदि में समस्या उत्पन्न हो जाती है ये केतु के बुरे प्रभाव।  राहु खराब होने से क्या होता है? राहु खराब हो तो घर की देहरी दब जाती है या खराब हो जाती है। वहीं घर की सीढ़ियों का गलत दिशा में बनना या टूटा-फूटा रहना राहु दोष पैदा करता है। यदि किसकी कुंडली में राहु का बुरा प्रभाव हो तो व्यक्ति नशे की लत में पड़ जाता है। व्‍यक्ति बात-बात पर चिड़चिड़ाता लगता है , साथ ही ऐसे लोग हमेशा अपना रोना ही रोते हैं और भविष्‍य को लेकर बुरी तरह उदासीन हो जाते हैं। घर में बॉशरूम-टॉयलेट का गंदा या टूटा-फूटा रहना राहु को खराब करता है। इसलिए इस मामले में सावधानी बरतें। राहु केतु को कैसे शांत करें? राहु – केतु को शांत करने के लिए ये 5 चीज़ करे। साथ ही गोमेद रत्न धारण करे ये रत्न राहु – केतु को शांत करने में सहायता करगा। अधिक जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करे – गोमेद रत्न के खरीदें अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817 मां दुर्गा की करें पूजा मां दुर्गा को छायारूपेण कहा जाता है। राहु-केतु छाया ग्रह हैं। इस लिए राहु-केतु के बुरे प्रभावों के बचने के लिए माता दुर्गा की पूजा-अर्चना करनी चाहिए जिससे की राहु – केतु शांत रहे। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा राहु-केतु के बुरे प्रभावों से बचने के लिए नाग पर नाचते हुए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए। साथ ही मंत्र (ओम नमः भगवते वासुदेवाय) का जाप करें। इन मंत्रों का करें जाप राहु-केतु से जुड़ी समस्या से बचने के लिए उनके बीज मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे जीवन की परेशानियां कम होती हैं। राहु का बीज मंत्र – ऊं भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः केतु का बीज मंत्र – ऊं स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः  शनिवार को करें पूजा राहु-केतु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए 18 शनिवार उनकी पूजा करें। वहीं रत्न गोमेद और लहसुनिया का दान करना चाहिए। इन चीजों का करें दान राहु ग्रह से जुड़ी समस्या से बचने के लिए सरसों, सिक्का, सात प्रकार के अनाज दान करना चाहिए। वहीं केतु के लिए केला, तिल के बीज, काला कंबल दान करना लाभकारी है। राहु को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए? राहु को खुश करने के लिए इन सब चीज़ो का विश्वास ध्यान रखे। ॐ रां राहवे नमः प्रतिदिन एक माला जप करें। दुर्गा चालीसा का पाठ करें। पक्षियों को रोजाना बाजरा खिलाएं। शिवलिंग को जल दे। एक नारियल 11 साबुत बादाम काले कपड़े में बांधकर बहते पानी में भाह दे। मासा और शराब का सेवन बिल्कुल ना करें। केतु के लिए क्या दान करना चाहिए? राहु केतु को शांत करने के लिए इन चीज़ो का दान करे। राहु ग्रह से जुड़ी समस्या से बचने के लिए सरसों, सिक्का, सात प्रकार के अनाज दान करना चाहिए। वहीं केतु के लिए केला, तिल के बीज, काला कंबल दान करना लाभकारी है। केतु कितने साल की होती है? केतु की महादशा 7 साल की होती है और अंतरदशा 11 महीने से सवा साल तक की होती है। केतु की महादशा बुध और शुक्र के बीच में आती है, यानी पहले बुध की महादशा होती है, फिर केतु के सात साल और बाद में शुक्र के बीस साल। केतु-7 वर्ष, शुक्र 20 वर्ष, सूर्य 6वर्ष, चन्द्र 10वर्ष, मंगल 7वर्ष, राहू 18 वर्ष, गुरु 16 वर्ष, शनि 19वर्ष, बुध 17 वर्ष दशा चक्र में होते हैं इस प्रकार कुल विशोतरी दशा चक्र 120 वर्ष का होता है । राहु की महादशा में किसकी पूजा करनी चाहिए? राहु-ग्रह शिव जी के परम भक्त हैं। इसलिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। सोमवार के दिन व्रत रखे एवं सच्चे मन से शिव जी की आराधना करनी चाहिए। शिव जी के सामने दीपक जले , एवं शिव जी को सफेद खीर, मावे की मिठाई और दूध से बना प्रसाद चढ़ाए

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2 मुखी रुद्राक्ष पहनने से क्या होता है?

2 मुखी रुद्राक्ष पहनने से क्या होता है? दो मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव और मां पार्वती का रूप माना जाता है। दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को लाभ, शांति,धन, सुख, मकान, संपत्ति, शिक्षा, ज्ञान साथ ही मोक्ष प्राप्त होता है। दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले लोग समाज में पसंद किए जाते है और साथ ही उन्हे समाज मे सम्मान मिलता है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है। दो मुखी रुद्राक्ष को शिव शक्ति का स्वरूप माना गया है, इसलिए इस रुद्राक्ष को धारण करने से प्रेम बढ़ता है, दांपत्य सुख की प्राप्ति होती है और व्यक्ति अच्छा खुशाल जीवन जीता है। माना गया है अगर कोई गर्भवती स्त्री 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करती है, तो गर्भावस्था में उस स्त्री को किसी की भी बुरी नजर नहीं लगती है।बुरी – बाला से बचाता है और गर्भ में पल रहे बच्चे की भी सुरक्षा रहती है और सभी पापों को खत्म करता है और इसको धारण करने से सभी देवी,देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। BUY NOW दो मुखी रुद्राक्ष कौन पहन सकता है? दो मुखी रुद्राक्ष का संबंध चंद्र से है। चंद्र से जुड़ी समस्त दोषों को खत्म करने के लिए दो मुखी रुद्राक्ष धारण किया जाता है। इस ग्रह की अशुभ दशा में व्यक्ति को गंभीर शारीरिक रोगों का सामना करना पड़ता है। मुख्य रूप से गुर्दे और आंख के रोग होते हैं। पारिवारिक संबंधों की मधुरता भी जाती रहती है। अगर चंद्रमा और शुक्र अपनी दशा में बुरे प्रभाव दे रहे हैं तो, दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से इन ग्रहों के बुरे एवं दुष्प्रभाव दूर करने में भी मदद करता है। इन ग्रहों की बुरी दशा में दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से कष्टों का निवारण होता है। दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं और किसी भी तरह की चोट लगना एक्सीडेंट होने से भी बचाव होता है। 2 मुखी रुद्राक्ष को कैसे पहचाने? 2 मुखी रुद्राक्ष बादाम जैसे आकर का होता है और इस पर 2 धारियाँ होती है। रुद्राक्ष को पानी में डालने से वह डूब जाता है इस प्रकार आप पहचान कर सकते है 2 मुखी रुद्राक्ष की। 2 मुखी रुद्राक्ष का कीमत क्या है? असली 2 मुखी रुद्राक्ष की कीमत आपको 3500 से 4000 तक मिल जाता है अगर आप हमरी वेब साइट से खरीदते है तो आपको 2 मुखी रुद्राक्ष 1,450.00 का मिल जाता है। 100 % ओरिजिनल साथ ही गोवेर्मेंट अप्रूवल सर्टिफिकेट लैब टेस्टेड। 2 मुखी रुद्राक्ष खरीदने के लिए लिंक पर क्लिक करे – BUY NOW अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817 असली रुद्राक्ष कहाँ मिलेगा? असली रुद्राक्ष आपको हमारी वेब साइट मिल जाता है वो भी अच्छे कीमत में 100 % ओरिजिनल साथ ही गोवेर्मेंट अप्रूवल सर्टिफिकेट लैब टेस्टेड। BUY NOW

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4 मुखी रुद्राक्ष पहनने से क्या होता है?

4 मुखी रुद्राक्ष पहनने से क्या होता है? चार मुखी रुद्राक्ष मानसिक रोगो कम करने में आपकी मदद करता है। तथा धारण करने वाले का स्वास्थ्य ठीक रहता है। इसे धारण करने से नर हत्या का पाप दूर होता है और इसे धारण करने से छात्रों की एकाग्रता मजबूत होती है साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में शुभ फल प्राप्त होता है। यह न केवल एकाग्रता बल्कि बुद्धि के विकास के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है। अग्नि पुराण में इसके बारे में लिखा है कि इसको धारण करने से व्याभिचारी भी ब्रह्राचारी तथा नास्तिक भी आस्तिक हो जाता है। चार मुखी रुद्राक्ष अपने विभिन्न लाभकारी प्रभावों के लिए जाना जाता है जैसे कि थायरॉयड ग्रंथि के कामकाज को विनियमित करने और प्रतिरक्षा में सुधार। 4 मुखी रुद्राक्ष किसका प्रतीक है? 4 मुखी रुद्राक्ष साक्षात् चतुरानन ब्रह्मस्वरूप है। इसको धारण करने पर ब्रह्माजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसे धारण करने वाले को धन प्राप्त होता है और वेपर में टर्की हासिल होती है साथ ही यह रुद्राक्ष बुध का प्रतीक माना जाता है। 4 मुखी रुद्राक्ष की कीमत क्या है? असली 4 मुखी रुद्राक्ष की कीमत आपको 3500 से 4000 तक मिल जाता है अगर आप हमरी वेब साइट से खरीदते है तो आपको 4 मुखी रुद्राक्ष 1,495.00 का मिल जाता है। 100 % ओरिजिनल साथ ही गोवेर्मेंट अप्रूवल लैब टेस्टेड सर्टिफिकेट। 4 मुखी रुद्राक्ष खरीदने के लिए लिंक पर क्लिक करे – BUY NOW अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817 4 मुखी रुद्राक्ष कहां पाया जाता है? रुद्राक्ष नेपाल में पाए जाते है। नेपाल में सबसे बड़े आकार का रुद्राक्ष पैदा होता है तथा यहां के रुद्राक्ष दुर्लभ और अच्छी क्वालिटी के होते हैं। नेपाल में रुद्राक्ष हिमालय के पहाड़ों पर पाए जाते है और इसकेअलावा नेपाल में रुद्राक्ष के पेड़ धरान, ढीगला आदि स्थानों में भी हैं। 14mm – से – 22mm तक के रुद्राक्ष नेपाल में पाए जाते है। जो रुद्राक्ष माला बनाने में इस्तमाल होते है वो रुद्राक्ष इंडोनेशिया में पाए जाते है। BUY NOW

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3 मुखी रुद्राक्ष पहनने से क्या होता है?

3 मुखी रुद्राक्ष पहनने से क्या होता है? 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करने के आनेक फायदे है। जिसे स्त्री हत्या जैसे पापों से भी मुक्ति मिलती है , 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढता हैं और मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है। यह तनाव से मुक्ति और सफलता पाने में मदद करता है साथ ही यह उन सभी नकारात्मक यादों को मिटाने में मदद करता है जो आपको शर्म और गुस्से से भर देती हैं , पेट की सभी प्रकार की समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। यह जीवन पर मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव आपकी रक्षा करता है साथ ही भूमि विवाद , दुर्घटना और भय जैसी समस्याओं को दूर करने में आपकी मदद करता है। 3 मुखी रुद्राक्ष कौन पहन सकता है? मेष और वृश्चिक राशि के लोगो के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष बहुत ही शुभ और लाभकारी माना जाया हैं। यदि आपकी कुंडली में मंगल कमजोर हो या अस्त हो, तो 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से आपका यह दोष दूर हो जाता हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तीन मुखी रुद्राक्ष का स्वामी मंगल होता है इसलिए मंगल को परशान करने के लिए 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। 3 मुखी रुद्राक्ष किसका प्रतीक है? तीन मुखी रुद्राक्ष साक्षात् अग्नि देव का प्रतीक माना जाया है, इसको धारण करने पर अग्निदेव सदा प्रसन्न रहते हैं। इसे धारण करने से ओज और उर्जा में वृद्धि होती है। यह जाने-अनजाने में पूर्व में हुए तमाम पापों का नाश करता है। 3 मुखी रुद्राक्ष कब धारण करें? तीन मुखी रुद्राक्ष को सावन मास में सोमवार, अमावस्या या पूर्णिमा तिथि के दिन शिव मंत्र से अभिमंत्रित कर धारण करें। 3 मुखी रुद्राक्ष को कैसे धारण करें? रुद्राक्ष को पहले शुद्ध जल से स्नान कराये। फिर पंचामृत (दूध-दही-शहद-घी-गंगाजल) के मिश्रण से स्नान कराने के बाद अंत में गंगाजल से स्नान कराये। घर के पूजा स्थल या किसी शिव मंदिर में गाय के घी का दीपक जलाकर बैठे। चंदन से तिलक कर तीन मुखी रूद्राक्ष को लाल कपडा बिछाकर पूजास्थल पर अपने सामने रखें। पूजा करने के बाद इस मंत्र का जप 108 बार करें। मंत्र- “ॐ क्लीम नमः” मंत्र जप के बाद महादेव का ध्यान करते हुए दीपक की लौं के ऊपर से रुद्राक्ष को 21 बार छुआए और मन ही मन ॐ नमः शिवाय का जप करते हुए धारण कर लें। 3 मुखी रुद्राक्ष कितने रुपए का आता है? असली 3 मुखी रुद्राक्ष की कीमत आपको 2000 से 2500 तक के बीच मिल जाता है अगर आप हमारी वेब साइट से खरीदते है तो आपको 3 मुखी रुद्राक्ष 1,499.00 का मिल जाता है। 100 % ओरिजिनल साथ ही गोवेर्मेंट अप्रूवल सर्टिफिकेट लैब टेस्टेड। 3 मुखी रुद्राक्ष खरीदने के लिए लिंक पर क्लिक करे – BUY NOW अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817 असली रुद्राक्ष कहाँ मिलेगा? असली रुद्राक्ष दक्षिण भारत में नीलगिरी , मैसूर तथा अन्नामलै क्षेत्रों पाए जाने वाले वृक्ष मजबूत और आदिक बड़े , मोटे होते हैं। इन वृक्षों में 2 से लेकर 11 मुखी तक रुद्राक्ष उत्पन्न होते हैं साथ ही दक्षिण भारत में काजू दाना एकमुखी रुद्राक्ष पाया जाता है। एकमुखी असली नेपाली गोल दाना नायाब होता है। आप इसे आसानी से जीवन मंत्र से प्राप्त कर सकते है। लिंक पर क्लिक कर अपना 3 मुखी रुद्राक्ष आर्डर करे – BUY NOW

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1 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से क्या होता है?

1 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से क्या होता है? एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्‍य अपने आप को ईश्‍वर से जुड़ा हुआ महसूस करता है। ये रुद्राक्ष परम शिव की शक्‍ति का कारक है जो कि जीवन और मृत्‍यु के चक्र से मुक्‍ति दिलाता है। इसके साथ ही एक मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति के जीवन में अंधकार को दूर करता है और उसमें प्रकाश लाता है। इसके अलावा इसे पहनने से व्यक्ति के भाग्य के द्वार खुलते हैं। इसे मोक्ष प्राप्‍ति का सबसे सरल साधन कहा जा सकता है। एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से आध्‍यात्‍मिक कार्यों में रूचि बढ़ती है। साथ ही व्यक्ति मोह माया के जाल से ऊपर उठ जाता है और धारण करने वाले को जीवन में ख़ुशी वे सुखों – शांति प्रा‍प्‍ति होती है। एक मुखी रुद्राक्ष कौन पहन सकता है? यदि कुंडली में सूर्य कमज़ोर हो या सूर्ये स्थित हो तो एक मुखी रुद्राक्ष का धारण करना चाहिए। इसके अलवा किसी निर्दय ग्रह की दशा या अंतर्दशा चल रही है तो भी 1 मुखी रुद्राक्ष को धारण कर सकते है। इसको धारण करने से सूर्य के बुरा प्रभाव दूर हो जाते हैं। अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817 1 मुखी रुद्राक्ष की कीमत कितनी होती है? असली रुद्राक्ष की कीमत आपको 4,000 तक मिल जाता है अगर आप हमरी वेब साइट से खरीदते है तो आपको 1 मुखी रुद्राक्ष 1,899.00 के मिल जाता है। 100 % ओरिजिनल साथ ही गोवेर्मेंट अप्रूवल सर्टिफिकेट लैब टेस्टेड। 1 मुखी रुद्राक्ष खरीदने के लिए लिंक पर क्लिक करे – https://jeewanmantra.com/shop/astro-mantra/rudraksha/ek-mukhi-rudraksha/?cgkit_search_word=1%20mukhi अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817 रुद्राक्ष पहनने के बाद क्या नहीं करना चाहिए? रुद्राक्ष धारण करने वालों को मांस – शराब या अन्य किसी भी प्रकार से जुड़ी नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। एक महत्वपूर्ण बात का विशेष ध्यान रखे कि रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट पर पहनकर नहीं जाये। इसके अलावा नवजात के जन्म के दौरान या जहां नवजात शिशु का जन्म होता है वहां भी रुद्राक्ष धारण करके ना जायेऔर महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। एक मुखी रुद्राक्ष की पहचान कैसे होती है? 1 मुखी रुद्राक्ष की पहचान अच्छे से करनी के लिए गर्म पानी में रुद्राक्ष को उबालें। अगर वह अपना रंग छोड़ने लगे तो वह रुद्राक्ष असली नहीं है। साथ ही रुद्राक्ष की पहचान का दूसरा तरीका है रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डालें यदि वह पहले रंग से अधिक गहरा रंग प्रतीत हो तो वह असली है अन्यथा रंग में फर्क ना होतो वह रुद्राक्ष असली नहीं है।

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पन्ना रत्न किसको धारण करना चाहिए

ज्योतिष के अनुसार इस रत्न को बुध के लिए अच्छा माना गया है , पन्ना को अंग्रजी भाषा में एमराल्ड कहा जाता है , यह रत्न बुध का ही एक हिस्सा है इसमें इस ग्रह के गुण होते हैं , ज्योतिष के अनुसार पन्ना बुध ग्रह को परसन करता है और मजबूत बनाता है, इस रत्न में हरे रंग की चमक होती है। इसे धारण करने से कुंडली में जो भी दिक्कत परेशानी है वह कम हो जाता है। इसके अलावा पन्ना रत्न अच्छे भविष्य को मजबूत करता है, ज्ञान को बढ़ाता है और मुश्किलों को कम करता है। बुध ग्रह व्यापार, संचार, अंतर्ज्ञान, शिक्षा और बुद्धि का ग्रह है। यह एक ऐसा ग्रह है जो प्रेम और रिश्तो को मजबूत बनाता है, यदि एक प्रेमी जोड़ा एक-दूसरे को यह रत्न गिफ्ट करते हैं तो उनके बिच प्रेम ओर भी बढ़ जाता है, यह भी माना जाता है की अगर पन्ना रत्न गर्भवती महिला की कमर पर बांध दिया जाए तो डिलीवरी के समय दर्द से आराम मिलता है। क्या मेष लग्न/मेष राशि के जातक पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं? मेष राशि वालो को पन्ना रत्न नहीं पहनना चाहिए क्योंकि यह उनके लिए अशुभ माना जाता है। मेष राशि का स्वामी मंगल होता है इसलिए बुध के साथ संगठन नहीं होता है, दूसरा इस लग्न में बुध भाई-बहनों के साथ संबंध और रोगों, कर्ज और शत्रुओं के छठे भाव का स्वामी होता है। पन्ना रत्न पहने की तभी सोचिए जब आपके जीवन में बुध का भाव चल रहा हो या बुध तीसरे, सातवें, दसवें भाव में स्थित हो। मेष राशि वाले लोगो को पन्ना तब धारण करना चाहिए जब बुध छठे भाव में हो या आपके जीवन में नकारात्मक परिस्थति उत्पन हो रही हो। पन्ना रत्न धारण करने से पहले पंडत जी से सहला लें – सहला लेना के लिए संपर्क करे – 9354299817 और बुध की महादशा ख़तम होने के बाद पन्ना रत्न को उतार दे। क्या वृष लग्न/वृषभ राशि के जातक पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं? वृषभ राशि के लिए बुध एक बहुत महत्वपूर्ण और शुभ ग्रह है यह लग्नेश शुक्र का मित्र है और इसे वृषभ राशि में शक्ति और शुभ भावो का स्वामी माना गया है, वृषभ राशि का स्वामी बुध दूसरे भाव में होता है। धन, बैंक बैलेंस, वाणी, घरेलू वातावरण और उच्च ज्ञान,सट्टे में लाभ, वार्ता और मंत्रों के कारण पाचवे भाव का स्वामी बन जाता है। जिन लोगो का बुध पहले, दूसरे, पांचवे, नोवे और दसवे भाव में हो उनको पन्ना रत्न जीवनभर धारण करना चाहिए, पर जिन लोगो का बुध पांचवे भाव को छोड़कर अन्य घरो में बुध-शुक्र का योग हो उन्हें पन्ना और हीरा दोनों एक ही अंगूठी में पहनने चाहिएं। पन्ना रत्न धारण करने से धन का प्रभाव बढ़ जाता है, करियर में तरक्की मिलती है और समाज में इज़ात मिलने लगती है। क्या मिथुन लग्न/मिथुना राशि के जातक पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं? इस लग्न के लिए बुध एक प्रबल ग्रह है। पन्ना रत्न धारण करने से बुध को बल प्राप्त होता है और यह इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दो चतुर्थांश भावों के कारण केंद्राधिपति दोष से पीड़ित होता है। इस राशि के लिए बुध एक महत्वपूर्ण ग्रह है और मिथुन राशि वाले लोगो के लिए पन्ना जन्म का जरूरी रत्न है क्योंकि यह राशि बुध द्वारा शासित की जाती है। मिथुन राशि का प्रथम स्वामी बुध होता है और जीवन को 40-50 % नियंत्रित करता है। यह धन, सुख, भूमि, वाहन आदि को नियंत्रित करता है और प्रथम भाव का स्वामी होता है। मिथुन राशि के लिए बुध एक प्रभावी ग्रह है। पन्ना रत्न धारण करने से बुध को बल मिलता है और जिन व्यक्तियों का बुध प्रथम, चतुर्थ भाव, पंचम, नौंवे या ग्यारवेह भाव में स्थित हो उन्हें जीवनभर पन्ना रत्न धारण रखना चाहिए। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में बुध सूर्य द्वारा शांत हो जाता है या आठवे भाव में होता है तो उन्हें अपने दाहिनी हाथ पर टेप या किसी कपडे की मदद से बांधकर 3 दिनों तक रत्न को धारण करना चाहिए। यदि आपको कोई बुरा प्रभाव या कोई बुरा सपना न आये तो आप पन्ना रत्न धारण कर सकते हो। यदि आपको इससे प्रभाव या कोई बदलाव नहीं देखता है तो आप पन्ना रत्न की अंगूठी या लॉकेट धारण करिए। पन्ना रत्न पहनने से आत्मविश्वास, स्वास्थ्य , भूमि, भवन और सुख से संबंधित मामलों में सफलता मिलती है। क्या कर्क लग्न/कर्क राशि के जातक पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं? कर्क राशि वालो के लिए बुध महत्वपूर्ण ग्रह नहीं है क्योंकि ये तीसरे भाव का स्वामी होता है जिसकी वज़ह से कम दुरी की यात्रा नहीं करता और भाई – बहनों के संबंधों में अर्चन लाता है और बारहवे भाव का स्वामी होने के कारण नींद ना आना , पैसो की हानि और बुरी आदतों की लत्त लत जाती है। कर्क राशि के लोगों को पन्ना रत्न तब पहनना चाहिए जब बुध कुंडली के प्रथम, तीसरे, चौथे, सातवे या ग्यारवेह भाव में स्थित हो। सिंह लग्न/सिंह राशि कर सकते हैं व्यक्ति पन्ना रत्न पहनते हैं सिंह राशि में बुध ग्यारवेह ग्रह का स्वामी होता है जो की धन प्राप्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह बैंक बैलेंस , धन , घरेलू वातावरण , वाणी को प्रभवित करता है। अगर बुध दूसरे, चौथे, पांचवे, सातवे, नौंवे, दसवे या ग्यारवेह भाव में हो तो पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं। पन्ना पहने से धन में लाभ, शक्ति में वृद्धि और समाज में इजात प्राप्त होती है। क्या कन्या लग्न/कन्या राशि के जातक पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं? कन्या राशि में बुध स्वयं स्वामी बन जाता ओर इस राशि के लिए सबसे महत्वपूर्ण ग्रह होता है। कन्या राशि वाले व्यक्ति के जीवन में बुध सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है क्योंकि यह जीवन की 40 – 50% कार्यों को प्रभावित करता है। इस राशि में बुध पहले भाव का स्वामी और करियर का दसवां चतुर्थांश भाव का स्वामी होता है। जिन व्यक्तियों का बुध प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, नौंवे दसवे या ग्यारवेह भाव में स्थित हो, उन्हें जीवनभर पन्ना रत्न धारण करना चाहिए। क्या तुला लग्न/तुला राशि के जातक पन्ना

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धन समृद्धि का त्योहार है धनतेरस, जानिए 2021 में क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

धनतेरस त्योहार क्या है और क्यों मनाया जाता है? – Why we celebrate dhanteras festival in Hindi कार्तिक के महीने में मनाई जाने वाली धनतेरस एक त्योहार है, जो दिवाली की शुरूआत का प्रतीक है। इस साल 2 नवंबर को धनतेरस मनाई जाएगी। जिसे धन त्रयोदयशी या धनवंतरि त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। देवी लक्ष्मी, भगवान यम, कुबेर, और भगवान धनवंतरि के लिए इस त्योहार का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इनकी पूजा करने से भक्तों को धन समृद्धि में वृद्धि होती है। धनतेरस क्यों मनाया जाता है – Dhanteras kyon manaya jata hai हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, धनतेरस समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरि की पूजा करने के लिए मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दौरान भगवान धनवंतरि एक अमृत पात्र के साथ समुद्र मंथन से निकले थे। भगवान धनवंतरि और अमृत का आर्शीवाद के लिए भक्त उत्साह के साथ उनकी पूजा करते हैं। धनतेरस का महत्व क्या है, बताएं इन हिंदी – Dhanteras ka mahatva kya hai, btaye in Hindi ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी भगवान कुबेर के साथ आती हैं। कुबेर धन के देवता हैं। इस दिन विशेष रूप से समुद्र मंथन के दौरान भक्तों को प्रसन्न करने के लिए देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करनी चाहिए। साथ ही हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, लोग घर में सौभाग्य लाने के लिए बर्तन, आभूषण और अन्य भौतिक चीजें खरीदते हैं। धनतेरस का शुभ पूजा मुहूर्त 2021 – Dhanteras puja muhurat 2021 धनतेरस की पूजा का मुहूर्त – शाम 6:50 से रात 8: 36 तक प्रदोष काल- शाम 6:05 से रात 8:36 तक वृषभ काल- 6:50 से रात 8:50 तक त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 2 नवंबर 2021 को सुबह 11:31 से त्रयोदशी तिथि समाप्त- 3 नवंबर 2021 को सुबह 9:02 पर धनतेरस के दिन क्या करना चाहिए, क्या खरीदारी करें और साथ हि क्या दान करना चाहिए – Dhanteras ke din kya kya kharidna chahiye, kya karna chaiye in Hindi धनतेरस के दिन से लोग लक्ष्मीजी के स्वागत की तैयारी शुरू कर देते हैं। इस दिन महिलाओं को देवी के स्वागत में सुबह-सुबह स्नान करके घर के प्रवेश द्वार पर रंगोली बनानी चाहिए। धनतेरस के दिन क्या करना चाहिए, बताएं – Dhanteras ke din kya karna chahiye चावल के आटे और गुलाल से छोटे-छोटे पैर बनाने चाहिए। यह निशान लक्ष्मीजी के आगमन का संकेत होता है। इस दिन व्यवसायी लोग अपने घर और ऑफिसों को सजाते हैं। धनतेरस का दिन उन लोगों के लिए खास होता है, जो इस दिन गोल्ड, मेटल या किसी भी तरह का मेटल खरीदते हैं। आमतौर पर लोग धनतेरस पर सोने के बिस्किट या सिक्कों पर इनवेस्ट करना सही समझते हैं। धनतेरस के दिन क्या खरीदना चाहिए – Dhanteras ke din kya kharide जो लोग सोना या चांदी नहीं खरीद सकते , वह स्टील, ब्रास और कॉपर के बर्तन खरीदते हैं। पारंपरिक रूप से महिलाएं गोल्ड, प्लेटिनम और सिल्वर ज्वेलरी की खरीददारी करती हैं। इस दिन मेटल का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। शाम को सभी महिलाएं भगवान यम के लिए दीए जलाकर उनका स्वागत करती हैं। कुछ घरों में देवी लक्ष्मी के आगमन के लिए गीत भी गाए जाते हैं। धनतेरस माता लक्ष्मी की कहानी – Dhanteras mata ki kahani धनतेरस को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। भारत के कई हिस्सों में धनतेरस पूजा यम त्रियोदशी और यम दीपदान के रूप में मनाई जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार की बात है हिमा नाम का राजा था, जिसे पूरे न्याय और प्रेम के साथ राज्य पर शासन किया था। उनका एक बेटा था और ज्योतिषों ने भविष्यवाणी की थी कि उनके बेटे को उसके 16वें वर्ष में सांप के काटने के कारण अपने जीवन के अंत का सामना करना पड़ेगा। गहरी पीड़ा की भावना ने राजा हिमा को दिल को दहला दिया और उन्होंने अपने बेटे के जीवन को बचाने के तरीकों की खोज की। एक प्रसिद्ध ज्योतिषि की सलाह के अनुसार, उन्हेंाने अपने बेटे की शादी किसी भाग्यशाली लड़की से की। दंपत्ति कुछ सालों तक खुशी-खुशी रहे। धनतेरस की कहानी सुनाएं – Dhanteras ki kahani in Hindi लड़का अपने 16वें वर्ष के करीब था और राजा को अपने पुत्र की मृत्यु की चिंता सताने लगी थी। लड़की ने एक साहसिक कार्य शुरू किया। ज्योतिषि भविष्यवाणियों में कहा गया था कि जब वह पृथ्वी पर अपने जीवन के 16वें वर्ष में प्रवेश करेगा तो एक सांप उसे काट लेगा। लड़के के 16वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर लड़की ने अपने पति की जान बचाने के लिए एक योजना बनाई। उसके अपने सारे गहने एकत्रित कर मुख्य द्वार के सामने ढेर कर दिए। उसने अपने पति को न सोने की सलाह दी और खुद भी रातभर जागती रही। वह घर के प्रवेश द्वार के पास मुख्य द्वार की रखवाली कर रही थी। बालक के प्राण लेने के समय के दौरान मृत्यु के देवता भगवान यम नाग के रूप में घर के सामने पहुंचे। सांप रेंगकर घर के मुख्य दरवाजे तक पहुंच गया। जब सांप दरवाजे में घुसने ही वाला था कि रास्ते में गहनों के ढेर ने उसे रोक लिया। गहने इतने चमकीले थे कि सांप को अपने आसपास कुछ भी साफ नजर नहीं आ रहा था। इस बीच लड़की रातभर मधुर गीत गाती रही। गाने इतने आकर्षक थे कि खुद सांप भी गानों का आनंद ले रहा था। लड़के के प्राण लेने का समय बीत गया और भगवान यम को सांप के यम में अपना मिशन छोडऩा पड़ा। इस प्रकार लड़की के मजाकिया विचार ने उसके पति की जान बचाने में मदद की। धनतेरस पर किसकी पूजा होती है – Dhanteras par kiski puja hoti hai in Hindi धनतेरा की पूजा के लिए कलया, चावल, कुमकुम, नारियल और पान के पत्तों की जरूरत होती है। पूजा शुरू करने के लिए एक दीया जलाएं और इस दीए को रातभर जलाए रखें। पूजा के लिए पूरे परिवार के साथ बैठें। पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी के तीन रूपों की पूजा की जाती है। देवी लक्ष्मी, देवी महाकाली और देवी सरस्वती। इसादिन लोग भगवान गणेश और भगवान कुबेर को भी

सुख समृद्धि का प्रतीक है दीपावली का त्योहार, जानिए साल 2021 में कब मनाया जाएगा , क्या है पूजन का शुभ मुहूर्त

दिवाली 2021: दिवाली का पर्व वर्ष 2021 में कब है? जानें डेट और लक्ष्मी पूजा का टाइम दिवाली रोशनी का त्योहार है। यह हर साल मनाया जाने वाला हिंन्दुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। हिंदू महाकाव्य रामायाण के अनुसार, यह ऐसा दिन है, जब भगवान राम, देवी सीता और हनुमान 14 साल जंगलों में बिताने के बाद अयोध्या लौटे थे। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि देवी लक्ष्मी का जन्म दिवाली पर महासागर के मंथन के दौरान हुआ था। इस तरह दीवाली की पूजा में देवी लक्ष्मी की पूजा महत्वपूर्ण रूप से की जाती है। दीपों का यह पर्व धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज पर खत्म होता है। तो आइए यहां जानते हैं साल 2021 की दिवाली से जुड़ी वो सभी बातें, जो आपको जानना बेहद जरूरी है। 2021 में दिवाली कब है – Diwali 2021 date in India calendar Hindi हिंदू कैंलेंडर के अनुसार, दिवाली अमावस्या पर मनाई जाती है। हर साल कार्तिक महीने के 15वें दिन। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिसे दीपावली पूजा या लक्ष्मी गणेश पूजन कहते हैं। इस साल पूरे देश में दिवाली 4 नवंबर को मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 4 नवंबर 2021 को 6:03 से शुरू होकर 5 नवंबर 2021 को 2:44 बजे समाप्त होगी। दिवाली का महत्व हिंदी में – Diwali importance in Hindi दिवाली पूरे भारत और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मनाई जाती है। अंधेरी रात में जलते हुए दीये देश को रोशन करते हैं और ये नजारा वास्तव में शानदार लगता है। दिवाली का इतिहास प्राचीन भारत से जुड़ा है। इसके साथ कई किवदंतियां भी जुड़ी हैं। बहुत से लोग मानते हैं कि दिवाली वह उत्सव है, जो भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की शादी का प्रतीक है। अन्य लोग इसे देवी लक्ष्मी के जन्म का उत्सव मानते हैं। हिंदुओं के लिए दिवाली 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम कीअयोध्या वापसी का प्रतीक है। जब वे वापस लौटे तो भगवान राम का उनके घर में दीयों से स्वागत किया गया। दीयों की रोशनी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दिवाली पर सभी धर्मों और जातियों के लोग एकजुट होते हैं और आपस में गले मिलकर एकदूसरे को बधाई देते हैं। दिवाली का त्योहार सभी के दिलों को पवित्रता की आभा से भर देता है। यह केवल रोशन और उत्साह से भरा त्योहार नहीं है बल्कि आने वाले वर्षों के लिए सही बदलाव करने का भी समय है। समृद्धि का उत्सव हमें सालभर के लिए अपने काम और सदभावना को जारी रखने की शक्ति देता है। सबसे महत्वपूर्ण है कि यह हमारे भीतर को रोशनी को रोशन करता है। दीपावली पर किसकी पूजा होती है 2021 – Diwali २०२१ par kiski puja hoti hai दीपावली पर भगवान गणेश को सबसे पहले विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है। देवी महालक्ष्मी को उनके दोनों रूपों में धन और समृद्धि की देवी सरस्वती और नकारात्मकता का नाश करने वाली काली देवी के साथ पूजा जाता है। देवी लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। क्योंकि ये सुख और संतुष्टि के दाता है। भगवान कुबेर की भी पूजा इस दिन होती है। भगवान कुबेर देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं, जिनकी मदद से देवी अपने भक्तों को आर्शीवाद देती हैं। अंत में गजेंद्र को धन के वाहक के रूप में पूजा जाता है। दिवाली २०२१ पर देवी लक्ष्मी की पूजा क्यों होती है/दिवाली पर लक्ष्मी जी की कहानी – Diwali par laxmi puja kyu karte hai? दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा विशेषतौर पर की जाती है। इस दिन देवी लक्ष्मी का संहारक रूप बहुत सक्रिय होता है। भक्त देवी लक्ष्मी के मारक रूप को आसानी से खुश कर सकते हैं । देवी लक्ष्मी के प्रतीकात्मक रूप का अपने आप में गहरा अर्थ है। देवी लक्ष्मी एक शांत और प्रेममयी महिला के रूप में प्रकट होती है। वह लाल रंग के कपड़ों और चमकीले गहनों से सजी होती हैं। उनकी चार भुजाओं मानव जीवन के चार सिरों काम, अर्थ और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह अपने दो हाथों में कमल की कली रखती हैं, जो सुंदरता और पवित्रता का प्रतीक है। वह खिले हुए कमल पर विराजमान रहती हैं, जो सत्य के आसन का प्रतीक है। हाथी शाही शक्ति का प्रतीक देता है। उसके हाथों से सोने के सिक्कों का झडऩा धन की देवी के रूप में दर्शाता है। दो हाथियों को देवी लक्ष्मी के आसपास खड़ा दिखाया गया है। यह बताता है कि यदि कोई ज्ञान और पवित्रता से शासित है, तो वह भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की समृद्धि हासिल कर सकता है। इस प्रकार महालक्ष्मी से प्रार्थना करके व्यक्ति विश्वास, पवित्रता प्राप्त करने का आर्शीवाद ले सकता है। 2021 में दिवाली पूजा का शुभ मूहर्त – Diwali 2021 shubh muhurat in Hindi दिवाली के पर्व पर देवी लक्ष्मी की पूजा -अर्चना पूरे विधि विधान से की जाती है। मान्यता है कि देवी लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में यश वैभव बना रहता है और धन की कमी नहीं होती। इस बार दिवाली की पूजा का शुभ मूहर्त दिवाली के दिन शाम 6 बजकर 9 मिनट से 8 बजकर 20 मिनट तक है। कुल मिलाकर 1 घंटे 55 मिनट का मूहर्त है। प्रदोष काल 17:34:09 से 20:10:27 तक और वृषभ काल 18:10:29 से 20:06:20 तक है। दिवाली पर लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल में की जानी चाहिए। जो सूर्यास्त के बाद शुरू होती है और लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक चलती है। कुछ स्त्रोत महानिशिता काल को भी लक्ष्मी पूजा करने के लिए कहते हैं। वैसे माहनिशिता काल तांत्रिक समुदाय और अभ्यास करने वाले पंडितों के लिए सबसे उपयुक्त है। आम लोगों को प्रदोष काल के मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार, चौघडिय़ा मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा नहीं करनी चाहिए। ये मुहूर्त केवल यात्रा के लिए अच्छे हैं। लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे अच्छा समय प्रदोष काल के दौरान होता है जब स्थिर लग्र प्रबल होता है। यदि स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाती है, तो लक्ष्मीजी आपके घर में रहेंगी। इसलिए यह समय लक्ष्मी पूजन के लिए अच्छा है। वृषभ लग्न को स्थिर माना जाता है

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