बवासीर गुदास्थी भाग या एनल भाग में सूजे हुए ऊतकों का एक समूह होती है। बवासीर आकार के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। ये बाहरी और आंतरिक दो तरह की हो सकती हैं। आंतरिक बवासीर गुदा के बाहरी भाग से दो से चार सेंटीमीटर अंदर ऊपर की तरफ होती है। आंतरिक बवासीर इस रोग का सबसे सामान्य प्रकार है। बाहरी बवासीर एनस या गुदा के बाहरी भाग पर होती है। बवासीर को अर्श रोग भी कहा जाता है जिसका अंग्रेजी नाम हेमोरॉहाइड्स (Hemorrhoids) है। बवासीर गुदास्थि में एकत्रित सूजे हुए ऊतक होते हैं। इनमें रक्त वाहिकाएं, आसपास के ऊतक, मांसपेशियाँ और इलास्टिक फाइबर होती हैं।
बहुत से लोगों को बवासीर होती है लेकिन यह जरूरी नहीं कि सभी के लक्षण एक जैसे हों। दुनियाभर में बवासीर से ग्रस्त 50 प्रतिशत लोगों में ही ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं जिन्हें पहचाना जा सके।
इस लेख में आप बवासीर के लक्षण, कारण, बवासीर का परीक्षण और बवासीर के घरेलू उपायों के बारे में पढ़ेंगे। साथ ही इस लेख में आप यह पढ़ेंगे कि बवासीर व्यक्ति के शरीर को किस तरह से प्रभावित करती है।
बवासीर के क्या लक्षण होते हैं? – Bawaseer ke lakshan in hindi
बहुत से मामलों में बवासीर गंभीर नहीं होती है। यह आमतौर पर कुछ दिनों में खुद ही ठीक हो जाती है । साथ ही यह भी जरूरी नहीं है कि बवासीर से ग्रस्त प्रत्येक व्यक्ति को दर्द हो बवासीर से पीड़ित किसी भी व्यक्ति को निम्न तरह के लक्षण दिखाई देते हैं –
- गुदस्थी के आस पास एक मोटी और दर्दनाक गांठ महसूस हो सकती है । इस गांठ में खून जमा हुआ हो सकता है। जिस बवासीर में रक्त होता है उसे थ्रोमबोस्ड एक्सटर्नल हेमोरोइज्ड कहते हैं।
- बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को मल त्यागने के बाद पेट भरा हुआ लग सकता है ।
- मल त्यागने के बाद रक्त निकलना
- गूदे के आसपास का स्थान लाल होना, खुजली होना और सूजन आना
- मल त्यागने में तकलीफ़ होना
- कब्ज
- मल त्याग के समय दर्द व बेचैनी होना
उपरोक्त लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। यह लक्षण अन्य स्थिति के कारण भी दिखाई दे सकते हैं, जैसे इन्फ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज, एनाल कैंसर, बॉवेल कैंसर और एनल फिशर । यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें। बवासीर गंभीर स्थिति का भी रूप ले सकता है। गंभीर मामलों में बवासीर के निम्न लक्षण दिखाई देते हैं –
- मल त्यागने वाले स्थान जिसे गुदा कहते हैं वहां से अत्यधिक रक्त आना। इस स्थिति से व्यक्ति के शरीर में खून की कमी हो सकती है जिसे एनीमिया कहा जाता है।
- संक्रमण
- मल को रोक न पाना या फीकल इंकॉन्टीनेंस
- एनल फिस्ट्यूला, इसमें गुदा के अंदर व बाहर की त्वचा के सतह से एक नया चैनल बन जाता है
- स्ट्रेंग्युलेटेड बवासीर अंतर्गत बवासीर तक रक्त प्रवाह रुक जाता है जिससे संक्रमण व रक्त का थक्का जमने जैसी स्थितियां पैदा हो जाती हैं
बवासीर को चार श्रेणियों में विभाजित किया जाता है
ग्रेड १ : गुदा की आंतरिक परत में छोटी-छोटी सूजन आना । हालांकि यह दिखाई नहीं देते हैं।
ग्रेड २ : ये बवासीर ग्रेड १ से बड़ी होती है, लेकिन गुदा के अंदर ही रहती है। हो हो सकता है कि जब आप मल त्यागे तो यह गूदा से बाहर आए लेकिन यह वापस अंदर चले जाते हैं।
ग्रेड ३: इन्हें प्रोलैप्स हैमरॉइड कहा जाता है और यह गुदा के बाहर होते हैं । व्यक्ति को ये रेक्टम से बाहर लटकते महसूस हो सकते हैं लेकिन इन्हें वापस अंदर डाला जा सकता है।
ग्रेड ४: यह भी रेक्टम के बाहर लटकते हैं लेकिन इन्हें अंदर नहीं डाला जा सकता और इनके लिए ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है। ये बहुत बड़े होते हैं और गुदा के बाहर ही रहते हैं।
एक्सटर्नल पाइल्स गुदे के बाहरी किनारों पर छोटी गांठे बना देती है। इनमें बहुत अधिक खुजली होती है, साथ ही यदि इन गांठों में खून का थक्का जम जाता है तो यह दर्दनाक हो सकती हैं क्योंकि ब्लड क्लॉट्स से रक्त का प्रवाह अवरुद्ध होता है । थ्रोंबोज्ड एक्सटर्नल पाइल्स या जम चुकी बवासीर का इलाज तुरंत किया जाना चाहिए।
बवासीर होने का क्या कारण है? – Bawaseer kyu hoti hai in hindi
बवासीर रेक्टम के निचले भाग में दबाव पड़ने के कारण होती है। गुदा के आसपास और मलाशय में रक्त वाहिकाएं दबाव में खिंचाव कर सकती हैं और उनमें सूजन आ सकती है जो कि बवासीर का कारण बन सकती हैं। ऐसा निम्न के कारण हो सकता है –
- लंबे समय से कब्ज
- लंबे समय से दस्त
- बाहरी सामान उठाना
- गर्भावस्था
- शौच जाते समय खींचाव
- लंबे समय से खांसी
यदि आपके परिवार में किसी करीबी को बवासीर है तो यह आपके बवासीर का कारण बन सकती है। बवासीर होने का खतरा बढ़ती उम्र के साथ बढ़ता है।
बवासीर का परीक्षण कैसे किया जाता है? – Bawaseer ki janch kaise hoti hai
डॉक्टर आमतौर पर बवासीर का परीक्षण शारीरिक एग्जामिनेशन के बाद ही करते हैं। जिस व्यक्ति में बवासवीर होने का संदेह होता है उनमें डॉक्टर गुदास्थी की भी जांच कर सकते हैं।
डॉक्टर आपसे निम्न प्रश्न पूछ सकते हैं –
- क्या आपके किसी करीबी रिश्तेदार को बवासीर है?
- क्या मल में रक्त या बलगम आ रहा है?
- क्या हाल ही में आपका वजन कम हुआ है?
- क्या आपके शौच जाने की क्रिया में कोई बदलाव आये हैं?
- मल का रंग कैसा था?
आंतरिक बवासीर के लिए डॉक्टर डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन कर सकते हैं जो कि प्रोक्टोस्कोप की मदद से किया जाता है। प्रोक्टोस्कोप एक खोखली ट्यूब होती है जिसमें लाइट लगी होती है। इसकी मदद से डॉक्टर एनल कैनाल को ठीक तरह से देख पाते हैं। वे मलाशय के अंदर से छोटा सा ऊतक का सैंपल ले सकते हैं। इसके बाद सैंपल को लैब में टेस्टिंग के लिए भेज दिया जाता है।
यदि बवासीर से ग्रस्त व्यक्ति के शरीर में पाचन तंत्र से जुड़ी कोई भी अन्य बीमारी के संकेत व लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो डॉक्टर कभी-कभी कोलोनोस्कोपी की भी सलाह दे सकते हैं। कोलोस्कोपी की सलाह तब भी दी जा सकती है अगर व्यक्ति के शरीर में कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण दिखाई दे रहे हों।
बवासीर का क्या इलाज है? Bawaseer ka ilaj kaise hota hai?
अधिकतर मामलों में बवासीर अपने आप ठीक हो जाती है और इसके लिए किसी भी ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है। हालांकि कुछ लोगों में ट्रीटमेंट से दर्द, बेचैनी जैसे लक्षणों को कम किया जा सकता है। जरूरी नहीं है कि आपको भी ट्रीटमेंट की आवश्यकता हो इसलिए किसी भी दवा को लेने से पहले डॉक्टर से बातचीत करना न भूलें।
जीवन शैली में बदलाव –
बवासीर को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर शुरुआत में जीवन शैली से जुड़े कुछ बदलाव करने को कहेंगे।
आहार – बवासीर मल त्याग के समय हुई खींचावट के कारण हो सकती है। आहार में बदलाव करने से मल नियंत्रित व नरम आएगा। इसके अंतर्गत आपको फाइबर युक्त फल व सब्जियां लेनी होगी। डॉक्टर आपसे नाश्ते में हल्का-फुल्का अनाज लेने को कह सकते हैं।
डॉक्टर आपसे कैफ़ीन व चाय न लेने को कहेंगे। साथ ही डॉक्टर आपको अत्यधिक पानी पीने की सलाह देंगे।
शरीर का वजन – वजन कम करने से बवासीर की गंभीरता को भी कम किया जा सकता है। बवासीर से बचने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें। साथ ही यह कोशिश करें कि मल त्यागने में कोई कठिनाई न हो और आराम से शौच करने जाएं।
व्यायाम – बवासीर के लिए व्यायाम को सबसे अच्छी थेरेपी माना जाता है। ऐसे में डॉक्टर आपको भिन्न तरह के व्यायाम करने की सलाह दे सकते हैं। यदि आप डॉक्टर की बताई हुई बातों का पालन करेंगे तो बवासीर आसानी से ठीक की जा सकती है वरना यह कैंसर का रूप भी ले सकती हैं।
बवासीर की दवा क्या है? Bawaseer ki dawa in hindi
बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट देकर उसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
ओवर द काउंटर (ओटीसी) – यह दवाइयाँ आपको आसानी से किसी भी मेडिकल स्टोर या ऑनलाइन स्टोर पर मिल सकते हैं। इन दवाओं में पेन किलर, ऑइंटमेंट, क्रीम और पैड शामिल होते हैं जिनसे गुदा के आसपास आई लालिमा व सूजन को ठीक किया जा सकता है।
ओटीसी दवाओं से बवासीर को ठीक तो नहीं किया जा सकता लेकिन इनसे लक्षणों से निजात पाई जा सकती है। इन दवाओं को लगातार 7 दिनों तक ना ले इससे त्वचा में खुजली, चिड़चिड़ापन आ सकता है व साथ ही त्वचा पतली हो सकती है। जब तक डॉक्टर ना कहें तब तक दो तरह की दवाओं को एक साथ ना ले। कोई भी दवा डॉक्टर की सलाह के बिना ना ले।
कॉर्टिकोस्टेरॉइड – ये दवाएं बवासीर में हो रही सूजन और दर्द को कम कर सकती है।
लेक्सेटिव – यदि बवासीर से पीड़ित किसी व्यक्ति को कब्ज की भी शिकायत है तो डॉक्टर laxative की सलाह देते हैं। इससे व्यक्ति को मल त्यागने में आसानी होती है और कोलन के निचले हिस्से पर दबाव कम पड़ता है।
बवासीर के लिए ऑपरेशन – Bawaseer ke liye surgery in hindi
बवासीर से पीड़ित 10 में से एक व्यक्ति को सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। इन सर्जरी में आमतौर पर अधिक समय नहीं लगता है और यह बवासीर को जल्दी ही ठीक भी कर देती हैं। आपकी स्थिति के अनुसार डॉक्टर आपको सर्जरी करवाने की सलाह दे सकते हैं।
बाइंडिंग – इस प्रक्रिया में डॉक्टर बवासीर के निचले हिस्से में एके इलास्टिक बैंड बांधते हैं ताकि रक्त प्रवाह को रोका जा सके। कुछ दिनों के बाद हेमोर्रोइड टूट कर गिर जाता है। ये ट्रीटमेंट सभी तरह के बवासीर के लिए कारगर साबित होता है जो कि ग्रेड ४ से कम होती है।
स्क्लेरोथेरपी – हेमोर्रोइड को सिकुड़ने के लिए उसमें इंजेक्शन की मदद से दवाई लगाई जाती है। इसके बाद बवासीर सिकुड़ जाती है। यह ग्रेड २ और ग्रेड ३ हैमरॉइड के लिए प्रभावी है और बेंडिंग का एक अन्य विकल्प है।
इंफ्रारेड कोआगुलेशन – इसे इंफ्रारेड लाइट कोएगुलेशन भी कहा जाता है।यह एक उपकरण है जिस से बवासीर को जलाया जाता है यह प्रक्रिया ग्रेड १ और ग्रेड २ के लिए प्रयोग की जाती है।
हैमरॉइडऐक्टमी – जिन अतिरिक्त ऊतकों में से रक्त प्रवाह हो रहा होता उन्हें सर्जरी से निकाल दिया जाता है। इसे भिन्न तरीकों से किया जा सकता है और इसमें लोकल एनेस्थीसिया, जनरल एनेस्थीसिया, स्पिनाल एनेस्थीसिया और सेडेटिव का मेल करके सर्जरी की जा सकती है। इस तरह की सर्जरी बवासीर को पूरी तरह से हटाने में कारगर होती है लेकिन सर्जरी की कुछ जटिलताएँ हैं, जैसे मल त्यागने में तकलीफ़ होना और मूत्राशय पथ में संक्रमण।
हेमरॉइड स्टेपलिंग – हेमरॉइड ऊतक तक रक्त प्रवाह को रोक दिया जाता है और यह प्रक्रिया आमतौर पर हैमरॉइडऐक्टमी से कम दर्दनाक होती है। हालांकि इस प्रक्रिया में बवासीर के दोबारा होने का खतरा भी होता है और साथ ही इसमें रेक्टल प्रोपलेप्स भी हो सकता है जिसके अंदर मलाशय गुदा से बी बाहर निकलने के लिए स्वयं को धकेलता है।
बवासीर के घरेलु उपाय – Bawaseer ke gharelu ilaj
बवासीर में आराम देगा गरम पानी से सेक –
गरम पानी के टब में बैठना जिसमें केवल पैरों तक गर्म पानी हो। इससे बवासीर द्वारा हो रही जलन, सूजन व लालिमा से आराम मिलेगा।
कुछ लोग लक्षणों को जल्दी ठीक करने के लिए गर्म पानी में अन्य पदार्थ भी मिलाते हैं। अन्य पदार्थों में सेंधा नमक और सेब का सिरका शामिल है।
वहीं कुछ लोग सेब के सिरके को सीधे बवासीर पर ही लगा लेते हैं इससे चिड़चिड़ापन हो सकता है साथ ही त्वचा पर सूजन आ सकती है।
सेंधा नमक बाजार में आसानी से उपलब्ध होता है।
बवासीर का रामबाण इलाज है एलोवेरा
एलोवेरा का प्रयोग प्राचीन काल से ही कई तरह के रोगों को ठीक करने के लिए किया जा रहा है। Bio med research international की एक शोध के अनुसार इस पौधे में anti-inflammatory गुण होते हैं जो कि घाव को ठीक करने में मदद करते हैं।
यदि गुदा में लगाया जाए तो एलोवेरा से बवासीर द्वारा हो रही जलन, खुजली और सूजन को ठीक किया जा सकता है। ध्यान रहे की एलोवेरा बिल्कुल शुद्ध हो कोई भी केमिकल ना मिला हो नहीं तो स्थिति और खराब हो सकती है। आप एलोवेरा को ऑनलाइन खरीद सकते हैं।
बवासीर का घरेलू नुस्खा है आइस पैक
Hemorrhoid पर बर्फ या ठंडे पैक लगाने से दर्द और सूजन में आराम महसूस होता है। आइस पैक को बैठकर लगाएं या तब लगाएं जब बवासीर बाहर आ गए हो ताकि दर्द को सुन्न किया जा सके और सूजन को कम किया जा सके।
ध्यान रहे बर्फ को तौलिए में लपेट कर ही नहीं तो स्किन को नुकसान हो सकता है। इस तरह से आइस पैक को 15 मिनट तक लगाएं और यह प्रक्रिया प्रत्येक 1 घंटे में करते रहे।
बवासीर का प्राकृतिक उपाय है गोले का तेल
गोले का तेल जो बाजार में आसानी से मिल जाता है एक प्राकृतिक mosturizer है जिससे बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। गोले का तेल लगाने से और खुजली कम होती है और इससे खुजली करने की इच्छा भी खत्म हो जाती है।
बवासीर का पक्का इलाज है केला
एक अन्य घरेलू नुस्खे के अनुसार बवासीर में हर दिन खाली पेट केला खाने से इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। यदि आपको खूनी बवासीर है तो दिन में तीन केले खाएं। केलों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है और उससे कब्ज में भी मदद मिलती है।
बवासीर का उपचार है सेब का सिरका
कुछ लोग कहते हैं कि सेब का सिरका लगाने से बवासीर में खुजली और दर्द से आराम मिलता है। हालांकि यदि आपकी त्वचा सेंसिटिव है तो इसे बिना डॉक्टर की सलाह के ना लगाएं।
बवासीर में प्रयोग करें टी ट्री ऑयल
कुछ लोगों का मानना है कि टी ट्री ऑयल एंटीसेप्टिक और anti-inflammatory gun बवासीर की लालिमा, चिड़चिड़ापन, खुजली करने में मदद करते हैं। कुछ शोधों में यह पाया गया है कि टी ट्री ऑयल से बने जेल से बवासीर के लक्षण कम होते हैं। हालांकि इस बात पर अत्यधिक अध्ययन मौजूद नहीं है।