भगवान को नारियल क्यों चढ़ाया जाता है – Nariyal kyon chadhaya jata hai
नारियल को संस्कृत में ‘श्रीफल’ कहा जाता है और श्री का अर्थ लक्ष्मी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, लक्ष्मी के बिना कोई भी शुभ काम पूर्ण नहीं होता है। इसीलिए शुभ कार्यों में नारियल का इस्तेमाल अवश्य होता है। नारियल के पेड़ को संस्कृत में ‘कल्पवृक्ष’ भी कहा जाता है। ‘कल्पवृक्ष’ सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। पूजा के बाद नारियल को फोड़ा जाता है और प्रसाद के रूप में सब में वितरित किया जाता है।सनातन धर्म में पूजा के दौरान तमाम चीजें भगवान को अर्पित की जाती हैं।
उसमें नारियल का अपना अलग महत्व है. कई अनुष्ठानों में तो नारियल के बगैर पूजा अधूरी मानी जाती है. मान्यता है नारियल का भोग भगवान ग्रहण करते हैं और प्रसन्न होकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. इसके अलावा कोई नया या शुभ काम करने के दौरान भी नारियल फोड़ने का चलन है. लेकिन आखिर धार्मिक कार्यों के दौरान नारियल इतना अहम् क्यों माना जाता है।
मान्यता है नारियल का भोग भगवान ग्रहण करते हैं और प्रसन्न होकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. इसके अलावा कोई नया या शुभ काम करने के दौरान भी नारियल फोड़ने का चलन है। नारियल का फल चढ़़ाने के पीछे कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि विष्णु भगवान पृथ्वी पर अवतरित होते समय मां लक्ष्मी के साथ नारियल का वृक्ष और कामधेनु दोनों को अपने साथ लाए थे, इसलिए ये भगवान को अति प्रिय है।
इसके अलावा कुछ विद्वानों का मत है कि नारियल ही वो कल्पवृक्ष है जिसका जिक्र अक्सर शास्त्रों में मिलता है. कल्पवृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. इसलिए इस वृक्ष का फल भगवान को अति प्रिय होता है. कुछ लोग नारियल पर बनी तीन आखों को शिव जी के तीन नेत्र मानते हैं. कुल मिलाकर नारियल का संबन्ध देवताओं से जोड़कर देखा जाता है, इसलिए इसे पवित्र माना जाता है और भगवान को अर्पित किया जाता है।
नारियल क्यों फोड़ा जाता है – Nariyal kyu foda jata hai
इसलिए नारियल फोड़कर किया जाता है शुभ काम
हिंदू धर्म में कई तरह की परंपराएं पौराणिक काल से चली आ रही हैं. इन्हीं में से एक परंपरा नरबलि की भी है. माना जाता है कि पुराने समय में साधक अपनी साधना पूरी करने के लिए और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए नर बलि देते थे. बाद में इस प्रथा को बंद कर दिया गया और नर की जगह नारियल की बलि दी जाने लगी क्योंकि नारियल को नर का प्रतीक माना जाता है. इसके ऊपर के बुच को बाल इसके सख्त हिस्से को खोपड़ी और पानी को रक्त की संज्ञा दी जाती है।
नारियल एक सख्त सतह और फिर एक नर्म सतह होता है और फिर इसके अंदर पानी होता है जो बहुत पवित्र माना जाता है। इस पानी में किसी भी तरह की कोई मिलावट नहीं होती है। नारियल भगवान गणेश का पसंदीदा फल है। इसलिए नया घर या नई गाड़ी लेने पर फोड़ा जाता है। इसका पवित्र पानी जब चारों तरफ फैलता है तो नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं।
ये भी मान्यता है कि नारियल को मानव के रूप में विश्वामित्र ने तैयार किया था. एक बार वे इन्द्र से रुष्ट हो गए और दूसरे स्वर्ग लोक का निर्माण करने लगे. उसके बाद उनका मन बदला और वो दूसरी सृष्टि का ही निर्माण करने लगे. तब उन्होंने मानव के रूप में नारियल का निर्माण किया. इसीलिए नारियल के खोल पर बाहर दो आंखें और एक मुख की रचना होती है।
महिलाएं क्यों नहीं तोड़ती नारियल – Ladkiya nariyal kyu nahi todte
नारियल फोड़ना बलि का प्रतीक माना जाता है, और परंपरागत रूप से नारियल को नई सृष्टि के युगो का बीज माना गया है। नारियल को बीज का स्वरूप माना गया है और इसे प्रजनन से जोड़कर देखा जाता है। महिलाओं को ही ईश्वर ने संतान को जन्म देने की शक्ति प्रदान की है इसलिए स्त्री को उत्पत्ति की कारक माना गया है, यही कारण है कि महिलाओं के लिए नारियल फोड़ना वर्जित कर्म माना गया है।
- दरअसल ऐसा माना जाता है कि नारियल एक फल नहीं है बल्कि बीज है।
- बीज से ही किसी बच्चे का जन्म होता है।
- महिलाएं भी शिशु को जन्म देती हैं, ऐसे में वो बीज को नुकसान कैसे पहुंचा सकती हैं इसलिए उन्हें नारियल फोड़ने से रोका जाता है।
- मान्यता ये भी है कि नारियल भगवान विष्णु की ओर से भेजा गया पृथ्वी पर पहला फल है और इस फल पर सिवाय लक्ष्मी जी को छोड़कर और किसी की हक नहीं इसलिए पराई स्त्रियों को नारियल फोड़ने से रोका जाता है।
- नारियल के वृक्ष को कल्पवृक्ष कहते है, नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही देवताओं का वास माना गया है। ये भी एक कारण है महिलाओं को नारियल के दूर रखने का।
कलश पर क्यों रखा जाता है नारियल – Kalasg par kyu rakhte hain nariyal
आम तौर पर देखा जाता है कि कलश स्थापना के दौरान कलश के उपर नारियल रखा जाता है। दरअसल, कलश के ऊपर धरे नारियल को भगवान गणेश का प्रतीक भी माना जाता है। कलश में सभी तीर्थों को आमंत्रित किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है और भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
कलश पर नारियल रखने का सही तरीका – Kalash par nariyal kaise rakhe in Hindi
कलश पर इस तरह नारियल रखना होता है हानिकारक
प्राचीमुखं वित विनाशनाय, तस्तमात् शुभं संमुख्यं नारीलेलंष्।”