जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का प्रतीक है। जिन्हें प्यार से कान्हा के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण विष्णु के सबसे शक्तिशाली मानव अवतारों में से एक थे।
कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण , भगवान विष्णु के आंठवे अवतार थे, जिनका जन्म द्वापर युग में हुआ था। इस दिन को गोकुलाष्टमी भी कहते हैं। माना जाता है , जो भक्त भगवान कृष्ण की सच्ची भक्ति में उनकी पूजा करते हैं, वे कभी भी निराश नहीं होते। भारत और दुनियाभर में रहने वाले हिंदु समुदाय के लिए जन्माष्टमी एक महत्वपूर्ण उत्सव है और इस दिन को सबसे शुभ माना जाता है। यह त्योहार कृष्ण पक्ष के अंाठवे दिन या भादों के महीने में अंधेरे पखवाड़े के आंठवे दिन पड़ता है। इस साल यह त्योहार 30 अगस्त को मनाया जाएगा। यह कृष्ण भगवान का 5248वां जन्म दिवस है।
जन्माष्टमी का पूजा मुहूर्त – Janmashtami 2021 date and time
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष अष्टमी तिथि 29 अगस्त को रात 11:25 बजे से शुरू होकर 31 अगस्त को सुबह 1:59 बजे समाप्त होगी। यदि उपवास करना चाहते हैं, तो यह 30 अगस्त को करना चाहिए। 31 अगस्त को भगवान $कृष्ण के जन्म के बाद आधी रात को अपना उपवास तोड़े। पूजा का समय 30 अगस्त को 11:59 बजे से 31 अगस्त को सुबह 12:44 बजे के बीच है। वहीं रोहिणी नक्षत्र का भी बहुत महत्व है। इस साल 30 अगस्त को यह सुबह 6:39 बजे शुरू होगा और 31 अगस्त को सुबह 9:44 बजे समाप्त होगा।
जन्माष्टमी का महत्व – Janmashtami ka mahatva in hindi
भक्त इस शुभ अवसर पर उपवास करके भगवान कृष्ण की प्रार्थना करते हैं। लोग अपने घरों को फूल, दीयों और रोशनी से सजाते हैं। मंदिरों को भी बड़ी खूबसूरती से सजाया जाता है। मथुरा और वृंदावन के मंदिर इस बात के साक्षी हैं। भक्त कृष्ण के जीवन की घटनाओं को फिर से बनाने और राधा के प्रति उनके प्रेम को मनाने के लिए रासलीला भी करते हैं। चूंकि भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था , इस समय कृष्ण की एक मूर्ति को नहलाया जाता है और पालने में रखा जाता है।
जन्माष्टमी की कहानी – Janmashtami kyu manaya jata hai
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, दुष्ट राजा कंस ने मथुरा पर शासन किया। अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए उसने अपनी बहन का विवाह यदु राजा वसुदेव के साथ किया। शादी के बाद कंस ने शादी के बाद कंस ने नवविाहितों को उपहारों दिया, ताकि वह वसुदेव का विश्वास जीत सके। लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था। जब वह विवाह रथ की बागडोर संभालता है, तो स्वर्ग से एक आवाज आती है कि उसकी बहन की 8वीं संतान उसे समाप्त कर देगी। अपनी भविष्यवाणी के बारे में जानने के बाद कंस अपनी बहन और उसके पति को कारगार में भेज देता है। दरअसल, कंस देवकी को मारना चाहता था, लेकिन वासुदेव ने उससे वादा किया कि अगर वह देवकी की जान बख्स देगा तो वह अपने सभी 8 बच्चों को कंस को सौंप देगा। कंस सहमत हो गया और उसने एक-एक कर उन सभी छह बच्चों को मार डाला। 7वीं बार जब देवकी गर्भवती हुई तो उसकी 7वीं संतान को उसके गर्भ से वासुदेव की पहली पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया जाता है। और इस तरह देवकी और वासुदेव के 7वें बच्चे का जन्म हुआ। जब देवकी फिर से गर्भवती हुई , तो कंस फिर से उसके बच्चे को मारने के लिए तैयार था, लेकिन कृष्ण वास्तव में देवकी की 8वीं संतान थे। जब देवकी प्रसव पीड़ा में जा रही थी, तो भगवान विष्णु प्रकट हुए और बताया कि उनका आंठवा बच्चा स्वयं का अवतार है और वो कंस को मार देगा। बच्चे ने जन्म लिया और वासुदेव एक टोकरी में अपने पुत्र को लेकर महल से निकल गए। उन्होंने यमुना को पार करके कृष्ण को गोकुल में पहुंचाया और गोकुल के मुखिया नंद और उनकी यशोदा को सौंपा। इस तरह कृष्ण गोकुल में पले-बढ़े और अंत में अपने मामा कंस का वध कर दिया।
जन्माष्टमी पर व्रत कैसे करें – Janmashtami fast importance, timing, food and vidhi
द्रिकपंचांग के अनुसार, जन्माष्टमी से एक दिन पहले भक्तों को केवल एक ही भोजन करना चाहिए। उपवास के दिन भक्त एक दिन के उपवास का पालन करने के लिए संकल्प लेते हैं और अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टिमी तिथि समाप्त होने पर इसे तोड़ते हैं। संकल्प सुबह की रस्में पूरी करने के बाद लिया जाता है और दिनभर के उपवास की शुरूआत संकल्प से ही होती है। इस बात का ध्यान रखें कि जन्माष्टमी के व्रत में जब तक अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए , जब तक की अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत तोड़ा ना जाए।
जन्माष्टमी की पूजा विधि – Janmashtami ki puja vidhi
शुद्ध भक्ति और प्रार्थना की मंशा से भगवान प्रसन्न होते हैं। इसलिए भले ही एक विस्तृत प्रक्रिया का पालन न किया जाए, लेकिन पूजा एक विधि से करने से भगवान मनोकामना पूर्ण करते हैं।
– सबसे पहले भगवान कृष्ण की मूर्ति रखें।
– भगवान कृष्ण का आहवान करने के लिए अत्यंत भक्ति और शुद्ध मन , ह्दय शरीर और आत्मा के साथ प्रार्थना करें कि वह आपकी पूजा स्वीकार करें।
– अब भगवान के पैरों को पानी से धोएं और अभिषेक करें। इसके लिए आप गंगाजल का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप चाहें, तो भगवान का स्नान करने के लिए दूध और पानी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
– भगवान की मूर्ति को पोंछने के लिए एक साफ कपड़ा लें और भगवान को नए कपड़े पहनाएं।
– इसके बाद लड्डू गोपाल को मौली का धागा बांधें। आप चाहें, तो भगवान को जनेऊ का धागा भी बांध सकते हैं।
– अब भगवान को चंदन लगाएं। उन्हें नए आभूषणों से सजाएं।
– अब मूर्ति के सामने ताजा फूल रखें, अगरबत्ती जलाएं और भगवान से प्रार्थना करें।
– भगवान का अहवान करें और भक्ति में डूब जाएं।
– इाके बाद घर में बना हुआ प्रसाद या नेवैद्यम रख सकते हैं।
– धूप अगरबत्ती जलाएं और इसके बाद तंबूलम रखें जिसमें पान, सुपारी, फल और पैसा शामिल है।
श्रीकृष्ण की आरती का जप करें – Janmashtami aarti in hindi
जैसे ही मध्यरात्रि में 12 बजें, प्रसाद के साथ अपना उपवास तोड़ें। व्रत रखने वाले भक्तों को व्रत तोडऩे से पहले प्रण के समय को ध्यान में रखना चाहिए।