ब्रिटिशों से भारत को स्वतंत्र करवाने में महात्मा गांधी ने अहम भूमिका निभाई थी और इस वजह से उन्हें हमारे देश में सर्वोपरि माना गया है। भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में जिन्ना को वही उपाधि मिली हुई है जो भारत में गांधी जी को दी गई है।
हम सभी जानते हैं कि आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना के बीच सत्ता को लेकर कशमकश शुरु हो गई थी। इसी वजह से जिन्ना ने पाकिस्तान बनाने की जिद पकड़ ली। मोहम्मद अली चाहते थे कि भारत में मुसलमानों पर अत्याचार ना हों और उनके लिए एक नया देश बनाया जाए। इसीलिए उन्होंने पाकिस्तान बनाने की मांग की।
नेहरू और गांधी जी से जलता था जिन्ना
1947 में पाकिस्तान और भारत के बंटवारे को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे लेकिन इनमें से कुछ सवाल तो ऐसे थे जिनका जवाब खुद वो नेता भी नहीं दे पाए थे जो बंटवारे के फैसले में शामिल थे।
भारत और पाकिस्तान को अलग करने में जिन्ना का गुरुर जिम्मेदार था। वो नेहरू को देश का प्रधानमंत्री बनते देखना नहीं चाहते थे और गांधी जी से भी उन्हें ईर्ष्या थी। आज हम आपको पाकिस्तान के प्रमुख नेता और इस देश की स्थापना करने वाले मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में एक ऐसी सच्चाई बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी।
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पाकिस्तान बनाने के लिए प्रचार
वो सिर्फ मोहम्मद अली ही थी जो मुसलमानों के हित के लिए पाकिस्तान बनाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने देशभर में घूम-घूमकर प्रचार भी किया था और लोगों से बंटवारे की मांग की थी। बंटवारे के बाद उन्हें ग्रेट लीडर कहा जाने लगा।
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हिंदू थे जिन्ना?
इतिहास के पन्ने खोलकर देखें तो पता चलता है कि उनका जन्म एक हिंदू राजपूत परिवार में हुआ था। उनका परिवार मछली का व्यापार किया करता था। हिंदू होने पर मछलियों का व्यापार करने के कारण उनके परिवार को बहुत अपमान और ताने सहने पड़ते थे।
इस कारण से मोहम्मद अली जिन्ना और उनके माता-पिता सहित चार भाईयों ने अपना धर्म परिवर्तन कर लिया और हिंदू से मुसलमान बन गए। मुस्लिम धर्म अपनाने के बाद उनका परिवार कराची में रहने लगा। राजनीति में कदम रखने से पहले जिन्ना खुद को मुसलमान कहते से कतराते थे।
सूत्रों की मानें तो मोहम्मद अली के परिवार के कुछ सदस्य आज भी गुजरात में हिंदू बनकर रहते हैं। मेरा मतलब है कि वो हिंदू धर्म के अनुयायी हैं।
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अब ये बात काफी उलझ जाती है कि जब जिन्ना खुद हिंदू थे तो उन्हें मुसलमानों के हित की इतनी चिंता क्यों थी?
ऐसा तो नहीं था कि वो बहुत निस्वार्थ नेता था और जनता के हित के बारे में पहले सोचते थे क्योंकि अगर ऐसा होता तो जिन्ना पाकिस्तान बनाने की मांग नहीं करते। जिन्ना को सत्ता और हुकूमत की चाहत थी और इसीलिए उन्होंने पाकिस्तान जैसा आतंकी देश रचा।
आपको बता दें कि पाकिस्तान बनने के बाद मोहम्मद अली एक साल तक भी देश पर हुकूमत नहीं कर पाए और कुछ ही महीनों में उनकी मृत्यु हो गई थी।
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