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रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान

रुद्राक्ष क्या होता है – Rudraksha Kya Hai

रुद्राक्ष महादेव प्रलयकर्ता भगवान शंकर का अंश है। दूसरे शब्दों में कहें तो रुद्राक्ष शिव ही है। रुद्राक्ष शब्द प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा दिया गया है, देवों की भाषा संस्कृत भाषा का एक दिव्य शब्द है। इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। रुद्राक्ष शिव का वरदान है, जो भगवान शिव लोगो के और संसार के दु:खों को दूर करने के लिए प्रकट किया था।

रुद्र+अक्ष- इन दो शब्दों से मिलकर रुद्राक्ष बनता है। रुद्र का मतलब होता है- भगवान शंकर और अक्ष का मतलब- आंखें होता है। इस प्रकार रुद्राक्ष का अर्थ होता- भगवान शंकर का नेत्र। रुद्राक्ष भगवान शंकर का तीसरा नेत्र है।

रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान – rudraaksh pahanane ke fayde aur nukasaan

रुद्राक्ष पहनना भगवान शिव को धारण करने जैंसा है। रुद्राक्ष पहनने से पहले व पहनने के बाद कुछ विशेष नियमों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। विज्ञान (Science) भी रुद्राक्ष की चमतकार को मानता करता है।

रुद्राक्ष पहनने से भगवान शिव की आपके उपर कृपा होती है। कुण्डली के दोष दूर होते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक का होता है। अलग अलग रुद्राक्ष अलग अलग कामनाओं की पूर्ति करता है। रुद्राक्ष पहनने के बहुत सारे फायदे हैं लेकिन यही रुद्राक्ष व्यक्ति के जीवन में महान संकट भी ला सकता है। यदि इसे नियम से न पहना जाए। रुद्राक्ष पहनने वाले को मदिरा पान, शराब, मीट मांस आदि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। यह बात स्वयं भगवान शंकर ने देवताओं को बताई। आइये, पहले रुद्राक्ष पहनने के फायदे और नुकसान जानते हैं।

रुद्राक्ष पहनने के फायदे- Rudraksha Pahanne Ke Fayde

रुद्राक्ष पहनने से बहुत सें फायदे होते हैं। इस बात में कोई भी शाक नहीं है। विज्ञान तक भी इस बात को स्वीकार करता है। रुद्राक्ष पहनने के कुछ विशेष फायदे है आइये जानते है –

  • दिमाग शान्त होता है।
  • तनाव को दूर करता है।
  • मानसिक बीमारी दूर होती है।
  • वैवाहिक जीवन अच्छा बनता है।
  • जीवन में प्रेम बढने लगता है।
  • मष्तिष्क पर नियंत्रण होता है।

रुद्राक्ष पहनने के नुकसान – Rudraksha Pahanne Ke nukasaan

एक ओर रुद्राक्ष पहनने से जहां अनेकों फायदे होते हैं। वहीं दूसरी ओर रुद्राक्ष पहनने से बहुत सारे नुकसान भी हो सकते हैं। नुकसान के बहुत सारे कारण हैं। जैंसे कि रुद्राक्ष को सही विधि से धारण न करना, रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियमों का पालन न करना, अपने अनुसार गलत मुखी रुद्राक्ष धारण कर लेना आदि। रुद्राक्ष पहनते वक्त और पहनने के बाद इसके नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। अन्यथा रुद्राक्ष पहनने के नुकसान हो सकते हैं। गलत विधि से रुद्राक्ष पहनने के निम्न नुकसान हो सकते हैं।

  • बिना नियम से पहना गया रुद्राक्ष मन को अस्थिरता देता है।
  • रुद्राक्ष पहनने के बाद नियम पालन न करने से यह व्यक्ति को भटका देता है।
  • शराब व मांस का सेवन करने से रुद्राक्ष का बुरा असर पड़ता है।

रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम – rudraksha pahanne ke baad ke niyam

जब रुद्राक्ष धारण करें तो रुद्राक्ष मंत्र और रुद्राक्ष मूल मंत्र का 9 बार जाप करना चाहिए, साथ ही इसे सोने से पहले और रुद्राक्ष को हटाने के बाद भी दोहराया जाना चाहिए। रुद्राक्ष को एक बार निकाल लेने के बाद उस पवित्र स्थान पर रखना चाहिए जहां आप पूजा करते हैं।
  • रुद्राक्ष को तुलसी की माला की तरह की पवित्र माना जाता है। इसलिए इसे धारण करने के बाद मांस-मदिरा से दूरी बना लेना चाहिए।
  • एक महत्वपूर्ण बात यह है कि रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट पर नहीं ले जाना चाहिए। इसके अलावा नवजात के जन्म के दौरान या जहां नवजात शिशु का जन्म होता है वहां भी रुद्राक्ष ले जाने से बचना चाहिए।
  • महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए।
  • रुद्राक्ष को बिना स्नान किए नहीं छूना चाहिए। स्नान करने के बाद शुद्ध करके ही इसे धारण करें।
  • रुद्राक्ष धारण करते समय भगवान शिव का मनन करें। इसके साथ ही शिव मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते रहें।
  • रुद्राक्ष को हमेशा लाल या फिर पीले रंग के धागे में पहनना चाहिए। कभी भी इसे काले रंग के धागे में नहीं पहनना चाहिए। इससे अशुभ प्रभाव पड़ता है।
  • रुद्राक्ष माला को आपने धारण कर लिया है तो अब इसे किसी और को बिल्कुल न दें। इसके साथ ही दूसरे की दी गई रुद्राक्ष को बिल्कुल धारण न करें।
  • रुद्राक्ष की माला को हमेशा विषम संख्या में पहनना चाहिए। लेकिन 27 मनकों से कम नहीं होनी चाहिए।
  • रुद्राक्ष को हमेशा साफ रखें। मनके के छिद्रों में धूल और गंदगी जम सकती है। जितनी बार हो सके इन्हें साफ करें.. अगर धागा गंदा या घिस जाता है, तो इसे बदल दें। सफाई के बाद रुद्राक्ष को गंगाजल से धो लें। यह इसकी पवित्रता बनाए रखने में मदद करता है।
  • रुद्राक्ष गर्म प्रकृति के होते हैं। जिसके कारण कुछ लोगों को एलर्जी की समस्या हो जाती है। इसलिए बेहतर है कि इसका उपयोग न करें बल्कि पूजा घर में रखकर रोजाना पूजा करें।

रुद्राक्ष की पहचान कैसे करे – rudraksha ke pahachaan kaise kare

बाजार में इस समय प्लास्टिक और फाइबर का रुद्राक्ष भी बिक रहे हैं। अध्ययन में पाया गया है कि लकड़ी को रुद्राक्ष का आकार देकर या फिर टूटे रुद्राक्षों को जोड़कर भी नया रुद्राक्ष बनाने का धंधा चल रहा है।
  • जो असली रुद्राक्ष होता है उसके फल में प्राकृतिक रूप से छेद होते हैं। जबकि भद्राक्ष में छेद करके रुद्राक्ष का आकार दिया जाता है।
  • असली रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डुबाने से वह रंग नहीं छोड़ता है जबकि नकली रुद्राक्ष रंग छोड़ देता है।
  • असली रुद्राक्ष पानी में डुबाने पर वह डूब जाता है , जबकि नकली रुद्राक्ष तैरता रहता है।
  • असली रुद्राक्ष को पहचाने के लिए उसे किसी नुकिली चीज से कुरेदने पर अगर उसमें से रेशा निकलता हो तो वह असली रुद्राक्ष होता है।

रुद्राक्ष कैसे पहनना चाहिए – rudraaksh kaise pahanna chaahie

रूद्राक्ष सोमवार के दिन धारण करना चाहिए। किन्‍तु कुछ खास अवसरों जैसे श्रावण माह या नवरात्रों में इसे किसी भी दिन धारण किया जा सकता है। रूद्राक्ष को पितृ पक्ष या श्राद माह में धारण नहीं करना चाहिए।

  • रूद्राक्ष पहनने से एक दिन पहले रूद्राक्ष को पूरी रात के लिए कच्‍चे दूध में डुबो कर चांदी या मिट्टी या कांच के बर्तन में रखें।

  • अगले दिन सुबह जल्‍दी उठें और सूर्य उदय के समय या पहले नहा धोकर शुद्ध कपडे पहनें।

  • रूदाक्ष की पूजा हेतु संपूर्ण सामग्री – चांदी या तांबे का बर्तन, गंगा जल, साफ लाल वस्‍त्र रूद्राक्ष के नीचे बिछाने के लिए, पुष्‍प, चंदन, देसी घी का दीप, धूप या अगरबत्‍ती लें।

  • सर्वप्रथम रूद्राक्ष को दूध से निकालने के बाद, लाल धागे में डाल लें।

  • रूद्राक्ष को धागे के साथ चांदी या तांबे के बर्तन में रखें।

  • ऊ नम: शिवाय का मन ही मन जाप करते हुए रूद्राक्ष को गंगा से स्‍नान करायें।

  • स्‍नान के बाद रूद्राक्ष प्‍लेट में लाल कपडे पर रखें।

  • चंदन का तिलक लगायें।
  • फूल चढ़ाये।

  • धूपबत्‍ती और दीपक पर क्‍लाकवाइज घुमाएं जिससे धूपबत्‍ती का धुंआ रूद्राक्ष से होकर जाये।

  • बाद में रूद्राक्ष को हाथ में लेकर 27 या 54 या फिर 108 बार भगवान शिवजी का बीज मंत्र का जाप करें।

  • फिर रूद्राक्ष को धारण करें।
  • मन ही मन, शिव परिवार को प्रणाम करें।

  • घर के बडों के चरण स्‍पर्श कर आर्शीवाद लें।

रुद्राक्ष कहा पाया जाता है – rudraaksh kaha paaya jaata hai

रूद्राक्ष को पेड़ को इलियोकार्पस गेनिट्रस भी कहा जाता है।  इन पेड़ों की ऊंचाई पेड़ 50 फीट से लेकर 200 फीट तक होती है। यह प्रमुख तौर पर नेपाल, दक्षिण पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, हिमालय और गंगा के मैदानों में पाए जाते हैं। सबरे खास बात यह है कि हमारे देश में रुद्राक्ष की लगभग 300 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है। उससे भी ज्यादा खास बात यह है कि यह एक सदाबहार पेड़ है, जो जल्दी से बढ़ता है। इस पेड़ में फल आने में 3 से 4 साल का समय लगता है।

कैसे लगाये रूद्राक्ष का पेड़ – kaise lagaaye rudraaksh ka ped

रुद्राक्ष  का पेड़ एयर लेयरिंग विधि से लगाया जा सकता है। इसके लिए इसमें 3 से 4 साल के पौधे की शाखा में पेपपिन से रिंग काटकर उसके ऊपर मौस लगाई जाती है। इसके बाद  250 माइक्रोन की पॉलीथिन से ढक दिया जाता है। इसके साथ ही दोनों तरफ रस्सी बांध दी जाती है फिर लगभग 45 दिनों में जड़ें आ जाती हैं। इसके बाद उसे काटकर नए बैग में लगाया जाता है। इस तरह 15 से 20 दिन बाद पौधा उगने लगता हैं। इसके अलावा, नर्सरी से भी रुद्राक्ष का पेड़ खरीदा जा सकता है।

महिलाओं को रुद्राक्ष पहनना चाहिए – mahilaon ko rudraaksh pahanna chaahie

आमतौर पर हमने पुरूषों को ही रुद्राक्ष धारण करते हुए देखा होगा लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नही है कि महिलाएं इसे धारण नही कर सकती। रुद्राक्ष को भगवान शिव का वरदान माना गया है औऱ चाहे पुरुष हो या स्त्री वो शिव भक्त हो सकते है और रुद्राक्ष धारण कर सकते है। खासकर महिलायों को सफल वैवाहिक जीवन के लिए गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए और सन्तान सुख के लिए गौरी गणेश रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। हालांकि इसको धारण करते समय कुछ बातो का ध्यान रखना चाहिए।

जब भी आप सोए तो रुद्राक्ष को उतार कर किसी पवित्र स्थान पर रख देना चाहिए।

ना तो किसी को अपना रुद्राक्ष देना चाहिए और ना ही किसी का रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

मासिक धर्म के दौरान भी रुद्राक्ष को धारण नहीं करना चाहिए इससे रुद्राक्ष अपवित्र हो जाता है।

इसके अलावा खंडित रुद्राक्ष भी धारण नही करना चाहिए।

गौरी शंकर रुद्राक्ष के फायदे

हमारे सभी शास्त्रों में प्राकृतिक रूप से जुड़े हुए दो रूद्राक्षों को गौरी शंकर रूद्राक्ष कहा गया है। यह गौरी शंकर रुद्राक्ष भगवान शिव एवं माँ पार्वती का प्रतीक स्वरूप हैI इसे जो भी धारण करता है उसे भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की कृपा प्राप्त होती है। जिसके घर में यह गौरी शंकर रुद्राक्ष होता है और उसकी नियमित पूजा होती है वहां लक्ष्मी का वास हो जाता है तथा उसका घर धन-धान्य, प्रतिष्ठा, वैभव, यश-कीर्ति और दैवीय कृपा से भर जाता है।

जो व्यक्ति एक मुख वाला अथवाचौदह मुख वाला रुद्राक्ष पहनना चाहते हों और उसका मूल्य न चूका पा रहा हो या वह उपलब्ध न हो पा रहा हो तो उसे श्रधा पूर्वक गौरी -शंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ,क्योंकि एक मुख वाले और चौदह मुख वाले के समान ही हर तरह की सिद्धियों को प्रदान करने वाला रूद्राक्ष है।

यह रूद्राक्ष गृहस्थ सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इसलिए जिन लोगों का दांपत्य जीवन ठीक नहीं चल रहा है, या विशेष तौर से जिन लड़की/लड़को के विवाह में देर हो रहा हो उन्हें मनचाहा जीवन साथी न मिल पा रहा हो उन्हें गौरी शंकर रूद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए, इसके धारण करने मात्र से हर तरह की वैवाहिक मुश्किलें आसान हो जाती हैंI तथा जिन स्त्रियों को संतान का सुख प्राप्त नहीं हो पा रहा हो, वह गर्भ नहीं धारण कर पा रही हों उन्हें पूर्ण विश्वाश से यह गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए शिव व माता भगवती की कृपा होगी।

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गर्भ गौरी रुद्राक्ष के फायदे

गर्भ गौरी रूद्राक्ष उन दंपतियों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है जिन्हें अब तक संतान सुख प्राप्त नहीं हुआ है। इस रूद्राक्ष को नि:संतान स्त्री धारण करे तो वह जल्द ही माता बन सकती है। साथ ही यह रूद्राक्ष उन गर्भवती स्त्रियों के लिए भी काफी प्रभावी माना गया है जिन्हें गर्भावस्था के दौरान अनेक परेशानियां आ रही हो। यह रूद्राक्ष गर्भ की रक्षा करके स्वस्थ संतान को जन्म देने में मदद करता है।

यदि कोई स्त्री मातृ सुख या संतान सुख पाना चाहती है, तो उसे गर्भ गौरी रुद्राक्ष जरूर धारण करना चाहिए।

गर्भ गौरी रुद्राक्ष को गले में धारण करने से मन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और मन प्रफुल्लित रहता है।

गर्भाधान में देरी या कोई समस्या आ रही है तो गर्भ गौरी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।

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1 से 14 मुखी पहनने के क्या फायदे है – 1 se 14 mukhee pahanne ke kya fayde hai

एक मुखी रुद्राक्ष

यह साक्षात् शिव का रूप है, पापों का नाश करने तथा भय, चिंता, से मुक्ति दिलाने के लिए ही इस रुद्राक्ष को धारण किया जाता है, इस रुद्राक्ष को धारण करने के पश्चात सूर्य देव तथा शिव भगवान् का आशीर्वाद प्राप्त होता है, सिंह राशि के जातकों के लिए यह रुद्राक्ष बहुत लाभकारी होता है।

दो मुखी रुद्राक्ष

यह साक्षात् अर्ध्यनारीश्वर का रूप है, स्री रोग, किडनी तथा आँख से जुड़े रोगों से मुक्ति पाने के लिए यह रुद्राक्ष धारण किया जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने के पश्चात चन्द्र देव प्रसन्न होते है, यह रुद्राक्ष कर्क राशि के जातकों के लिए लाभकारी होता है।

तीन मुखी रुद्राक्ष

यह अग्नि देव का ही रूप है, इसे धारण करने से वास्तुदोष समाप्त होता है तथा साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। इसकी मित्रता मंगल ग्रह से होती है तथा मेष और वृश्चिक राशि के लोगों के लिए लाभकारी होता है।

चार मुखी रुद्राक्ष

यह ब्रह्म देव का ही रूप है, इसे धारण करने से गले से जुड़े रोग, कुष्ठ रोग,, दमा तथा लकवा आदि रोगों से मुक्ति मिलती है। इसका सम्बन्ध बुध गह से होता है तथा कन्या एवं मिथुन राशि के लोगों के लिए लाभकारी होता है।

पांच मुखी रुद्राक्ष

यह रूद्र अर्थात शिव का ही रूप है, इसे धारण करने से धन-संपत्ति तथा मान-सम्मान में वृद्धि होती है। पीलिया, मधुमेह तथा किडनी से सम्बंधित रोगों से मुक्ति मिलती है। इस रुद्राक्ष का सम्बन्ध बृहस्पती ग्रह से होता है, मीन तथा धनु राशि के लोगों के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष बहुत ही लाभकारी होता है।

छह मुखी रुद्राक्ष

इनका सम्बन्ध कार्तिकेय तथा गणेश भगवान से होता हैइसे धारण करने से मूत्र रोग, किडनी तथा नपुंसकता जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इस रुद्राक्ष की मित्रता शुक्र ग्रह से होती है, तुला तथा वृष राशि के लोगों के लिए छह मुखी रुद्राक्ष बहुत ही लाभकारी होता है।

सात मुखी रुद्राक्ष

 यह माँ लक्ष्मी का ही रूप है, इसे धारण करने से नसों, हड्डियों से जुड़े रोगों से निजात मिलती है तथा आर्थिक विकास होता है। इसकी मित्रता शनि ग्रह से होती है। यह मकर और कुम्भ राशि के लोगों के लिए लाभकारी होता है।

आठ मुखी रुद्राक्ष

यह भगवान गणेश का ही स्वरुप है। करियर में आ रही बाधाओं तथा मुसीबतों को दूर करने के लिए इस रुद्राक्ष को धारण किया जाता है। इसकी मित्रता राहु ग्रह से होती है, इस आठ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के बाद अकाल मृत्यु का डर समाप्त हो जाता है तथा त्वचा संबंधी रोग एवं गुप्त रोगों से राहत मिलती है।

नौ मुखी रुद्राक्ष

भैरव तथा दुर्गा इसके देवता हैइस रुद्राक्ष के प्रभाव से फेफड़े, कान और आँखों से जुड़े रोगों से मुक्ति मिलती है, संतान प्राप्ति के लिए भी इस रुद्राक्ष को धारण किया जाता है। इसकी मित्रता केतु ग्रह से होती है। जिस व्यक्ति की कुंडली में केतु शुभ होने के बाद भी अपना शुभ फल नहीं दे पाते ऐसे लोगों को यह रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।

दस मुखी रुद्राक्ष

भगवान विष्णु इसके देवता है, इस रुद्राक्ष के प्रभाव से हृदय रोग तथा फेफड़ों से जुड़े रोगों में राहत मिलती है, इसका मित्रता सभी ग्रहों से होता है, यह नज़र दोष तथा नकारात्मक शक्तियों से हमारी रक्षा करता है।

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष

 हनुमानजी इसके देवता है, इस रुद्राक्ष के प्रभाव से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, यात्रा के दौरान नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है। इसकी मित्रता मंगल ग्रह से होती है तथा मेष और वृश्चिक राशि के लोगों के लिये यह लाभकारी होता है।

बारह मुखी रुद्राक्ष

भगवान सूर्य इसके देवता है, इस रुद्राक्ष के प्रभाव से नाम, शोहरत, सम्मान की प्राप्ति होती है, इसके प्रभाव से हृदय से जुड़े रोगों से मुक्ति मिलती है। इसकी मित्रता सूर्य ग्रह से होती है तथा सिंह राशि के लोगों के लिए यह लाभकारी होता है।

तेरह मुखी रुद्राक्ष

 इन्द्रदेव इसके देवता है, इसका सम्बन्ध शुक्र ग्रह से होता है। इस रुद्राक्ष के प्रभाव से मूत्र रोग, गर्भ संबंधी रोगों से छुटकारा मिलती है, किडनी से परेशान लोगों के लिए भी यह रुद्राक्ष धारण करना लाभकारी होता है। तुला और वृषभ राशि के लोगों के लिए यह लाभकारी होता है।

चौदह मुखी रुद्राक्ष

यह साक्षात् शिव का रूप है, इस रुद्राक्ष के प्रभाव से निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है, तथा निराशा, बेचैनी, भूत-प्रेत, डर का पूरी तहरा नाश होता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने के पश्चात शनि देव तथा शिव भगवान् का आशीर्वाद प्राप्त होता है, मकर और कुम्भ  राशि के जातकों के लिए यह रुद्राक्ष बहुत लाभकारी होता है।

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