5 मुखी रुद्राक्ष माला के फायदे – 5 mukhi rudraksh maala ke fyade
ये रुद्राक्ष जीवन में समृद्धि और सफलता का प्रतीक माना जाता है। ये भगवान शिव के काल अग्नि रुप द्वारा प्रकट हुआ है। इसे धारण करने से आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। इस रुद्राक्ष का ग्रह बृहस्पति माना जाता है। ज्योतिष में ये ग्रह सबसे शुभ माना जाता है। कुंडली में इस ग्रह की मजबूत स्थिति जीवन के सभी क्षेत्रों में अनगिनत लाभ दिलाने का काम करती है। 5 मुखी रुद्राक्ष को बृहस्पति के बुरे प्रभाव को ठीक करने के लिए भी उत्तम माना जाता है।
- ये रुद्राक्ष व्यक्ति को असमय मृत्यु से बचाता है।
- इसे धारण करने से व्यक्ति बहादुरऔर साहसी बनता है।
- बृहस्पति के क्रूप प्रभाव को कम करता है।
- स्वास्थ्य अच्छा करता है।
- मन को शांत रखता है।
- नींद की समस्या से मुक्ति दिलाता है।
- व्यक्ति को बुद्धिमान बनाता है।
- बच्चों का मन पढ़ाई में लगाने में मदद करता है।
- पांच मुखी रुद्राक्ष पहनने से एकाग्रता और याददाश्त अच्छी होती है।
- पंचमुखी रुद्राक्ष भौतिक संकटों और दैहिक रोग को दूर करने में लाभाकरी माना जाता है।
- यह रुद्राक्ष मधुमेह, स्तनशिथिलता, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, एसिडिटी जैसे रोगों से बचाव करता है।
- 5 मुखी रुद्राक्ष माला के फायदे में एक फायदा है कि यह व्यक्ति के तनाव को कम कर मानसिक स्थिरता प्रदान करता है।
- जीवन से नकारात्मकता को दूर कर अध्यात्म की ओर जाने के लिए प्रेरित करता है।
- यदि जातक की कुंडली में बृहस्पति का प्रतिकूल प्रभाव है तो उसे पंचमुखी रुद्राक्ष अवश्य ही धारण करना चाहिए।
- यह अनिद्रा की समस्या से निजात दिलाने में सहायक है।
- यह नरहत्या के दोषों को दूर करने में सक्षम है।
5 मुखी रुद्राक्ष माला के नियम – 5 mukhi rudraksh maala ke niyam
5 मुखी रुद्राक्ष माला पहनने से व्यक्ति अपनी बहुत सारी परेशानियों से मुक्ति पा सकता है, भगवान शिव के समीप पहुँच सकता है और अपना जीवन सुखी-समृद्ध बना सकता है अगर उससे नियम से धारण किया जाए। तो आइये जानते 5 मुखी रुद्राक्ष माला धारण करने के नियम।
- पंचमुखी रुद्राक्ष भौतिक संकटों और दैहिक रोग को समाप्त करने में लाभाकरी माना जाता है।
- यह रुद्राक्ष मधुमेह, स्तनशिथिलता, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, एसिडिटी जैसे रोगों से बचाव करता है।
- 5 मुखी रुद्राक्ष माला के फायदे में एक फायदा है कि यह व्यक्ति के तनाव को कम कर मानसिक स्थिरता प्रदान करता है।
- जीवन से नकारात्मकता को दूर कर अध्यात्म की ओर जाने के लिए प्रेरित करता है।
- यदि जातक की कुंडली में बृहस्पति का प्रतिकूल प्रभाव है तो उसे पंचमुखी रुद्राक्ष अवश्य ही धारण करना चाहिए।
- यह अनिद्रा की समस्या से निजात दिलाने में सहायक है।
- यह नरहत्या के दोषों को दूर करने में सक्षम है। ये सभी अद्भुत 5 मुखी रुद्राक्ष माला के फायदे हैं।
रुद्राक्ष पहनने के बाद इन चीज़ो का रखे ध्यान – rudraksh pahanane ke baad in cheejon ka rakhen dhyaan
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब माता सती ने खुद को अग्नि में प्रवेश कराकर देह का त्याग कर दिया था तब भगवान शिव के रुदन से निकले आंसू पृथ्वी पर कई जगह गिरे और उनसे प्रकृति को रुद्राक्ष के रूप में एक चमत्कारी तत्व की प्राप्ति हुई थी।
- रुद्राक्ष धारण करें तो रुद्राक्ष मंत्र और रुद्राक्ष मूल मंत्र का 9 बार जाप करना चाहिए, साथ ही इसे सोने से पहले और रुद्राक्ष को हटाने के बाद भी दोहराया जाना चाहिए। रुद्राक्ष को एक बार निकाल लेने के बाद उस पवित्र स्थान पर रखना चाहिए जहां आप पूजा करते हैं।
- रुद्राक्ष को तुलसी की माला की तरह की पवित्र माना जाता है। इसलिए इसे धारण करने के बाद मांस-मदिरा से दूरी बना लेना चाहिए।
- एक महत्वपूर्ण बात यह है कि रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट पर नहीं ले जाना चाहिए। इसके अलावा नवजात के जन्म के दौरान या जहां नवजात शिशु का जन्म होता है वहां भी रुद्राक्ष ले जाने से बचना चाहिए।
- महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए।
- रुद्राक्ष को बिना स्नान किए नहीं छूना चाहिए। स्नान करने के बाद शुद्ध करके ही इसे धारण करें।
- रुद्राक्ष धारण करते समय भगवान शिव का मनन करें।इ सके साथ ही शिव मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते रहें।
- रुद्राक्ष को हमेशा लाल या फिर पीले रंग के धागे में पहनना चाहिए। कभी भी इसे काले रंग के धागे में नहीं पहनना चाहिए। इससे अशुभ प्रभाव पड़ता है।
- रुद्राक्ष माला को आपने धारण कर लिया है तो अब इसे किसी और को बिल्कुल न दें। इसके साथ ही दूसरे की दी गई रुद्राक्ष को बिल्कुल धारण न करें।
- रुद्राक्ष की माला को हमेशा विषम संख्या में पहनना चाहिए। लेकिन 27 मनकों से कम नहीं होनी चाहिए।
- रुद्राक्ष को हमेशा साफ रखें। मनके के छिद्रों में धूल और गंदगी जम सकती है। जितनी बार हो सके इन्हें साफ करें.. अगर धागा गंदा या क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो इसे बदल दें। सफाई के बाद रुद्राक्ष को गंगाजल से धो लें। यह इसकी पवित्रता बनाए रखने में मदद करता है।
- रुद्राक्ष गर्म प्रकृति के होते हैं। जिसके कारण कुछ लोगों को एलर्जी की समस्या हो जाती है। इसलिए बेहतर है कि इसका उपयोग न करें बल्कि पूजा घर में रखकर रोजाना पूजा करें।
पंचमुखी रुद्राक्ष माला कौन कौन पहन सकता है – pancha mukhi rudraksh mala kaun kaun pahan sakata hai
पंचमुखी रुद्राक्ष माला को बच्चे, महिलाएं और पुरुष तीनों ही धारण कर सकते हैं। साथ ही जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति अशुभ फल दे रहा हो, अनिद्रा की समस्या हो, ह्रदय रोग, मधुमेह, स्तनशिथिलता, एसिडिटी, तनाव से मुक्ति पाने के लिए इसे धारण किया जा सकता है। ज्योतिष के अनुसार मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु तथा मीन राशि वाले जातकों को यह रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है।
पंचमुखी रुद्राक्ष माला पहनने से पहले क्या करना चाहिए – pancha mukhi rudraksh mala pahanane se pahale kya karana chaahie
रुद्राक्ष को पहनने से पहले व्यक्ति के शरीर और मन का शुद्धिकरण किया जाना बहुत जरुरी है। इसे पहनने से पहले मांस-मदिरा का सेवन रोक देना चाहिए और मन-मस्तिष्क भगवान के ध्यान में अधिक लगाना चाहिए। साथ ही भगवान शिव की नियमित तौर पर पूजा किया जाना भी बेहद आवश्यक है तभी ईश्वर की कृपा अति शीघ्र प्राप्त होगी।
कुछ ध्यान रखने वाली बातों में ये बातें भी शामिल है जैसे- किसी दूसरे व्यक्ति को अपना रुद्राक्ष पहनने के लिए न दें। इसे हमेशा विषम संख्या में पहनना चाहिए।
पंचमुखी रुद्राक्ष माला धारण कैसे करें – pancha mukhi rudraksh mala dhaaran kaise karen
कोई भी रुद्राक्ष माला पहनने से पहले उसे धारण करने की सही विधि का पता होना बहुत आवश्यक होता है। आप विशेषज्ञ ज्योतिषियों से सलाह-मशवरा कर के अपने लिए सही रुद्राक्ष की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। व्यक्ति की ज़रूरत के अनुसार रुद्राक्ष पहनने से ढेरों लाभ होते हैं। एक मुखी से लेकर चौदह मुखी रुद्राक्ष तक सभी रुद्राक्ष किसी ना किसी ग्रह से संबंधित होते हैं। ऐसे में बहुत से लोग ग्रह शांति के लिए रुद्राक्ष धारण करते हैं।
- पांच मुखी रुद्राक्ष माला को सोने या फिर चाँदी में मढ़वा कर या बिना मढ़वाएं भी धारण किया जा सकता है।
- इस माला को धारण करने से पहले इसे गंगा जल या कच्चे दूध से शुद्ध कर लीजिए। उसके बाद धूप, दीप जलाकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने की सलाह दी जाती है।
- इसके बाद ‘ॐ ह्रीं नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करें।
- इसके अलावा आप गुरु बृहस्पति के बीज मंत्र ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः’ का 108 बार जाप करके भी रुद्राक्ष माला को धारण कर सकते हैं।
- इस विधान को करने के बाद गुरुवार के दिन पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में पांच मुखी रुद्राक्ष माला को धारण करें।
रुद्राक्ष माला धारण करने के बाद बरतने वाली सावधानियां – rudraksh mala dhaaran karane ke baad baratane vaalee saavadhaaniyaan
रुद्राक्ष माला को पहनते समय ही नहीं बल्कि उसे धारण करने के बाद भी एक व्यक्ति को बहुत सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। तो आइये जाते हैं क्या हैं वो सावधानियां
- रुद्राक्ष माला पहनकर शव-यात्रा या श्मशान में नहीं जाना चाहिए।
- इसके अलावा जिस कमरे में बच्चे का जन्म होता है उस कक्ष में भी रुद्राक्ष माला पहनकर नहीं जाना चाहिए।
- इसके अलावा बहुत से लोग यह भी मानते हैं कि, सोते समय इंसान को रुद्राक्ष माला उतार देना चाहिए। कई लोग इसके पीछे की वजह यह बताते हैं कि सोते समय शरीर निस्तेज रहता है तो वहीं कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि सोते समय रुद्राक्ष माला टूटने का डर बना रहता है इसलिए इसे उतार देना सही रहता है।
- आप चाहें तो सोते समय रुद्राक्ष माला उतार कर अपनी तकिया के नीचे रख लें। ऐसा करने से बुरे सपने भी नहीं आते हैं।
- इसके अलावा सम्भोग करते समय और महिलाओं के मासिक धर्म के समय भी रुद्राक्ष माला उतार देना चाहिए। माना जाता है कि इन दोनों ही समय शरीर अ-पवित्र होता है।
- इसके अलावा रुद्राक्ष माला पहनकर तामसिक भोजन और नशीले पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आपने रुद्राक्ष धारण किया हुआ है तो ऐसे भोजन और नशीले पदार्थ या तो ग्रहण करने से बचें या ग्रहण करते समय रुद्राक्ष माला उतार दें।
- रुद्राक्ष पहनकर शव-यात्रा या श्मशान में नहीं जाना चाहिए।
- इसके अलावा जिस कमरे में बच्चे का जन्म होता है उस कक्ष में भी रुद्राक्ष पहनकर नहीं जाना चाहिए।
- इसके अलावा बहुत से लोग यह भी मानते हैं कि, सोते समय इंसान को रुद्राक्ष उतार देना चाहिए। कई लोग इसके पीछे की वजह यह बताते हैं कि सोते समय शरीर निस्तेज रहता है तो वहीं कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि सोते समय रुद्राक्ष टूटने का डर बना रहता है इसलिए इसे उतार देना सही रहता है।
- आप चाहें तो सोते समय रुद्राक्ष उतार कर अपनी तकिया के नीचे रख लें। ऐसा करने से बुरे सपने भी नहीं आते हैं।
- इसके अलावा सम्भोग करते समय और महिलाओं के मासिक धर्म के समय भी रुद्राक्ष उतार देना चाहिए। माना जाता है कि इन दोनों ही समय शरीर अ-पवित्र होता है।
- इसके अलावा रुद्राक्ष पहनकर तामसिक भोजन और नशीले पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आपने रुद्राक्ष धारण किया हुआ है तो ऐसे भोजन और नशीले पदार्थ या तो ग्रहण करने से बचें या ग्रहण करते समय रुद्राक्ष उतार दें।
रुद्राक्ष धारण करने की पूरी विधि – rudraksh dhaaran karane kee pooree vidhi
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि, रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व और रुद्राक्ष माला धारण करने के बाद भी बहुत सारी सावधानियां बरतनी पड़ती है। ऐसे में बहुत से लोगों को शायद अभी भी इस बात की जानकारी ना हो कि रुद्राक्ष माला धारण करने के लिए सबसे उपयुक्त समय श्रावण का महीना होता है। इसके अलावा श्रावण के किसी भी सोमवार के दिन भी रुद्राक्ष माला धारण किया जा सकता है। इसके अलावा आप चाहे तो शिवरात्रि या फिर किसी भी पूर्णिमा के दिन भी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। इसके अलावा रुद्राक्ष माला धारण करने से सात दिन पहले आप उसे सरसों के तेल में भी डूबा के रख सकते हैं।
असली पंचमुखी रुद्राक्ष माला की पहचान कैसे करें – asalee pancha mukhi rudraksh mala kee pahachaan kaise karen
पंचमुखी रुद्राक्ष को ध्यान से देखें तो इसके पांच मुख होते हैं। इसे पहचानने के लिए रुद्राक्ष को पानी में थोड़े समय के लिए उबाले यदि वह रंग न छोड़े तो वह असली है। दूसरा तरीका है रुद्राक्ष को सरसों के तेल में रख दें और यदि रुद्राक्ष का रंग उसके रंग से थोड़ा अधिक गहरा दिखाई देने लगे तो यह असली पंचमुखी रुद्राक्ष माला की निशानी है।
- जो असली रुद्राक्ष होता है उसके फल में प्राकृतिक रूप से छेद होते हैं। जबकि भद्राक्ष में छेद करके रुद्राक्ष का आकार दिया जाता है।
- असली रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डुबाने से वह रंग नहीं छोड़ता है जबकि नकली रुद्राक्ष रंग छोड़ देता है।
- असली रुद्राक्ष पानी में डुबाने पर वह डूब जाता है , जबकि नकली रुद्राक्ष तैरता रहता है।
- असली रुद्राक्ष को पहचाने के लिए उसे किसी नुकिली चीज से कुरेदने पर अगर उसमें से रेशा निकलता हो तो वह असली रुद्राक्ष होता है।
5 मुखी रुद्राक्ष माला का कीमत क्या है – 5 mukhi rudraksh maala ka keemat kya hai
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