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फेंगशुई के टोटके – Fengshui The Chinese Vastu Shastra in Hindi

फेंगशुई क्या है – What is Fengshui in Hindi फेंग शुई चीन की वास्तुकला है, जिसका अर्थ है हवा और पानी। हवा और पानी का सही संतुलन ही फेंग शुई है। हवा से सुख की अनुभूति होती है और पानी से तृप्ति। जिस प्रकार भारतीय वास्तु शास्त्र में प्रकृति के पांच तत्वों-अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल और आकाश को महत्व दिया गया है, उसी प्रकार फेंग शुई में पांच तत्वों-अग्नि, पृथ्वी, धातु, जल और लकड़ी को महत्व दिया गया है। लेकिन दोनों में मूलभूत अंतर यह है कि फेंगशुई में भारतीय वास्तु शास्त्र के वायु और आकाश की जगह लकड़ी और धातु को लिया गया है। भारतीय वास्तुशास्त्र में हवा (वायु) को बहुत महत्व देते हैं। यहां पर हम फेंग शुई का संक्षिप्त परिचय देते हुए, फेंग शुई के उन्हीं उपायों का जिक्र करेंगे, जिन्हें भारतीय परिवेश में अपनाया जा सकता है। चीनी वास्तु शास्त्र के अनुसार फेंग शुई के पांच तत्वों को एक-दूसरे से दो तरीके से संबंध किया गया है। पहला है उत्पादक चक्र व दूसरा है विनाशक चक्र। फेंग शुई के महत्वपूर्ण उपकरण : बागुआ : फेंग शुई के अनुसार प्रत्येक वस्तु एक प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न करती है, वह ऊर्जा नकारात्मक भी हो सकती है और सकारात्मक भी। यिन अर्थात नकारात्मक ऊर्जा और यांग अर्थात सकारात्मक ऊर्जा। यिन और यांग एक दूसरे के पूरक हैं जैसे रात और दिन, स्त्री और पुरुष, मृत्यु और जीवन। काला रंग यिन का प्रतीक है और सफेद रंग यांग का। ये दोनों चिह्न बागुआ के मध्य में होते हैं और आठों दिशाओं में आठ डाईग्राम होते हैं। https://linksredirect.com/?cid=170742&source=linkkit&url=https%3A%2F%2Fwww.starstell.com%2F फेंगशुई के टोटके? – Feng shui vastu shastra in hindi इन 13 बातो का ध्यान रखें खास ध्यान – फेंगशुई का तीन टांगों वाला मेंढक का टोटका – Feng shui frog where to place in Hindi फेंगशुई शास्त्र में तीन टांगों वाले मेंढक को बेहद शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि तीन टांगों वाले मेंढक जिसके मुंह में सिक्के लगे हों, उसे घर लाने से आर्थिक उन्नति होती है। इस दौरान एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि मेंढक का मुंह घर के अंदर की ओर होना चाहिए और ना की बाहर। कहते हैं कि ऐसा करने से आपके कार्य धीरे-धीरे बनने लगते हैं। फेंगशुई के तीन सिक्के – Feng shui 3 coins in Hindi तीन चीनी सिक्कों को फेंगशुई में आर्थिक धन का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि इन सिक्कों को लाल डोरी में बांधकर अपने घर या दुकान के मेनगेट में बांधना शुभ होता है। कहते हैं कि ऐसा करने आर्थिक स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होने लगता है। लाफिंग बुद्धा के फायदे – Laughing buddha meaning in hindi तरक्की पाने के लिए और जीवन में खुशियों से भरने के लिए भी फेंगशुई शास्त्र में कई उपाय बताए गए हैं। कहा जाता है कि घर में सुनहरे रंग का लॉफिंग बुद्धा रखना शुभ होता है। फेंगशुई शास्त्र के अनुसार, उत्तर-पूर्व कोण में 30 डिग्री की ऊंचाई पर स्थापित करना चाहिए। लॉफिंग बुद्धा को भूलकर भी बेडरूम में नहीं रखना चाहिए। कहते हैं कि घर में लॉफिंग बुद्धा रखने से खुशहाली आती है और करियर में तरक्की मिलती है। और र लाफिंग बुददा अगर कोई गिफ्ट करे तो जयादा अच्छा माना जाता है। फेंगशुई कछुआ के लाभ – Feng shui turtle for career फेंगशुई के अनुसार, घर या ऑफिस में उत्तर दिशा की ओर कछुआ रखना शुभ माना जाता है। ध्यान रहे कि इसका मुंह हमेशा अंदर की ओर होना शुभ होता है। कहते हैं कि ऐसा करने से नौकरी और व्यापार संबंधी परेशानियां खत्म हो जाती हैं। इसके साथ ही शत्रुओं से भी मुक्ति मिलती है। फेंगसुई के अनुसार कछुआ की पीठ पर कछुए के बच्चे बैठे हुए एक दूसरे के ऊपर बैठे हुए संतान के लिए बहुत शुभ माने जाते हैं। जिन लोगों को आसानी से संतान प्राप्ति नहीं होती उनके लिए इस कछुए को घर में रखना सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है । अगर इस कछुए को कोई रिश्तेदार या आपका दोस्त गिफ्ट करें तो है ज्यादा बेहतर माना जाता है। पासे कमाने का फेंगशुई उपाय – Feng shui where to keep broom घर या ऑफिस में झाडू को हमेशा ऐसी जगह पर रखना चाहिए, जहां पर किसी दूसरे की नजर न पड़े। कहते हैं कि कहीं भी झाडू रख देने से समृद्धि में भी कमी आती है। इसलिए हमेशा झाड़ू को संभालकर रखना चाहिए। फेंगशुई क्रिस्टल का अचूक उपाय – Feng shui crystal ball benefits in Hindi फेंगशुई के मुताबिक बटुए में क्रिस्टल रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आर्थिक विकास होता है। इसके लिए आप पायराइट, कारनेलेन और सिट्रीन क्रिस्टल को पर्स में रख सकते हैं। फेंगशुई घोड़ा बढ़ाता है तरक्की – Feng shui horse placement in Hindi चीनी वास्तुशास्त्र फेंगशुई के अनुसार घोड़े को तरक्की और सुख-समृद्धि का रूप माना जाता है। ऐसे मे अगर आपको नौकरी और व्यापार में तरक्की चाहिए तो घोड़े की मूर्ति को घर रख सकते हैं। फेंगशुई घंटी – Feng shui clock placement फेंगशुई में घर पर लटकती हुई घंटी का विशेष महत्व होता है। घर पर खुशनुमा वातावरण बनाने के लिए आप अपने घर में मुख्य द्वार या खिड़की के पास बेल्स या घंटी को टांग दें। इससे जो आवाज पैदा होती है उससे घर का माहौल हमेशा सकारात्मक बना रहता है। फेंगशुई बांस का पौधा – Feng shui plants in hindi फेंगशुई में घर पर बांस के पौधे रखने पर विशेष लाभ मिलता है। बांस के पौधे को सुख-समृद्धि का प्रतीक माना हैं। इनसे परिवार के सदस्यों को पूर्ण आयु व अच्छी सेहत मिलती है। बांस का पौधा वहां लगाना चाहिए जहां पर परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठते हों। बांस के पौधे को पूर्वी कोने में रखना चाहिए। लव बर्ड मूर्ति – Feng shui love birds लव बर्ड जैसे पक्षी प्रेम के प्रतीक माने जाते हैं ऐसे में पति-पत्नी के बीच मधुर संबंध बनाए रखने के लिए लव बर्ड पक्षी की मूर्ति के जोड़े को बेडरूम में रखना शुभ होगा। फेंगशुई पिरामिड – Fengshui Pyramid for Prosperity घर पर पैसे की आवक बनाए रखने के लिए और आर्थिक सम्पन्नता पाने के लिए पिरामिड का रखना शुभ होता है। फेंगशुई पिरामिड को घर के

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मॉइस्चराइज़र मॉइस्चराइज़र लगाने का क्या फायदा है ? मॉइस्चराइज़र माना जाता है कि यदि आपकी त्वचा बहुत सामान्य या ऑयली है तो आपके चेहरे की चमक कम पड़ सकती है। ऐसे में चेहरे की बेहतर देखभाल के लिए आपको किसी अच्छे मॉइस्चराइजर को अपनी रोज के काम का आवश्यक हिस्सा मानना चाहिए। वास्तव में पर्याप्त नमी के बिना त्वचा की तेल ग्रंथियां चेहरे को सूखा होने से बचाने का काम करती हैं जिससे कारण त्वचा के रोमछिद्र (pores) बंद हो जाते हैं और त्वचा पर दाग धब्बे और मुंहासे आने लगते हैं। जिस तरह से व्यक्ति उचित खान पान , योग, व्यायाम और वर्कआउट पर ध्यान देता है ठीक उसी तरह चेहरे की देखभाल के लिए इसे मॉश्चराइज करने की जरूरत पड़ती है। त्वचा पर सही तरह के मॉइस्चराइजर का उपयोग करने से यह संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। जब त्वचा बहुत अधिक सूखा जाए या बहुत अधिक तैलीय (oily) होती है, तो त्वचा की कई सामान्य समस्याएं जैसे मुंहासे निकलना शुरू हो जाते है, मॉइस्चराइज़र के इस्तमाल से आपको इन सभी समस्या से बचाता है। मॉइस्चराइज़र लगाने का सही तरीका क्या है ? मॉइस्चराइज़र स्नान करने के बाद या पानी में काम करने के बाद मॉइस्चराइजर लगाना ज़रूरी है। हर बार जब आप स्नान करके, नहाकर या कपड़े धो कर बाहर निकलें, तो अपने हाथों पर और शरीर पर मॉइस्चराइजर लगाना ना भूलिए ,अगर आपकी त्वचा ज़्यादा ड्राई है तो दिन में कम-से-कम 2 बार मॉइश्चराइजर लगाना ज़रूरी है। आप स्नान के बाद और सोने से पहले मॉइश्चराइजर लगा सकते हैं। अपने चेहरे पर मॉइश्चराइजर लगाने से पहले उसे पानी से अच्छी तरह से धो लीजिए। इसे चेहरे पर बनी हुई धूल की पर्त निकल जाएगी और मॉइश्चराइजर आपके स्किन में अच्छी तरह से समा जाएगा। इसके बाद तर्जनी (index finger) से थोड़ा-सा क्रीम लेकर उसे अपने माथे पर और गालों पर छोटे-छोटे बिन्दुओं में लगाएं. इसके बाद अपनी उंगलियों से हल्के-हल्के क्रीम ऊपर और बाहर की दिशा में एक समान लेयर में फैलाईये। मेकअप करने से पहले या बाहर जाने से पहले कम-से-कम 5 मिनट के लिए मॉइस्चराइजर को सेट होने दें। प्राइमर प्राइमर लगाने का क्या फायदा है ? प्राइमर लगाने से रोम छिद्र बंद हो जाते हैं और चेहरा खूबसूरत दिखता है। यही कारण है कि मेकअप के दौरान सबसे पहले प्राइमर लगाया जाता है। प्राइमर का इस्तेमाल करने से त्वचा कोमल और मुलायम होती है। खास बात यह है कि आपका मेकअप लंबे समय तक टिकता है। इसे इस्तेमाल करने के बाद आप कोई भी फाउंडेशन या कंसीलर का इस्तेमाल कर सकती हैं। आपके ओपन पोर्स को सील करके यह उन्हें कम विज़िबल बनाता है को फ्लॉलेस बनाता है। यह आपकी त्वचा की सतह को चिकना बनाता है, जिससे आपका मेकअप आसानी से ग्लाइड होता है, और अच्छी तरह ब्लेंडेड दिखाई देता है। मेकअप करने से पहले मेकअप प्राइमर का इस्तेमाल करने से आपका पूरा चेहरा मखमल जैसा दिखने लगता है। यह वास्तव में इतना आकर्षक रूप है प्राइमर लगाने का सही तरीका क्या है ? प्राइमर लगाते समय एक बात का ध्यान रखें कि आपको यह अपनी उंगलियों के टिप से ही लगाना है। इसके लिए ब्रश या फिर ब्लेंडर का इस्तेमाल न करें। उंगलियों से प्राइमर ढंग से लगेगा और आपका चेहरा प्राइमर लगाने के बाद ही चमक उठेगा। उसके बाद आप फ्लॉलेस मेकअप पा सकती हैं। प्राइमर को हमेशा थोड़ा सा लेकर चेहरे पर लगाना चाहिए। इसकी 1 ड्रॉप ही आपके चेहरे पर अच्छे से काम करती है प्राइमर लगाने से पहले मॉइश्चराइजर जरूर लगाएं। अगर आपकी स्किन डल है तो टिंटेड प्राइमर का इस्तेमाल करें। इससे आपके चेहरे की चमक वापस आ जाएगी। ध्यान रहे कि आपका प्राइमर फाउंडेशन से कंपैटिबल हो। वॉटर बेस्ड प्राइमर के साथ वॉटर बेस्ड फाउंडेशन का ही इस्तेमाल करें। इससे आपका बेस सेपरेट नहीं होगा। फाउंडेशन फाउंडेशन ​लगाने का क्या फायदा है ? फाउंडेशन चेहरे को बेदाग और चमकदार बनाता है, लेकिन इसे सही तरीके से अप्लाई न किया जाए तो ये केकी और पैची लुक देता है। इसलिए फाउंडेशन चुनने के साथ इसे लगाने का सही तरीका जरूर जान लें। लिक्विड फाउंडेशन हर तरह की स्किन के लिए ठीक होता है। मेकअप में फाउंडेशन काफी इंपॉर्टेंट पार्ट है, क्योंकि इससे चेहरे के दाग-धब्बे छिप जाते हैं। इसका बाद ही मेकअप की शुरुवात की जाती है, जिसे आपका फेस चमकदार और प्रभावित लगता है। फाउंडेशन ​लगाने का सही तरीका क्या है ? मेकअप में फाउंडेशन काफी इंपॉर्टेंट पार्ट है, क्योंकि इससे चेहरे के दाग-धब्बे छिप जाते हैं, स्किन क्लीन, क्लीयर नजर आती है। लेकिन फाउंडेशन को फेस पर अप्लाई करने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी होता है। फाउंडेशन अप्लाई करने से पहले अपने फेस को अच्छे से क्लीन करने के लिए माइल्ड फेस वॉश यूज करें, ताकि चेहरे से सारी गंदगी दूर हो जाए। फाउंडेशन को लगाने से पहले आप अपनी स्किन को जांच लें, अगर आपकी ऑयली स्किन है तो लाइट फाउंडेशन या ऑयल फ्री फाउंडेशन ही यूज करें। ड्राय स्किन के लिए लिक्विड या मॉयश्चराइज बेस्ड फाउंडेशन का इस्तेमाल करें। चेहरे को क्लीन करने के बाद फेस पर अपनी स्किन को सूट करता हुआ मॉयश्चराइजर लगाकर 5 मिनट रुकें। जिससे आपकी स्किन अच्छे से मॉयश्चराइज हो जाएगी। अब फाउंडेशन का लाइट बेस चेहरे पर लगाएं, इसके लिए अपनी फिंगर टिप्स का इस्तेमाल करें। फाउंडेशन को फेस से लेकर नेक तक लगाएं। हैवी बेस के लिए मेकअप स्पंज का इस्तेमाल करें। मेकअप स्पंज से फाउंडेशन को अच्छी तरह ब्लेंड करें। अगर चेहरे पर पिंपल्स हैं, तो उन पर एक बार और फाउंडेशन लगाएं। कंसीलर कंसीलर ​लगाने का क्या फायदा है ? मेकअप के सामान की लिस्ट में सबसे जरुरी मेकअप आइटम कंसीलर। कंसीलर का मुख्य काम त्वचा के गहरे भागों की रंगत में निखार लाना है। इसका उपयोग काले घेरों के साथ, नाक और मुंह के आस पास की काली पड़ी त्वचा, मुंहासों और डार्क स्पॉट्स को छुपाने के लिए भी किया जा सकता है।  कंसीलर खासतौर पर दो प्रकार के होते हैं, जिनका उपयोग अलग-अलग तरह की त्वचा के लिए किया जा सकता है।  क्रीम कंसीलर – नॉर्मल से ऑयली स्किन के लिए इस प्रकार के कंसीलर का टेक्सचर क्रीमी होता है। यह नॉर्मल से

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जिम के लिए 10 सबसे बेस्ट सप्लीमेंट्स

टॉप 10 जिम सप्लीमेंट जिम प्रोटीन पाउडर मल्टी विटामिन ओमेगा 3 बीसीएए गेनर एल-कार्टनाइट सीएलए प्री-वर्कआउट एल-आर्जिनाइन ग्लुटामाइन जिम प्रोटीन पाउडर प्रोटीन पाउडर क्या होता होता है प्रोटीन एक तरह का मैक्रोन्यूट्रिएंट होता है जो हमारे शरीर की वृद्धि, साथ ही शरीर की कमि को पूरा करता है और उसे स्वस्थ और मजबूत बनाए रखने के लिए जरूरी होता है। प्रोटीन पाउडर, प्रोटीन का कसेरट्रटेड पाउडर होता है जो कि डेयरी उत्पादों, अंडे, चावल और, सोयाबीन, आलू, हर्बल, मटर, दूध आदि का चूरन बनाकर बनता है। इन सभी का एक कॉम्बिनेशन तैयार करने के बाद इसमें शुगर, विटामिन्स और खनिज तत्व मिलाए जाते हैं। प्रोटीन पाउडर का उपयोग किसलिए किया जाता है? वर्कआउट के बाद आपके शरीर को ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है। एक्सरसाइज के बाद शरीर में ईंधन देने के लिए अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होती है क्योंकि इस स्थिति में आपको नार्मल प्रोटीन डाइट से अधिक प्रोटीन की जरूरत होती है। यदि आप वर्कआउट करने के दौरान मजबूत मांशपेशियां बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो आपको सामान्य रूप से अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होगी। जब आप किसी चोट से उबर रहे हों तो उसे जल्दी ठीक करने में प्रोटीन पाउडर मदद करता है। यदि आप शाकाहारी हैं तो आप मांस, चिकन और मछली सहित कई आम प्रोटीन चीज़ो का सेवन नहीं करते तो ऐसे में प्रोटीन पाउडर आपके शरीर में प्रोटीन की जरूरत को पूरा करता है। मल्टी विटामिन मल्टी विटामिन क्या होता होता है जैसे हमारे शरीर को स्वस्थ और बढ़िया बनाने में खनिज आहार और अन्य पोषक तत्वों का लेना जरूरी है उसी तरह हमारे शरीर में मल्टीविटामिन का लेना भी बहुत ही जरूरी है मल्टीविटामिन कई विटामिन को मिलकर बानी जाती है, जो सामान्य रूप से आपके आहार और अन्य प्राकृतिक चीज़ो में पाएं जाते हैं। मल्टीविटामिन का उपयोग तब किया जाता है, जब आप अपनी डाइट से शरीर के लिए आवश्यक विटामिन नहीं ले पाते हैं। आपके शरीर में विटामिन किसी बीमारी का कारण भी खत्म हो जाती है। इसकी कमी से हमें कोई बीमारी भी लग सकती है इसलिए आपको सभी प्रकार के विटामिन की जरूरत होती है और उनका चयन करना आपका स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद भी होता है और आप भी तंदुरुस्त और स्वस्थ रहना चाहते हैं तो आपको मल्टीविटामिन जरूर लेनी चाहिए। मल्टी विटामिन का उपयोग किसलिए किया जाता है? मल्टीविटामिन का उपयोग तब किया जाता है, जब आप अपनी डाइट से शरीर के लिए आवश्यक विटामिन नहीं ले पाते हैं। किसी बीमारी, गर्भावस्था, कुपोषण, पाचन संबंधी विकार और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के कारण शरीर में विटामिन की कमी होने पर भी मल्टीविटामिन दिए जाते है। मल्टीविटामिन के अनेक फायदे है , जिसे – पोषण संबंधी कमियों को ठीक करता है। स्वस्थ गर्भावस्था का समर्थन करता है। उचित विकास और विकास को बढ़ावा देता है। हड्डियों की मजबूती बनाए रखने में मदद करता है। ब्रेन फंक्शन को बेहतर बनाता है। नेत्र स्वास्थ्य को बढ़ाता है। हृदय स्वास्थ्य में लाभ हो सकता है। ओमेगा 3 ओमेगा 3 क्या होता होता है ओमेगा 3 एक फैटी एसिड, जो कि हेल्दी फैट माना जाता है। इसके दो प्रकार EPA और DHA कुछ प्रकार की मछलियों में पाया जाता है, जबकि इसका तीसरा प्रकार ALA नट्स और बीजों में पाया जाता है। ओमेगा 3 स्वस्थ शरीर के लिए काफी जरूरी है, जो कि कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। ये शाकाहारी और मांसाहारी दोनों ही तरह के खाद्य पदार्थों में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है। यह अखरोट जैसे सूखे मेवों, अलसी, सूरजमुखी, सरसों के बीज, सोयाबीन, स्प्राउट्स, गोभी, ब्रोकली, शलजम, हरी पत्तेदार सब्जियों और स्ट्रॉबेरी जैसे कई फलों में भी उच्च मात्रा में पाया जाता है। हालांकि, इसका सबसे पहली शाखा मछलियां ही होती है। ओमेगा 3 दिल की बीमारियों से दूर रखने में भी काफी फायदेमंद गया है। इसलिए सभी को हफ्ते में दो बार मछली का सेवन करना चाहिए, ताकि ज्यादा मात्रा में ओमेगा 3 प्राप्त हो सके। विशेष रूप से सामन, मैकेरल, हेरिंग, सार्डिन, लेक ट्राउट, और टूना मछलियों में ओमेगा 3 भारी मात्रा में मिलता है। लेकिन जिन लोगों को मछलियों का स्वाद पसंद नहीं है, वो फिश ऑयल सप्लीमेंट का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। ओमेगा 3 का उपयोग किसलिए किया जाता है? इससे शिशु के शरीर और मस्तिष्क का विकास ठीक से होता है। 3 ह्रदय संबंधी रोगों को दूर करने के लिए ओमेगा 3 बहुत जरूरी है। ओमेगा 3  मेटाबोलिक सिंड्रोम को ठीक करने में मदद करता है। 4 ओमेगा 3  वजन घटाने और मोटापा दूर करने में भी मदद करता है।  इससे ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम कम होता है। यह गठिया से भी मदद करता है। ओमेगा -3 की खुराक लेने वाले मरीजों के अनुसार यह जोड़ों के दर्द में कमी लाता है और मांसपेशियों में मजबूती देता है। बीसीएए बीसीएए क्या होता होता है बीसीएए का पूरा नाम है ब्रांच्ड चेन अमीनो एसिड है। इसमें तीन तरह के अमीनो एसिड शामिल होते हैं ल्यूसीन, वेलिन और आइसोल्यूसीन। ये तीनों एनॉबोलिक होते हैं। इन तीनों में ल्यूसीन मसल्स बनाने में सबसे ज्यादा काम करता है। जब हम एक्सरसाइज करते है तो हमारी बॉडी अपनी एनर्जी खो देती है और काम करते रहने के लिए वह हमारी माशपेशियों को एनर्जी के लिए इस्तेमाल करने लगती है।बीसीएए आपकी मसल्स ब्रेक नहीं होने देता साथ ही आपके शरीर को एनर्जी देता है जिसे आप अच्छे से वर्कआउट कर पाए। बीसीएए का उपयोग किसलिए किया जाता है? यह एसेंशियल अमीनो एसिड है, जिसे बॉडी खुद रिकवर नहीं करती है। ये फूड या सप्लीमेंट के द्वारा ही हमें लेना होता है। बीसीएए बॉडी में अमीन एसिड्स की कमी को पूरा करता है, जिससे मसल्स ब्रेक डाउन होने से बच जाते हैं और जल्दी रिकवरी होती है।अब सवाल ये , है कि बीसीएए आता कहां से है। सच्चाई ये है कि प्रोटीन वाले हर खाने में यह होता है।अंडे, मीट, दालें, दूध और प्रोटीन के सभी स्रोतों में यह पाया जाता है। नॉन वेज मे इसकी मौजूदगी वेज के मुकाबले और ज्यादा होती है क्योंकि वैसे भी नॉन वेज में सभी आठ तरह के एमिनो एसिड पाए जाते हैं। गेनर गेनर क्या होता होता है गेनर वेट गेन के लिए लिया जाता है जो मसल्स मास बढ़ाने में

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मोती रत्न कौन पहन सकता है?

मोती रत्न कौन पहन सकता है? मेष राशि मेष राशि वाले लोगो की जन्मपत्रिका में चन्द्रमा चौथे घर का स्वामी होता है। ये स्थान शुभ है , इसका संबंध माता, भूमि, भवन, वाहन और सुख से होता है। मेष राशि वालों को मोती रत्न धारण करना चाहिए। मोती धारण करने से आपको इन विषयों के शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। वैसे भी पाराशरी के अनुसार चौथे घर का चन्द्रमा विशेष मधुर संबंध रखता है क्योंकि ये भाव माता का है। वृष राशि इस लग्न वालों के लिये चन्द्रमा तीसरे भाव का स्वामी होता है, जो कि अकारक है। अगर जन्मपत्रिका में चन्द्रमा लग्न में न बैठा हो तो वृष राशि वालों को मोती नहीं धारण करना चाहिए। मोती पहनने से भाई-बहनों से संबंध खराब हो जायेंगे और कुछ अपयश भी हो सकता है। सबसे अच्छा मोती कौन सा होता है? सबसे अच्छा मोती ऑस्ट्रेलिया मोती होता है। या आदिक चमकदार और सफ़ेद होता है , और इसका आकर गोल हो तो अति उत्तम होता है। अगर गोल मोती नहीं मिले तो लम्बा मोती धारण किया जा सकता है। मोती रत्न पहनने से क्या लाभ होता है? मोती धारण करने के लाभ मोती रत्न धारण करने से लोगो पर माता लक्ष्मी की कृपा रहती है। इससे लोगो की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। जो लोग आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं उनके लिए सफेद मोती पहनना बहुत शुभ होता है। जिन लोगों को गुस्सा ज्यादा आता है उनके लिए भी मोती पहनना बहुत शुभ माना जाता है। मोती कब और कैसे धारण करें?/सच्चे मोती की अंगूठी कैसे धारण करे? मोती को चांदी की अंगूठी में सबसे छोटी अंगुली में शुक्ल पक्ष के सोमवार की रात को धारण करते हैं। कुछ लोग इसे पूर्णिमा को भी धारण करने की सलाह देते हैं। इसे गंगाजल से धोकर, शिवजी के सामने कुछ समय अर्पित करने के बाद ही धारण करें। मोती स्टोन कितने दिन में असर दिखाना शुरू करता है? मोती रत्न काफी जल्दी असर दिखता है। मोती रत्न धारण करने बाद आपको 3 दिनों में असर दिखना शूरू हो जाता है अगर आप ओरिजिनल और अछि क्वालिटी का धारण करते है। असली मोती की कीमत क्या है? असली मोती आपको 500 से 2500 रूपये तक मिल जाएगा। आदिक जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करे – https://jeewanmantra.com/shop/astro-mantra/ratna/moti-ratan/?cgkit_search_word=%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A5%80 असली मोती की पहचान कैसे की जाती है? असली मोती छूने में ठंडे होते हैं, लेकिन वे जल्द ही गर्म हो जाते हैं। यह केवल कुछ सेकंड के समय में होता है। दूसरी ओर, मशीन से बने मोती कमरे के तापमान के बराबर होता है और जब आप उन्हें अपने हाथों में रखते हैं तो आपको तापमान में अंतर महसूस नहीं होता है। इस में एक समस्या है क्योंकि कांच के मोतियों का उपयोग करके बनाए गए नकली मोती भी छूने में ठंडे हो सकते हैं। हालांकि, असली मोती का तापमान गर्म होने में अधिक समय लगता है। इस प्रकार से आप असली मोती की पहचान कर सकते है। मोती कहाँ पाया जाता है? आस्ट्रेलिया के समुद्री से प्राप्त होने वाला  मोती भी सफेद तथा गोल आकर का होता है। कैलिफोर्निया क्षेत्रों तथा लाल सागर में भी मोती प्राप्त होते हैं।  मोती रत्न कितने रत्ती का पहनना चाहिए? मोती आपको कितने रत्ती का पहनना चाहिए कम से कम आपको 5.25 रत्ती का पहनना चाहिए। आपको जल्दी और अच्छे प्रभाव के लिए अपने वजन के अनुसार रत्न धारण करने चाहिए जिसे आपका वजन 50 से 60 के बीच है तो आपको 5.25 रत्ती का पहनना चाहिए अगर 60 से 70 के बीच है तो 6.25 रत्ती का पहनना चाहिए इस प्रकार आपको सभी रत्न धारण करने चाहिए।

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नीलम रत्न धारण करने से क्या लाभ होता है?

नीलम रत्न धारण करने से क्या लाभ होता है? नीलम रत्न धारण करने से आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और रोगों से छुटकारा मिलता है , साथ ही नौकरी और व्यापार में तरक्की होती है और धन लाभ होने लगता है। रत्न शास्त्र के अनुसार माना जाता है कि यदि नीलम रत्न किसी व्यक्ति को सूट हो जाए तो शुभ एवं लाभकारी फल देता है। नीलम रत्न कितने दिनों में असर करना शुरू करता है? नीलम का असर बहुत ही तेजी से होता है। यह लगभग 24 घंटे में ही असर दिखाना शुरू कर देता है। नीलम इन्हीं शक्तियों का कारण ज्योतिष सलाह देते है की नीलम रत्न धारण करने से पहले इसकी जांच जरूर करे , यह आपके लिए लाभदायक है या नहीं। इसके लिए नीलम रत्न को रात के समय तकिये के नीचे रखें यदि सोते समय बुरे सपने नहीं आए , स्वास्थ्य सामान्य रहे और चेहरे में कोई बदलाव नहीं हो तब नीलम को पंचधातु , लोहा अथवा सोने की अंगूठी में धारण करे। अगर इनमें से कोई भी परेशानी आती है तब नीलम पहनने की भूल नहीं करनी चाहिए। नीलम रत्न को कौन सी उंगली में पहनना चाहिए? नीलम रत्न दाएं ( सीदे ) हाथ की मध्यमा उंगली यानी मिडिल फिंगरन में धारण करना चाहिए , क्योंकि ज्योतिष के अनुसार मध्यमा उंगली शनि की होती है। किसी ब्राह्मण से शनि मंत्रों के साथ नीलम को अभिमंत्रित करवा ही धारण करे।  नीलम कम से कम कितने रत्ती का पहनना चाहिए? नीलम रत्न कम से कम 5.25 रत्ती का पहनना चाहिए और सभी रत्न अपने वजन के हिसाब से पहनने चाहिए जिसे आपका वजन 50 से 60 के बीच है तो आपको 5.25 रत्ती का पहनना चाहिए यदि आपका वजन इससे कम है तो जब भी आपको 5.25 रत्ती का ही पहनना चाहिए  या 60 से 70 के बीच है तो 6.25 रत्ती , 70 से 80 के बीच तो 7.25 इस प्रकार से आपको रत्न धारण करने चाहिए जिसे आपको ज्यादा लाभ मिले। नीलम रत्न कब और कैसे पहने? नीलम रत्न शनिवार के दिन धारण करे , नीलम धारण करने के बाद दान जरूर करे। साथ ही शनिवार के दिन शराब एवं मासाहारी भोजन बिल्कुन न करें। ऐसा माना जाता है की मेष, वृष, तुला एवं वृश्चिक राशि के लोगों के लिए नीलम रत्न धारण करना लाभदायक  एवं शुभ रहता है। नीलम के उपरत्न क्या है? नीलम का उपरत्न नीली, कटैला,  फ़िरोज़ा ,जमुनिया और लाजवर्त है। नीलम रत्न की पहचान कैसे करें? असली नीलम चिकना, चमकदार, साफ और मोर के पंख के समान सोभा वाला होता है। नीलम को आप कांच के गिलास में डाल देंगे तो आपको अगर नीली किरणें दिखाई देने लगती है तो नीलम असली है नहीं तो वो असली नीलम नहीं है। असली नीलम का रेट क्या है? इसकी कीमत 1,000 रु कैरेट से लेकर 100,000 रु कैरेट तक के हो सकती है। अगर आपको अच्छा और जल्दी प्रभाव चाहिए तो उसकी कीमत  5,100.00  से  14,700.00 तक होती है। आदिक जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करे –https://jeewanmantra.com/shop/astro-mantra/ratna/sri-lanka-blue-sapphire-stone/?cgkit_search_word=sri%20lanka%20neelam नीलम की अंगूठी पहनने से क्या होता है? BHAI YE OR PHLA POINT SAME HA नीलम कौन धारण कर सकता है?/नीलम रत्न कौन सी राशि वालों को पहनना चाहिए? आये जानते किन – किन राशि वालो को नीलम रत्न धारण करना चाहिए और किनको नहीं। मेष राशि – मेष रा‍शि के लोगो को नीलम रत्‍न बिलकुल धारण नहीं करना चाहिए। मेष राशि का स्‍वामी ग्रह मंगल है और नीलम शनि का रत्‍न है। इन दोनों ग्रहों के आपसी संबंध अच्‍छे नहीं हैं। इसलिए मेष राशि के लोगो को नीलम रत्‍न धारण करना उन्‍हें मुश्किल में डाल  सकता है। वृषभ राशि – वृषभ राशि के लोग नीलम रत्न बिना किसी डर के धारण कर सकते हैं। वृषभ का स्‍वामी ग्रह शुक्र है और इसके शनि के साथ अच्‍छे संबंध हैं। वृषभ राशि के लोगो के जीवन में नीलम रत्‍न खुशियां, समृद्धि और अच्छा समय लाएगा। मिथुन राशि – बुध और शनि की आपस में नहीं बनती और इसलिए बुध की राशि मिथुन को नीलत रत्‍न धारण करने से फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। तो ज्योतिष दुवारा सहला लेकर ही धारण करे। कर्क राशि – चंद्रमा और शनि के बीच में हमेशा लड़ाई ही रहती है इसलिए इस राशि के लोगो को नीलम रत्‍न बिलकुल भी धारण नहीं करना चाहिए। सिंह  राशि – सिंह राशि का स्‍वामी ग्रह सूर्य है। शनि और सूर्य के बुरे संबंध होने के कारण नीलम रत्‍न सिंह राशि के लोगो के लिए अच्‍छा नहीं रहता है। ये रत्‍न आपके जीवन में मुस्किले खड़ी कर सकता है तो सिंह राशि वाले नीलम रत्न धारण ना करे। कन्‍या राशि – कन्‍या राशि के लोगों को नीलम रत्‍न धारण करने से न तो ज्‍यादा फायदा होगा और न ही ज्‍यादा नुकसान। आप चाहें तो ये रत्‍न धारण कर सकते हैं। एक बार ज्योतिष से सहला करके धारण करे। तुला राशि – शुक्र और शनि के बीच में शुभ संबंध होने के कारण इस राशि के लोग नीलम रत्‍न धारण कर सकते हैं। ज्‍यादा लाभ के लिए आप नीलम रत्‍न को डायमंड या पन्‍ना के साथ भी धारण कर सकते हैं। वृश्चिक राशि – वृश्चिक राशि का स्‍वामी ग्रह शनि ही है लेकिन आप नीलम रत्‍न तभी धारण करें जब आपकी कुंडली  में शनि पांचवें, नौंवें और दसवें भाव  में बैठा हो। तब ही नीलम रत्न धारण करे। धनु  राशि – धनु राशि गुरु की राशि है धनु एवं गुरु और शनि के बीच में शत्रुता का संबंध है। धनु राशि के लोगो को नीलम रत्‍न धारण नहीं करना चाहिए। मकर राशि – मकर राशि के लोगो के लिए नीलम रत्‍न जितना शुभ और कोई रत्‍न नहीं हो सकता है। मकर राशि का स्‍वामी शनि है एवं इस राशि के लोग बिना किसी डर के नीलम रत्‍न धारण कर सकते हैं और इससे उन्हें आदिक लाभ मिलेगा। कुंभ राशि – कुंभ राशि का स्‍वामी शनि है एवं नीलम रत्‍न कुंभ रा‍शि के लोगो के जीवन में अच्छा समय , धन प्राप्ति , शुक – शांति और खुशिया लेकर आता है। मीन राशि – मीन गुरु की राशि है मीन एवं गुरु और शनि के बीच में शत्रुता

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पुखराज कौन-कौन पहन सकता है

कई लोगों की राशि में बृहस्पति ग्रह का प्रभाव होता है। जो की आपके जीवन में मुश्किलें ला सकती है , पर सही जानकारी के साथ इसका उपाय किया जा सकता है। जानिए पुखराज रत्न किन किन राशियों को लाभ पहुंचाता है और इसे कैसे धारण करना चाहिए। ज्योतिष में नव ग्रहों के बारे में बताया गया है। इन सभी ग्रह का अपना – अपना , अलग – अलग प्रभाव होता है और ये ग्रह अलग – अलग फल प्रदान करते है।  जब ये ग्रह अपना स्थान बदलते हैं , इसके कारण लोगो के जीवन पर प्रभाव पड़ता है। सभी ग्रह का लिया रत्न बताया गया है , यदि आप राशि और ग्रह के अनुसार रत्न धारण करते है तो आपको आदिक लाभ मिलता है उनके दुयारा होने के कारण समस्याओं को दूर किया जा सकता है। माना जाता है कि रत्न धारण करने से आपके जीवन में शुक – शांति और सफलता का मार्ग भी प्राप्त होता है। इन्हीं रत्नों में से एक बताया गया है पुखराज रत्न। पीले रंग का ये चमकीला रत्न बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व होता है। जिन लोगो की कुंडली में बृहस्पति हो उनके लिया पुखराज रत्न बहुत लाभदायक माना गया है। यदि किसी की कुंडली में बृहस्पति शुभ करिये प्रदान नहीं कर कर रहा है , उन्हें भी पुखराज धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से विवाह की रुकावट दूर होती हैं साथ ही मान-सम्मान और धन-संपत्ति में ओर बढ़ोतरी होती है। रत्न बहुत ही प्रभावशाली होते है , इसलिए इन्हें धारण करने से पहले आपको सही जानकारी होना बहुत ही महत्वपूर्ण है , तो चलिए जानते हैं पुखराज पहनने के फायदे और इसे कैसे धारण करना चाहिए। पुखराज कौन कौन पहन सकता है? पुखराज हमेशा जब धारण करे जब कुंडली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति हो। इस ररषि वालो को पुखराज धारण नहीं करना चाहिए कन्या, तुला, मकर, कुंभ , वृषभ, मिथुन इन्हे पुखराज रत्न धारण नहीं करना चाहिए ज्योतिषियों के अनुसार पुखराज उन्हें धारण करने चाहिए जिनके विवाह में देरी हो रही होती है। पुखराज कौन सी राशि के लोग पहन सकते हैं? मेष राशि मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह है और मंगल और गुरु के बीच अच्छे  संबंध हैं। गुरु का मेष राशि वालो के नौवें और बारहवें भाव पर भी प्रभाव पड़ता है मेष राशि के लोह पुखराज पहन सकते है और मेष राशि वालो को पुखराज पहने से धन की प्राप्ति और अच्छा भाग्य प्राप्त होता है। वृष राशि वृष राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है इस ग्रह के गुरु के साथ कम संबंध होता है। गुरु, वृष राशि के आठवें और ग्यारहवें भाव का भी स्वामी है। वृषभ राशि के दूसरे, चौथे, पांचवे, नौवे, दसवें और ग्यारहवें भाव में गुरु हो तो ये लोग पुखराज पहन सकते है , लेकिन अच्छे से जांच परख करके ही पहने। मिथुन राशि मिथुन राशि का स्वामी बुध है। गुरु और बुध के बीच ना ही बहुत अच्छे संबंध है ना ही बहुत बुरे। गुरु जब दूसरे, चौथे, पांचवे, सातवें और आठवें भाव में हो तो लोगो को पुखराज रत्नर जरूर धारण करना चाहिए। गुरु मिथुन राशि के सातवें और दसवें भाव का स्वामी है। इस राशि के लोग पुखराज पहने से विवाह में देरी जिसे समस्या में मदद करता है और उपयुक्त साथी ढूंढने में मदद करता है। कर्क राशि कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है और चंद्रमा का गुरु के साथ शांत और प्रेम का संबंध है। गुरु के छठे और नौवे भाव में होने पर कर्क राशि वाले लोगो को पुखराज रत्न पहने से पेट, ह्र्दय और सुहस्त बंधित रोगों में फायदा करता है। सिंह राशि सिंह राशि का स्वामी सूर्य है सूर्य और गुरु में सकारात्मक संबंध होता है। गुरु के पांचवे और आठवें भाव का स्वामी होता है तो सिंह राशि वाले लोगो को पुखराज पहनना चाहिए। इससे शिक्षा में सफलता प्राप्त होती है और सूर्य के माणिक के साथ पुखराज पहनने से भी लाभ होता है। तुला राशि तुला राशि के तीसरे और छठे भाव का स्वामी गुरु है और तुला राशि का स्वामी शुक्र है। गुरु और शुक्र का मेल नहीं होता जिसके कारण तुला राशि के लोगों को पुखराज रत्न जरा भी फायदा नहीं पहुंचाता है। पुखराज पहनने से आपको पेट से संबंधित परेशानी हो सकती है। वृश्चिक राशि वृश्चिक राशि का स्वामी ग्रह मंगल है। गुरु और मंगल दोनों मित्र है। वृश्चिक राशि के लोग लाल मूंगा के साथ पुखराज रत्न धारण करना चाहिए। इसके अलावा वृश्चिक राशि वालों के लिये गुरु रत्न पंचम भाव में शुभ फल प्रदान करेगा। ये विषय हैं – विद्या, संतान, विवेक, रोमांस, डिसीजन मेकिंग की एबिलिटी आदि।वृश्चिक राशि वालों को गुरु यंत्र के साथ ही पुखराज पहनना चहिये वरना नहीं पहनना चहिये धनु राशि  धनु राशि वालों के लिये गुरु प्रथम और चौथे भाव का स्वामी होता है। ये स्थान काफी शुभ है। धनु राशि वाले लोगो को पुखराज अवश्य पहनना चाहिए। इससे आपका शरीर, आपका स्वास्थ्य अच्छा तो रहगा ही साथ ही आपकी माता का स्वास्थ्य भी बेहतर होगा। मकर राशि मकर राशि वालों का गुरु तृतीयेश यानि अकारक होता है और द्वादशेश यानि व्यय मान का स्वामी होने के कारण मकर राशि के लोगों को पुखराज रत्नि नहीं पहनना चाहिए। ये रत्नक आपको फायदे की जगह नुकसान दे सकता है। कुंभ राशि कुंभ राशि का स्वामी शनि ग्रह है। कुंभ राशि के गुरु का मेल नहीं होता है इस कारण कुंभ राशि के लोगों को भी पुखराज रत्न  नहीं पहनना चाहिए। मीन राशि मीन राशि वालों गुरु आपके प्रथम और दसवें भाव का स्वामी है और गुरु अगर दसवें भाव में हो तो बहुत ही शुभ होता है और बेहद शुभ फल प्रदान करता है। मीन राशि के लोगों को पुखराज रत्न अवश्य धारण करना चाहिए। इससे आपका माइंड एंड बॉडी कॉर्डिनेशन बेहतर हो जायेगा। साथ ही आपके दसवें भाव के विषयों यानि पिता और करियर में भी पुखराज आपको शुभ फल देगा पुखराज रत्न कितने दिन में असर दिखाता है? इसे सुनेंरोकें बृहस्पति के अच्छे प्रभावों को प्राप्त करने के लिए अछि क्वालिटी का सिलोनी ( श्री लंका ) पुखराज ही धारण करें , पुखराज धारण करने का 30 दिनों में प्रभाव देने लग

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मूंगा पहनने के क्या क्या फायदे होते हैं?

मूंगा पहनने के क्या क्या फायदे होते हैं? हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन हनुमान जी का दिन माना गया है।  यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल संबंधित कोई परेशानी हो तो उसे पंडित जी दुवारा सहला लेकर धारण करना चाहिए। माना जाता है कि मूंगा पहनने से व्यक्ति को कई सफलताएं मिलती है। साथ ही मूंगा पहनना से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलते है और इसे पहनने से बच्चों को नजर नहीं लगती एंव भूत-प्रेत व बाहरी हवा का दर खत्म हो जाता है। मूंगा धारण करने से साहस व आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है। जो मेडिकल क्षेत्र में है या जाने की तैयारी कर रहे है उन्हें मूंगा पहनने से अत्यन्त लाभ होगा। मूंगा कितने दिन में असर करता है? मूंगा रत्न का असर आपको 20 से 25 दिनों में दिखता है और आपकी राशि के हिसाब से भी प्रभाव पड़ता है। आपको इसका असर जल्दी भी दिख सकता है या इससे आदिक समय भी लग सकता है। तो ये आपकी राशि पर भी निर्भर करता है और कुछ मूंगा की क्वालिटी पर भी निर्भर करता है। जिसके मूंगा किस जहगा का है और ओरिजिनल है या नहीं तो इन सब चीज़ो का महत्वपूर्ण रूप से ध्यान रखें। मूंगा रत्न कौन पहन सकता है? मूंगा रत्न मेष, वृश्चिक राशि हो या लग्न हो एवं सिंह, धनु, मीन राशि हो वह लोग भी मूंगा धारण कर सकते हैं। मंगल का मित्र सूर्य है और सूर्य माणिक का गृह रत्न है। तो माणिक के साथ भी मूंगा पहना जा सकता है साथ ही मूंगा रत्न पुखराज, मोती के साथ भी पहन सकते हैं। मेष राशि वाले अपनी राशि रत्न की अंगूठी ख़रीदे – BUY NOW अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817  मूंगा की कीमत क्या है? मूंगा रत्न सबसे आदिक भूमध्य – सागर में पाया जाता है। इटैलियन और जापानी मूंगा सबसे आदिक पहनना जाता है। आये जानते है इनके कीमत क्या है। इटैलियन – इटैलियन मूंगा सबसे आदिक पहनना जाता है। इसका प्रभाव भी आपको जल्दी देखने को मिल जाता है और सभी मूंगा के मुकाबले इटैलियन मूंगा का प्रभाव आदिक होता है। किसकी कीमत की बात करे तो ये 3,499 – 18,000 तक मिल जाता है। आदिक जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करे – BUY NOW जापानी – जापानी मूंगा इटैलियन मूंगा के बाद सबसे आदिक पहनना जाता है। इसका प्रभाव इटैलियन मूंगा के हिसाब से देर में देखने को मिलता है और इसका प्रभाव इटैलियन मूंगा के हिसाब से कम होता है। किसकी कीमत की बात करे तो ये 2000 – 15000 तक मिल जाता है। अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817 मूंगा कितने रत्ती का धारण करना चाहिए? मूंगा रत्न आपको कितने रत्ती का पहनना चाहिए कम से कम आपको 5.25 रत्ती का पहनना चाहिए। आपको जल्दी और अच्छे प्रभाव के लिए अपने वजन के अनुसार रत्न धारण करने चाहिए जिसे आपका वजन 50 से 60 के बीच है तो आपको 5.25 रत्ती का पहनना चाहिए अगर 60 से 70 के बीच है तो 6.25 रत्ती का पहनना चाहिए इस प्रकार आपको सभी रत्न धारण करने चाहिए। मूंगा कौन सी धातु में पहनना चाहिए? मंगल का रत्न मूंगा सोने या लाल तांबे में पहनना चाहिए और ये आप की कुंडली और राशि पर भी निर्भर करता है। तो आदिक ध्यान रखे की मूंगा रत्न धारण करने से पहले पंडित जी से सहला जरूर करे उसके बाद बताये गए धातु में धारण करे। आदिक जानकारी के लिए इस नंबर पर संपर्क करे – 9354299817 मूंगा रत्न कहा मिलता है अंग्रेजी में मूंगा को कोरल भी कहते हैं। मूंगा का रैड कोरल सबसे ज्‍यादा प्रसिद्ध और लाभकारी माना जाता है। मोती की तरह मूंगा भी समुद्र में पाया जाता है। मूंगा रत्न का उपरत्न मूंगा का उपरत्न लाल तामड़ा और लालओनैक्स है। अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817

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ओपल पहनने से क्या होता है?

ओपल पहनने से क्या होता है? ओपल आँखों से सम्बंधित रोग, मानसिक तनाव , आलस्य, लाल रक्त कणिकाओं से सम्बन्धित रोगों से छुटकारा दिलाता है। यौन (सेक्सुअल) शक्ति को विकसित करता है, क्योंकि यह शुक्र ग्रह का स्वामी है और शुक्र वीर्य का स्वामी है। यह आपकी शारीरिक कमजोरी को दूर करने में मदद करता है।   ओपल रत्न पहनने से क्या फायदा है? ओपल अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य, सेहत, प्रेम, स्नेह और विपरीत लिंग संबंधों को मजबूत करने के लिए धारण किया जाता हैं। धन की देवी लक्ष्मी जी को खुश करने के लिए भी ओपल रत्न को धारण किया जाता हैं। एक गुलाबी ओपल सिरदर्द को ठीक करने में मदद करता है और ओपल आपके जीवन में शुक – समर्हिदी प्राप्त करता है। कला और कलाकारी में बेहतर करने में भी आपकी मदद करता है और जीवन की कठिन परिस्थितियों से निपटने में सहायता करता है। इंडोक्रानइ सिस्‍टम और हारमोनल डिस्‍ऑर्डर से लाभ पाने के लिए भी ओपल धारण करते हैं। ओपल रत्न कौन पहन सकता है? ओपल रत्न शास्त्र के अनुसार वृषभ और तुला राशि के लोग धारण कर सकते हैं। उनके लिए ओपल धारण करना अति उत्तम माना जाता है। इनके अलावा मकर, कुंभ, मिथुन और कन्या राशि के व्यक्ति पंडित जी से सहला लेकर इस रत्न को धारण कर सकते हैं। वृषभ राशि वाले अपनी राशि रत्न की अंगूठी ख़रीदे – BUY NOW तुला राशि वाले अपनी राशि रत्न की अंगूठी ख़रीदे – BUY NOW अपनी राशि के अनुसार राशि रत्न जानने के लिए पंडित जी द्वारा परामर्श करें – 9354299817 ओपल कितने दिन में असर दिखाता है? ओपल रत्न का असर आपको 20 से 25 दिनों में दिखता है और आपकी राशि के अनुसार भी प्रभाव पड़ता है। आपको इसका असर जल्दी भी दिख सकता है या इससे जादा समय भी लग सकता है। तो ये आपकी राशि पर भी निर्भर करता है और कुछ ओपल की क्वालिटी पर भी निर्भर करता है , ओपल किस जाहगा का है और ओरिजिनल है या नहीं तो इन सब चीज़ो का महत्वपूर्ण रूप से ध्यान रखें। ओपल रत्न कब और कैसे पहने? ओपल रत्न किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन पहनना जादा ठीक रहता है। इसे पहनने से पहले इस रत्न की अंगूठी को कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए। फिर आपको इसे धारण करना चाहिए। ओपल कौन सी उंगली में पहने? ओपल रत्न तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर) में धारण करना चाहिए। ध्यान रखें बाएं हाथ वाले लोगों के लिए बाएं हाथ और दाएं हाथ वाले लोगों के लिए दायां हाथ में पहना जाता है। ओपल रत्न को शुक्ल पक्ष के दौरान शुक्रवार सुबह 12 बजे से पहले पहन लेना चाहिए। इसे प्रकार धारण करना चाहिए।  ओपल रत्न की कीमत क्या है? ओपल ऑस्ट्रेलिया , इथियोपिया , टर्की  में पाया जाता है। आये जानते है किस ओपल का कितना महत्व है और क्या कीमत है। ऑस्ट्रेलिया – ऑस्ट्रेलिया ओपल सबसे आदिक पहनना जाता है। ऑस्ट्रेलिया ओपल का असर आपको काफी जल्दी मिल जाता है और सभी ओपल के मुकाबले किसका प्रभाव आदिक होता है। किसकी कीमत की बात करे तो ये 5,999.00 – 18,000 तक मिल जाता है।  इथियोपिया – ये ऑस्ट्रेलिया ओपल के बाद सबसे आदिक पहनना जाता है अगर आपका बजट कम है तो आप इससे धारण कर सकते है।  इसका असर आपको थोड़ा धीरे देखने को मिलता है। इसका प्रभाव ऑस्ट्रेलिया ओपल से कुछ मात्र कम होता है। किसकी कीमत की बात करे तो ये 2,500 – 15,000 तक मिल जाता है। टर्की  – टर्की ओपल को लोगो ज्यादा इसलिए नहीं धारण करते सभी ओपल के मुकाबले इसका असर काफी धीरे और कम प्रभाव देखने को मिलता है। किसकी कीमत की बात करे तो ये 4,500 – 25,000 तक मिल जाता है। आदिक जानकारी के लिए इस नंबर पर संपर्क करे – 9354299817  असली ओपल की पहचान क्या है? आये जानते है एक असली ओपल स्टोन में अजीबो गरीब परछाई दिखाई देती है जब उस पर रोसनी पड़ती है। आपल स्टोन हमेशा अपरदर्शी होता है जब उस पर प्रकाश डाला जाता है तो उसका एक गहरा रंग में रोशनी बाहर आती है और ओपल ख़रीदते समय ओपल का ओरिजिनालिटी का सर्टिफिकेट गोवेर्मेंट अप्रूवल जरूर ले। BUY NOW

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