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मथुरा के इस मंदिर में आज भी रास राधा संग रास रचाने आते हैं श्री कृष्ण

भगवान कृष्‍ण की आस्‍था और भक्‍ति की कोई सीमा नहीं है। भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी श्रीकृष्‍ण के हजारों-करोडों भक्‍त हैं। उत्तर प्रदेश के वृंदावन और मथुरा से कन्‍हैया के जीवन से जुड़ी कई कथाएं, स्‍थान और लीलाएं प्रसिद्ध हैं। आज भी बड़ी संख्‍या में भक्‍त कृष्‍ण की जन्‍मभूमि के दर्शन करने आते हैं। वैसे तो आपको वृंदावन में अनेक धार्मिक स्‍थल दिख जाएंगें लेकिन निधिवन का अपना ही एक अलग महत्‍व है। जी हां, निधि‍वन वो स्‍थान है जहां आज भी श्रीकृष्‍ण रास रचाने आते हैं। उनके साथ गोपियां और राधा रानी भी होती हैं। दोस्‍तों, इस वीडियो के जरिए हम आपको रहस्‍यमयी निधिवन के बारे में बताने और साक्षात् दर्शन करवाने जा रहे हैं। रात होने से पहले ही सब वन से चले जाते हैं निधिवन के मुख्य गोसाईं भीख चंद्र गोस्वामी के अनुसार, यह तो शास्त्रों में भी वर्णित है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात में ही गोपियों के साथ रासलीला की थी। किंतु, निधिवन के बारे में यह मान्यताएं रही हैं कि रोज रात श्रीकृष्ण गोपियों के साथ रासलीला रचाते हैं। शरद पूर्णिमा की रात, निधिवन में प्रवेश पूरी तरह वर्जित रहता है। दिन में श्रद्धालु प्रवेश कर सकते हैं, कोई रोक नहीं है। मगर, शाम होते ही निधिवन को खाली करा दिया जाता है। ऐसा सिर्फ निधिवन ही नहीं, बल्कि थोड़ी दूर स्थित सेवाकुंज में भी होता है। वहां भी कृष्ण के रास रचाने की मान्यता हैं, जहां राधा रानी का प्राचीन मंदिर है। राधा कृष्ण के बैठने ​के लिए सजाते हैं सेज ‘रास मंडल‘ से जुड़े पुजारी बताते हैं कि निधिवन के अंदर बने महल में रासलीला की मान्यता रही हैं। हजारों साल से श्रद्धालुओं में ऐसा विश्वास रहा है कि ‘रंग महल‘ में रोज रात को कन्हैया आते हैं। यहां रखे गए चंदन के पलंग को शाम 7 बजे से पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है। सुबह देखते हैं तो लोटा खाली मिलता है। पान भी नहीं मिल पाता। अभिमंत्रित पुखराज प्राप्‍त करें तुलसी, मेंहदी जैसे पवित्र पेड़ हैं पूरे निधिवन में निधिवन एक वन जैसा ही है, जिसमें तुलसी और मेंहदी के पेड़ ज्यादा हैं। ये सामान्य तुलसी के पौधों से एकदम अलग हैं। आकार में बड़े हैं और साथ ही इन पेड़ों की शाखाएं जमीन की ओर आती हैं।  जमीन की ओर अपना रुख मोड़ लेती हैं डालें इतना ही नहीं, यहां तुलसी के पेड़ जोड़ों में हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब रात में रास होता है तो ये सभी पेड़ ही गोप-गोपियां के रूप में आ जाते हैं। इन तुलसी के पेड़ों की यह भी मान्यता है कि इनका एक पत्ता भी कोई यहाँ से नहीं ले जा सकता। कहा जाता है कि आज तक जो भी इनके पत्तों को ले गया है वह किसी न किसी आपदा का शिकार ज़रूर हुआ ही है। इसलिए कोई भी इन्हें नहीं छूता। लोटे का पानी खाली और पान खाया हुआ मिलता है जैसा कि बताया जा चुका है कि हर शाम को पुजारी राधा-कृष्ण के बैठने ​के लिए सेज सजाते हैं और भोग रख जाते हैं। उस रात के बाद सुबह 5 बजे जब ‘रंग महल‘ के पट खुलते हैं तो सेज अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली और पान खाया हुआ मिलता है। किवदंतियां हैं कि रात के समय जब कान्हां यहां आते हैं तो राधा जी ‘रंग महल‘ में श्रृंगार करती हैं। जबकि, कान्हा चंदन के पलंग पर आराम करते हैं। फिर, गोप-गोपियों के संग दोनों ‘रंग महल‘ के पास बने ‘रास मंडल‘ में रास रचाते हैं। यहाँ एक कुंड भी स्थित है जिसे विशाखा कुंड के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि जब कृष्ण गोपियों के साथ रास रचा रहे थे तब उनकी एक सखी विशाखा को प्यास लगी। पानी की कोई व्यवस्था न देखकर कृष्ण ने अपनी बंशी से ही वहां खोदना शुरू कर दिया, जिसमें से निकले पानी को पीकर विशाखा ने अपनी प्यास बुझाई और तभी से इस कुंड को विशाखा कुंड कहा जाने लगा। निधिवन में रहने वाले भक्‍त की कथा एक बार कलकत्ता का एक भक्त अपने गुरु जी की सुनाई हुई भागवत कथा से इतना प्रभावित हुआ कि वह हर घडी वृन्दावन आने की सोचने लगा। उसके गुरु जी उसे निधिवन के बारे में बताते थे और कहते थे कि आज भी भगवान यहाँ निधिवन में रात्रि को रास रचाने आते है पर उस भक्त को इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था और एक बार उसने निश्चय किया कि वृन्दावन जरुर जाऊंगा। श्री राधा रानी जी की कृपा से वह निधिवन आ गया और यहां श्री वृन्दावन धाम में जी भर कर बिहारी जी और राधा रानी का दर्शन किया। लेकिन अब भी उसे इस बात का यकीन नहीं था कि निधिवन में रात्रि को भगवान रास रचाते है इसलिए उसने सोचा कि एक दिन निधिवन रुक कर देखता हूँ। जब शाम के वक़्त वहा के पुजारी निधिवन को खाली करवाने लगे तो उनकी नज़र उस भक्त पर पड गयी जो लता के पीछे छिपा हुआ था और उसे वहा से जाने को कहा तब तो वो भक्त वहा से चला गया। लेकिन अगले दिन फिर से वहा जाकर छिप गया और फिर से शाम होते ही पुजारियों द्वारा निकाला गया और आखिर में उसने निधिवन में एक ऐसा कोना खोज निकाला जहा उसे कोई न ढूंढ़ सकता था और वो आँखे मूंदे सारी रात वही निधिवन में बैठा रहा और अगले दिन जब सेविकाए निधिवन में साफ़ सफाई करने आई तो पाया कि एक व्यक्ति बेसुध पड़ा हुआ है और उसके मुह से झाग निकल रहा है। सभी ने उस व्यक्ति से बोलने की कोशिश की लेकिन वो कुछ भी नहीं बोल रहा था। लोगो ने उसे खाने के लिए मिठाई आदि दी लेकिन उसने नहीं ली और वो ऐसे ही 3 दिनों तक बिना कुछ खाए पिये बेसुध पड़ा रहा और 5 दिन बाद उसके गुरु वहां पहुचे और उसे गोवर्धन अपने आश्रम में ले आये। आश्रम में भी वो ऐसे ही रहा और एक दिन सुबह

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दीपावली पर इस विधि से करें पूजन, खूब मिलेगा धन और खुशियां

दीपावली खुशियों और रोशनी का त्योहार है। इस दिन को भाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस शुभ त्योहार पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन किया जाता है। हिंदुओं के इस त्योहार पर कई रीति-रिवाज किए जाते हैं। आइए जानते हैं दिवाली पूजा की तारीख। पूजन विधि, पूजन सामग्री और दीवाली की कथा एवं दीवाली के उपाय तथा टोटकों, दिवाली की पूजा का समय के बारे में। दीवाली की कथा – Diwali ki kahani कार्तिक मास की अमावस्या को हर साल दीपावली का पर्व मनाया जाता है। भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काट कर अपने घर अयोध्या लौटे थे। भगवान राम के लौटने पर पूरे अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। इस अवसर पर पूरा अयोध्या रोशनी से जगमगा उठा था ओर तभी से हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को दीपावली का पर्व मनाने की शुरुआत हुई थी। दिवाली की पूजा का मुहूर्त/दिवाली की पूजा का शुभ मुहूर्त दीवाली कब है 2020 में, दीपावली की तिथि – When is Diwali in 2020 साल 2020 में 14 नवंबर को शनिवार के दिन दीवाली का त्योहार मनाया जाएगा। इस से एक दिन पूर्व छोटी दीवाली ओर उस से एक दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। दीवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा भी की जाती है। दिवाली की पूजा का मुहूर्त/दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त –  दीवाली लग्न पूजा – 14 नवंबर, 2020, शनिवार कुंभ लग्न मुहूर्त – दोपहर – 02.17 से 2.28 बजे तक समयावधि – 11 मिनट वृषभ लग्न मुहूर्त अर्धरात्रि – 11.59 से 2.16 तक समयावधि – दो घंटे 17 मिनट अमावस्या तिथि का प्रारंभ – 14 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 17 मिनट अमावस्या तिथि का समापन – 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त लक्ष्मी पूजन मुहूर्त – 17.30 से 19.25.54 तक समयावधि – 1 घंटे 55 मिनट  से 19:25:54 तक प्रदोष काल : 17.27.41 से 20.06.58 तक वृषभ काल – 17.30.04 से 19.25.54 तक दीपावली महानिशीथ काल मुहूर्त लक्ष्मी पूजन मुहूर्त : 23.39.20 से 24.32.26 तक समयावधि : 53 मिनट महानिशीथ काल – 23.39.20 से 24.32.26 तक सिंह काल – 24.01.35 से 26.19.15 तक दीवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त अपराह्न मुहूर्त (लाभ, अमृत) : 14.20.25 से 16.07.08 तक सांयकाल मुहूर्त : 17.27.41 से 19.07.14 तक रात्रि मुहूर्त – 20.46.47 से 25.45.26 तक उषाकाल मुहूर्त : 29.04032 से 30.44.04 तक वीडियो भी देखें : पन्ना रत्न के फायदे दिवाली की पूजन सामग्री – Diwali ki puja kaise kare कुमकुम पाउडर, हल्दी, चंदन पाउडर, अगरबत्ती, धूपबत्ती – 4, पुष्प, घंटी, कपूर, दीपक, कलश, पूजा की थाली, कच्चे चावल (अक्षत), दूध, दही, घी, शहद, चीनी, गणेश जी और मां लक्ष्मी की मूर्ति, 5 सिक्के, सुपारी, पान के पत्ते, सफेद या लाल वस्त्र, घर पर बना प्रसाद, मिठाई, एक दर्जन केले। दिवाली (Deepavali) की पूजा कैसे करें/दिवाली की पूजन विधि – Deepavali (दीपावली) pujan vidhi दीपावली की शाम को शुभ मुहूर्त में एक चौकी लें और उस पर भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। दोनों देवी-देवता को तिलक लगाएं। अब 6 चौमुखे और 26 छोटे दीये जलाएं। इसके बाद बाकी की सामग्री से विधिवत पूजन करें। पूजन के बाद घर के हर कोने मे दीया जलाएं। दीपावली पर दीया दान कैसे करें – Deepavali par diya kaise sajaye दीपावली की पूजा के बाद दीपदान किया जाता है। दो थाली लें ओर दोनों में 6 चौमुखे दीपक रखें। अब 26 छोटे दीये रखें और इन्हें प्रज्वलित कर खील, रोली, अक्षत, गुलाल, धूपबत्ती ओर जल से पूजन करें। व्यापारीगण अपने गले या कैश काउंटर में लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा रखकर पूजन करें। 6 छोटे ओर 1 चौमुख दीपक जलाएं। दीपावली पर धन प्राप्ति के अचूक उपाय – Diwali par dhan prapti ke upay दीपावली के उपाय टोटके कर आप अपने जीवन मे सुख और समृद्धि ला सकते हैं। दीवाली के टोटके इस प्रकार हैं: दीवाली पूजन के बाद शंख बजने ओर दामरु खेलने से गरीबी दूर होती है और घर मे शांति आती है। दीपावली के शुभ अवसर पर लक्ष्मी गणेश यंत्र की स्थापना आपको दोगुना लाभ दे सकती है। इस दिन लक्ष्मी गणेश यंत्र की पूजा से सभी दुखों का नाश होता है और आर्थिक लाभ मिलना शुरू होता है। दीवाली की सुबह गन्ने का पौधा लाएं और मां लक्ष्मी के आगे स्थापित कर पूजा करें। इस पूजा से घर में धन की वृद्धि होती है। इस दिन सुबह के समय ब्रह्म मुहूर्त में उठें ओर काले तिल, गंगा जल को दूध मे डालकर इससे स्नान करें। दीवाली पूजा के दौरान घर की दक्षिण दिशा में दक्षिणावर्ती शंख रखें। मान्यता है कि मां लक्ष्मी को शंख बहुत प्रिय है। देवी लक्ष्मी के पूजन में कमलगट्टे की माला से मंत्र जाप करने से भी लाभ होता है। धन कमान चाहते हैं या धन नहीं टिकता है तो कच्ची चने की दाल मां लक्ष्मी को अर्पित कर पीपल के पेड़ पर चढ़ा दें। इस त्योहार पर सुहागिन स्त्री को भोजन करवाएं को वस्त्र भेंट करें। दीपावली पर किसकी पूजा होती है – Diwali par kiski puja hoti hai दीपावली पर मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देवता की पूजा होती है। इस शुभ दिन पर धन की देवी मां लक्ष्मी और कुबेर देवता के पूजन से धन की प्राप्ति होती है ओर भगवान गणेश के आशीर्वाद से समृद्धि एवं सुख मिलता है। अभिमंत्रित पुखराज प्राप्‍त करें दीपावली पर क्या खरीदें – Diwali par kya kharide (gift) यह खुशियों और शुभता का त्योहार है। इस दिन खरीदारी करना काफी शुभ माना जाता है। दीवाली पर आधुनिक और पारंपरिक परिधान, साज-सज्जा का सामान, इलेक्ट्रॉनिक समान, उपहार और पूजन सामग्री खरीद सकते हैं। दीवाली पूजन में किस रंग के कपड़े पहनें – Diwali par kya pahne दीपावली के पूजन मे रंगों का भी बहुत महत्व होता है इसलिए अगर आप पूजन के समय कुछ शुभ रंग के वस्त्र पहनकर बैठेंगे तो आपको भगवान का आशीर्वाद जरूर मिलेगा। दीवाली पूजा में लाल, हरे ओर पीले रंग के वस्त्र पहनकर बैठें। इसके अलावा दीपावली पर काले रंग के कपड़े बिल्कुल नहीं पहनने चाहिए। दीपावली पूजा मंत्र – Diwali puja muhurat 2020 लक्ष्मी विनायक मंत्र : ॐ श्रीं गं

pukhraj stone benefits

कैसे पुखराज रत्‍न पहनने से रातों-रात बदल सकती है आपकी किस्‍मत

ज्‍योतिषशास्‍त्र में पुखराज (Pukhraj stone) को बृहस्‍पति ग्रह का रत्‍न माना गया है। अंग्रेजी में पुखराज को यैलो सफायर (YELLOW SAPPHIRE) भी कहा जाता है। बृहस्‍पति के शुभ प्रभावों को बढ़ाने और सकारात्‍मक फल की प्राप्ति के लिए इस रत्‍न को धारण किया जाता है। वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार प्रत्‍येक रत्‍न के फायदे और नुकसान होते हैं और इसी तरह पुखराज को पहनने से भी फायदे के साथ-साथ कभी-कभी नुकसान भी उठाने पड़ते हैं। आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि पुखराज रत्‍न (Pukhraj stone) कब पहनना चाहिए, क्‍यों पहनना चाहिए और इसे धारण करने के लाभ और हानि क्‍या हैं। अभिमंत्रित पुखराज प्राप्‍त करें पुखराज रत्‍न (Pukhraj stone) के लाभ मान-सम्‍मान और यश में वृद्धि के लिए इस रत्‍न को पहन सकते हैं। समाज में प्रतिष्‍ठा बढ़ाने के पुखराज (YELLOW SAPPHIRE) पहनने की सलाह दी जाती है। अगर आपका बच्‍चा पढ़ाई में कमजोर है या उसे पढ़ाई पर ध्‍यान देने में कठिनाई होती है तो आप उसे गुरु का रत्‍न पहना सकते हैं। इस रत्‍न को धारण करने से शिक्षा और करियर के क्षेत्र में सफलता मिलती है। अभिमंत्रित पुखराज प्राप्‍त करें पुखराज रत्‍न (Pukhraj stone) पहनने से धारणकर्ता की रुचि अध्‍यात्‍म और धामिक कार्यों के प्रति अधिक बढ़ती है। यदि किसी व्‍यक्‍ति के विवाह में बाधाएं आ रही हैं तो उसे बृहस्‍पति का पीला रत्‍न पहनने से लाभ मिलता है। यह रत्‍न वैवाहिक सुख में भी वृद्धि करता है। मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु एवं मीन लग्‍न वाले जातक इस रत्‍न को पहन सकते हैं। इसके शुभ प्रभाव से इन्‍हें संतान, शिक्षा, धन एवं यश की प्राप्‍ति होती है। इसके अलावा पुखराज के स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी लाभ (HEALTH BENEFITS OF WEARING YELLOW SAPPHIRE) होते हैं जैसे कि त्‍वचा विकार, पाचन समस्‍या को दूर करने और मानसिक संतुलन एवं बेहतर रक्‍त संचरण के लिए यैलो सफायर पहन सकते हैं। पुखराज (YELLOW SAPPHIRE) कहां पाया जाता है जापान, ब्राजील, मैक्सिको, रूस और श्रीलंका आदि देशों में उत्तम क्‍वालिटी का यैलो सफायर पाया जाता है। बर्मा की खानों से निकला हुआ यैलो सफायर सबसे श्रेष्‍ठ माना जाता है। यहां का सफेद पुखराज भी बहुत मशहूर है। अभिमंत्रित पुखराज प्राप्‍त करें पुखराज किस अंगुली में पहनें पुखराज रत्‍न (Pukhraj stone) को सोने की अंगूठी में जड़वाकर तर्जनी अंगुली में धारण करना शुभ रहता है। इसे बृहस्‍पतिवार की सुबह धारण करना चाहिए। पुखराज रत्‍न की कीमत  (Pukhraj stone price) वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार यैलो सफायर की रत्‍न कीमत (Yellow Sapphire price) इसके ओरिजन, रंग, सफाई और क्‍वालिटी पर निर्भर करती है। यैलो सफायर की क्‍वालिटी जितनी ज्‍यादा बेहतर होगी इसकी कीमत उतनी ही ज्‍यादा रखी जाएगी। अभिमंत्रित पुखराज प्राप्‍त करें भारत में उच्‍च क्‍वालिटी का यैलो सफायर रत्‍न (YELLOW SAPPHIRE) 2000 रुपए प्रति कैरेट की कीमत पर मिलता है। अगर आपको कोई इससे कम कीमत में रत्‍न उपलब्‍ध करवाता है तो हो सकता है कि वो रत्‍न नकली या खराब क्‍वालिटी का हो क्‍योंकि रत्‍न की जितनी अच्‍छी क्‍वालिटी होगी उसकी कीमत भी उतनी ही ज्‍यादा होगी। यैलो सफायर की कीमत 50000 प्रति कैरेट भी हो सकती है। ध्‍यान रहे कि आजकल रत्‍नों के बाजार में नकली और लैब में तैयार किए गए यैलो सफायर भी मिलते हैं। कम कीमत के लोभ में घटिया या नकली रत्‍न खरीदने की गलती ना करें क्‍योंकि ऐसे रत्‍नों का कोई लाभ नहीं होता है। इन्‍हें पहनने से आपको किसी भी तरह का लाभ नहीं मिल पाएगा। अभिमंत्रित पुखराज प्राप्‍त करें पुखराज रत्‍न सेहत (HEALTH BENEFITS OF WEARING YELLOW SAPPHIRE) के साथ-साथ ज्‍योतिषीय लाभ भी प्रदान करता है। इसे आप अंगूठी या लॉकेट आदि में जड़वाकर पहन सकते हैं। ज्‍योतिषाचार्य से परामर्श के बाद आप इस रत्‍न को धारण कर सकते हैं। अभिमंत्रित और सर्टिफाइड पुखराज ऑर्डर करने के लिए इस नंबर पर व्‍हॉट्सऐप मैसेज करें – 9354299817

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जानिए राशि अनुसार किस रुद्राक्ष को पहनने से पलट सकती है आपकी किस्मत

धरती पर रुद्राक्ष को भगवान शिव का आशीर्वाद माना जाता है। मान्‍यता है कि भगवान शिव के पहले अश्रु यानी आंसू के धरती पर गिरने पर Rudraksha की उत्‍पत्ति हुई थी। यही कारण है कि इसे वैदिक शास्‍त्र में इतना महत्‍व दिया जाता है। आप चाहें तो Rudraksha की मदद से अपने जीवन की सभी समस्‍याओं को दूर कर सकते हैं। यहां तक कि अपनी राशि अनुसार रुद्राक्ष धारण करने से आपको इसका अधिक लाभ मिल सकता है। तो चलिए जानते हैं कि राशि अनुसार कौन-सा Rudraksha पहनना चाहिए मेष राशि के लिए कौन सा रुद्राक्ष मेष राशि का स्‍वामी ग्रह मंगल देव हैं इसलिए इस राशि के जातकों के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष शुभ रहेगा। मेष राशि से जुड़े तीन मुखी रुद्राक्ष के स्‍वामी अग्नि देव हैं। इस पवित्र Rudraksha को धारण करने से मेष राशि के जातकों को मंगल और अग्‍नि देव जैसा तेज प्राप्‍त होगा। मानसिक और शारीरिक रूप से स्‍वस्‍थ रहने के लिए आप इसे धारण कर सकते हैं। वृषभ राशि के लिए रुद्राक्ष वृषभ राशि पर शुक्र देव की कृपा रहती है और शुक्र देव का छह मुखी रुद्राक्ष है। छह मुखी रुद्राक्ष ज्ञान, बुद्धि और आत्‍मविश्‍वास का प्रतीक है। इस Rudraksha पर भगवान कार्तिकेय की कृपा बरसती है। मिथुन राशि का रुद्राक्ष बुध ग्रह की मिथुन राशि वाले जातकों को चार मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। इस रुद्राक्ष के स्‍वामी ब्रह्मा जी हैं और जो भी मिथुन राशि का व्‍यक्‍ति 4 मुखी को धारण करता है उसे मानसिक शांति, एकाग्रता और ध्‍यान लगाने की क्षमता की प्राप्‍ति होती है। कर्क राशि के लिए रुद्राक्ष मन के प्रतीक चंद्रमा को कर्क रा‍शि का अधिष्‍ठाता स्‍वामी है। चंद्रमा की कृपा से कर्क राशि के जातकों को दो मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। 2 मुखी रुद्राक्ष पर अर्धनारीश्‍वर का आशीर्वाद होता है। इस Rudraksha को पहनने से आत्‍म-विश्‍वास में वृद्धि होती है और मन शांत रहता है। यह सर्दी-जुकाम से भी बचाता है। सिंह राशि के लिए रुद्राक्ष सिंह राशि का स्‍वामी ग्रह सूर्य देव हैं इसलिए आपको एक मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। सिंह राशि का स्‍वामी भगवान शिव हैं। एक मुखी रुद्राक्ष को पहनने से लोकप्रियता, नाम-पैसा, शोहरत की प्राप्‍ति होती है। बीपी और हद्रय रोगों से बचाने में भी यह मदद करता है। कन्या राशि का रुद्राक्ष कन्‍या राशि के लोगों को चार मुखी रुद्राक्ष पहनने से लाभ होगा। कन्‍या राशि का स्‍वामी ग्रह बुध और अधिष्‍ठाता देव ब्रह्मा जी हैं। चार मुखी रुद्राक्ष के प्रभाव से व्‍यक्‍ति को मानसिक शांति और एकाग्रता हासिल होती है। तुला राशि के लिए कौन सा रुद्राक्ष शुभ है तुला राशि के व्‍यक्‍ति को 6 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। छह मुखी आपको ज्ञान, बुद्धि और आत्‍मविश्‍वास देगा। तुला राशि का स्‍वामी ग्रह शुक्र और अधिष्‍ठाता देव भगवान कार्तिकेय हैं। वृश्चिक राशि वालों को कौन सा रुद्राक्ष पहनना वृश्चिक मंगल की राशि है और इसके देवता हनुमान जी हैं। वृ‍श्चिक राशि के लोगों को ग्‍यारह मुखी रुद्राक्ष पहनने से आत्‍म-विश्‍वास, निर्णय लेने की क्षमता, गुस्‍सा कंट्रोल करने और नकारात्‍मक एनर्जी को दूर करने की शक्‍ति मिलती है। यह Rudraksha इम्‍यून सिस्‍टम को भी मजबूत करता है। धनु राशि के लिए कौन सा रुद्राक्ष अच्छा रहेगा धनु राशि पर कालाग्नि रुद्र की कृपा रहती है। इस राशि का स्‍वामी ग्रह बृहस्‍पति हैं। धनु राशि के लोगों को पांच मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। इससे आपकी धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ती है। बीपी, एसिडिटी और ह्रदय रोगों को दूर करने में यह उपयोगी है। मकर राशि के लिए कौन सा रुद्राक्ष मां लक्ष्‍मी की कृपा से मकर राशि के जातकों को सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। मकर राशि का स्‍वामी ग्रह शनि देव हैं। आपको इस 7 मुखी रुद्राक्ष पहनने से आर्थिक लाभ और संपन्‍नता मिलती है। यह गर्दन में दर्द और हड्डियों से जुड़े विकारों को दूर करता है। रुद्राक्ष कुम्भ राशि के लिए कुंभ राशि के लिए रुद्राक्ष 14 मुखी है। आपका स्‍वामी ग्रह शनि देव और भगवान शिव अधिष्‍ठाता देव हैं। 14 मुखी रुद्राक्ष को पहनने से आपकी 6 इंद्रियां जागृत रहती हैं और आत्‍मविश्‍वास में वृद्धि होती है। मीन राशि वालों के लिए रुद्राक्ष आपको पांच मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए। मीन राशि पर बृहस्‍पति ग्रह का आशीर्वाद होता है आपके देवता कालाग्नि रुद्र हैं।

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इस कुंडली दोष से हुआ संजय दत्त को फेफड़ों का कैंसर

बॉलीवुड एक्‍टर संजय दत्त ने ट्विटर के जरिए अपने फैंस को बताया कि वो किसी मेडिकल ट्रीटमेंट (कैंसर) की वजह से अपने काम से ब्रेक ले रहे हैं। खबरों की मानें तो संजय दत्त को सांस लेने में दिक्‍कत और सीने में दर्द की शिकायत के चलते मुंबई के लीलावती अस्‍पताल में भर्ती करवाया गया था जो कि कैंसर निकल। संजय दत्त का कोरोना वायरस का टेस्‍ट नेगेटिव आया लेकिन स्‍टेज 3 का फेफड़ों का कैंसर पता चला। संजय दत्त की उम्र 61 वर्ष है और अब जल्‍द ही वह कैंसर के इलाज के लिए अमेरिका जाने वाले हैं। यह भी पढ़ें : ऐश्‍वर्या राय बच्‍चन : कुंडली के इन ग्रहों ने दी सफलता और कोरोना कैंसर का ज्‍योतिषीय विश्‍लेषण ज्‍योतिषीय गणना के आधार पर यह बताया जा सकता है कि व्‍यक्‍ति की जन्‍मकुंडली में कैंसर का योग तो नहीं है। यदि समय रहते ही कुंडली में कैंसर के योग का पता लगा लिया तो इससे बचाव संभव है। आइए जानते हैं कि किन ग्रहों एवं कुंडली के योगों के कारण व्‍यक्‍ति को कैंसर होता है। Cancer पैदा करने वाले ग्रह वैसे तो सभी ग्रह किसी न किसी तरह इस जानलेवा बीमारी की स्थिति उत्‍पन्‍न करने के लिए जिम्‍मेदार होते हैं लेकिन  शनि, राहू, केतु और मंगल की भूमिका अधिक होती है। यह भी पढ़ें : कोरोना से हुआ देश के मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन, दो बार आया हार्ट अटैक कैंसर देने वाले कुंडली के योग कुंडली के किसी भी भाव के शनि और राहू से पीडित होने पर शरीर में कैंसर कोशिकाएं पैदा होने लगती हैं। जिस भाव में ये दोनों ग्रह पीडित होंगे, उसी से संबंधित अंग में कैंसर होगा। यदि जन्‍मकुंडली के छठे, आठवें और बारहवें भाव पर शिन और राहू की दृष्टि हो तो जिस भाव में  स्‍वामी ग्रह विराजमान हों, उन भावों से संबंधित अंग में कैंसर जैसी घातक बीमारी पैदा होती है। जैसे कि छठे भाव का स्‍वामी पंचम भाव में बैठा और राहू एवं शनि पीडित हों तो पेट का कैंसर हो सकता है। किसी भी भाव के स्‍वामी के छठे, आठवें और बारहवें भाव में होने और शनि एवं राहू के बुरी तरह प्रभावित होने पर इन भावों से संबंधित अंग के कैंसर से प्रभावित होने की संभावना होती है। लग्‍न स्‍वामी और छठे भाव का स्‍वामी एक साथ बैठे हों और शनि एवं राहू की इन पर दृष्टि हो तो भी कैंसर की उत्‍पत्ति होती है। जैसे कि लग्‍न स्‍वामी और छठे भाव का स्‍वामी अष्‍टम भाव में शनि और राहू द्वारा पीडित हो तो व्‍यक्‍ति को प्रजनन अंगों में कैंसर हो सकता है। किस ग्रह से किस अंग का Cancer हो सकता है हर ग्रह का शरीर के अलग-अलग हिस्‍सों पर प्रभाव होता है, जिसके आधार पर हम ये जान सकते हैं कि किस ग्रह से कौन-सी बीमारी हो सकती है। सूर्य ग्रह – पेट, आंतें, ह्रदय और प्‍लीहा की नसें। चंद्रमा ग्रह – खून, ब्रेस्‍ट, फेफड़े, भोजन नली, गर्भाशय, ओवरी और लिम्‍फ। मंगल ग्रह – खून, बोन मैरो, यौन अंग, मांसपेशियां और गुदा। बुध ग्रह – नाक, तंत्रिका तंत्र, मुंह, जीभ, पसलियां, नसें, ब्रोंकाइल ट्यूब्‍स, थायराइड ग्रंथि, सेरेब्रल स्‍पाइनल सिस्‍टम, सेंसरी नर्व्‍स, कान, आंख और जीभ। बृहस्‍पति ग्रह – कान, लिवर, जांघ, जीभ, फाइब्रिन, गला, किडनी, गॉल ब्‍लैडर, दांत, त्‍वचा, जोड़ और लिगामेंट। शनि ग्रह – पैर, दांत, जोड़ों, हाथों और हड्डियों में। राहू – त्‍वचा और होंठों का। केतु – दांतों और हड्डियों का। वीडियो भी देखें : धन प्राप्ति के आसान उपाय इस प्रकार कुंडली के विश्‍लेषण से पहले ही जाना जा सकता है कि व्‍यक्‍ति की कुंडली में कैंसर या अन्‍य किसी घातक बीमारी का योग तो नहीं बन रहा है। आप Jeewan Mantra के अनुभवी ज्‍योतिषियों से परामर्श कर अपनी कुंडली में इस तरह के किसी भी योग और दोष की जानकारी लेकर उसका निवारण कर सकते हैं। किसी भी तरह के ज्‍योतिषीय परामर्श या राशि रत्‍न खरीदने के लिए इस नंबर पर WhatsApp करें : 9354299817

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ऐश्‍वर्या राय बच्‍चन : कुंडली के इन ग्रहों ने दी सफलता और कोरोना

बॉलीवुड एक्‍ट्रेस और पूर्व मिस वर्ल्‍ड ऐश्‍वर्या राय बच्‍चन (Aishwarya Rai Bachchan) का जन्‍म 1 नवंबर, 1973 को मंगलौर में हुआ था। ऐश्‍वर्या की चंद्र राशि धनु और सूर्य राशि वृश्चिक है। आइए जानते हैं कि कुंडली के किन योगों के कारण ऐश्‍वर्या को इतनी सफलता मिली और महामारी के दौर में वो कोरोना से ग्रस्‍त हुईं। ऐश्‍वर्या राय का नामी परिवार में हुआ विवाह ऐश्‍वर्या राय बच्‍चन के जन्‍म के समय पूर्वा आषाढ़ नक्षत्र था जिसकी वजह से उन्‍हें अपने जीवन में इतना नाम और पैसा मिला। इसी सफलता के दम पर ऐश्‍वर्या ने सुपरस्‍टार अमिताभ बच्‍चन (Amitabh Bachchan) के बेटे अभिषेक बच्‍चन (Abhishek Bachchan) से शादी की। तुला राशि का सूर्य इस अभिनेत्री को स्‍वाभिमानी बनाता है। यह भी पढ़ें : कोरोना से हुआ देश के मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन अभिनेत्री बनने के योग कुंडली में जन्‍म के दौरान चंद्रमा की स्थिति के कारण ऐश्‍वर्या राय बच्‍चन बॉलीवुड की सफल अभिनेत्री बन पाईं और अपनी मेहनत से इस मुकाम को पाया। मंगल की स्थिति के कारण वैवाहिक जीवन में छोटी-मोटी परेशानियां बनी रहती हैं। साथ ही सौभाग्‍य और धन-संपन्‍नता का साथ रहता है। वीडियो देखें : नौकरानी को फटे-पुराने कपड़े देने से लगता है दोष धनवान बनने का योग ऐश्‍वर्या राय बच्‍चन की कुंडली में नवमांश शुक्र धन और संपन्‍नता का कारक है। ऐसी स्त्रियों को पिता और पति का सुख मिलता है। ये झगड़े से दूर ही रहते हैं। शनि का प्रभाव इन्‍हें बुद्धिमान और स्‍वभाव से नरम बनाता है। मिथुन राशि में शनि के कारण ऐश्‍वर्या को इतना सम्‍मान मिला है। ऐश्‍वर्या कोरोना पॉजिटिव (Aishwarya corona positive) जिस प्रकार कुंडली के योग किसी व्‍यक्‍ति को धनवान और सफल बनाते हैं, उसी प्रकार कोरोना वायर जैसी महामारी का शिकार भी बनाते हैं। यहां जानिए कि कुंडली के कौन से योग बनाते हैं कोरोना वायरस का मरीज

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कोरोना से हुआ देश के मशहूर शायर राहत इंदौरी का निधन, दो बार आया हार्ट अटैक

मंगलवार को लोकप्रिय शायर राहत इंदौरी का निधन हो गया। राहत साहब की मौत हार्ट अटैक से हुई जबकि वो कोराना वायरस से भी संक्रमित थे। उन्‍होंने अपनी आखिरी सांस श्री अरबिंदो अस्‍पताल में ली। समाचार एजेंसी ANI को अस्‍पताल में राहत साहब का इलाज कर रहे डॉक्‍टर ने यह खबर दी। उन्‍हें एक नहीं बल्कि दो बार दिल का दौरा पड़ा था। सोमवार को कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उन्‍हें अस्‍पताल लाया गया था। आपको बता दें कि राहत साहब 60 फीसदी निमोनिया से भी ग्रस्‍त थे। अस्‍पातल में भर्ती हुए उन्‍हें दो दिन ही हुए थे कि दो बार हार्ट अटैक आ गया। राहत इंदौरी के निधन की खबर सुनते ही पूरा देश शोक में डूब गया है। बड़े-बड़े गायकों ने भी उनके निधन पर शोक व्‍यक्‍त किया है। सोशल मीडिया पर खुद उन्‍होंने अपने पॉजिटिव होने की जानकारी दी थी और यह भी कहा कि उन्‍हें और उनके परिवार को कोई कॉल न करे। उन्‍हें पहले से ही हार्ट और शुगर की बीमारी थी।

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कैंसर के लक्षण, कारण, उपाय और कैंसर से बचाव

कैंसर क्या है? कैंसर कई सारे रोगों का एक समूह है जो किसी भी अंग या ऊतक को प्रभावित कर सकता है। कैंसर वह रोग है जो कि शरीर में असामान्य कोशिकाओं के बढ़ने के कारण फैलता है। ये कोशिकाएं एक अंग से अन्य अंगों तक फ़ैल कर रोग को पूरे शरीर में फैला सकती हैं। इस स्थिति को मेटास्टेटसाइजिंग कहा जाता है और यह कैंसर से मृत्यु का सबसे प्रमुख कारण है। कैंसर को नियोप्लास्म या ट्यूमर कहा जाता है। दुनियाभर में होने वाल मृत्यु का कैंसर दूसरा सबसे कारण है। 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 9.6 मिलियन लोग या हर छह में से एक व्यक्ति कैंसर का शिकार होता है। फेफड़ों का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, पेट का कैंसर और लिवर कैंसर पुरुषों में होने वाले सबसे सामान्य कैंसर है। वहीँ स्तन कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और थायराइड कैंसर महिलाओं में होने वाले कैंसर का सबसे मुख्य प्रकार है। एक स्वस्थ शरीर में प्रतिदिन,प्रति मिनट लाखों कोशिकाओएं व ऊतक बनते और टूटते हैं क्योंकि शरीर को प्रत्येक दिन भिन्न कार्य करने होते हैं। स्वस्थ कोशिकाओं का अपना जीवन चक्र, प्रजनन और मृत्यु का एक चक्र होता है। पुरानी कोशिकाओं का स्थान नयी कोशिकाएं ले लेती हैं। कैंसर इस प्रक्रिया को रोकता है या फिर इसमें बाधा डालता है और असामान्य कोशिकाओं का निर्माण करता है। यह डीएनए में बदलाव के कारण होता है। डीएनए प्रत्येक कोशिकाओं के न्यूक्लियस में मौजूद होता है। डीएनए में कोशिकाओं के निर्माण, बढ़ने और विभाजित होने के निर्देश होते हैं। डीएनए में बदलाव होते रहते हैं लेकिन आमतौर पर कोशिकाएं उन्हें ठीक कर देती हैं। जब कोई बदलाव या गलती ठीक नहीं हो पाती है तो यह कैंसरका रूप ले सकता है। इन बदलावों से ऐसी कोशिकाएं बनती हैं जिन्हें खत्म होने के बजाय जीवित रहना चाहिए और ऐसी कोशिकाएं बनती हैं जिनकी शरीर को जरूरत नहीं हैं। ये अतिरिक्त कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ती हैं और ट्यूमर का आकार ले लेती हैं। ट्यूमर से भिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि ट्यूमर शरीर के किस भाग में हैं। लेकिन सभी ट्यूमर कैंसरकारी नहीं होते हैं और आसपास के ऊतकों तक नहीं फैलते हैं। कभी-कभी ये ट्यूमर बड़े हो सकते हैं और आसपास के अंगों में फ़ैल सकते हैं जिनसे समस्याएं हो सकती हैं। बड़े ट्यूमर कैंसरकारी होते हैं और शरीर के भिन्न भागों में फ़ैल सकते हैं। कुछ कैंसर रक्त के द्वारा या लसिका ग्रंथियों के वारा शरीर के भिन्न भागों तक फ़ैल सकते हैं इसे प्रक्रिया मेटास्टेटिस कहा जाता है। कैंसर जो कि मेटास्टेटस की प्रक्रिया करते हैं उन्हें अंतिम अवस्था का कैंसर माना जाता है। मेटास्टेटिक कैंसर का इलाज करना बहुत मुश्किल हो सकता है और ये अत्यधिक मृत्यु का कारण बनते हैं या बन सकते हैं। कैंसर के प्रकार कैंसर का नाम उस भाग के अनुसार रखा जाता है जहां वे विकसित होते हैं या फिर जिस तरह की कोशिकाओं से बने होते हैं चाहे फिर वे शरीर के भिन्न भागों में ही क्यों न फैले हों। उदाहरण के तौर पर वः कैंसर जो फेफड़ों में बना है यफी वह लिवर तक फ़ैल गया है तब भी उसे फेफड़ों का कैंसर ही कहा जाएगा। विशेष प्रकार के कैंसर के लिए भिन्न नामों का प्रयोग भी किया जाता है, जैसे – कार्सिनोमा – कैंसर का वह प्रकार है जो कि त्वचा और ऊतकों में बनता है जो अन्य अंगों से जुड़े होते हैं सार्कोमा – कैंसर का वह प्रकार है जो कनेक्टिव टिशू में होता है जैसे हड्डियों, मांसपेशियों, कार्टिलेज और रक्त वाहिकाएं ल्यूकेमिया – बोन मेरो का कैंसर। बोन मेरो हड्डियों में पाया जाने वाला एक नरम ऊतक है जो कि रक्त की कोशिकाओं का निर्माण करता है लिंफोमा और मायलोमा प्रतिरक्षा प्रणाली का एक कैंसर है कैंसर का खतरा कैंसर का मुख्य कारण कोशिकाओं के डीएनए में बदलाव है। अनुवांशिक बदलाव माता-पिता से शिशुओं में आ सकते हैं। ये बदलाव जन्म के समय वातावरण के बदलावों के कारण भी हो सकते हैं। जैसे – कैंसरकारी केमिकल से संपर्क जिन्हें कार्सिनोजेन कहा जाता है रेडिएशन से संपर्क सूर्य की रौशनी से अत्यधिक संपर्क कुछ विशेष वायरस जैसे ह्यूमन पेपीलोमा वायरस धूम्रपान जीवनशैली जैसे शारीरिक गतिविधियां और खानपान कैंसर का खतरा उम्र के साथ बढ़ता जाता है। पहले से मौजूद स्वास्थ्य स्थितियां जिनसे सूजन होती है उनसे भी कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस एक क्रोनिक इंफ्लेमेटरी पेट का रोग है। यदि आपको ऐसे कारणों के बारे में पता हो जिनके कारण व्यक्ति को कैंसर हो सकता है तो आपको कैंसर होने का खतरा कम हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार निम्न सात तरीकों से आप कैंसर से स्वयं को बचा सकते हैं – तम्बाकू का प्रयोग न करें और किसी और का प्रयोग किया हुआ धूम्रपान न करें स्वस्थ आहार खाएं या संतुलित आहार खाएं मांसाहार कम खाएं मेडिटेरियन डाइट अपनाएं जिसके अंतर्गत अत्यधिक पौधों पर आधारित भोजन करें, प्रोटीन और स्वस्थ वसा को भोजन में शामिल करें शराब न पिएं या फिर कभी-कभी ही शराब का सेवन करें। जैसे किसी भी उम्र की महिलाएं यदि एक दिन में ड्रिंक लेटो हैं और 65 से कम उम्र के पुरुष एक दिन की दो ड्रिंक लेते हैं तो उन्हें कैंसर का खतरा शराब से नहीं हो सकता है। प्रतिदिन तीस मिनट व्यायाम जरूर करें सूर्या की रौशनी से बच कर रहें कैंसर शरीर के किसी भी भाग में शुरू हो सकता है। शरीर में कैंसर बनना तब शुरू होता है जब सामान्य कोशिकाएं नियंत्रण से अधिक बढ़ने लग जाती हैं और कोशिकाओं का इकट्ठा होना शुरू हो जाता है।  कैंसर होने से घबराए मत , हम आपको बताएंगे की कैसे इससे बच सकते है, और इससे कैसे लड़ सकते है। आधुनिकता की इस दौड़ में मानव के जीवन की पराकाष्ठा देखे तो हर एक व्यक्ति कहीं ना कहीं किसी ना किसी बीमारी से जूझ रहा है या किसी रोग से ग्रस्त हैं।  आधुनिक जीवन में बदलती जीवनशैली के कारण मानव शरीर बीमारियों का घर बनता जा रहा है।  ऐसे ही हमारे शरीर में कई कोशिकाएं होती है, जिसको हम सेल्स कहते है, वो सेल्स बढ़ते

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कुंडली के ये योग बनाते हैं कोरोना वायरस का मरीज, जानिए इससे बचने के उपाय

इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में है। बड़े बड़े वैज्ञानिक भी इस खतरनाक वायरस का इलाज ढूंढ पाने मे विफल हो रहे हैं। ऐसे मे वायरस की चपेट मे आने से बचना और भी ज्यादा जरूरी हो गया है। हालांकि, जिन लोगों की कुंडली में कुछ विशेष योग बन रहे हैं, उनके लिए कोरोना से बचना थोड़ा मुश्किल है। यहां हम आपको जन्मकुंडली के कुछ ऐसे योग के बारे में रहे हैं जो कोरोना का शिकार बना सकते हैं। कुंडली के योग जो बनाते हैं कोरोना का मरीज यदि आपकी कुंडली मे निम्न योग दिख रहे हैं तो इस स्थिति मे आपके Covid-19 से ग्रस्त होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। लग्न भाव या इसका स्वामी कुंडली मे कमजोर हो। छठे भाव का स्वामी लग्न या लग्न भाव के स्वामी के साथ युति में हो। यदि अशुभ घर मे छठे भाव का स्वामी और राहू एक साथ हों ओर राहू की दशा चल रही हो। दूसरे, छठे, आठवें या बारहवें भाव मे राहू ओर चंद्रमा की युति हो ओर राहू या चंद्रमा की दशा चल रही हो तो इस स्थिति में व्यक्ति कोरोना का मरीज बन सकता है। वीडियो भी देखें : पुरुषों के लिए वरदान है महालिंगम लॉकेट शनि, राहू, केतु और मंगल जैसे क्रूर ग्रह छठे भाव मे हों या रोग के भाव यानी छठे घर पर इन ग्रहों की दृष्टि हो तो कोरोना वायरस से व्यक्ति प्रभावित हो सकता है। खरीदें शनि का नीलम रत्‍न राहू, केतु ओर शनि की दश या उपदशा के दौरान जातक को सावधान रहना चाहिए। यदि तीसरे, छठे, आठवें ओर बारहवें भाव के स्वामी की दश चल रही हो तो वायरस की चपेट मे व्यक्ति आ सकता है। शनि की साढ़ेसाती चल रही हो और चंद्रमा कमजोर हो ओर दो अशुभ ग्रह जैसे कि शनि, राहू, केतु, मंगल पीड़ित हों तो उस व्यक्ति को बहुत सावधान रहना चाहिए। कोरोना वायरस से बचने के उपाय कपूर : शनि, राहू ओर केतु को रोगों का जनक माना गया है, वहीं कपूर इन तीनों ग्रहों को शांत करता है। घर मे रोज दिन मे दो से तीन बार कपूर जलाएं। कपूर के धुएं से हवा शुद्ध होती है ओर शरीर से भी रोगाणु साफ होते हैं। लोबान : राहू, केतु और शनि को वायरल रोगों का कारक माना जाता है। इन तीनों ग्रहों की शांति के लिए लोबान का धुआं असरकारी होता है। रोज लोबान का धुआं देने से घर मे वायरस का प्रवेश नहीं होता। लोबान से इम्यूनिटी भी बढ़ती है। यह भी पढ़ें : राहू की शांति के लिए गोमेद पहनें धन प्राप्ति, शीघ्र विवाह, प्रेम विवाह में आ रही बाधाओं, नौकरी पाने, सरकारी नौकरी पाने या अन्य किसी भी समस्या के लिए ज्योतिषी से बात करने के लिए संपर्क करें – 9354299817

Navratri   the festival of Maa Durga ke upay

नवरात्र 2020 में कब से शुरू है, नवरात्रि के उपाय के इन उपायों से भर सकते हैं खाली झोली

हिंदू धर्म में मां दुर्गा को आदिशक्‍ति माना गया है। मां दुर्गा की उपासना के लिए विशेष रूप से नवरात्र का पर्व मनाया जाता है। मान्‍यता है कि स्‍वयं श्री राम ने रावण से युद्ध से पूर्व मां दुर्गा की पूजा की थी और लंका पर विजय प्राप्‍त कर मां सीता को छुड़ाया था। वर्ष 2020 में 17 अक्‍टूबर शनिवार से शारदीय नवरात्र आरंभ हो रहे हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रों का बहुत महत्‍व है क्‍योंकि इन नौ दिनों में मां दुर्गा की विशेष आराधना की जाती है। धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार शारदीय नवरात्र के आरंभ में मां दुर्गा कैलाश पर्वत से उतरकर धरती पर आती हैं। हर वर्ष माता एक अलग वाहन पर बैठकर धरती पर विचरण करने आती हैं और इस वाहन से पता चलता है कि आने वाला साल देश और दुनिया के लिए कैसा रहेगा। आइए जानते हैं नवरात्र 2020 से जुड़ी कुछ खास बातें। शारदीय नवरात्र 2020 में मां दुर्गा का वाहन इस बार नवरात्र के अवसर पर मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही है और मां की विदाई भैंस पर होगी। हर साल माता रानी अलग-अलग वाहन पर आती हैं। नवरात्र कलश स्‍थापना शुभ मुर्हूर्त शारदीय नवरात्र में कलश स्‍थापना 17 अक्‍टूबर को प्रात: 6 बजकर 23 मिनट से लेकर 10 बजकर 12 मिनट पर शुभ मुहूर्त है। आप इस मुहूर्त में कलश स्‍थापना कर सकते हैं। खरीदें नीलम रत्‍न मां के नौ रूपों की होती है पूजा नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है। प्रतिपदा ति‍थि को मां शैलपुत्री, दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कूष्‍मांडा, पांचवे दिन मां स्‍कंदमाता, छठे दिन मां कात्‍यायनी, सातवे दिन मां कालरात्रि, आठवे दिन देवी महागौरी और नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। विजयादशमी का मुहूर्त इस बार 25 अक्‍टूबर को विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा। इसका शुभ मुहूर्त दोपहर के 1 बजकर 57 मिनट से 2 बजकर 42 मिनट है। नवरात्र का अर्थ (What do you mean by Navratri) नवरात्र का अर्थ होता है 9 रात्रि और इन 9 रातों में बड़ी धूमधाम से मां दुर्गा के नौ स्‍वरूपों की पूजा की जाती है। पश्चिम बंगाल में तो नौ दिनों तक पंडाल लगाए जाते हैं और देवी मां की पूजा के लिए भव्‍य आयोजन किए जाते हैं। मां दुर्गा के नौ रूप (What are the nine days of Navratri) मां शैलपुत्री, मां ब्रह्माचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्‍मांडा, मां स्‍कंदमाता, मां कात्‍यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सित्रिदात्री आदि मां दुर्गा के नौ रूप हैं। नव रात्रियों में मां दुर्गा के इन 9 रूपों की पूजा की जाती है। यही हिंदुओं का महत्‍वपूर्ण पर्व (Navratri importance) है। नवरात्रि 2020 में कब पड़ेगा (Navratri 2020 dates in Hindi) 17 अक्‍टूबर, 2020 – प्रतिपदा तिथि को मां शैलपुत्री की पूजा होता है। शुभ रंग ग्रे है। 18 अक्‍टूबर, 2020 – चंद्र दर्शन या द्वितीय तिथि को देवी ब्रह्माचारिणी की पूजा की जाती है। शुभ रंग नारंगी है। 19 अक्‍टूबर, 2020 – सिंदूर तृतीया तिथि को देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। शुभ रंग सफेद है। 20 अक्‍टूबर, 2020 – चतुर्थी तिथि को कूष्‍मांडा देवी का पूजन होता है। शुभ रंग लाल है। 21 अक्‍टूबर, 2020 – पंचमी तिथि को स्‍कंदमाना की उपासना होगी। शुभ रंग नीला है। 22 अक्‍टूबर, 2020 – षष्‍ठी तिथि को मां कात्‍यायनी की पूजा होती है। शुभ रंग पीला है। 23 अक्‍टूबर, 2020 – सप्‍तमी तिथि को मां कालरात्रि की उपासना होती है। शुभ रंग हरा है। 24 अक्‍टूबर, 2020 – अष्‍टमी तिथि या दुर्गाष्‍टमी को महागौरी का पूजन होता है। शुभ रंग हरा है। 25 अक्‍टूबर, 2020 – नवमी तिथि को नवरात्रि पारण और विजयादशमी है। शुभ रंग जामुनी है। 26 अक्‍टूबर, 2020 – दशमी तिथि को दुर्गा विसर्जन है। खरीदें महालिंगम लॉकेट नवरात्र के उपाय (Navratri remedies) सालभर में मां दुर्गा के इन नौ दिनों को अत्‍यंत पवित्र माना जाता है। ऐसी मान्‍यता है कि अगर पूरे साल में शुभ कार्य के लिए कोई समय नहीं मिल पा रहा है तो इन नौ दिनों में वो कार्य कर सकते हैं। तंत्र शास्‍त्र के अनुसार भी इन 9 दिनों में किए गए टोटके सबसे ज्‍यादा शुभ फल देते हैं। पहने हुए Gemstone (रत्‍न) की एनर्जी बढ़ाने के लिए ऐसे करें चार्ज तो चलिए जानते हैं जीवन की विभिन्‍न समस्‍याओं के अनुसार उनके उपायों के बारे में जिन्‍हें इन शुभ 9 दिनों में करना चाहिए। धन की कामना रखने वाले व्‍यक्‍ति अष्‍टमी या नवमी तिथि पर उत्तर की दिशा की ओर मुख करके साफ स्‍थान पर बैठें। अपने सामने लाल चावलों की एक ढेरी बनाएं और उस पर श्रीयंत्र की स्‍थापना करें। श्रीयंत्र के सामने तेल के नौ दीपक जलाएं और उपासना करें। पूजा के बाद घर के मंदिर में श्रीयंत्र की स्‍थापना कर दें। अन्‍य चीज़ों को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। श्रीयंत्र को मां लक्ष्‍मी का स्‍वरूप माना जाता है इसलिए आपको इस उपाय से शीघ्र ही धन की प्राप्‍ति होगी। विवाह हेतु नवरात्र में उपाय (Navratri remedies for marriage) कर सकते हैं। प्रतिपदा तिथि को पूजन स्‍थल के सामने आसन बिछाकर बैठ जाएं और शिव-पार्वती का चित्र स्‍थापित करें। रोज़ सुबह ‘ऊं शं शंकराय सकल जन्‍मार्जिक पाप विध्‍वंसनाय, पुरुषार्थ चतुष्‍टय लाभाय च पतिं में देहि कुरु कुरु स्‍वाहा’ मंत्र का तीन या पांच माला जाप करें। बेरोज़गार या नौकरी (Navratri remedies for job) की तलाश कर रहे जातक भी नवरात्र में उपाय कर सकते हैं। नवरात्र से आरंभ कर 21 या 31 दिन तक ‘ऊं ह्रीं वाग्‍वादिना भगवती मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्‍वाहा’ मंत्र का जाप करें। वीडियो देखें : रसोई में ऐसे रखें तवा, दूर होगी पुरानी से पुरानी गरीबी इन चीज़ों को घर लाएं चूंकि ये नौ दिन बहुत शुभ माने जाते हैं इसनिए इनमें तुलसी का पौधा घर लाना बहुत शुभ और मंगलकारी रहता है। नवरात्र की प्रथम तिथि घर पर केले का पौधा लगाएं और नौ दिनों तक इसकी जड़ में पानी दें। गुरुवार के दिन इस पौधे की पूजा करें और इसकी जड़ में थोड़ा-सा कच्‍चा दूध चढ़ाएं। अगर आप नवरात्र के पर्व पर अपने जीवन की सभी समस्‍याओं से

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